काइज़ेन को अपनाकर सफलता के शिखर पर पहुंची हैं, दुनिया की ये कुछ सबसे बड़ी कंपनियां

मेरठ

 26-12-2024 09:33 AM
विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा
“काइज़ेन हर रोज़ सुधार है - हर दिन चीजों को करने का बेहतर तरीका ढूंढना एक चुनौती है। इसके लिए जबरदस्त आत्म-अनुशासन और प्रतिबद्धता की आवश्यकता है।”
- मासाकी इमाई, काइज़ेन इंस्टीट्यूट के संस्थापक
काइज़ेन (Kaizen), जो एक जापानी व्यवसाय दर्शन है, किसी कंपनी या संगठन के सभी पहलुओं में निरंतर सुधार को प्रोत्साहित करता है। काइज़ेन के अनुसार, वर्तमान में किए गए छोटे-छोटे बदलाव भविष्य में बड़े प्रभाव डाल सकते हैं। काइज़ेन की अवधारणा अब जापान तक ही सीमित नहीं है, बल्कि अब दुनिया भर में विनिर्माण और अन्य क्षेत्रों में प्रचलित है। हमारे शहर मेरठ में भी कुछ कंपनियों ने इस दर्शन को अपनी कार्य संस्कृति में लागू कर दिया है। तो आइए आज, इस दर्शन और इसके इतिहास के बारे में विस्तार से जानते हैं और इसके मूल तत्वों के बारे में समझते हैं। इसके साथ ही, हम विनिर्माण व्यवसायों में इसके अनुप्रयोग पर भी कुछ प्रकाश डालेंगे। इस संदर्भ में, हम 5s काइज़ेन पद्धति के बारे में चर्चा करेंगे। इसके अलावा, हम दुनिया की कुछ ऐसी सबसे बड़ी कंपनियों के बारे में जानेंगे, जिन्होंने अपने संचालन में काइज़न सिद्धांतों को अपनाया है।
काइज़ेन का परिचय:
काइज़ेन, एक जापानी शब्द है जिसका अर्थ है "अच्छा परिवर्तन", या "बेहतरी के लिए परिवर्तन", या "सुधार"। एक व्यवसाय दर्शन के रूप में, काइज़ेन के क्षेत्र के अंतर्गत व्यवसाय के सभी कर्मचारी शामिल होते हैं और इसके द्वारा एक ऐसी मानसिकता को बढ़ावा दिया जाता है, जहां छोटे छोटे परिवर्तनों के माध्यम से समय के साथ महत्वपूर्ण प्रभाव उत्पन्न होते हैं। काइज़ेन पद्धति के तहत दैनिक परिवर्तन शुरू करने के लिए शीर्ष प्रबंधन और कर्मचारियों दोनों को शामिल करके विशिष्ट संगठनात्मक क्षेत्रों को बढ़ावा दिया जाता है।
काइज़ेन का इतिहास:
काइज़ेन की शुरुआत, द्वितीय विश्व युद्ध के बाद मानी जाती है, जब जापान में तेज़ी से आर्थिक सुधार होने लगा। चूंकि 'टोयोटा मोटर कॉर्पोरेशन' (Toyota Motor Corporation) द्वारा मई 1951 में सृजनशील विचार (Creative Idea) प्रणाली लागू की गई थी, गई जिसके परिणाम स्वरूप परिवर्तनों और नवाचारों के कारण उत्पाद की गुणवत्ता और श्रमिक उत्पादकता में वृद्धि हुई, जिससे कंपनी के विकास में महत्वपूर्ण योगदान मिला। सितंबर 1955 में, जापान उत्पादकता केंद्र की पहल के रूप में जापानी अधिकारियों ने आधिकारिक तौर पर संयुक्त राज्य अमेरिका का दौरा करना शुरू किया। व्यापार करने के अमेरिकी तरीके को मानवीय दृष्टिकोण के साथ एकीकृत करके अंततः जापानी कंपनियों ने विश्वव्यापी प्रतिस्पर्धा शुरू कर दी। काइज़ेन के जनक माने जाने वाले मासाकी इमाई (Masaaki Imai) ने "काइज़ेन: जापान की प्रतिस्पर्धी सफलता की कुंजी (1986)" (Kaizen: The Key to Japan’s Competitive Success (1986)) में विश्व स्तर पर काइज़ेन को एक व्यवस्थित प्रबंधन पद्धति के रूप में पेश किया। आज, विभिन्न उद्योगों के संगठनों द्वारा काइज़ेन को अपने मूल मूल्यों के हिस्से के रूप में अपनाया गया है और सिक्स सिग्मा (Six Sigma) और लीन विनिर्माण (Lean manufacturing) की अवधारणाओं के साथ दिन-प्रतिदिन के आधार पर निरंतर सुधार का अभ्यास किया जाता है।
काइज़ेन के 5 तत्व:
काइज़ेन का सफलतापूर्वक अभ्यास करने से निम्नलिखित पांच मुख्य तत्वों के साथ एक मजबूत, सहायक संस्कृति विकसित होती है:
1. टीम वर्क:
कर्मचारी बेहतर प्रदर्शन और सामान्य लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए मिलकर काम करते हैं।
2. व्यक्तिगत अनुशासन: आत्म-अनुशासन काइज़ेन की सफलता की कुंजी है। इसके द्वारा गुणवत्ता और समय प्रबंधन में सुधार किया जाता है।
3. बेहतर मनोबल: जब लोगों को अपने कार्यों या नौकरी में सुधार करने का अवसर मिलता है, तो लोग अपनी नौकरी से अधिक संतुष्ट होते हैं और पूरी विनिर्माण प्रक्रिया को लाभ होता है।
4. गुणवत्ता मंडल: गुणवत्ता मंडल का गठन लगभग पांच से सात कर्मचारियों को मिलाकर किया जाता है, जो टीमों को उनकी कार्य प्रक्रियाओं में उत्पन्न होने वाले मुद्दों पर चर्चा करने के लिए नियमित रूप से मिलने की अनुमति देते हैं।
5. सुधार के लिए सुझाव: मानव संसाधन और लेखांकन से लेकर, विनिर्माण संचालन और शिपिंग विभाग तक, प्रत्येक कर्मचारी को प्रशिक्षित किया जाना चाहिए। सभी सुझावों पर विचार किया जाना चाहिए, और कर्मचारियों को उन्हें साझा करने या स्वयं लागू करने में सहज महसूस करना चाहिए।
काइज़ेन की 5S पद्धति:
काइज़ेन की फ़ाइव एस (5S) पद्धति, पांच जापानी शब्दों के शुरुआती अक्षरों पर आधारित है: सेइरी (सॉर्ट), सीटॉन (स्ट्रेटन), सीसो (शाइन), सीकेत्सु (स्टैंडर्डाइज़), और शित्सुके (सस्टेन)। आइए 5S बनाने वाले प्रत्येक जापानी शब्द के अर्थ और उद्देश्य के बारे में जानें:
1. सेइरी (Seiri (Sort)): 5S पद्धति के प्रारंभिक चरण के दौरान, प्राथमिक उद्देश्य कार्यक्षेत्र से अनावश्यक वस्तुओं को समाप्त करना है। इस कदम में आवश्यक और गैर-आवश्यक वस्तुओं के बीच अंतर करना और अनावश्यक समझी जाने वाली वस्तुओं को हटाना शामिल है।
2. सीटॉन (Seiton (Straighten)): 5S पद्धति के इस चरण में, उपकरणों को इस तरह से व्यवस्थित किया जाता है जिससे उन्हें ढूंढना और उपयोग करना आसान हो जाता है। इसका लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि आवश्यक वस्तुएँ आसानी से उपलब्ध हों, ताकि आप उन्हें खोजने में समय बर्बाद न करें। 5S के इस भाग को लागू करके, दक्षता को प्राथमिकता दी जाती है, जिससे सेटअप के दौरान, अनावश्यक देरी से बचा जा सके।
3. सीसो (Seiso (Shine)): 5S पद्धति के इस चरण में कार्यस्थल की नियमित सफाई पर ज़ोर दिया जाता है। इसमें कार्य सतहों, उपकरणों और मशीनरी की दैनिक सफ़ाई शामिल हो सकती है। कार्यस्थल को साफ़ रखने से यह सुनिश्चित होता है कि उपकरण ठीक से काम कर रहे हैं जिससे वे लंबे समय तक चल सकते हैं, और मरम्मत या प्रतिस्थापन की आवश्यकता कम हो जाती है।
4. सीकेत्सु (Seiketsu (Standardize)): 5S पद्धति के इस भाग में, निश्चित किया जाता है कि सभी कार्य पद्धतियां सुसंगत और मानकीकृत हों। उदाहरण के लिए, एक ग्राहक सेवा विभाग में, सभी कर्मचारियों के पास समान उपकरण, जैसे कंप्यूटर, फ़ोन और प्रासंगिक सॉफ़्टवेयर से सुसज्जित समान कार्यस्थान होने चाहिए।
5. शित्सुके (Shitsuke (Sustain)): 5S पद्धति के अंतिम चरण, शित्सुके में, किए गए सुधारों को बनाए रखने पर ध्यान केंद्रित किया जाता है। उदाहरण के लिए, एक गोदाम में, नियमित रूप से संगठित भंडारण क्षेत्रों को बनाए रखना, वस्तुओं को उचित रूप से लेबल करना सुनिश्चित करना और कर्मचारियों को आइटम प्लेसमेंट और पुनर्प्राप्ति के लिए स्थापित प्रथाओं का पालन करने के लिए प्रोत्साहित करना शामिल है।
इन मानकों को लगातार बनाए रखने और नियमित रूप से एक साफ-सुथरे और कुशल कार्यक्षेत्र के महत्व को सुदृढ़ करने से, 5S पद्धति के लाभों को लंबे समय तक बनाए और जारी रखा जा सकता है।
काइज़ेन को लागू करने वाली दुनिया की कुछ सबसे बड़ी कंपनियां:
काइज़ेन के माध्यम से, पूरे एशिया-प्रशांत क्षेत्र में कई कंपनियां प्रक्रिया उत्कृष्टता एवं विनिर्माण और परिचालन दक्षता हासिल करने में सक्षम हुई हैं, जिनमें से कुछ निम्न हैं:

टोयोटा (Toyota) : वास्तव में काइज़ेन दर्शन की शुरुआत, टोयोटा ने ही की और यह कंपनी, 1950 के दशक से ही अपनी विनिर्माण प्रक्रियाओं को बेहतर बनाने के लिए इसका सफलतापूर्वक उपयोग कर रही है। टोयोटा ने कोरोला से लेकर लेक्सस एलएस 400 (Lexus LS 400) तक अपने सभी मॉडलों में सद्गुण के पांच स्तंभों को लागू किया है। टोयोटा की काइज़ेन की भावना के अनुसार, लोगों के समूह द्वारा एक बार एक निश्चित प्रक्रिया को कुशलतापूर्वक पूरा करने के बाद, उन्हें उसी कार्य को एक छोटे समूह के साथ पूरा करने के तरीके खोजने चाहिए, जिससे कर्मियों को घूमने, काम करने और नए कार्य सीखने के लिए मुक्त किया जा सके।
सोनी (Sony): सोनी ने अपनी उत्पादन प्रक्रियाओं को बेहतर बनाने के लिए काइज़ेन सिद्धांतों को लागू किया। कंपनी के संस्थापक, अकीओ मोरीटा, का निरंतर सुधार के महत्व में दृढ़ विश्वास था। सोनी के इंजीनियरों और उत्पादन श्रमिकों को गुणवत्ता नियंत्रण के सिद्धांतों में प्रशिक्षित किया गया था, जो केवल तैयार उत्पादों का निरीक्षण करने के बजाय प्रक्रियाओं को मापने और सुधारने पर जोर देता था। सोनी द्वारा काइज़ेन के उपयोग का एक उल्लेखनीय उदाहरण 1960 के दशक में ट्रिनिट्रॉन रंगीन टेलीविज़न का विकास था। सोनी के इंजीनियरों ने मौजूदा तकनीक की सीमाओं को पहचाना और एक नई उत्पादन प्रक्रिया विकसित करने के लिए मिलकर काम किया, जिससे छवि गुणवत्ता में सुधार हुआ, लागत कम हुई और दक्षता में वृद्धि हुई।
कैनन (Canon): कैनन द्वारा काइज़ेन का उपयोग उसके 'कैनन प्रोडक्शन सिस्टम' (Canon Production System (CPS)) का एक महत्वपूर्ण घटक रहा है। सीपीएस का उद्देश्य कम लागत पर बेहतर गुणवत्ता वाले उत्पादों का निर्माण करना और उन्हें तेज़ी से वितरित करना है। सीपीएस की तीन बुनियादी संरचनाएं हैं: गुणवत्ता आश्वासन), उत्पादन आश्वासन और कार्मिक प्रशिक्षण प्रणाली। इन संरचनाओं के माध्यम से कंपनी ने सही समय पर विनिर्माण, तेज़ वितरण, कम लागत और दृश्य नियंत्रण हासिल करने का प्रयास किया है। कैनन ने सभी नए कर्मचारियों को 55 दो पृष्ठों की सीपीएस पुस्तिका भी प्रदान की है, जिसमें सी पी एस के बारे में स्पष्टीकरण दिया गया है।
हौंडा (Honda): उच्च उत्पादकता स्तर प्राप्त करने और लागत कम करने के लिए, हौंडा ने अपने उत्पादन संयंत्रों में काइज़ेन को लागू किया है। हौंडा ने प्रक्रियाओं को अधिक दृश्यमान और प्रबंधन को आसान बनाने के लिए, कानबन बोर्ड और एंडोन सिस्टम जैसी दृश्य प्रबंधन तकनीकों का उपयोग किया है। इससे कर्मचारियों को मुद्दों को अधिक तेज़ी से पहचानने और हल करने में मदद मिली, जिससे दक्षता और गुणवत्ता में सुधार हुआ। जापान और इंडोनेशिया में, कंपनी ने जस्ट-इन-टाइम (Just-In-Time (JIT)) सिद्धांतों को लागू किया, जिसमें इन्वेंट्री स्तर को कम करने, भंडारण को अधिकतम करने और अपशिष्ट को कम करने के लिए केवल वही उत्पादन करना शामिल था जिसकी आवश्यकता थी।
सैमसंग (Samsung): सैमसंग द्वारा अपने कारखानों में उत्पादन दक्षता बढ़ाने के लिए काइज़ेन का उपयोग किया जा रहा है। कंपनी ने उत्पादन के आठ प्रमुख क्षेत्रों में अपशिष्ट का मूल्यांकन किया। इसके बाद, कंपनी द्वारा स्व-विनियमन चक्र में इनमें से प्रत्येक श्रेणी में अपशिष्ट का व्यवस्थित रूप से विश्लेषण, लक्ष्यीकरण और उन्मूलन किया गया। सैमसंग ने कार्य प्रबंधन को सुव्यवस्थित करने के लिए सैमसंग टैब एक्टिव 2 (Active 2) और सैमसंग गैलेक्सी नोट 9 (Galaxy Note 9) जैसे मोबाइल उपकरणों का उपयोग किया, जिससे श्रमिकों को प्रमुख विनिर्माण स्तंभों में अक्षमताओं को कम करने में सक्षम बनाया जा सके।
पैनासोनिक (Panasonic): पैनासोनिक ने गेम्बा इनोवेशन नामक एक प्रणाली की स्थापना की, जिसका उद्देश्य ऑनसाइट परिचालन क्षमताओं में सुधार करना है। इस पहल से पैनासोनिक समूह की प्रत्येक कंपनी की क्षमताओं का लाभ उठाकर उत्पादकता में वृद्धि की और विश्लेषण समय और श्रम को कम किया गया।
अमेज़न (Amazon): अमेज़न ने अपने में गहराई से समाहित निरंतर नवाचार की संस्कृति विकसित की है। अमेज़न ग्राहकों की ज़रूरतों को समझने और उन्हें पूरा करने पर ध्यान केंद्रित करता है। इस कंपनी की संस्कृति निरंतर प्रयोग और नवाचार पर आधारित है। कंपनी कर्मचारियों को नए विचार तलाशने, पारंपरिक सोच को चुनौती देने और बड़ा सोचने के लिए प्रोत्साहित करती है। नवाचार की संस्कृति पर जोर देकर, अमेज़ॅन दुनिया की सबसे बड़ी और सबसे मूल्यवान कंपनियों में से एक बन गई है।
जनरल इलेक्ट्रिक (General Electric) : निरंतर सुधार, जनरल इलेक्ट्रिक के परिचालन दर्शन के केंद्र में है। जी ई ने सिक्स सिग्मा (Six sigma) पद्धति को व्यापक रूप से अपनाया है, जिसका उद्देश्य अपशिष्ट, त्रुटियों और अक्षमताओं के स्रोतों की पहचान करने और उन्हें समाप्त करने के लिए डेटा-संचालित निर्णय लेने और सांख्यिकीय विश्लेषण के माध्यम से प्रक्रिया दोषों और विविधताओं को कम करना है। कंपनी अपने संचालन की निगरानी और अनुकूलन करने, सुधार के लिए क्षेत्रों की पहचान करने और डेटा-संचालित निर्णय लेने के लिए उन्नत एनालिटिक्स, मशीन लर्निंग निरंतर सुधार सॉफ़्टवेयर और इंटरनेट ऑफ़ थिंग्स (आई ओ टी) क्षमताओं का लाभ उठा रही है।
इंटेल (Intel): इंटेल द्वारा भी उत्पाद की गुणवत्ता और ग्राहक संतुष्टि को बढ़ाने के लिए निरंतर सुधार के दर्शन को अपनाया गया है। इंटेल क्वालिटी सिस्टम (Intel Quality System (IQS)) उत्पाद प्रदर्शन, विश्वसनीयता और ग्राहक संतुष्टि की आवश्यकताओं को परिभाषित करने वाले कठोर गुणवत्ता मानकों पर बनाया गया है। ये मानक, उद्योग की सर्वोत्तम प्रथाओं के अनुरूप हैं और गुणवत्ता प्रबंधन में नवीनतम प्रगति को शामिल करने के लिए, इन्हें लगातार अद्यतन किया जाता है। आई क्यू एस में एक व्यापक आपूर्तिकर्ता गुणवत्ता प्रबंधन प्रणाली शामिल है, जिसमें उच्च गुणवत्ता वाले घटकों और सामग्रियों की डिलीवरी सुनिश्चित करने के लिए, आपूर्तिकर्ता योग्यता, प्रदर्शन निगरानी और सहयोग शामिल है। आई क्यू एस के माध्यम से, इंटेल, असाधारण गुणवत्ता और विश्वसनीयता के उत्पाद वितरित करने के लिए, अपनी प्रतिबद्धता दर्शाता है।

संदर्भ
https://tinyurl.com/yjvtnbz6
https://tinyurl.com/53jdmjfn
https://tinyurl.com/ydju9mvb
https://tinyurl.com/jkxbbcfy
https://tinyurl.com/mszn937j

चित्र संदर्भ

1. गाड़ी विनिर्माण की आधुनिक असेंबली लाइन को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. काइज़ेन लेखन को संदर्भित करता एक चित्रण (प्रारंग चित्र संग्रह)
3. काइज़ेन के प्रमुख बिंदुओं को संदर्भित करता एक चित्रण (flickr)
4. काइज़ेन की 5S पद्धति को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
5. पुराने और नए ज़माने की असेंबली लाइनों के अंतर को दर्शाते दृश्य को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)

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