आइए जानते हैं, भारत में कितने लोगों के पास, बंदूक रखने के लिए लाइसेंस हैं

मेरठ

 19-12-2024 09:24 AM
हथियार व खिलौने
2020 की आई पी सी रिपोर्ट बताती है कि ‘भारत के प्रत्येक शहर में औसतन 2,801 अपराध के मामले दर्ज किए जाते हैं।’ इसके मुकाबले, मेरठ में 9,924 अपराध दर्ज किए गए। इससे पता चलता है कि मेरठ में अपराध का स्तर अन्य शहरों की तुलना में कितना अधिक है। जहाँ भारत में बिना लाइसेंस के बंदूक रखना गंभीर अपराध की श्रेणी में आता है, वहीँ मेरठ में अवैध हथियारों का निर्माण, एक बड़ी समस्या के तौर पर उभरा है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि बंदूक का लाइसेंस कौन जारी करता है?
आज के इस लेख में, हम भारत में आग्नेयास्त्र (Firearm) यानी हथियार रखने से जुड़े कानून को समझेंगे। इस कानून की शुरुआत 1959 के शस्त्र अधिनियम के साथ हुई थी। इसके बाद, हम देखेंगे कि भारत में कौन लोग कानूनी रूप से बंदूक रख सकते हैं। इसके साथ ही हम यह भी समझेंगे कि बंदूक का लाइसेंस पाने के लिए क्या-क्या करना पड़ता है। इसके अलावा, यह भी जानेंगे कि भारत के किन राज्यों में सबसे ज़्यादा बंदूक लाइसेंस धारक हैं। अंत में, मेरठ में अवैध हथियार निर्माण की समस्या पर चर्चा करेंगे। इसके तहत हम हाल ही में ज़ब्त किए गए मामलों और इन हथियारों को बनाने वाले लोगों से जुड़ी जानकारी को भी देखेंगे।
आइए शुरुआत, हम शस्त्र अधिनियम, 1959 को समझने के साथ करते हैं:
शस्त्र अधिनियम, 1959 (Arms Act, 1959) भारत की संसद द्वारा पारित एक कानून है। इसका मुख्य उद्देश्य हथियारों और गोला-बारूद से जुड़े नियमों को बेहतर बनाना और अवैध हथियारों का उपयोग रोकना है। इस कानून को पुराने 1878 के भारतीय शस्त्र अधिनियम की जगह पर लाया गया।
इसे छह अध्यायों में विभाजित किया गया है।
अध्याय 1: प्रारंभिक जानकारी (धारा 1 और 2):
यह अध्याय अधिनियम का नाम और इसमें इस्तेमाल किए गए मुख्य शब्दों की परिभाषा प्रदान करता है।
अध्याय 2: हथियारों और गोला-बारूद से जुड़े नियम (धारा 3 से 12): इसमें भारत में हथियारों और गोला-बारूद को खरीदने, रखने, बनाने, बेचने, आयात-निर्यात करने और एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने के नियम बताए गए हैं।
अध्याय 3: लाइसेंस से जुड़े प्रावधान (धारा 13 से 18): इस अध्याय में बताया गया है कि हथियारों के लिए लाइसेंस कैसे प्राप्त किया जा सकता है। इसमें लाइसेंस देने, अस्वीकार करने और शुल्क से संबंधित जानकारी भी शामिल है।
अध्याय 4: सरकारी शक्तियाँ और प्रक्रिया (धारा 19 से 24B): इसमें उन अधिकारों और प्रक्रियाओं का वर्णन है, जो अधिकारियों को कानून लागू करने के लिए दी गई हैं।
अध्याय 5: अपराध और दंड (धारा 25 से 33): इस अध्याय में अधिनियम के नियमों का उल्लंघन करने पर मिलने वाली सज़ा के बारे में बताया गया है।
अध्याय 6: विविध प्रावधान (धारा 34 से 46): इसमें अधिनियम से संबंधित अन्य महत्वपूर्ण जानकारी दी गई है।
आइए, अब जानते हैं कि भारत में कौन व्यक्ति बंदूक खरीद सकता है?
1959 के शस्त्र अधिनियम के अनुसार, आग्नेयास्त्र दो प्रकार “(निषिद्ध बोर (PB)) और गैर-निषिद्ध बोर (NPB)” के होते हैं। यहाँ "बोर" का मतलब गोली का व्यास होता है।
अधिनियम के अध्याय II और III के अनुसार, एन पी बी हथियार के लिए सभी नागरिक आवेदन कर सकते हैं। इसमें .35, .32, .22 और .380 जैसे कैलिबर वाली बंदूकें आती हैं।
निषिद्ध बोर (PB) में 9 मिमी पिस्तौल, .38 और .455 हैंडगन, .303 राइफ़ल, और स्वचालित व अर्ध-स्वचालित बंदूकें शामिल हैं।
हालांकि एन पी बी हथियार, कोई भी नागरिक रख सकता है। लेकिन पीबी हथियार आमतौर पर सिर्फ़ सेना और सुरक्षा कर्मियों को दिए जाते हैं।
पीबी हथियार उन लोगों को भी दिए जा सकते हैं, जो आतंकवाद-प्रभावित क्षेत्रों में रहते हैं या जिनकी जान को गंभीर खतरा है।
भारत में बंदूक का लाइसेंस कैसे प्राप्त करें?
भारत में, लोग तीन कारणों से बंदूक के लिए आवेदन कर सकते हैं:
➜ आत्मरक्षा
➜ फसल सुरक्षा
➜ खेल
आत्मरक्षा के लिए, आपको पर्याप्त सबूत देना होगा।
बंदूक लाइसेंस के लिए आवेदन करने की न्यूनतम आयु 21 वर्ष है।
लाइसेंस के लिए, आवेदन प्रक्रिया इस प्रकार है:
➜ एक आवेदन फ़ॉर्म भरें। इसमें आपके आपराधिक रिकॉर्ड के बारे में जानकारी पूछी जाएगी।
➜ पहचान पत्र, निवास प्रमाण, उम्र प्रमाण, शिक्षा प्रमाण, चार पासपोर्ट साइज़ फ़ोटो और पिछले तीन साल के आयकर रिटर्न जैसे दस्तावेज़ जमा करें।
➜ आवेदन जमा करने के बाद, पुलिस आपकी और आपके परिवार की पृष्ठभूमि की जाँच करेगी।
➜ आवेदन स्वीकृत होने के बाद, आपको हथियार चलाने का प्रशिक्षण लेना होगा।
➜ प्रशिक्षण पूरा होने के बाद, लाइसेंस जारी किया जाएगा।
➜ लाइसेंस को हर तीन साल में नवीनीकरण कराना ज़रूरी है।
विशेष अपवाद:
भारत में बंदूक कानून बहुत सख्त हैं। लेकिन कुछ मामलों में अपवाद भी हैं।

➜ कर्नाटक के कूर्ग क्षेत्र के कोडवा समुदाय को बिना लाइसेंस के बंदूक रखने की अनुमति है। यह उनकी संस्कृति का हिस्सा है।
➜ इसी तरह, सिख समुदाय को धार्मिक कारणों से कृपाण रखने की अनुमति है।
आइए, अब जानते हैं कि भारत में सबसे अधिक बंदूक लाइसेंस धारक किस राज्य में हैं?
उत्तर प्रदेश: भारत में सबसे ज़्यादा बंदूक लाइसेंस धारक, उत्तर प्रदेश में हैं। यहाँ पर 1,329,584 लोगों के पास, बंदूक का लाइसेंस है। यह संख्या, पहले 1,277,914 थी, जो 51,670 लाइसेंस की वृद्धि को दिखाती है।
मध्य प्रदेश: बंदूक लाइसेंसों की संख्या के मामले में, मध्य प्रदेश, दूसरे स्थान पर आता है। आर टी आई से प्राप्त जानकारी के अनुसार, मध्य प्रदेश में 282,675 बंदूक लाइसेंस धारक हैं। 2016 में यह संख्या 247,130 थी, जो अब 35,545 लाइसेंस बढ़ी है।
दक्षिण भारत: दक्षिण भारत में बंदूक धारकों में कर्नाटक सबसे आगे है। यहाँ 120,719 लोग बंदूक लाइसेंस रखते हैं। आंध्र प्रदेश में सबसे कम केवल 7,007 लाइसेंस हैं। केरल में 11,330 लाइसेंस दर्ज हैं। देश के सातवे सबसे अधिक आबादी वाले राज्य तमिलनाडु, में 24,237 बंदूक लाइसेंस हैं। इसके विपरीत, मध्य प्रदेश छठा सबसे अधिक आबादी वाला राज्य है और यहाँ 282,675 लाइसेंस हैं। दोनों राज्यों के बीच 258,438 लाइसेंस का बड़ा अंतर है।
बिहार: बिहार में बंदूक लाइसेंस धारकों की संख्या में 2016 के बाद कमी आई है। अभी यहाँ पर 81,516 लाइसेंस बंदूक धारक हैं, जबकि 2016 में यह संख्या 82,585 थी। यानी यहाँ पर 1,069 लाइसेंस कम हुए हैं।
नागालैंड: नागालैंड में 44,473 लोग, बंदूक का लाइसेंस रखते हैं।
2023 तक, केंद्र शासित प्रदेशों में बंदूक के लाइसेंस धारकों की स्थिति इस प्रकार है:
➜ चंडीगढ़: 6,794
➜ दिल्ली: 40,195
➜ लद्दाख: 492
➜ अंडमान और निकोबार द्वीप समूह: 304
➜ पुडुचेरी: 295
➜ दमन और दीव: 177
➜ दादरा और नगर हवेली: 129
➜ लक्षद्वीप: 0
यह आँकड़े दिखाते हैं कि भारत में बंदूक लाइसेंस धारकों की संख्या राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में कितनी भिन्न है।
आइए, अब एक नज़र मेरठ में अवैध हथियार निर्माण की विषम स्थिति पर भी डालते हैं:
हाल ही में स्पेशल टास्क फ़ोर्स (Special Task Force) ने मेरठ के कंकरखेड़ा क्षेत्र में मुठभेड़ के बाद एक तस्कर को गिरफ़्तार किया। एस टी एफ़ को अवैध हथियार तस्करी नेटवर्क के बारे में जानकारी मिली थी। जब उन्होंने एक वाहन रोका, तो उसमें सवार पांच संदिग्धों ने भागने की कोशिश में एस टी एफ़ पर गोलीबारी कर दी। टीम ने उनका पीछा किया, लेकिन चार संदिग्ध फरार हो गए। हालांकि, उन्होंने बागपत के लोहड्डा गांव से रोहन कुमार नाम के एक तस्कर को पकड़ लिया। वाहन की तलाशी में 17 तमंचे और 700 ज़िंदा कारतूस सहित हथियारों का बड़ा जखीरा बरामद हुआ।
दिल्ली पुलिस ने मेरठ में अवैध हथियार फ़ैक्ट्री का खुलासा: अक्टूबर की शुरुआत में, दिल्ली पुलिस ने मेरठ में अवैध हथियार आपूर्ति नेटवर्क चलाने के आरोप में दो लोगों को गिरफ़्तार किया गया। पुलिस ने मेरठ के एक घर से चार देसी पिस्तौल, 41 बैरल और पिस्तौल बनाने के आठ उपकरण ज़प्त किए। इस कार्रवाई में पुलिस ने आरोपी इकराम से पूछताछ और तकनीकी निगरानी की मदद से माशूक अली को मेरठ शहर से पकड़ा। माशूक से मिली जानकारी के आधार पर पुलिस ने काशीराम कॉलोनी के एक सुनसान फ्लैट पर छापा मारा। वहां एक अवैध हथियार बनाने की फैक्ट्री मिली। माशूक ने कबूल किया कि उसने अब तक, 80 से ज़्यादा देसी पिस्तौलें बनाई हैं। ये सभी घटनाएं, मेरठ में अवैध हथियार निर्माण और तस्करी की गंभीर स्थिति को दिखाती हैं।

संदर्भ
https://tinyurl.com/yoqrpuwh
https://tinyurl.com/24uap9zc
https://tinyurl.com/24xvnxd5
https://tinyurl.com/26les52w
https://tinyurl.com/2b9gasw2

चित्र संदर्भ
1. बंदूक चलाना सीखती युवती को संदर्भित करता एक चित्रण (flickr)
2. बंदूकधारी युवकों के समूह को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. लाइसेंस के साथ बंदूकधारी युवकों को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. एक बंदूक को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)

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