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हमारे देश भारत का इतिहास बेहद गौरवशाली एवं विस्तृत रहा है। भारत भर में विभिन्न साम्राज्यों ने शासन किया और अधिकांशतः सभी राजवंशों द्वारा अपनी विशेष मुद्रा की पहचान के रूप में अपने-अपने सिक्के भी जारी किये गए थे। इस संदर्भ में हमारे जौनपुर की शर्की सल्तनत का बहुत महत्वपूर्ण स्थान था। हमारे जौनपुर पर कई वर्षों तक शर्की सल्तनत का शासन रहा। शर्की सल्तनत द्वारा अनेकों प्रकार के महत्वपूर्ण सिक्के प्रस्तुत किये गए, जिन्हें आज भी संग्रहालयों और लोगों के निजी संग्रह में देखा जा सकता है।
वर्ष 2022 में जौनपुर से कुछ पुराने सिक्के भी प्राप्त हुए हैं। तो आइए आज यहाँ से खोजे गए कुछ पुराने सोने के सिक्कों और उनके महत्व के विषय में जानते हैं। इसके साथ ही ब्रिटिश राजा जॉर्ज पंचम (British King George V) के सिक्के, जो आज भी हमारे यहां खासतौर पर दिवाली के दौरान खूब चलते हैं, और हमारे देश के सबसे कीमती सिक्के के विषय में भी जानते हैं।
जुलाई 2022 में जौनपुर जिले के मछलीशहर कोतवाली क्षेत्र में ब्रिटिश साम्राज्य काल के सोने के सिक्के मिले थे। यहाँ कजियाना मोहल्ले में जब एक घर के अंदर निर्माण कार्य चल रहा था तो उसकी खुदाई के दौरान ये सिक्के मिले थे। हालांकि पहले तो मकान मालिक एवं मज़दूरों ने सिक्के मिलने की बात किसी को नहीं बताई लेकिन धीरे धीरे ये बात फैल गई और जब पुलिस ने सख्ती से पूछा तो उन्होंने यह बात बताई की उन्हें एक तांबे के पात्र में 10 सोने के सिक्के मिले हैं जो ब्रिटिश शासन काल के हैं। बाद में सभी सिक्कों को सरकारी खजाने में जमा करा दिया गया।
ब्रिटिश भारत का 1920 का 'वन क्वार्टर अन्ना सिक्का जॉर्ज पंचम किंग एम्परर' (One Quarter Anna Coin George V King Emperor) बेहद दुर्लभ है। अपने समृद्ध ऐतिहासिक महत्व और सीमित उपलब्धता के कारण, यह सिक्का संग्राहकों और निवेशकों के बीच अत्यंत लोकप्रिय है जिसके कारण इसका बाज़ार मूल्य भी अधिक है। वर्ष 1920 के दौरान इन सिक्कों को केवल सीमित संख्या में जारी किया गया था। इसलिए दुर्लभ होने के कारण सिक्के के प्रति संग्रहकर्ताओं का आकर्षण बढ़ जाता है। यह एक आकर्षक कलाकृति के रूप में उस समय अवधि के सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व को समाहित करता है। दुर्लभता के कारण इसकी कीमत स्वतः बढ़ जाती है। क्योंकि सिक्कों के संग्रह प्रेमी लगातार अनूठे और दुर्लभ सिक्कों की तलाश में रहते हैं, ऐसे सिक्कों की मांग अधिक बनी रहती है। बढ़ती रुचि के साथ सीमित आपूर्ति समय के साथ इस विशेष सिक्के के मूल्य को बढ़ाती है। यह उत्कृष्ट सिक्का एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक महत्व रखता है, जो भारत में ब्रिटिश राज युग के दौरान किंग जॉर्ज पंचम के शासनकाल को दर्शाता है। इसका जटिल डिज़ाइन, जिसमें एक तरफ किंग जॉर्ज पंचम का चित्र और दूसरी तरफ मूल्यवर्ग है, इसकी सौंदर्यवादी अपील और संग्रहकर्ता की अपील को बढ़ाता है। यह एक ऐसा मुद्राशास्त्रीय खजाना है जिसमें निवेश न केवल वित्तीय क्षमता प्रदान करता है बल्कि अंतरंग स्तर पर इतिहास से जुड़ने का अवसर भी प्रदान करता है। मुद्राशास्त्रीय मूल्य मौद्रिक मूल्य से परे है; यह समय से परे की कहानियों, भावनाओं और संवेदनाओं को समाहित करता है। भारत में ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के समय के अवशेष के रूप में, यह सिक्का राजनीतिक और सांस्कृतिक परिवर्तनों से भरे एक युग को दर्शाता है, जो इसके आंतरिक मूल्य को बढ़ाता है। संग्राहक अक्सर इस तरह के दुर्लभ सिक्कों के साथ अपने संग्रह को पूरा करना चाहते हैं, जिससे इसकी अत्यधिक मांग हो जाती है और इसका बाज़ार मूल्य बढ़ जाता है।
जब भी आप प्राचीन सिक्कों के मूल्य के विषय में पढ़ते हैं तो आपके मन में अवश्य ही ख्याल आता होगा कि आप के अपने संग्रह में भी, क्या कोई सिक्का इतना मूल्यवान हो सकता है? लेकिन अब प्रश्न यह उठता है कि आप इसके बारे में कैसे जानें कि कौन सा सिक्का कितना मूल्यवान होगा। हम आपको यहाँ बता दें कि केवल वही सिक्के जो अत्यंत दुर्लभ हैं, बेहद मूल्यवान होते हैं। क्योंकि बाजार में इनकी उपलब्धता न के बराबर होती है अतः उनकी मांग बढ़ जाती है। जो सिक्के बाजार में आसानी से उपलब्ध होते हैं उनका मूल्य केवल उनकी धातु की कीमत के आधार पर तय किया जाता है। यहाँ भारत के कुछ बेहद दुर्लभ एवं मूल्यवान सिक्कों की सूची दी गयी है जिसे देखकर आप यह तय कर सकते हैं कि आपके पास जो सिक्का है वह मूल्यवान एवं दुर्लभ है अथवा नहीं:
सिक्का | बाजार मूल्य |
---|---|
1996 - 2 रुपये - नेताजी सुभाष चंद्र बोस | 2500 |
1996 - 5 रुपये - फसल विज्ञान सम्मेलन | 8000 |
2005 - 5 रुपये - दांडी मार्च के 75 वर्ष [क्यूप्रो-निकल अंक] | 2000 |
2006 - 5 रुपये - ONGC [क्यूप्रो-निकल अंक] | 1000 |
2007 - 5 रुपये - बाल गंगाधर तिलकजी की 150वीं वर्षगांठ | 1200 |
2007 - 5 रुपये - स्वतंत्रता संग्राम के 150 वर्ष [क्यूप्रो-निकल अंक] | 2500 |
1969 - 10 रुपये - महात्मा गांधी शताब्दी | 1000 |
1970 - 10 रुपये - सभी के लिए भोजन | 2600 |
1972 - 10 रुपये - स्वतंत्रता जयंती | 1000 |
1998 - 2 रुपये - देशबंधु चितरंजन दास – हैदराबाद | 35000 |
1955 - 2 अन्ना | 22000 |
1970 - 1 रुपया | 4000 |
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