Post Viewership from Post Date to 17-Dec-2023 (31st Day)
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Email Instagram Total
2073 185 2258

***Scroll down to the bottom of the page for above post viewership metric definitions

दक्षिण अमेरिका के क्वेशुआ भाषी लोग सिखा रहे, सांस्कृतिक भाषा,विविधता व् समुदाय का संरक्षण

मेरठ

 16-11-2023 09:32 AM
ध्वनि 2- भाषायें

संस्कृत भाषा हम भारतीयों की ऐतिहासिक पहचान रही है। संस्कृत भाषा का इतिहास 3,500 वर्षों पुराना माना जाता है, लेकिन इस भाषा की ढेरों विशेषताओं के बावजूद, हमारा दुर्भाग्य देखिए कि आज इस पवित्र और निष्कलंक भाषा का महत्व कम होता जा रहा है! हालांकि दुनियां में खुद को विश्वगुरु के रूप में दर्शाने से पहले हमें, क्वेशुआ (Quechua) लोगों से यह सीखना चाहिए कि, उन्होंने संस्कृत के बाद सबसे पुरानी भाषाओं में से एक मानी जाने वाली क्वेशुआ भाषा को अभी तक कैसे संरक्षित रखा है? क्वेशुआ लोग दक्षिण अमेरिका के एंडीज़ पर्वत (Andes Mountains) के मूल निवासी माने जाते हैं। ये लोग क्वेशुआ भाषाएँ बोलते हैं, जिनकी उत्पत्ति पेरू (Peru) में हुई थी। अधिकांश क्वेशुआ भाषी, पेरू में रहते हैं, लेकिन इक्वाडोर (Ecuador), बोलीविया (Bolivia), चिली (Chile), कोलंबिया (Columbia) और अर्जेंटीना (Argentina) में भी इनकी बड़ी आबादी रहती है। क्वेशुआ की कई अलग-अलग बोलियाँ हैं, लेकिन इनमें सबसे आम “दक्षिणी क्वेशुआ” बोली है। अन्य उल्लेखनीय क्वेशुआ बोलियों में इक्वाडोर के किचवा लोगों द्वारा बोली जाने वाली किचवा और कोलंबिया के इंगा लोगों द्वारा बोली जाने वाली “इंगा किचवा” शामिल हैं।
क्वेशुआ भाषी लोग आधुनिक पेरू और इक्वाडोर के कुछ हिस्सों तक फैले हुए हैं। वहां रहने वाले लोगों को “चंकास” कहकर संबोधित किया जाता था, जो कि मूलतः तटीय व्यापारी थे। ये समूह क्वेशुआ बोलते थे और अपने व्यापार संचालन के लिए इसी भाषा का उपयोग करते थे। क्वेशुआ नाम के बारे में कुछ लोगों का मानना है कि इसका अर्थ "समशीतोष्ण घाटी" होता है। यह शब्द एक जातीय समूह को संदर्भित करता है, जो अपुरिमैक नदी के उच्च बेसिन में रहता था। पूरे इतिहास में, क्वेशुआ लोग कई अलग-अलग समूहों में रहे हैं। इनमे सबसे उल्लेखनीय हैं: - चंका लोग (Chanca), जो पेरू के हुआनकेवेलिका (Huancavelica), अयाकुचो (Ayacucho) और अपुरिमैक (Apurimac) क्षेत्रों में रहते थे। - पेरू के जूनिन क्षेत्र (Junín region) के हुआंका लोग (Huanca), जो इंकास (Incas) से पहले क्वेशुआ बोलते थे। - चिनचा (Chincha), पेरू के चिनचा द्वीप समूह के एक विलुप्त व्यापारी साम्राज्य को कहा जाता है। पेरू में 5 मिलियन से अधिक लोग क्वेशुआ भाषा बोलते हैं, इसके अलावा बोलीविया में 1.8 मिलियन, इक्वाडोर में 2.5 मिलियन तो वहीँ चिली, अर्जेंटीना और ब्राजील में कम संख्या में लोग क्वेशुआ बोलते हैं। दिलचस्प बात यह है कि क्वेशुआ न केवल इंकास द्वारा बोली जाती थी, बल्कि उनके प्रतिद्वंद्वियों, जैसे पेरू के हुआंका और चानका और इक्वाडोर के कैनेरी द्वारा भी बोली जाती थी। वंका जैसे कुछ समूह इंकास से पहले भी क्वेशुआ बोलते थे, जबकि अन्य ने इंका साम्राज्य के दौरान या उसके बाद इसे अपनाया।
क्वेशुआ भाषा, एंडीज़ में रहने वाले लोगों द्वारा भी बोली जाती थी। इंका साम्राज्य के दौरान यह भाषा और भी महत्वपूर्ण हो गई, क्यों कि इसका उपयोग संचार और साम्राज्य को चलाने के लिए किया जाने लगा था।
क्वेशुआ भाषा, कोलंबस की यात्रा से पहले से ही अस्तित्व में थी हालाँकि स्पैनिश लोगों के दक्षिण अमेरिका में आगमन के साथ ही क्वेशुआ लोगों और भाषा दोनों को कठिन समय का सामना करना पड़ा था। स्पैनिश लोगों को क्वेशुआ पसंद नहीं थी और उन्होंने लोगों को इसे बोलने से रोकने की कोशिश की। इससे क्वेशुआ बोलने वाले लोगों की संख्या में बड़ी गिरावट आई। स्पैनिश इनक्विज़िशन (spanish inquisition) ने भी क्वेशुआ के लिए हालात बदतर बना दिए, क्योंकि उनका मानना था कि स्वदेशी भाषाएँ निम्नतर स्तर की होती हैं। हालाँकि इतना सब होने के बावजूद भी क्वेशुआ आज भी एक बहुत ही महत्वपूर्ण सांस्कृतिक भाषा बनी हुई है। यह लोगों के लिए अपने पूर्वजों और उनकी एंडियन विरासत से जुड़ने का एक तरीका बन गई है। आज इसे बोलने वाले लोग क्वेशुआ को बचाने और इसे मजबूत बनाने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं, क्योंकि वे जानते हैं कि सांस्कृतिक विविधता और स्वदेशी समुदायों को अधिक शक्ति देने के लिए यह कितना महत्वपूर्ण है। क्वेशुआ भाषा को समझने के लिए, आपको दो बातों पर ध्यान देने की आवश्यकता है: पहली कि शब्द कैसे अपना रूप बदलते हैं और दूसरी कि वे एक वाक्य में कैसे व्यवस्थित होते हैं।
यह एक समूहीकृत भाषा है, जिसका अर्थ है कि यह उन प्रत्ययों का उपयोग करती है जिन्हें लंबे, पूर्ण शब्द बनाने के लिए मूल शब्द में जोड़ा जाता है। उदाहरण के लिए:
↛  वासी (wasi ) - घर
↛  वसी (wasiy ) - मेरा घर
↛  वासियकी (wasiyki ) - आपका घर
↛  वासिन (wasin ) - उसका घर
↛  वासिनचिक (wasinchik ) - हमारा घर
↛  वासिचा (wasicha) - छोटा सा घर
↛  वासिचायकिचिक (wasichaykichik ) - उनका छोटा सा घर
↛  वासिचायकिचिक्कुना (wasichaykichikkuna ) - उनके छोटे घर
क्वेशुआ में केवल तीन स्वर : ए, आई, और यू होते हैं। क्वेशुआ शब्दों को मित्रतापूर्ण और अधिक अभिव्यंजक बनाने के लिए उनमें प्रत्यय जोड़ा जाता है। वाक्य संरचना के लिए, क्वेशुआ भाषा आम तौर पर विषय-वस्तु-क्रिया क्रम का पालन करती है, लेकिन यह संदर्भ के आधार पर बदल सकता है।
क्वेशुआ भाषा में वातुनाकुय (Watunakuy) भी एक अनोखा क्वेशुआ शब्द है, जिसका अर्थ "मनुष्यों, देवताओं और प्रकृति के बीच जीवन और आध्यात्मिक संबंधों का पुनर्जनन होता है।" वातुनाकुय हमें एक संतुलित जीवन जीने की अपनी प्रतिबद्धता को नवीनीकृत करने में मदद करता है। वातुनाकुय शब्द, एक समारोह को संदर्भित करता है, जिसके तहत जीवन के अंतहीन चक्र और मनुष्यों, देवताओं और प्रकृति के बीच आध्यात्मिक संबंधों का जश्न मनाया जाता है। वातुनाकुय के दौरान, क्वेशुआ लोग शक्ति, स्नेह, सम्मान और सामूहिक अनुष्ठान साझा करते हैं और संचारित करते हैं।

संदर्भ

https://tinyurl.com/mw24rzty
https://tinyurl.com/4jcmusya
https://tinyurl.com/ym9zbc5p
https://tinyurl.com/28ucmdnj

चित्र संदर्भ
1. क्वेशुआ लोगों को दर्शाता एक चित्रण (Needpix)
2. हिलारिया सुपा, मानवाधिकार कार्यकर्ता और पेरू की राजनीतिज्ञ को दर्शाता एक चित्रण (wikipedia)
3. क्वेचुआ भाषाओं के वर्तमान वितरण को दर्शाता एक चित्रण (wikipedia)
4. अपने बच्चों के साथ बैठी क्वेचुआ महिला को दर्शाता एक चित्रण (wikipedia)
5. क्वेचुआ बुनकर महिला को दर्शाता एक चित्रण (flickr)

***Definitions of the post viewership metrics on top of the page:
A. City Subscribers (FB + App) -This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post. Do note that any Prarang subscribers who visited this post from outside (Pin-Code range) the city OR did not login to their Facebook account during this time, are NOT included in this total.
B. Website (Google + Direct) -This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership —This is the Sum of all Subscribers(FB+App), Website(Google+Direct), Email and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion ( Day 31 or 32) of One Month from the day of posting. The numbers displayed are indicative of the cumulative count of each metric at the end of 5 DAYS or a FULL MONTH, from the day of Posting to respective hyper-local Prarang subscribers, in the city.

RECENT POST

  • अपने युग से कहीं आगे थी विंध्य नवपाषाण संस्कृति
    सभ्यताः 10000 ईसापूर्व से 2000 ईसापूर्व

     21-11-2024 09:28 AM


  • चोपता में देखने को मिलती है प्राकृतिक सुंदरता एवं आध्यात्मिकता का अनोखा समावेश
    पर्वत, चोटी व पठार

     20-11-2024 09:29 AM


  • आइए जानें, क़ुतुब मीनार में पाए जाने वाले विभिन्न भाषाओं के शिलालेखों के बारे में
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     19-11-2024 09:22 AM


  • जानें, बेतवा और यमुना नदियों के संगम पर स्थित, हमीरपुर शहर के बारे में
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     18-11-2024 09:31 AM


  • आइए, अंतर्राष्ट्रीय छात्र दिवस के मौके पर दौरा करें, हार्वर्ड विश्वविद्यालय का
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     17-11-2024 09:30 AM


  • जानिए, कौन से जानवर, अपने बच्चों के लिए, बनते हैं बेहतरीन शिक्षक
    व्यवहारिक

     16-11-2024 09:17 AM


  • आइए जानें, उदासियों के ज़रिए, कैसे फैलाया, गुरु नानक ने प्रेम, करुणा और सच्चाई का संदेश
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     15-11-2024 09:27 AM


  • जानें कैसे, शहरी व ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं के बीच अंतर को पाटने का प्रयास चल रहा है
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     14-11-2024 09:20 AM


  • जानिए क्यों, मेरठ में गन्ने से निकला बगास, पर्यावरण और अर्थव्यवस्था के लिए है अहम
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     13-11-2024 09:22 AM


  • हमारे सौर मंडल में, एक बौने ग्रह के रूप में, प्लूटो का क्या है महत्त्व ?
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     12-11-2024 09:29 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id