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पौधे, इंसानों को कैंसर और रेडिएशन से बचना सिखा रहे हैं!

मेरठ

 27-10-2023 09:31 AM
कोशिका के आधार पर

आपने यह लोकोक्ति अवश्य सुनी होगी कि "पेड़ों को भी दर्द होता है।" लेकिन क्या आप जानते हैं कि पेड़ों को कैंसर भी हो सकता है, हालांकि यह वास्तव में ठीक वैसा नहीं होता, जैसा कि इंसानों या जानवरों को होता है। दरअसल "कैंसर एक ऐसी बीमारी है जो कोशिकाओं की असामान्य और अनियंत्रित वृद्धि तथा फैलाव के कारण उत्पन्न होती है।" इंसानों और जानवरों में कैंसर कोशिकाएं (Cancer Cells), मूल ट्यूमर (Tumor) से अलग हो सकती हैं, और शरीर के अन्य हिस्सों में आ-जा सकती हैं। ये कोशिकाएं शरीर में जहां भी जाती हैं वहां ये नए ट्यूमर विकसित कर देती हैं, और शरीर में बीमारी को फैलाती चलती हैं। वहीं दूसरी ओर पौधों की कोशिकाओं में कोशिका दीवारें होती हैं, जिन्हें पादप कोशिका भित्ति (Plant Cell Walls) भी कहा जाता है, जो ट्यूमर को केवल एक जगह पर सीमित रखती हैं और उन्हें पौधे के अन्य भागों में फैलने से रोक देती हैं। जानवरों और पौधों दोनों में ही कोशिका के अंदर के सभी अंग (जैसे कि नाभिक), प्लाज्मा झिल्ली (Plasma Membrane) के भीतर मौजूद होते हैं। लेकिन पौधों में इस झिल्ली के बाहर एक दूसरी परत भी होती है, इसी परत को कोशिका भित्ति कहते हैं, जो बहुत अधिक कठोर होती है। आप इसे ऐसे सोच सकते हैं कि यदि प्लाज्मा झिल्ली कोशिका सामग्री को रखने के लिए एक थैली होती है, तो कोशिका दीवार एक बक्से की तरह होती है जिसमें वह थैली रखी गई होती है। पादप कोशिका भित्ति, डबल सुरक्षा के रूप में कोशिका झिल्ली को चारों ओर से घेरे रहती है। कोशिका भित्ति, ट्यूमर कोशिकाओं के लिए पौधे के अन्य भागों में फैलना भी मुश्किल बना देती है। पौधें हर हाल में पनप सकते हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि दुनिया की सबसे भीषण परमाणु आपदा का केंद्र माने जाने वाले चेरनोबिल (Chernobyl) में भी आज एक संपन्न पारिस्थितिकी तंत्र पनप चुका है। इस क्षेत्र में रेडिएशन यानी विकिरण (Radiation) का स्तर काफी अधिक होने के बावजूद भी इस क्षेत्र में पौधे उग रहे हैं। लेकिन हैरानी की बात है कि पौधे ऐसी कठोर परिस्थितियों का सामना कैसे कर पा रहे हैं? दरअसल यहां पर पौंधों का शानदार और अद्वितीय जीव वैज्ञानिक ढांचा उनके बहुत काम आ रहा है। दरसल पौधे मॉड्यूलर जीव (Modular Creatures) होते हैं, जिसका अर्थ है कि इंसानों के विपरीत इनकी प्रत्येक कोशिका स्वतंत्र कार्य करने में सक्षम होती है। यह पौधों को क्षतिग्रस्त कोशिकाओं और ऊतकों को आसानी से बदलने की अनुमति देता है। उदाहरण के लिए, यदि कोई माली किसी पौधे से एक पत्ती काट देता है, तो पौधा शेष कोशिकाओं से भी एक नई पत्ती उगा सकती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि पत्ती की प्रत्येक कोशिका में एक नई पत्ती बनाने के लिए सभी आवश्यक आवश्यक जानकारी मौजूद होती है। इसके अतिरिक्त, पौधों की कोशिकाओं के चारों ओर पादप कोशिका भित्ति, यहां पर भी पौधो को विकिरण से बचा लेती है।पौधों में खुद को विकिरण से बचाने के लिए कई अन्य तंत्र भी होते हैं। उदाहरण के लिए, कुछ पौधे अपने डीएनए (DNA) को क्षति के प्रति अधिक प्रतिरोधी बनाने के लिए इनमें बदलाव भी कर सकते हैं। कई अन्य पौधों के पास विशेष मरम्मत प्रणालियाँ होती हैं जो क्षतिग्रस्त डीएनए को ठीक कर सकती हैं। इन जन्मजात सुरक्षा के अलावा, चेरनोबिल अपवर्जन क्षेत्र में कुछ पौधों ने विकिरण से निपटने के लिए नए तंत्र विकसित किए हैं। उदाहरण के लिए, कुछ पौधों में मोटी कोशिका दीवारें विकसित हो गई हैं। इसके अलावा यहां मौजूद पौधे अधिक एंटीऑक्सीडेंट (Antioxidant) पैदा करते हैं। पादप कोशिका भित्ति के अलावा पादप हार्मोन (Plant Hormones) भी कोशिका वृद्धि और विभाजन को विनियमित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यदि ये हार्मोन बाधित होते हैं या इनके निर्माण में रुकावट आती है, तो इससे पौधों में ट्यूमर का निर्माण हो सकता है। ये ट्यूमर आमतौर पर बैक्टीरिया (Bacteria), वायरस (Viruses), कवक या संरचनात्मक क्षति (Structural Damage) के कारण भी निर्मित हो सकते हैं। पौधों में सबसे सामान्य प्रकार का पादप ट्यूमर "क्राउन गॉल (Crown Gall)" होता है, जो एग्रोबैक्टीरियम टूमफेशियन्स (Agrobacterium Tumefaciens) नामक जीवाणु के कारण विकसित होता है। यह जीवाणु ऐसे रसायनों का उत्पादन करता है, जो पौधों की कोशिकाओं को अनियंत्रित रूप से विभाजित करते हैं, जिसके परिणामस्वरूप पौधों में ट्यूमर विकसित होने लगता है।  क्राउन गॉल के अलावा पौधो में कुछ अन्य प्रकार के ट्यूमर भी विकसित हो सकते हैं, जिनमें शामिल है:
➲ काली गाँठ (Black Knot) जो डिबोट्रियन मॉर्बोसम (Ungus Dibotryon Morbosum) नामक कवक के कारण होती है।
➲ अजेलिया गाँठ (Azalea Knotweed) जो एक्सोबैसिडियम वैक्सीनीया (Fungus Exobasidium Vaccinia) नामक कवक के कारण होती है।
➲ ततैया के पित्त (Wasp Galls) जो ततैया कैलिरहाइटिस कॉर्निगेरा और सी. क्वेरकसपंक्टाटा (Wasps Callirhitis Cornigera And C. Quercuspunctata) के कारण विकसित होते हैं। ततैया के पित्त तब बनते हैं जब ततैया उस पौधे के ऊतकों में अपने अंडे देती हैं। फिर पौधा अंडों के चारों ओर अतिरिक्त ऊतक का उत्पादन करता है, जो विकासशील ततैया के लार्वा की रक्षा करता है। वैज्ञानिकों का मानना है कि ततैया के अंडे या लार्वा द्वारा छोड़े गए रसायन, पौधे के विकास विनियमन तंत्र को बाधित कर सकते हैं। कई बार ये ट्यूमर प्रभावित पौधे को विकृत कर सकते हैं, और उसकी मृत्यु का कारण बन सकते हैं। वैज्ञानिक मानते हैं कि पौधों का अध्ययन करके, हम ऐसे यौगिकों की पहचान कर सकते हैं जिनमें कैंसर-रोधी गुण हो सकते हैं, या हम नए तंत्रों को खोज सकते हैं जिन्हें कैंसर की दवा बनाने के लिए प्रयोग में लिया जा सकता है।
उदाहरण के लिए, पेरिविंकल (Periwinkle) नामक पौधे से प्राप्त होने वाले “विनब्लास्टिन एल्कलॉइड (Vinblastine Alkaloid)”, का उपयोग कई कैंसर-रोधी दवाओं में किया जाता है। विनब्लास्टिन एक ऐसा रसायन है, जिसका उपयोग 1950 के दशक से ही कैंसर रोधी दवाओं में किया जा रहा है। हालाँकि इसे बनाना बेहद मुश्किल माना जाता है क्योंकि इसे मेडागास्कर पेरिविंकल (Madagascar Periwinkle) से निकाला जाता है। शोधकर्ता अब विनब्लास्टिन के उत्पादन के लिए नए तरीके विकसित करने पर काम कर रहे हैं, जो इसे रोगियों के लिए अधिक किफायती और सुलभ बना सकता है।
मजे की बात है कि हम इंसानों ने पौधों को प्रकृति की एक रचना से बढ़कर कुछ नहीं समझा, लेकिन इन्होनें विनाशकारी परमाणु आपदा के बीच भी जीवित रहने और फलने-फूलने के तरीके भी ढूंढ लिए हैं।

संदर्भ
https://tinyurl.com/bddve894
https://tinyurl.com/272vsksk
https://tinyurl.com/2pttddrw

चित्र संदर्भ

1. हरिता या मॉस (Moss) अपुष्पक पादप है। को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. कैंसर कोशिका को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. पादप कोशिका भित्ति को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. वनस्पति कोशिका के चित्र को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
5. कैम्पटोथेका ("खुश पेड़" या "कैंसर पेड़") के अर्क का उपयोग कीमोथेराप्यूटिक दवा टोपोटेकन को विकसित करने के लिए किया गया था। को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
6. पेरिविंकल नामक पौधे से प्राप्त होने वाले “विनब्लास्टिन एल्कलॉइड”, का उपयोग कई कैंसर-रोधी दवाओं में किया जाता है। को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)

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