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हमारे जौनपुर में पूरे उत्साह के साथ मनाई जाने वाली “महावीर जयंती” को न केवल भारत, बल्कि विश्व स्तर पर भी अलग-अलग मान्यताओं के साथ मनाया जाता है। आपको जानकर हैरानी होगी कि जैन धर्म में भी रामायण और महाभारत जैसे हिंदू महाकाव्य, महत्वपूर्ण माने जाते हैं। जैन धर्म में महाभारत के अपने कई संस्करण हैं, हालांकि ये संस्करण मूल महाभारत से काफी भिन्न हैं। चलिए आज महावीर जयंती के शुभ अवसर पर जानने की कोशिश करते हैं कि जैन और हिंदूओं की महाभारत के संस्करणों के बीच क्या अंतर हैं? इसके अतिरिक्त, आज हम जैन साहित्य में भगवान श्री कृष्ण की भूमिका के बारे में भी विस्तार से जानेंगे।
जैन अनुयाई, प्रत्येक तीर्थंकर (तीर्थंकर वह व्यक्ति हैं जिन्होनें पूरी तरह से क्रोध, अभिमान, छल, इच्छा, आदि पर विजय प्राप्त की हो) के जीवन में घटित पाँच महत्वपूर्ण घटनाओं का स्मरण करते हैं:
1. गर्भाधान
2. जन्म
3. त्याग
4. ज्ञानोदय
5. मृत्यु (मोक्ष)
इन घटनाओं में महावीर जयंती, “महावीर के जन्म” का प्रतीक है, जबकि दीपावली, उनके “मुक्ति या निर्वाण प्राप्ति” के उपलक्ष में मनाई जाती है।
महावीर जयंती के दिन पूरे भारत में राष्ट्रीय अवकाश घोषित किया जाता है। हालांकि अमेरिका में, इस दिन राष्ट्रीय अवकाश नहीं होता है, लेकिन यह दिवस वहां रहने वाले जैन समुदाय के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। इस अवसर पर दोनों देशों में आयोजित होने वाले विविध समारोहों में स्नात्र पूजा की जाती है, जिस दौरान बच्चे महावीर की छवि को स्नान कराते हैं। यह दिन संघर्ष-ग्रस्त दुनिया में महावीर की शिक्षाओं की प्रासंगिकता पर जोर देता है।
दीपावली, महावीर के “ज्ञानोदय” की याद दिलाती है, क्यों दिवाली पर ही उन्होने अपनी मानव देह का त्याग कर निर्वाण प्राप्त किया था। इस दौरान जैन समुदाय के लोग दीपक जलाते हैं, मंत्रों का जाप करते हैं और भजन गाते हैं। इस त्योहार के दिन सैन फ्रांसिस्को (san francisco) में, बच्चे एक नृत्य-नाटिका का मंचन करते हैं, जिसमें भगवान महावीर की माँ द्वारा उनके जन्म से पहले देखे गए चौदह सपनों को प्रदर्शित किया जाता है। उत्तरी कैरोलिना (North Carolina) में भी बच्चों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं। इनके अलावा, मियामी (Miami), फोर्ट मायर्स (Fort Myers) और जैक्सनविले (Jacksonville) सहित विभिन्न शहरों से जैन समुदाय के लोग सामूहिक उत्सव के लिए फ्लोरिडा (Florida) के कोरल स्प्रिंग के रैम्बलवुड मिडिल स्कूल (Ramblewood Middle School of Coral Spring School) में इकट्ठा होते हैं।
हिंदू धर्म की भांति जैन धर्म भी खुद को 'सनातन यानी शाश्वत धर्म के रूप में पहचानता है।’ ऐतिहासिक रूप से, जैन धर्म की उत्पत्ति लगभग 2500 साल पहले बौद्ध धर्म और उपनिषद के समानांतर ही हुई थी। यह काल सिकंदर के आगमन और मौर्य साम्राज्य के उदय से पहले का माना जाता है। बौद्ध धर्म की भांति, जैन धर्म में भी मठवासी जीवन शैली का पालन किया जाता है। इस धर्म में सर्वोच्च ईश्वर (परम-आत्मा) की अवधारणा को अस्वीकार किया जाता है। हालाँकि, बौद्धों के विपरीत, जैन समुदाय के लोग एक व्यक्तिगत आत्मा (जीव-आत्मा) के अस्तित्व में विश्वास करते हैं।
जैन धर्म में रामायण और महाभारत जैसे, हिंदू महाकाव्य भी महत्वपूर्ण माने जाते हैं, जो इसकी साझा सांस्कृतिक विरासत को दर्शाते हैं। जैन धर्म में महाभारत के अपने कई संस्करण हैं, हालांकि ये संस्करण मूल महाभारत से भिन्न हैं। उदाहरण के तौर पर महाभारत में जैन संस्करण (जिनसेना का हरिवंश) में पांडवों के बजाय श्री कृष्ण और जरासंध के बीच चले संघर्ष पर अधिक ध्यान केंद्रित किया गया है।
इसमें श्री कृष्ण के पिता, वासुदेव को एक आकर्षक व्यक्ति के रूप में दर्शाया गया है। जैन महाभारत के वर्णन के अनुसार श्री कृष्ण की माता देवकी ने आठ पुत्रों को जन्म दिया। पहले छह पुत्रों को एक व्यापारी की पत्नी के मृत बच्चों से बदल दिया जाता है, जो बाद में जैन भिक्षु बन जाते हैं। सातवें और आठवें पुत्रों को चरवाहे के रूप में पाला गया।
इसमें वर्णित एक किवदंती के अनुसार श्री कृष्ण के चचेरे भाई, (22वें तीर्थंकर) नेमिनाथ, अपने विवाह की दावत में वध के लिए लाए जा रहे, जानवरों की आवाज़ सुनने के बाद द्रवित हो गए और भिक्षु बन गए। जैन महाभारत में द्रौपदी का विवाह केवल अर्जुन से हुआ है। जैन महाभारत में द्रौपदी, युधिष्ठिर और भीम (जो अर्जुन से बड़े हैं) को अपने पिता के रूप में तथा नकुल और सहदेव को अपने पुत्रों के रूप में मानती हैं। हालांकि वह अर्जुन के गले में जो माला पहनाती है, उसमें से कुछ फूल अन्य चार भाइयों पर गिर जाते हैं, जिसके बाद यह अफवाह फैल जाती है, कि उनका विवाह सभी पांच भाइयों के साथ हो गया है।
इस महाभारत में आयोजित जुए में कौरवों से अपना राज्य हारने के बाद, पांडवों को 12 साल के वनवास और उसके बाद 13वें साल राजा विराट के महल में नौकरों के रूप में भेष बदलकर रहना पड़ा। इस दौरान भीम, कीचक को भी दंडित करते हैं, जिसने द्रौपदी के साथ अभद्रता करने का प्रयास किया था। उल्लेखनीय रूप से, कीचक भी बाद में जैन भिक्षु बन गया, और अंततः मुक्ति प्राप्त की।
भारतीय जैनियों को श्री कृष्ण के करिश्माई व्यक्तित्व ने विशेष रूप से प्रभावित किया है, जिससे उन्हें अपनी विचारधाराओं के अनुरूप श्री कृष्ण की पौराणिक कथाओं की पुनर्व्याख्या करने के लिए प्रेरित किया गया है।
जैनियों ने श्री कृष्ण की कहानी की भी अपनी मान्यताओं के अनुरूप पुराणों से पुनर्व्याख्या की। उन्होंने अपने आदर्शों के अनुरूप उनके चरित्र के विभिन्न पहलुओं पर ज़ोर दिया। जैनियों ने न केवल कृष्ण की अवधारणा को अपनाया बल्कि उन्हें अपनी धार्मिक प्रथाओं में भी शामिल किया। जैनियों ने श्री कृष्ण को देहाती गोपाल कृष्ण के बजाय, द्वारका के भगवान के रूप में कृष्ण पर अधिक ध्यान केंद्रित किया।
जैन समुदाय के लोग श्री कृष्ण की वंशावली, उनके बचपन और बलराम के साथ उनके संबंधों पर पुराणों से सहमत हैं। हालांकि, यहां पर श्री कृष्ण के पूर्वजों और वंशजों की जानकारी अलग तरह से दी गई है। जैन मत के अनुसार जरासंध की हत्या भीम ने नहीं बल्कि श्री कृष्ण ने की थी। जैन महाभारत में श्री कृष्ण के सौतेले भाई जरा कुमार ही उनका वध कर देते हैं। जैन महाभारत में भी श्री कृष्ण की 16,000 पत्नियों को स्वीकार किया गया है।
श्री कृष्ण और उनके भाई बलराम जैनियों के 63 महान विभूतियों में शामिल हैं, जिन्हें "शलाका पुरुष" के नाम से जाना जाता है। कृष्ण को वासुदेव के पुत्र वासुदेव केशव के नाम से जाना जाता है। जैनियों ने कृष्ण गाथा के साथ तालमेल बिठाने के लिए अपने 22वें तीर्थंकर, अरिष्टनेमि को श्री कृष्ण के यदुवंश का राजकुमार और कृष्ण का चचेरा भाई घोषित किया। जैन परंपरा में कृष्ण को गीता के उपदेशक और द्वारका के भगवान के रूप में सम्मानित किया जाता है।
संदर्भ
https://tinyurl.com/3w8paevb
https://tinyurl.com/5n8fuw28
https://tinyurl.com/yc6b2bm4
https://tinyurl.com/3xr3cf3f
चित्र संदर्भ
1. चरवाहे के रूप में श्री कृष्ण को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. अहिंसा स्थल में महावीर की प्रतिमा को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. उपदेश देती जैन साध्वियों को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. एक ब्राह्मण को अपना आधा वस्त्र भिक्षा में देते हुए, तीर्थंकर महावीर को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
5. पार्श्वनाथ मंदिर, तिजारा में नेमिनाथ के चित्रण को दर्शाता एक चित्रण (wikipedia)
6. जैन धर्म में कृष्ण और नेमिनाथ चचेरे भाई थे, नेमिनाथ जैन धर्म के बाइसवें तीर्थंकर थे! नेमिनाथ को श्री कृष्ण का शंख बजाते हुए संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
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