Post Viewership from Post Date to 26-Nov-2023 (31st Day)
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Email Instagram Total
1869 216 2085

***Scroll down to the bottom of the page for above post viewership metric definitions

पाम तेल का उपभोग किस प्रकार है स्वास्थ्य लाभदायक, हालांकि, किन बातों का रखें ध्यान?

मेरठ

 26-10-2023 09:35 AM
साग-सब्जियाँ

हमारे देश भारत में खाद्य तेलों का वर्तमान उत्पादन, हमारी जनसंख्या की अनुशंसित वसा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए, दरअसल अपर्याप्त है। इस कमी को पूरा करने हेतु, भारत सरकार द्वारा उठाए गए विभिन्न कदमों में,मलेशियाई(Malaysia) से पाम तेल(Palm oil)या ताड़ के तेल का आयात, एक प्रमुख कदम है। हालांकि, एक दीर्घकालिक समाधान के रूप में पाम तेल के स्वदेशी उत्पादन की भी परिकल्पना की गई है।
पाम तेल, ताड़ के पेड़ के फलों या उनके गुद्दे को निचोड़कर या कुचलकर बनाया जाता है। अपने लाल-नारंगी रंग के कारण, अपरिष्कृत पाम तेल को लाल पाम तेल के रूप में भी जाना जाता है। पाम तेल को भारतीय उपभोक्ताओं द्वारा खाना पकाने के एक माध्यम के रूप में अपनाया जाता है। इस संदर्भ में, हम भारतीयों की पोषण संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करने में पाम तेल की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है। भारतीयों द्वारा वसा की पोषण संबंधी आवश्यकताओं को, उनकी आवश्यक फैटीएसिड(Essential Fatty acid) आवश्यकताओं के संदर्भ में परिभाषित किया गया है। हालांकि, पाम तेल में लिनोलिक एसिड(Linoleic acid)का स्तर केवल 10% होता है, और यह हमारी फैटी एसिड जरूरतों को पूरा कर सकता है।क्योंकि,हमारे नित्य आहार में एकमात्र खाद्य तेल अनाज और फलियों पर आधारित होता है, जो हमारी दो-तिहाई फैटी एसिड जरूरतों को पूरा कर सकते हैं। अपरिष्कृत पाम तेल की उच्च β-कैरोटीन(β-carotene)मात्रा, विटामिन ए(Vitamin A) के एक महत्वपूर्ण स्रोत के रूप में काम कर सकती है, जिसकी हम भारतीयों में व्यापक कमी है। पाम तेल में मौजूद विटामिन ई(Vitamin E) की उच्च मात्रा, एंटीऑक्सीडेंट(Antioxidant) और एंटीथ्रॉम्बोटिक(Antithrombotic) के रूप में कार्य कर सकती है, जिससे कई स्वास्थ्य लाभ मिलते हैं।
साथ ही, पारंपरिक अनाज-दाल आधारित वनस्पति आहार के साथ, पाम तेल का सेवन, जिसमें अदृश्य वसा के रूप में 10% ऊर्जा होती है, सैचुरेटेड(Saturated), मोनोअनसैचुरेटेड(Monounsaturated) और पॉलीअनसेचुरेटेड(Polyunsaturated)फैटी एसिड के अनुकूल संतुलन के साथ कुल वसा प्रदान कर सकता है।इसे अब पोषण विशेषज्ञों द्वारा भी, हृदय रोग की रोकथाम के लिए वांछनीय आहार माना जा रहा है। पाम तेल की कम लागत, भारत में वर्तमान समय में, गरीब आय वर्गों के लिए, वसा की खपत के उच्च स्तर को प्रोत्साहित कर सकती है और इस प्रकार विशेष रूप से छोटे बच्चों में मौजूदा ऊर्जा की कमी को सम्बोधित करने में मदद कर सकती है। पाम या ताड़ का तेल वाकई में,बहुमुखी है। यह समान्य तापमान पर अर्ध-ठोस होता है, इसलिए इसे ब्रेड पर लगाने हेतु इस्तेमाल किया जा सकता है। यह ऑक्सीकरण(Oxidation) के लिए प्रतिरोधी है इसलिए, यह उत्पादों को लंबे समय तक ताज़ा बनाए रख सकता है। और यह उच्च तापमान का सामना कर सकता है, जिससे यह भोजन पदार्थों को तलने के लिए भी एकदम सही है।
क्या आप जानते हैं कि, एक चम्मच पाम तेल में, 120 कैलोरी(Calorie) और 14 ग्राम वसा होता है। इसके अलावा, पाम तेल का एक एंटीऑक्सीडेंट– विटामिन ई हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली को स्वस्थ रखने और कोशिकाओं को संचार में मदद करने के लिए महत्वपूर्ण है। अध्ययनों से पता चलता है कि, अपने आहार में पर्याप्त विटामिन ई लेने से हृदय रोग, कुछ प्रकार के कैंसर और उम्र से संबंधित मैकुलर डिजनरेशन(Macular degeneration) का खतरा कम हो सकता है। पाम तेल में पाए जाने वाले विटामिन ई के एंटीऑक्सीडेंट प्रभाव, कुछ रोगियों में हृदय रोग की प्रगति को कम या यहां तक कि रोक देते हैं। पाम तेल का अर्क भी हृदय रोग से लड़ने वाले लोगों के लिए उपयोगी हो सकता है।विटामिन ई हमारे मस्तिष्क के बेहतर स्वास्थ्य से भी जुड़ा हुआ है। विटामिन ई का यह रूप, जिसे टोकोट्रिएनॉल(Tocotrienol) के नाम से जाना जाता है, अन्य एंटीऑक्सीडेंटस् की तुलना में मस्तिष्क के ऊतकों को खतरनाक मुक्त कणों से अधिक प्रभावी ढंग से बचाता है। टोकोट्रिएनॉल मस्तिष्क के घावों की प्रगति को भी रोक सकते हैं। फिर भी, इन निष्कर्षों का समर्थन करने के लिए, और अधिक अध्ययनों की आवश्यकता है। पाम तेल हमारे शरीर द्वारा अवशोषित विटामिन ए की मात्रा को बढ़ाने में भी मदद कर सकता है, जो हमारे आंखों के स्वास्थ्य के लिए एक महत्वपूर्ण विटामिन है। यह देखा गया है कि, अपने आहार में पाम तेल को शामिल करने से, हमारे शरीर की विटामिन ए और संभवतः वसा में घुलनशील अन्य विटामिन को अवशोषित करने की क्षमता बढ़ जाती है।
विटामिन ए की कमी से बचने और इलाज के लिए, लोग पाम तेल का उपयोग करते हैं। इसका उपयोग मलेरिया(Malaria)जैसी कुछ अन्य स्थितियों के लिए भी किया जाता है। हालांकि, इन उपयोगों का भी समर्थन करने के लिए कोई अच्छा वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। एक अल्पकालिक दवा के रूप में उपयोग किए जाने पर पाम तेल, संभवतः सुरक्षित होता है। 6 महीनों तक प्रतिदिन इसकी 7-12 ग्राम मात्रा, सुरक्षित मानी जाती है।
जबकि, पाम तेल के कुछ संभावित नुक़सान भी हैं। चूंकि,पाम तेल पोषण का एक सघन स्रोत है, इसलिए कुछ लोगों पर इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। कुछ अध्ययनों से पता चलता है कि,पाम तेल कोलेस्ट्रॉल(Cholesterol) के स्तर को कम करता है, जबकि, कुछ अन्य सुझाव देते हैं कि, यह “खराब” कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बढ़ा सकता है। एक अध्ययन में पाया गया है कि, पाम तेल स्वस्थ व्यक्तियों में कोलेस्ट्रॉल बढ़ाता है। पाम तेल मक्खन की तुलना में संभवतः स्वास्थ्यवर्धक है, लेकिन, हमें अन्य प्रकार के तेल के साथ पाम तेल का उपयोग नहीं करना चाहिए। ताजा एवं गर्म किया गया पुराना पाम तेल में टोकोट्रिएनॉल के काफी भिन्न स्तर दिखते हैं। इस वजह से, ताज़ा पाम तेल की तुलना में दोबारा गर्म किया गया पाम तेल, बहुत कम लाभदायक होता है। वास्तव में, दोबारा गर्म किया गया पाम तेल न केवल ताजे पाम तेल के हृदय संबंधी लाभों को खो सकता है, बल्कि यह वास्तव में, हृदय रोग जैसे खतरे को बढ़ा भी सकता है। अन्य तरल तेलों की तुलना में, पाम तेल में संतृप्त या सैचुरेटेड वसा अपेक्षाकृत अधिक होती है। पाम तेल में लगभग 49% संतृप्त वसा होती है, जो वसा हृदय रोग और पुरानी स्वास्थ्य स्थितियों के बढ़ते जोखिम से जुड़ी हुई है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के एक अध्ययन से पता चलता है कि, इस विषय पर और अधिक शोध की आवश्यकता है। जबकि, पाम तेल के स्वास्थ्य प्रभावों पर अभी भी बहस चल रही है, इस तेल के संबंध में एक और चिंता इसका पर्यावरणीय प्रभाव है। पाम तेल की वैश्विक आपूर्ति का अधिकांश हिस्सा इंडोनेशिया(Indonesia) और मलेशिया में उत्पादित होता है। और पाम तेल बागान वनों की कटाई के प्रमुख चालक हैं। पाम तेल उद्योग वर्षा वनों को नष्ट करने और लुप्तप्राय प्रजातियों के आवासों को बर्बाद करने के लिए, जाना जाता है। इससे वन समुदायों, हाथियों और गैंडों के निवास स्थान नष्ट हो गए हैं। इसे बढ़ते कार्बन उत्सर्जन, स्वदेशी समूहों के विस्थापन और श्रम दुर्व्यवहार से भी जोड़ा गया है। हालांकि, अन्य वनस्पति तेल स्रोतों की तुलना में, पाम तेल कम भूमि, कीटनाशकों और रासायनिक उर्वरकों का उपयोग करता है। अतःजलवायु खतरे को ध्यान में रखते हुए, हमें अधिक टिकाऊ पाम तेल उत्पाद पर विचार करने की आवश्यकता हैं।

संदर्भ
https://tinyurl.com/5h23bmpe
https://tinyurl.com/mr4bac2t
https://tinyurl.com/2pnukn7a
https://tinyurl.com/yc3aankk
https://tinyurl.com/4rkc6z29

चित्र संदर्भ
1. पाम तेल को संदर्भित करता एक चित्रण (pxhere)
2. हाथों से पाम तेल बनाने की प्रक्रिया को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. बिक्री हेतु रखे गए ताड़ के तेल को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. तेल की मालिश को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
5. विटामिन ए के ढांचे को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
6. ताड़ के तेल को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
7. लुप्त होते पारिस्थितिक तंत्र को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)

***Definitions of the post viewership metrics on top of the page:
A. City Subscribers (FB + App) -This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post. Do note that any Prarang subscribers who visited this post from outside (Pin-Code range) the city OR did not login to their Facebook account during this time, are NOT included in this total.
B. Website (Google + Direct) -This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership —This is the Sum of all Subscribers(FB+App), Website(Google+Direct), Email and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion ( Day 31 or 32) of One Month from the day of posting. The numbers displayed are indicative of the cumulative count of each metric at the end of 5 DAYS or a FULL MONTH, from the day of Posting to respective hyper-local Prarang subscribers, in the city.

RECENT POST

  • उत्तर भारतीय और मुगलाई स्वादों का, एक आनंददायक मिश्रण हैं, मेरठ के व्यंजन
    स्वाद- खाद्य का इतिहास

     19-09-2024 09:25 AM


  • मेरठ की ऐतिहासिक गंगा नहर प्रणाली, शहर को रौशन और पोषित कर रही है!
    नदियाँ

     18-09-2024 09:18 AM


  • क्यों होती हैं एक ही पौधे में विविध रंगों या पैटर्नों की पत्तियां ?
    कोशिका के आधार पर

     17-09-2024 09:16 AM


  • आइए जानें, स्थलीय ग्रहों एवं इनके और हमारी पृथ्वी के बीच की समानताओं के बारे में
    पर्वत, चोटी व पठार

     16-09-2024 09:34 AM


  • आइए, जानें महासागरों से जुड़े कुछ सबसे बड़े रहस्यों को
    समुद्र

     15-09-2024 09:27 AM


  • हिंदी दिवस विशेष: प्राकृतिक भाषा प्रसंस्करण पर आधारित, ज्ञानी.ए आई है, अत्यंत उपयुक्त
    संचार एवं संचार यन्त्र

     14-09-2024 09:21 AM


  • एस आई जैसी मानक प्रणाली के बिना, मेरठ की दुकानों के तराज़ू, किसी काम के नहीं रहते!
    सिद्धान्त I-अवधारणा माप उपकरण (कागज/घड़ी)

     13-09-2024 09:10 AM


  • वर्षामापी से होता है, मेरठ में होने वाली, 795 मिलीमीटर वार्षिक वर्षा का मापन
    जलवायु व ऋतु

     12-09-2024 09:25 AM


  • परफ़्यूमों में इस्तेमाल होने वाले हानिकारक रसायन डाल सकते हैं मानव शरीर पर दुष्प्रभाव
    गंध- ख़ुशबू व इत्र

     11-09-2024 09:17 AM


  • मध्यकालीन युग से लेकर आधुनिक युग तक, कैसा रहा भूमि पर फ़सल उगाने का सफ़र ?
    मध्यकाल 1450 ईस्वी से 1780 ईस्वी तक

     10-09-2024 09:32 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id