दृष्टिहीनों के लिए, ज्ञान का द्वार साबित हो रही ब्रेल के इतिहास को जानिए

जौनपुर

 04-01-2025 09:22 AM
संचार एवं संचार यन्त्र
ब्रेल के आविष्कार को मानव इतिहास की सबसे बड़ी उपलब्धियों में गिना जाता है। यह एक ऐसी प्रणाली है, जिसकी मदद से दृष्टिहीन और कम दृष्टि वाले लोग, पढ़ और लिख सकते हैं। इस प्रणाली में उभरे हुए बिंदुओं का उपयोग किया जाता है। ये बिंदु अक्षरों, संख्याओं, विराम चिह्नों और संक्षिप्त शब्दों को दर्शाते हैं। ब्रेल ने दृष्टिबाधित लोगों के लिए पढ़ाई और जानकारी तक पहुँचने को आसान बना दिया है।
ब्रेल कोड, आज 133 भाषाओं में उपलब्ध है। इस जानकारी को "वर्ल्ड ब्रेल यूसेज" (World Braille Usage) नामक पुस्तक में दर्ज किया गया है। इसे पर्किन्स स्कूल फ़ॉर द ब्लाइंड (Perkins School For The Blind) द्वारा प्रकाशित किया गया है। भारत में हिंदी समेत कई क्षेत्रीय भाषाओं के लिए ब्रेल प्रणालियाँ विकसित की गई हैं। इनमें भारती ब्रेल, खासी ब्रेल, गारो ब्रेल, भूटिया ब्रेल और लेप्चा ब्रेल शामिल हैं। आज विश्व ब्रेल दिवस पर, हम ब्रेल के महत्व को समझेंगे। जिसके तहत हम यह भी जानेंगे कि ब्रेल का आविष्कार कैसे हुआ। साथ ही हम ब्रेल में लिखने के तरीके और इसके लिए उपयोग किए जाने वाले आधुनिक उपकरणों के बारे में भी जानेंगे।
ब्रेल क्या है?
ब्रेल, दृष्टिबाधित लोगों के लिए पढ़ने और लिखने का एक विशेष तरीका है। इसमें स्पर्श के माध्यम से अक्षरों, संख्याओं और विराम चिह्नों को समझा जाता है। इस प्रणाली में बिंदुओं की व्यवस्था का उपयोग किया जाता है। हर ब्रेल प्रतीक को "ब्रेल सेल (Braille Cell)" कहा जाता है। एक ब्रेल सेल में छह बिंदु होते हैं। ये बिंदु आयत के आकार में तीन पंक्तियों और दो स्तंभों में होते हैं। इन छह बिंदुओं से अलग-अलग प्रतीक बनाए जा सकते हैं।
ब्रेल में बड़े अक्षरों के लिए कोई अलग प्रतीक नहीं होता। बड़े अक्षर दिखाने के लिए, अक्षर से पहले "बिंदु 6" जोड़ा जाता है। संख्याओं को दर्शाने के लिए, वर्णमाला के पहले दस अक्षरों का उपयोग किया जाता है। इन संख्याओं की शुरुआत, एक विशेष संख्या चिह्न से होती है। यह चिह्न बिंदु 3, 4, 5 और 6 से बनता है।
उदाहरण के लिए, संख्या 1 को संख्या चिह्न के बाद "a" से दिखाया जाता है। संख्या 2 में "b" आता है। इसी तरह, संख्या 10 के लिए "a" और "j" का उपयोग होता है। यदि 193 दिखाना हो, तो "a," "i," और "c" का उपयोग किया जाता है।
अमेरिकी ब्रेल में पढ़ाई को सरल बनाने के लिए, संक्षिप्ताक्षरों का भी उपयोग किया जाता है। ये ब्रेल, पाठकों और लेखकों के लिए उपयोगी और याद रखने में आसान होते हैं। ब्रेल को मोटे कागज़ पर छापा जाता है। इसके उभरे हुए बिंदु पन्नों को सपाट नहीं रहने देते। इस वजह से ब्रेल की किताबें भारी और बड़ी होती हैं।
ब्रेल का आविष्कार, 19वीं सदी की शुरुआत में हुआ। चार्ल्स बार्बियर, जो नेपोलियन बोनापार्ट की सेना में काम करते थे, ने "नाइट राइटिंग" नामक एक विशेष प्रणाली बनाई। यह प्रणाली, सैनिकों को अंधेरे में बिना रोशनी के संदेश पढ़ने और साझा करने में मदद करती थी।
बार्बियर ने देखा कि, सैनिक रात में संदेश पढ़ने के लिए दीपकों का इस्तेमाल करते थे, जिससे उनकी स्थिति, दुश्मनों को पता चल जाती थी। इस वजह से कई सैनिक मारे जाते थे।
बार्बियर की प्रणाली में 12-डॉट सेल (12-dot braille cell) का उपयोग होता था। यह सेल, दो बिंदुओं चौड़ा और छह बिंदुओं लंबी होता था । हर डॉट का संयोजन एक अक्षर या ध्वनि को दर्शाता था। हालांकि, इस प्रणाली में एक समस्या थी। एक उंगली से सभी डॉट्स को एक साथ महसूस करना मुश्किल था।।
ब्रेल के विकास में लुई ब्रेल का योगदान: लुई ब्रेल (Louis Braille) ने, 11 साल की उम्र में इस प्रणाली को बेहतर बनाने का सोचा। उनका उद्देश्य था कि दृष्टिबाधित लोगों के लिए पढ़ने और लिखने का एक आसान तरीका बनाया जाए। उन्होंने बार्बियर की 12-डॉट सेल को घटाकर 6-डॉट सेल कर दिया।
इस बदलाव ने दृष्टिबाधित लोगों के लिए पढ़ाई को काफी सरल बना दिया। अब एक उंगली से पूरे सेल को एक बार में महसूस करना संभव था। इससे एक सेल से दूसरे सेल पर तेज़ी से जाना भी आसान हो गया। समय के साथ, ब्रेल को नेत्रहीन लोगों के लिए संवाद का मुख्य तरीका माना जाने लगा। आज भी ब्रेल का स्वरूप लगभग वैसा ही है, जैसा लुई ब्रेल ने इसे बनाया था।
ब्रेल कैसे लिखी जाती है?
ब्रेल लिखने के दो तरीके होते हैं:
1. बिना संकुचित ब्रेल: इसमें हर शब्द के हर अक्षर को पूरा लिखा जाता है। यह विधि आमतौर पर बच्चों की किताबों में उपयोग की जाती है। हालांकि, वयस्कों की किताबों में इसका इस्तेमाल कम होता है।
कुछ वयस्क, जिन्होंने हाल ही में दृष्टि खोई है, ब्रेल सीखने के लिए इस विधि का उपयोग करते हैं। यह उनके लिए उपयोगी होती है जब वे व्यक्तिगत वस्तुओं या रसोई के औज़ारों को लेबल करना चाहते हैं।
2. संकुचित ब्रेल: यह ब्रेल लिखने का मानक तरीका है। इसमें ब्रेल कोशिकाओं का उपयोग करके शब्दों को छोटा या संक्षिप्त किया जाता है।
उदाहरण के लिए:
बिना संकुचित ब्रेल में "आप उसे पसंद करते हैं" वाक्य 12 सेल स्पेस लेता है।
you like him

संकुचित ब्रेल में यही वाक्य, केवल 6 सेल स्पेस में लिखा जा सकता है।
you like him

ऐसा इसलिए होता है क्योंकि कुछ अक्षर, पूरे शब्द का प्रतिनिधित्व करते हैं। जैसे, "y" और "l" क्रमशः "आप" और "पसंद" को दर्शाते हैं।
संकुचित ब्रेल में, 180 प्रकार के संकुचन होते हैं। इनमें "उसे" जैसे 75 शॉर्टकट शब्द शामिल हैं। यह शॉर्टकट कागज़ की खपत को कम करते हैं और पढ़ाई को सरल बनाते हैं।
संयुक्त राज्य अमेरिका में, अधिकतर बच्चे किंडरगार्टन से ही संकुचित ब्रेल सीखना शुरू करते हैं। यही मानक ब्रेल है, जिसे संकेतों और पढ़ने की सामान्य सामग्री में उपयोग किया जाता है।
आज हमारे बीच ब्रेल लिखने के कई आधुनिक उपकरण मौजूद हैं! इनमें शामिल हैं:
स्विंग सेल कॉम्पैक्ट: यह उपकरण, छात्रों को ब्रेलराइटर की कुंजियों और ब्रेल सेल के बीच तालमेल समझने में मदद करता है। छात्र इसमें खूंटे लगाकर सेल की जांच कर सकते हैं।
स्लेट और स्टाइलस: इसमें कागज की शीट को पकड़कर, स्टाइलस से छोटे छेद के माध्यम से ब्रेल डॉट्स बनाए जाते हैं। उपयोगकर्ता को दाएं से बाएं डॉट्स पंच करने होते हैं ताकि वे बाएं से दाएं पढ़े जा सकें।
पर्किन्स ब्रेलर: यह एक मानक ब्रेलराइटर है, जिसमें प्रत्येक बिंदु के लिए छह कुंजियाँ होती हैं। इसमें स्पेस बार, बैकस्पेस, कैरिज रिटर्न और लाइन फीड कुंजियाँ भी होती हैं। इसके अलग-अलग मॉडल हैं, जैसे कि एक हाथ से उपयोग करने वाला ब्रेलर, इलेक्ट्रिक ब्रेलर और स्मार्ट ब्रेलर आदि।
ब्रेल नोट: यह ह्यूमनवेयर द्वारा निर्मित एक पोर्टेबल कंप्यूटर है। इसे ब्रेल कीबोर्ड या क्वर्टी (QWERTY) कीबोर्ड के साथ उपयोग किया जा सकता है।
ब्रेल सेंस: इसमें रिफ़्रेशेबल ब्रेल डिस्प्ले होता है। यह डिवाइस, डेज़ी (DAISY) और एम पी 3 (MP3) मीडिया फ़ाइलों को भी चला सकता है।
इन आधुनिक उपकरणों ने ब्रेल लिखने और पढ़ने को अधिक सरल और सुलभ बना दिया है।

संदर्भ
https://tinyurl.com/229fkx4q
https://tinyurl.com/vgrrahu
https://tinyurl.com/yyk8nsez
https://tinyurl.com/2h92kuqa

चित्र संदर्भ

1. लुई ब्रेल की 200वीं जयंती (1809-2009) के सम्मान में बनाए गए भारतीय दो रुपये के सिक्के और पेरिस, फ़्रांस में स्थित पैन्थियॉन में ब्रेल के स्मारक को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. ब्रेल को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. लुई ब्रेल की प्रतिमा को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. मूल लैटिन वर्णमाला के 26 ब्रेल अक्षरों की व्युत्पत्ति को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)




RECENT POST

  • भारत में, परमाणु ऊर्जा तय करेगी, स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन का भविष्य
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     06-01-2025 09:25 AM


  • आइए देखें, कुछ बेहतरीन तमिल गीतों के चलचित्र
    ध्वनि 1- स्पन्दन से ध्वनि

     05-01-2025 09:19 AM


  • दृष्टिहीनों के लिए, ज्ञान का द्वार साबित हो रही ब्रेल के इतिहास को जानिए
    संचार एवं संचार यन्त्र

     04-01-2025 09:22 AM


  • आइए, चोपानी मंडो में पाए गए साक्ष्यों से समझते हैं, ऊपरी पुरापाषाण काल के बारे में
    जन- 40000 ईसापूर्व से 10000 ईसापूर्व तक

     03-01-2025 09:20 AM


  • सोलहवीं शताब्दी से ही, हाथ से बुने हुए कालीनों का महत्वपूर्ण केंद्र रहा है जौनपुर
    घर- आन्तरिक साज सज्जा, कुर्सियाँ तथा दरियाँ

     02-01-2025 09:31 AM


  • जन्म से पहले, भ्रूण विकास के कई चरणों से गुज़रता है, एक मानव शिशु
    शारीरिक

     01-01-2025 09:19 AM


  • चलिए जानते हैं, नचिकेता कैसे करता है, यमराज से मृत्यु व जीवन पर संवाद
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     31-12-2024 09:27 AM


  • लोगो को आधुनिक बनाइए और अपने ब्रांड को, ग्राहकों के दिलों में बसाइए !
    संचार एवं संचार यन्त्र

     30-12-2024 09:20 AM


  • आइए देखें, हिंदी फ़िल्मों के कुछ मज़ेदार अंतिम दृश्यों को
    द्रिश्य 3 कला व सौन्दर्य

     29-12-2024 09:16 AM


  • पूर्वांचल का गौरवपूर्ण प्रतिनिधित्व करती है, जौनपुर में बोली जाने वाली भोजपुरी भाषा
    ध्वनि 2- भाषायें

     28-12-2024 09:22 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id