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संगीत को एक ऐसी डोर या सेतु माना जा सकता है, जिसने वैदिक युग को आधुनिक युग के साथ जोड़ने का काम किया है। उदाहरण के तौर पर आज जौनपुर के समृद्ध संगीत घरानों में भी, वैदिक युग के कई संगीत अनुदेशों का पालन किया गया है। हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत के ऐतिहासिक 300 रागों में से, लगभग 100 रागों का प्रयोग आज भी किया जाता है। भारतीय शास्त्रीय संगीत में कई ऐसे घराने हैं, जिन्होंने कई पीढ़ियों से हमारे संगीत की धरोहर को संजो के रखा है। भारत के कुछ उल्लेखनीय संगीत घरानों को अपने अद्वितीय योगदान और प्रसिद्ध प्रतिपादकों के लिए जाना जाता है।
लेकिन इन घरानों के बारे में जानने से पहले आइये संगीत के दीर्घकालिक सफ़र को विविध समयावधि के आधार पर समझने की कोशिश करते हैं:
1. वैदिक काल (2500 ई.पू. - 500 ई.पू.): इस समय अवधि के दौरान, विभिन्न संगीत वाद्ययंत्रों का उपयोग किया जाने लगा। वैदिक मंत्रों के जाप से संगीत के सात स्वरों की पहचान हुई।
2. प्राचीन काल (500 ई.पू. - 500 ई.): इस अवधि में, ऋषि भरत ने नाट्यशास्त्र की रचना की, जिसमें संगीत और नृत्य की अवधारणाएँ, संगीत वाद्ययंत्रों का वर्गीकरण तथा श्रुति, स्वर, ग्राम, मूर्छा और ताल जैसे विचार शामिल थे। महान महाकाव्य रामायण और महाभारत में भी संगीत वाद्ययंत्रों का उल्लेख मिलता है।
3. मध्यकालीन काल (5वीं शताब्दी ई. - 13वीं शताब्दी ई.): इस समयावधि के दौरान, संगीत से संबंधित संस्कृत ग्रंथ बृहद्देशी (जहाँ राग शब्द का पहली बार इस्तेमाल किया गया था), जयदेव द्वारा गीत गोविंदा और शारंगदेव द्वारा संगीत रत्नाकर जैसी महत्वपूर्ण रचनाएँ रची गईं। इस समय तक उत्तर भारतीय संगीत में फ़ारसी और मध्य एशियाई प्रभाव भी दिखने लगा था। भारत में सूफ़ी संगीत का आगमन भी इसी समयावधि में हुआ।
4. दो परंपराओं का विकास (12वीं - 14वीं शताब्दी ई.): इस अवधि में, दक्षिण भारत के कर्नाटक संगीत और उत्तर भारत के हिंदुस्तानी संगीत दो अलग-अलग परंपराओं के रूप में विकसित हुए। पुरंदर दास को "कर्नाटक संगीत का जनक" माना जाता है, क्योंकि उन्होंने कई भक्ति गीतों की रचना की और कर्नाटक संगीत के बुनियादी पाठ तैयार किए।
वैसे तो हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत में करीब 300 राग हुआ करते थे, लेकिन पिछली कई सदियों के दौरान ये सभी राग लुप्त हो चुके हैं। आज हम करीब 100 रागों के बारे में जानते हैं।
नीचे दी गई सूची में इनमें से ज़्यादातर रागों को शामिल किया गया है। यह सूची राग के नाम से वर्णानुक्रम में व्यवस्थित है।
राग | थाट (सप्तक के 12 स्वरों में से 7 क्रमानुसार मुख्य स्वरों के उस समुदाय को ठाट या थाट कहते हैं जिससे राग की उत्पत्ति होती है।) |
प्रस्तुति का समय |
---|---|---|
अड़ाना | आसावरी | रात |
अहीर भैरव | भैरव | सुबह |
आसावरी | आसावरी | सुबह |
बागेश्री | काफी | रात |
बहार | काफी | रात |
बैरागी भैरव | भैरव | सुबह |
बसंत | पूर्वी | रात |
बसंत मुखारी | सुबह | |
भैरव | भैरव | सुबह |
भैरवी | भैरवी | कोई भी समय |
भंकर | भैरव | सुबह |
भटियार | भैरव | सुबह |
भीमपलासी | काफी | दोपहर |
भिन्न षड्ज | खमाज | रात |
भूपाल तोड़ी | भैरवी | सुबह |
भूपाली | कल्याण | शाम |
बिहाग | कल्याण | रात |
बिलासखानी तोड़ी | भैरवी | सुबह |
बिलावल | बिलावल | सुबह |
चांदनी केदार | कल्याण | रात |
चंद्रकौंस | रात | |
चारुकेशी | ||
छायानट | कल्याण | रात |
दरबारी | आसावरी | रात |
देश | खमाज | शाम |
देशकार | बिलावल | सुबह |
देसी | आसावरी | सुबह |
धानी | काफी | कोई भी समय |
दुर्गा | बिलावल | रात |
गारा | खमाज | |
गौड़ मल्हार | काफी | मानसून |
गौड़ सारंग | कल्याण | दोपहर |
गोरख कल्याण | खमाज | रात |
गुनक्री | भैरव | सुबह |
गुर्जरी तोड़ी | तोड़ी | सुबह |
हमीर | कल्याण | रात |
हंसध्वनि | बिलावल | शाम |
हिन्दोल | कल्याण | सुबह |
जैजैवंती | खमाज | रात |
जनसम्मोहिनी | ||
जौनपुरी | आसावरी | सुबह |
झिंझोटी | खमाज | रात |
जोगिया | भैरव | सुबह |
काफी | काफी | कोई भी समय |
कालावती | खमाज | रात |
कलिंगड़ा | भैरव | सुबह |
कमोद | कल्याण | शाम |
केदार | कल्याण | रात |
खमाज | खमाज | शाम |
किरवानी | रात | |
ललित | पूर्वी | सुबह |
मधुवंती | तोड़ी | दोपहर |
मध्यमाद सारंग | काफी | दोपहर |
मालगुंजी | काफी | रात |
मल्हार | काफी | रात |
मालकोंस | भैरवी | रात |
मालकोंस पंचम | भैरवी | रात |
मंड | बिलावल | कोई भी समय |
मारु बिहाग | कल्याण | शाम |
मारवा | मारवा | दोपहर |
मियाँ मल्हार | काफी | मानसून |
मुल्तानी | तोड़ी | दोपहर |
नंद | कल्याण | रात |
नट भैरव | भैरव | सुबह |
पहाड़ी | बिलावल | शाम |
पटदीप | दोपहर | |
पीलू | काफी | कोई भी समय |
पूर्वी | पूर्वी | दोपहर |
पुरिया | मारवा | शाम |
पुरिया धनाश्री | पूर्वी | शाम |
रागेश्री | खमाज | रात |
शाम कल्याण | कल्याण | शाम |
शंकरा | बिलावल | शाम |
शिवरंजनी | काफी | रात |
श्री | पूर्वी | दोपहर |
शुद्ध कल्याण | कल्याण | शाम |
शुद्ध सारंग | कल्याण | दोपहर |
सोहनी | मारवा | सुबह |
तिलक कमोद | खमाज | रात |
तिलंग | खमाज | शाम |
तोड़ी | तोड़ी | सुबह |
विभास | भैरव | सुबह |
वृंदावनी सारंग | काफी | |
यमन | कल्याण | शाम |
यमन कल्याण | कल्याण | शाम |
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