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1980 में मृणाल सेन की फिल्म यूनिट जब एक लोकेशन पर शूटिंग कर रही थी, तब गलती से उन्होंने एकमात्र जीवित मूक बंगाली फिल्म को खोज निकाला। फिल्म में एक देहाती नायक गोबरधन (दास) को दिखाया गया है, जो कि अपने सास-ससुर से मिलने कलकत्ता जाता है।कलकत्ता में वह अपने दोस्त अमल (बरुआ) के कमरे को ढूंढने की कोशिश करता है, लेकिन इस कोशिश में वह खो जाता है। हालांकि अपने दोस्त को ढूंढते हुए वह हावड़ा ब्रिज (Howrah Bridge), विक्टोरिया मेमोरियल (Victoria Memorial) जैसे प्रसिद्ध स्थानों पर पहुंचता है। ये दृश्य शहर के जीवन और स्पष्ट रूप से शूटिंग देखने के लिए एकत्र हुई भीड़ को बखूबी दर्शाते हैं। गोबरधन अंततः अपने ससुराल वालों को ढूंढ लेता है और एक लंबी बीमारी का बहाना बनाता है, ताकि वह लंबे समय तक अपने ससुराल में रह सके। तो आइए आज इस चलचित्र के जरिए इस मजेदार भारतीय मूक फ़िल्म पर एक नजर डालें।
संदर्भ:
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