हमारे जौनपुर शहर की कई इमारतों को अपनी शानदार शर्क़ी शैली की वास्तुकला के कारण विशेष पहचान हासिल है। जौनपुर सल्तनत, जिसे शर्क़ी सल्तनत के नाम से जाना जाता है, एक मध्यकालीन भारतीय मुस्लिम साम्राज्य था। शर्क़ी सल्तनत के शासकों ने, 1394 से 1494 तक उत्तर प्रदेश और बिहार के अधिकांश हिस्सों पर शासन किया था। शर्क़ी सल्तनत की वास्तुकला की भांति ही, इससे लगभग 2500 साल पहले मौजूद "हित्ती काल" की वास्तुकला भी अद्वितीय थी। दोनों साम्राज्यों की वास्तुकलाएं, आज भी विभिन्न रूपों में आधुनिक वास्तुकला को प्रभावित करती हैं। आज के इस लेख में, हम हित्ती साम्राज्य (Hittite Empire) के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त करेंगे। साथ ही, हम हित्ती काल की वास्तुकला की भी गहन जाँच करेंगे।
हित्ती कौन थे?हित्ती प्राचीन इंडो-यूरोपीय लोग थे। ये लोग दूसरी सहस्राब्दी ईसा पूर्व (2nd Millenium BCE) की शुरुआत में अनातोलिया (Anatolia) में अस्तित्व में थे। 1340 ईसा पूर्व तक, वे मध्य पूर्व में प्रमुख शक्तियों में से एक बन गए थे। माना जाता है कि हित्ती संभवतः काला सागर (Black Sea) से परे के क्षेत्र से आए थे। उन्होंने सबसे पहले केंद्रीय अनातोलिया पर कब्ज़ा किया और हट्टुसा (Hattusa) में अपनी राजधानी स्थापित की। हट्टूसिलिस I (Hattusilis I), हित्ती साम्राज्य के शुरुआती राजाओं में से एक थे, जिन्होंने लगभग 1650-1620 ईसा पूर्व तक शासन किया था। उन्होंने अनातोलिया और उत्तरी सीरिया (Northern Syria) के अधिकांश हिस्सों पर हित्ती नियंत्रण को और अधिक मज़बूत किया और इसका विस्तार किया।
बोगाज़कोय (Bogazkoy) में खोजी गई क्यूनीफ़ॉर्म टैबलेट (Cuneiform tablets) से हित्ती साम्राज्य के राजनीतिक संगठन, सामाजिक संरचना, अर्थव्यवस्था और धर्म के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी मिलती है। हित्ती राजा, अपनी प्रजा के मुख्य शासक, सैन्य नेता और सर्वोच्च न्यायाधीश होते थे। उन्हें तूफ़ान देवता का सांसारिक प्रतिनिधि भी माना जाता था। मृत्यु के बाद, उन्हें देवता मान लिया जाता था।
हित्ती समाज मूलतः सामंती और कृषि प्रधान था। समाज के आम लोगों में स्वतंत्र लोग, कारीगर और दास शामिल थे। यह साम्राज्य अनातोलिया धातुओं, विशेष रूप से चांदी और लोहे से समृद्ध था। साम्राज्य काल के दौरान, हित्तियों द्वारा लोहे से काम करने की तकनीक विकसित की गई, जिसने लौह युग (Iron Age) की प्रगति में बहुत बड़ा योगदान दिया।
हित्ती सभ्यता के प्रमुख वास्तुशिल्प अवशेष, बोगाज़कोय में मिलते हैं। यहाँ पर इस साम्राज्य से जुड़े मंदिर की संरचनाएँ और शहर की दीवारें देखी जा सकती हैं। बिट-हिलानी (Bit-Hilani) का विकास भी हित्तियों द्वारा किया गया था। इस संरचना में एक पोर्टिको वाला प्रवेश द्वार है, जिसमें खंभों से घिरा एक सीढ़ीदार रास्ता है।
हित्ती सभ्यता के वास्तुशिल्प का एक अन्य विशिष्ट रूप डबल गेटवे (Double Gateway) भी है, जिसमें एक कॉर्बेल आर्क (Corbel Arch) है।
इस गेटवे को दोनों तरफ़ से एक ख़तरनाक जानवर की आकृति से संरक्षित किया गया है। हित्ती सभ्यता के वास्तुशिल्प के सबसे प्रसिद्ध उदाहरणों में से एक, प्राचीन हित्ती राजधानी हट्टुसास में शेर द्वार (Lion Gate) है। इस द्वार की आकृतियों को बाद में कई बार कॉपी किया गया और इनका इस्तेमाल पश्चिमी यूरोप (Western Europe) के चर्चों में भी किया गया।
प्रसिद्ध कोरबेल आर्क गेटवे के माध्यम से शहर में प्रवेश द्वार की रखवाली करने वाले भयंकर शेर और स्फ़िंक्स (Sphinx) की मूर्तियाँ, राष्ट्र की ताक़त और इस सभ्यता की भयंकर लेकिन व्यावहारिक वास्तुकला का प्रतीक हैं। ताक़त और व्यावहारिकता पर इसी तरह का ज़ोर हित्ती वास्तुकला के मुख्य तत्वों में कई बार दिखाई देता था, जिसमें उनके द्वारा निर्मित किलाबंदी प्रणाली, मंदिर, प्रशासनिक भवन और आवासीय घर भी शामिल हैं।
हित्ती अपने प्रत्येक शहर को मज़बूत करके आक्रमणकारी सेनाओं के खिलाफ़ खुद को सुरक्षित करने का प्रयास करते रहते थे। इन शहरों में सबसे प्रमुख हित्ती राजधानी हट्टुसास थी। चट्टानी पहाड़ियों में इसकी स्थिति के कारण, यहाँ से दुश्मन की सेनाओं को शहर पहुँचने से बहुत पहले ही देखा जा सकता था। पहाड़ी इलाक़े, दुश्मन की प्रगति को भी धीमा कर देते थे, जिससे हित्तियों को अपनी सेनाएँ जुटाने के लिए अधिक समय मिल जाता था।
आधुनिक समय में खोजी गई कुछ कलाकृतियों के माध्यम से हित्ती काल के दौरान प्रचलित कला और शिल्प तथा उनके महत्व का पता चलता है:
एक सिलेंडर सील (Cylinder Seal): एक प्रसिद्ध उत्खननकर्ता, लियोनार्ड वूली (Leonard Woolley) को एक चूना पत्थर की सिलेंडर सील तब मिली जब वे कारकेमिश (Carchemish) में, उत्तरी दीवार के नीचे एक गुफ़ा को साफ़ कर रहे थे। इस सिलेंडर सील में एक हिरण और एक बैल, दो कीलें, किरणों वाला एक सूरज और एक किल्ट पहने हुए व्यक्ति को दिखाया गया है। यह व्यक्ति, आठ की आकृति वाली ढाल और हिरण के सींगों में से एक को पकड़े हुए है। यह हिरण संभवतः हित्ती शिकार देवता का प्रतीक हो सकता है और बैल पूर्व अनातोलिया या हट्टी (Hatti ) के मौसम देवता का प्रतीक हो सकता है।
एक छोटी सोने की आकृति (Small Gold Figurine): इस छोटी सोने की आकृति को विशिष्ट हित्ती सींग वाले हेडड्रेस से सजाया गया था । इस हेडड्रेस का इस्तेमाल, आमतौर पर मेसोपोटामिया (Mesopotamia) में देवताओं को दर्शाने के लिए किया जाता था । आकृति द्वारा उठाए गए घुमावदार हथियार, तलवार या शिकार के हथियार हो सकते हैं। आधुनिक बोगाज़कोय, तुर्की (Turkey) में, हित्ती राजधानी हट्टुसा से प्राप्त अनेक पट्टिकाओं से पता चलता है कि प्राकृतिक घटनाओं की पूजा, राज्य धर्म था। इनमें मौसम, सूर्य, पर्वत और जल शामिल थे, जिन्हें मानव रूप में दर्शाया गया था।
लघु पैमाने पर हित्ती देवता (Miniature Hittite Gods): हाल ही में शोधकर्ताओं को कुल अड़तीस छोटी सोने की आकृतियाँ मिलीं, जो स्टीटाइट (Steatite) या लैपिस लज़ूली (Lapis Lazuli) से जड़ी हुई थीं। ये आकृतियाँ, हित्ती देवताओं का प्रतिनिधित्व करती हैं और हट्टुसास के पास, याज़िलिकाया (Yazilikaya) में खुले-हवा वाले मंदिर की चट्टानों पर तेरहवीं शताब्दी ईसा पूर्व में, उकेरे गए देवताओं की प्रतिमाओं से मिलती जुलती हैं।
संदर्भ
https://tinyurl.com/y2ytjwrg
https://tinyurl.com/2xmnnaf7
https://tinyurl.com/29e435kd
https://tinyurl.com/25yegy6p
चित्र संदर्भ
1. तीसरी सहस्राब्दी ईसा पूर्व के हित्ती कब्र से प्राप्त अलाका होयुक कांस्य मानक एवं हाथीदांत से बने हित्ती स्फिंक्स को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. हट्टूसा रैंप को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. स्फिंक्स गेट को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. इनान्दिक फूलदान (inandik vase) 17वीं शताब्दी ईसा पूर्व के मध्य का एक बड़ा हित्ती टेराकोटा फूलदान है, जिसमें चार हैंडल और एक पवित्र विवाह समारोह को दर्शाने वाले दृश्य हैं। इसे इनांदिकटेपे (inandiktepe) में खोजा गया था और वर्तमान में यह अंकारा, तुर्की में अनातोलियन सभ्यताओं के संग्रहालय में प्रदर्शित है। को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)