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संस्कृत, को आमतौर पर भारत की आध्यात्मिक और दार्शनिक परंपराओं से जुड़ी हुई भाषा माना जाता है। लेकिन यह बात बहुत कम लोग जानते हैं कि “संस्कृत में योग, गणित, कला और विज्ञान जैसे जटिल विषयों से जुड़े ग्रंथों का एक समृद्ध संग्रह भी मौजूद है।” कई जानकार ‘पूरी दुनिया में सबसे पहले कई वैज्ञानिक और गणितीय अवधारणाओं को प्रस्तुत करने का श्रेय संस्कृत को ही देते हैं। चलिए आज जानने की कोशिश करते हैं कि संस्कृत को वैज्ञानिक भाषा के रूप में क्यों देखा जाता है, और आधुनिक युग में इसकी प्रासंगिकता क्या है?
संस्कृत, एक प्राचीन भाषा है, जो हज़ारों वर्षों से अस्तित्व में है। इस भाषा को विज्ञान और गणित के क्षेत्र में अपने महत्वपूर्ण योगदान के लिए जाना जाता है। उदाहरण के तौर पर, शून्य की अवधारणा सबसे पहले ब्राह्मी अंकों में पेश की गई थी, जिन्हें संस्कृत में लिखा जाता था। प्राचीन समय में गणित के क्षेत्र में यह एक बहुत बड़ी सफ़लता थी और इसे आज भी एक क्रांतिकारी उपलब्धि के रूप में देखा जाता है। इसके महत्व को रोमन अंक प्रणाली से तुलना करने पर समझा जा सकता है, जहां दस लाख जैसी संख्या लिखने के लिए "एम (M)" अक्षर को एक हज़ार बार लिखने की आवश्यकता पड़ती है। लेकिन संस्कृत में शून्य की बदौलत, हम दस लाख का प्रतिनिधित्व करने के लिए केवल 1 और उसके बाद छह शून्य और लिख देते हैं।
इसके अलावा, संस्कृत में "सुल्बा सूत्र" पाइथागोरस प्रमेय का सबसे पहला ज्ञात विवरण प्रदान करते हैं। आर्यभट्ट द्वारा लिखित "आर्यभटीय" से हमें त्रिकोणमिति सिद्धांतों की स्पष्ट समझ प्राप्त होती है। आर्यभट ने भी पाई का मान 3.14 ही गिना था।
संस्कृत में एक समृद्ध चिकित्सा परंपरा भी रही है। उदाहरण के तौर पर 'चरक संहिता', नामक एक संस्कृत चिकित्सा ग्रंथ, हमें मानव शरीर रचना विज्ञान, विकृति विज्ञान और विभिन्न रोगों के निदान तथा उपचार की विस्तृत समझ प्रदान करता है। इस पाठ का अध्ययन आज भी आयुर्वेदिक चिकित्सकों द्वारा किया जाता है, तथा इसने आधुनिक चिकित्सा पद्धतियों को प्रभावित किया है।
संस्कृत ने दार्शनिक चिंतन को भी आकार दिया है। "उपनिषद", संस्कृत ग्रंथों का एक प्राचीन संग्रह है, जो हमें वास्तविकता और मानवीय स्थिति की गहरी समझ प्रदान करता है।
ऐतिहासिक रूप से, भारत विज्ञान के क्षेत्र में वैश्विक नेता हुआ करता था, जिसका मुख्य कारण संस्कृत को ही माना जाता है। अरब और चीन जैसे दूर दराज़ के क्षेत्रों से कई विद्वान तक्षशिला और नालंदा जैसे संस्थानों में अध्ययन करने के लिए भारत आते थे।
हाल के वर्षों में, आधुनिक अनुप्रयोगों के लिए भी संस्कृत का उपयोग करने में रुचि बढ़ी है। उदाहरण के तौर पर प्राकृतिक भाषा में संस्कृत के प्रसंस्करण के लिए उपकरण विकसित करने हेतु भारत, अमेरिका और जर्मनी के शोधकर्ताओं द्वारा "संस्कृत कम्प्यूटेशनल भाषाविज्ञान (Sanskrit Computational Linguistics)" नामक एक परियोजना शुरू की गई थी। यह परियोजना आधुनिक कंप्यूटिंग और एआई (Modern computing and AI) में संस्कृत की क्षमता पर प्रकाश डालती है।
भारत सरकार भी सक्रिय रूप से संस्कृत को बढ़ावा दे रही है। सरकार ने 2016 में, 'राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान' की स्थापना की, जो एक विश्वविद्यालय है जो संस्कृत अध्ययन और अनुसंधान को बढ़ावा देता है।
हाल के दिनों में आपने चैटजीपीटी (ChatGPT) जैसे बड़े भाषा मॉडल (Large Language Models (LLM) के बारे में ज़रूर सुना होगा जो पाठ अनुवाद, वाक्य पूर्णता, पाठ सारांश और विचार निर्माण जैसे जटिल और असंभव प्रतीत होने वाले कार्य भी आसानी से चुटकियों में कर सकते हैं। हालाँकि, इन कार्यों के लिए कम्प्यूटेशनल शक्ति (computational power) और संसाधनों की आवश्यकता होती है।
वास्तव में किसी भी वाक्य का किसी अन्य भाषा में अनुवाद करते समय, मॉडल को उस भाषा में शब्दों के सही क्रम को समझने की आवश्यकता होती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि हर भाषा के लिखने के अपने नियम होते हैं। यदि मॉडल इन नियमों का पालन नहीं करता है, तो अनुवादित वाक्य का सही अर्थ निकल ही नहीं सकता है। हालाँकि अधिकांश भाषाओं के लिए ऐसा करना एक बहुत बड़ी चुनौती साबित होती है। प्रत्येक भाषा के व्याकरण और भाषा विज्ञान में मॉडल को बड़े पैमाने पर प्रशिक्षित करने की आवश्यकता होती है।
लेकिन यहीं पर संस्कृत, इस समस्या का एक अनूठा समाधान प्रस्तुत करती है। संस्कृत में, किसी वाक्य में शब्दों का क्रम उसके अर्थ को प्रभावित नहीं करता है। इसलिए, भले ही मॉडल, शब्दों के क्रम में गलतियाँ करता हो, लेकिन फिर भी उसका परिमाण या आउटपुट सही ही होगा। उदाहरण के लिए, "आज आपका दिन कैसा रहा" के संस्कृत अनुवाद को 120 अलग-अलग तरीकों से लिखा जा सकता है, और दिलचस्प बात यह है कि सभी एक ही अर्थ बताते हैं।
संस्कृत की यह विशेषता अनुवाद के कार्य को सरल बनाती है और अनुक्रमिक मॉडलों की आवश्यकता को समाप्त कर देती है। यह संस्कृत का एक ऐसा पहलू है, जिसे आज तक अनदेखा किया गया है। संस्कृत में शब्दों की गड़बड़ी होने पर भी अर्थ बरकरार रहता है। यही संस्कृत की सुंदरता है।
बहुत कम लोग यह बात जानते हैं कि नासा ने भी एक बार अंतरिक्ष से संदेश भेजने के लिए संस्कृत का इस्तेमाल किया था, जब अंग्रेजी का उपयोग करके सही अर्थ बताना मुश्किल था। संस्कृत की संरचना और उच्चारण प्रणाली दुनिया की किसी भी अन्य भाषा से कहीं अधिक विस्तृत और वैज्ञानिक है। उदाहरण के लिए, अंग्रेजी में केवल छह मूल स्वर (ए (A), ई (E), आई(I), ओ(O), यू(U) हैं, लेकिन संस्कृत में इसके अलावा भी कई स्वर होते हैं। यही कारण है कि संस्कृत को अक्सर दुनिया की "गणितीय भाषा" कहा जाता है।
संस्कृत के बारे में वास्तव में एक आश्चर्यजनक बात यह भी है कि हज़ारों साल पहले इस भाषा में लिखे गए ग्रंथों को आज भी उनके मूल अर्थ में किसी भी बदलाव या हानि के बिना पढ़ा और समझा जा सकता है। अपनी इन्हीं अनूठी विशेषताओं के कारण संस्कृत भारत की सभ्यता और संस्कृति में विशेष स्थान रखती है। इसे अत्यधिक सुंदरता और सटीक भाषा के रूप में देखा जाता है, जो जटिल विचारों और भावनाओं को पूरी तरह से व्यक्त करने में सक्षम है। यही संस्कृत का जादू है।
संदर्भ
https://tinyurl.com/bcdhs4ua
https://tinyurl.com/3s6ctd4p
https://tinyurl.com/d7j4wwe8
चित्र संदर्भ
1. कंप्यूटर पर काम करते एक भारतीय ऋषि के काल्पनिक चित्र को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. संस्कृत के एक अभिलेख को संदर्भित करता एक चित्रण (lookandlearn)
3. एक संस्कृत उपनिषद को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. चैटजीपीटी को संदर्भित करता एक चित्रण (Pexels)
5. ग्रीक उपशीर्षक के साथ संस्कृत वर्णमाला को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
6. संस्कृत के गणितीय सूत्र को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
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