मेरठ शहर में ऐसे भी मंदिर हैं, जो न केवल धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण हैं, बल्कि इन्होंने देश की आज़ादी की लड़ाई में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। यहाँ पर कई मंदिर, मस्जिद और अन्य पवित्र धार्मिक स्थल मौजूद हैं। मेरठ में पधारने वाले तीर्थयात्री यहाँ के प्राचीन श्री लक्ष्मी नारायण मंदिर या प्रसिद्ध जामा मस्जिद के दर्शन कर सकते हैं। आज के इस लेख में हम मेरठ के प्रसिद्ध मंदिरों और उनके महत्व के बारे में जानेंगे। इसके बाद, हम शहर में मनाए जाने वाले विभिन्न त्योहारों पर चर्चा करेंगे। अंत में हम कांवड़ यात्रा और मेरठ के साथ इसके संबंध पर भी नज़र डालेंगे।
मेरठ, गंगा और यमुना नदियों के तट पर बसा, एक तेज़ी से विकसित हो रहा शहर है। यह शहर प्राचीन सभ्यता का केंद्र माना जाता है। इसका इतिहास महाभारत और रामायण काल से जुड़ा हुआ है। यहां के कई मंदिर प्राचीन काल की वास्तुकला और जीवन शैली को दर्शाते हैं।
मेरठ में स्थित मंदिर विभिन्न ऐतिहासिक कालखंडों के प्रतीक हैं। इनमें कुछ मंदिर, प्राचीन काल से जुड़े हैं, जबकि कुछ को मध्यकालीन समय और ब्रिटिश काल के दौरान बनाया गया। इसके अलावा, कुछ मंदिर पिछली शताब्दी में भी बने हैं। जहां मेरठ में कई हिंदू मंदिर हैं, वहीं हस्तिनापुर और आसपास के क्षेत्रों में जैन मंदिर भी हैं।
आइए, अब मेरठ और इसके आसपास के कुछ प्रसिद्ध मंदिरों के बारे में जानते हैं
काली पलटन मंदिर: इसे औघड़नाथ मंदिर भी कहा जाता है। औघड़नाथ मंदिर, उत्तर प्रदेश के मेरठ में स्थित एक प्रसिद्ध हिंदू मंदिर है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है, जहाँ उनकी पूजा लिंगम रूप में की जाती है। यह मंदिर न सिर्फ़ स्थानीय लोगों के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि देशभर से भक्तों को भी आकर्षित करता है।
इसका इतिहास बहुत पुराना और समृद्ध रहा है। कहा जाता है कि इसका निर्माण 17वीं शताब्दी के अंत में मुगल शासक औरंगज़ेब के समय हुआ था। हालाँकि, इसके प्रमाण नहीं मिले हैं। कुछ इतिहासकार मानते हैं कि यह मंदिर 12वीं शताब्दी में तोमर वंश के शासनकाल में बना था।
ये मंदिर, एक ऊँचे आधार पर बना है और इसकी वास्तुकला सरल लेकिन आकर्षक है। इसके प्रवेश द्वार पर हिंदू देवताओं की सुंदर नक्काशी और मूर्तियाँ स्थापित की गई हैं। मंदिर के अंदर मुख्य गर्भगृह में भगवान शिव का लिंगम है। यह लिंगम लगभग छह फीट ऊँचा है और इसे देश के सबसे बड़े लिंगम में से एक माना जाता है।
मंदिर परिसर में कई अन्य छोटे मंदिर भी हैं। इनमें से एक मंदिर भगवान हनुमान को समर्पित है। इसके अलावा, यहाँ एक बड़ा हॉल है, जहाँ धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित होते हैं।
इस मंदिर में महाशिवरात्रि का त्योहार विशेष रूप से धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन बड़ी संख्या में भक्त यहाँ पूजा और आशीर्वाद लेने आते हैं। इसके अलावा, दिवाली, होली और नवरात्रि जैसे त्योहार भी यहाँ पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाए जाते हैं। औघड़नाथ मंदिर, न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रूप से भी महत्वपूर्ण है। प्राचीन ग्रंथों में इसका उल्लेख मिलता है, और इसे शिक्षा तथा विद्वता का केंद्र माना गया है। मंदिर के परिसर में एक संग्रहालय भी है, जहाँ इसके इतिहास और संस्कृति से जुड़ी वस्तुएँ रखी गई हैं।
पता: औघड़नाथ मंदिर, मेरठ छावनी, मेरठ-25000
मनसा देवी मंदिर: देवी दुर्गा को समर्पित इस मंदिर का निर्माण आज से लगभग 40 साल पहले हुआ था। नवरात्रि के दौरान देशभर से भक्त यहां देवी दुर्गा के दर्शन हेतु आते हैं। यह मंदिर मेरठ के खरखौदा इलाके में स्थित है।
पता: मनसा देवी मंदिर, जागृति विहार, खरखौदा, मेरठ
देवी महा माया मंदिर: यह मंदिर, मोदीनगर के सिखरी खुर्द इलाके में स्थित है। इसकी जड़ें प्राचीन काल से जुड़ी हैं। मंदिर का इतिहास 1857 के स्वतंत्रता संग्राम से भी जुड़ा हुआ है। हर साल नवरात्रि के दौरान यहां वार्षिक मेला आयोजित होता है। मेले में लोग पालतू जानवरों की खरीद-बिक्री भी करते हैं।
पता: देवी महा माया मंदिर, सिखरी खुर्द, मोदीनगर, मेरठ
शिव दुर्गा मंदिर: 1981 में बना यह मंदिर देवी दुर्गा को समर्पित है। यह संजय नगर क्षेत्र में बनने वाले पहले और सबसे बड़े मंदिरों में से एक है।
पता: शिव दुर्गा मंदिर, ब्रम्हपुरी, मेरठ-250002
लक्ष्मी नारायण मंदिर: मोदीनगर में स्थित यह मंदिर 15 एकड़ के विशाल क्षेत्र में फैला हुआ है। यह मंदिर भगवान लक्ष्मी नारायण को समर्पित है।
पता: लक्ष्मी नारायण मंदिर, मोदीनगर, मेरठ-201204
इनके अलावा भी, मेरठ में कई अन्य हिंदू और जैन मंदिर हैं। ये मंदिर विभिन्न समयकालों में बने हैं और शहर की धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर को समृद्ध करते हैं।
मंदिरों के साथ-साथ, मेरठ की संस्कृति भी बेहद खास और अनोखी है। यहां हर साल कई मेले और त्यौहार मनाए जाते हैं। इन उत्सवों का आनंद लेने के लिए आसपास के गांवों, कस्बों और ज़िलों से बड़ी संख्या में लोग आते हैं।
यहाँ मनाए जाने वाले कुछ प्रमुख उत्सवों में शामिल हैं:
1. नौचंदी मेला: नौचंदी मेला मेरठ के नौचंदी मैदान में हर साल आयोजित होने वाला प्रसिद्ध उत्सव है। यह मेला होली के बाद दूसरे रविवार से शुरू होता है और करीब एक महीने तक चलता है। इसका आयोजन मेरठ नगर निगम करता है। इस मेले में देवी चंडी की पूजा की जाती है, जिन्हें देवी पार्वती का रूप माना जाता है। नौचंदी मेले में ग्रामीण उत्तर प्रदेश की कला और परंपरा देखने को मिलती है। यहाँ पर लोग कवि सम्मेलन, नृत्य, संगीत और उर्दू शायरी का आनंद लेते हैं। हर साल 50,000 से ज़्यादा लोग इस उत्सव में शामिल होते हैं। मेरठ से लखनऊ तक चलने वाली "नौचंदी एक्सप्रेस" ट्रेन का नाम भी इसी मेले से लिया गया है।
2. शिवरात्रि मेला: महा शिवरात्रि, मेरठ का एक और खास त्यौहार है। विवाहित महिलाएं इस त्यौहार पर अपने परिवार और वैवाहिक जीवन में सुख की प्रार्थना करती हैं। यह मेला फ़ाल्गुन महीने में हिंडन नदी के तट पर लगता है। शिवरात्रि के दिन शुरू होने वाला यह उत्सव पूरे सप्ताह तक चलता है। इस मेले में आसपास के गांवों और शहरों से बड़ी संख्या में लोग शामिल होते हैं।
3. गढ़ गंगा मेला: गढ़ गंगा मेला, गढ़मुक्तेश्वर में गंगा नदी के पवित्र तट पर हर साल नवंबर में पूर्णिमा के दिन आयोजित होता है। इस मेले में लगभग, 10 लाख श्रद्धालु गंगा स्नान करने आते हैं। दशहरे पर भी यहां एक बड़ा मेला लगता है, जिसमें करीब 96 लाख लोग शामिल होते हैं।
गढ़मुक्तेश्वर में मुक्तेश्वर महादेव मंदिर स्थित है, जो देवी गंगा को समर्पित है। यहां चार मंदिर हैं, जिनमें से एक मेरठ रोड पर स्थित है। मेरठ में कांवड़ यात्रा को भी एक महत्वपूर्ण अवसर के तौर पर देखा जाता है। दरअसल कांवड़ यात्रा, भगवान शिव के भक्तों के लिए एक पवित्र यात्रा है। यह श्रावण महीने (आमतौर पर जुलाई या अगस्त) में आयोजित होती है। उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, बिहार और झारखंड जैसे राज्यों में यह यात्रा बहुत लोकप्रिय है। हर साल लाखों भक्त इसमें शामिल होते हैं।
इस दौरान, कई भक्त लंबी दूरी नंगे पैर चलते हैं। कुछ लोग साइकिल या मोटरसाइकिल का भी इस्तेमाल करते हैं। यह यात्रा कठिन होती है, जिससे दुर्घटनाएँ होना और चोटें लगना आम बात है। ऐसे में तीर्थयात्रियों को तुरंत चिकित्सा सहायता की ज़रुरत पड़ती है। पिछली कांवड़, यात्रा के दौरान मेरठ सेवा समाज की संवाद टीम ने कांवड़ यात्रा के दौरान तीर्थयात्रियों की मदद की। टीम ने उनकी चिकित्सा आवश्यकताओं को पूरा किया। उन्होंने भक्तों को फल भी दिए। यह कदम आपसी सम्मान और एकता को भी दर्शाता है।
टीम ने तीर्थयात्रियों की मदद करके उनकी यात्रा को आसान बनाया। चिकित्सा सेवाओं और भोजन की व्यवस्था ने उन्हें अपने धार्मिक अनुष्ठान आराम से पूरे करने में सहायता दी। ऐसी गतिविधियाँ करुणा, समावेशिता और सद्भावना को बढ़ावा देती हैं। साथ ही इस तरह की पहल विभिन्न समुदायों के बीच शांति और आपसी समझ को मज़बूत करती है।
स्थानीय प्रशासन ने भी संवाद टीम के प्रयासों को सराहा। उन्होंने स्वास्थ्य शिविर, सामुदायिक रसोई (भंडारे) और शांति को बढ़ावा देने के कार्यों की प्रशंसा की। इन पहलों ने कांवड़ यात्रियों की भलाई और अनुभव को बेहतर बनाया। संवाद टीम और इसके शांति स्वयंसेवकों ने, सेवा शिविर में, सक्रिय रूप से भाग लिया। उनका योगदान यात्रियों के लिए सहायक और प्रेरणादायक साबित हुआ।
संदर्भ
https://tinyurl.com/2y22ouhw
https://tinyurl.com/2yjencjk
https://tinyurl.com/2aurn5xd
https://tinyurl.com/2y33bmw4
चित्र संदर्भ
1. परीक्षितगढ़ के एक मंदिर को संदर्भित करता एक चित्रण (प्रारंग चित्र संग्रह)
2. काली पलटन मंदिर को संदर्भित करता एक चित्रण (प्रारंग चित्र संग्रह)
3. मनसा देवी मंदिर को संदर्भित करता एक चित्रण (प्रारंग चित्र संग्रह)
4. नौचंदी मेले को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
5. गढ़मुक्तेश्वर को संदर्भित करता एक चित्रण (प्रारंग चित्र संग्रह)