Post Viewership from Post Date to 06-Nov-2023 (31st Day)
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Email Instagram Total
1845 453 2298

***Scroll down to the bottom of the page for above post viewership metric definitions

हमारे मेरठवासी ने 12 एचआईवी संक्रमित बच्चों को गोद ले,स्थापित की दंपत्तियो के लिए मिसाल

मेरठ

 05-10-2023 09:25 AM
सिद्धान्त 2 व्यक्ति की पहचान

भारत दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी आबादी वाला देश है जहां लगभग 1.35 अरब लोग रहते हैं। यहां 6 वर्ष से कम आयु के लगभग 158.8 मिलियन बच्चे हैं। इन बच्चों में से 30 मिलियन अनाथ हैं, जो युवा आबादी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। भारत में वही बच्‍चा गोद लेने योग्‍य माना जाता है जो किसी दत्‍तक के गृह या अनाथालय में पल रहा हो। यह स्थिति बच्चे को "गोद लेने के लिए कानूनी रूप से स्वतंत्र" बनाती है। इस प्रणाली के कारण हमारे देश में गोद लेने की प्रक्रिया काफी गंभीर बनी हुयी है, हालांकि, अनाथालयों या गोद लेने वाले केंद्रों में केवल 370,000 अनाथ बच्‍चे रहते हैं, 29 मिलियन से अधिक अनाथ गोद लेने वाली परिस्थिति में मौजूद ही नहीं हैं।गोद लेने की अवधारणा का जन्‍म अनाथ, परित्यक्त और आत्मसमर्पण करने वाले बच्चों को परिवार का अधिकार देने के लिए हुआ।अपने जैविक परिवार से वंचित बच्चे को पारिवारिक जीवन प्रदान करने के लिए गोद लेने की अवधारणा को सबसे अच्छा साधन माना गया। हिन्दुओं के लिए गोद लेने के कानूनों और समाज में महिलाओं की स्थिति में कुछ सुधार हुआ है। लेकिन मुसलमान, गोद लेने पर समान नागरिक संहिता की कमी के कारण, कानूनी रूप से किसी बच्चे को गोद नहीं ले सकते हैं। समान नागरिक संहिता लागू होने से ही भारत में अन्य धर्मों को भी कानूनी रूप से बच्चा गोद लेने की अनुमति मिलेगी और इससे निःसंतान माता-पिता की स्थिति को मदद मिलेगी। दूसरी ओर गोद लिए गए बच्चे को उचित देखभाल और सुरक्षा मिलेगी और उसका भविष्य उज्ज्वल होगा। इसमें कोई शक नहीं कि यह एक जटिल प्रक्रिया है, लेकिन इसे सही माइने में लागू किये जाने पर हर माता-पिता रहित बच्चा स्कूल जाएगा । भारत की गोद लेने की प्रणाली बेहद समस्याग्रस्त है, हालांकि, अनाथालयों या गोद लेने वाले केंद्रों में केवल 370,000 अनाथ बच्‍चे रहते हैं, 29 मिलियन से अधिक अनाथ गोद लेने वाली परिस्थितियों में उपलब्ध ही नहीं हैं।भारत में केवल 50,000 अनाथ बच्चे गोद लेने के पात्र हैं। केंद्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण (Central Adoption Resource Authority, CARA) के अनुसार, 2020 से 2022 तक, भारत में लगभग 9,000 बच्चों को गोद लिया गया। सितंबर 2022 तक, 1,800 बच्चे गोद लेने के लिए तैयार थे। किंतु कानूनी कार्यवाही और इसकी कई तकनीकी प्रक्रियाएं थकाऊ और भावनात्मक रूप से बोझिल होने के कारण इनकी संख्‍या में इजाफा नहीं हुआ। कुछ अनुमान बताते हैं कि कानूनी रूप से उपलब्ध बच्चे को गोद लेने में लगभग तीन साल लग सकते हैं। बच्चे को गोद लेने के इच्‍छुक दंपत्ति को पहले कारा (CARA) की वेबसाइट पर प्रासंगिक दस्तावेजों के साथ आवेदन करना होगा। इसके बाद एक सामाजिक कार्यकर्ता द्वारा उनके घर का दौरा किया जाएगा।इस पहले चरण के बाद, गोद लेने के लिए कानूनी रूप से स्वतंत्र बच्‍चों की प्रोफाइल एजेंसियों द्वारा दंपत्ति के साथ साझा की जाती है। दंपत्ति बच्चे को चुनने के बाद, मामले को जिला मजिस्ट्रेट के पास भेज देते हैं।
►अगस्त 2022 में भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने गोद लेने की प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करने का आग्रह किया।
►अदालत ने एक बयान में कहा, "भारत में किसी बच्चे को गोद लेने के लिए तीन से चार साल की अवधि का समय लग जाता है,इसे सरल बनाया जाना चाहिए।
►हजारों अनाथ बच्चे गोद लिए जाने की प्रतीक्षा कर रहे हैं।"
►इच्‍छुक माता-पिता भी यह शिकायत करते हैं कि गोद लेने के लिए आवेदन करते समय किसी प्रकार का समर्थन भी नहीं मिल पाता है।
►कई बाल देखभाल संस्‍थाएं सरकार द्वारा विनियमित नहीं हैं, जिस कारण वे गोद लेने वाली एजेंसियों से नहीं जुड़ पाए हैं, जिससे इन संस्थानों में रहने वाले बच्चे गोद लेने वाले बच्‍चों की श्रेणी से बाहर हो गए हैं।
►कई बच्‍चों को गोद लेने के लिए एजेंसियों द्वारा सूचीबद्ध तो किया गया है किंतु उनकी भी वर्षों से कागजी कार्रवाई पूरी नहीं हुयी है, जिस कारण उन्हें गोद लेने के लिए कानूनी रूप से स्वतंत्र घोषित नहीं किया गया है।
कमज़ोर बच्चों के लिए अधिक सहायता:
►भारत में विशेष आवश्यकता वाले बच्चों को गोद लिए जाने की संभावना बहुत कम होती है। आंकड़े बताते हैं कि भावी माता-पिता 2 वर्ष से कम उम्र के "स्वस्थ" बच्चों को गोद लेना पसंद करते हैं।सीएआरए(CARA)के अनुसार, पिछले तीन वर्षों में विशेष आवश्यकता वाले 50 से भी कम बच्चों को भारत में घर मिला, जो कि 2020-2022 के कुल 1% से भी कम है।
►गोद लेने और बाल संरक्षण में काम करने वाले एक गैर सरकारी संगठन, कैटलिस्ट्स फॉर सोशल एक्शन (सीएसए) (Catalysts for Social Action (CSA)) ने सुझाव दिया कि अनाथ और बेसहारा बच्‍चे जिन्‍हें देखभाल और सुरक्षा की आवश्यकता है उनकी पहचान करने और उन्हें बाल कल्याण समितियों (सीडब्ल्यूसी) के पास भेजने के लिए पूरे देश में समय-समय पर सर्वेक्षण किया जाना चाहिए।
►सीएसए के प्रमुख सत्यजीत मजूमदार बताते हैं, "इससे उन बच्चों की पहचान हो सकेगी जो अनाथ हैं, साथ ही उन बच्चों की भी पहचान की जाएगी जिनके माता-पिता उनकी जिम्‍मेदारी नहीं उठा पा रहे हैं, जिन्हें गोद लेने के लिए कानूनी रूप से स्वतंत्र घोषित किया जा सकता है।"
►उन्होंने कहा कि लाखों बच्चे जो माता-पिता के दुर्व्यवहार के कारण घर से भागे और बाल देखभाल सुविधाओं में रहते हैं, गोद लेने की पात्रता की प्रतीक्षा कर रहे हैं। उन्होंने कहा, "लोगों को बड़े बच्चों और विशेष जरूरतों वाले बच्चों को गोद लेने के लिए प्रोत्साहित करने हेतु समर्पित अभियान चलाया जाना चाहिए।" मेरठ के अजय शर्मा ने 12 एचआईवी संक्रमित लड़कों को गोद लिया है, इनका यह कार्य सरहानीय है।वह उन्हें भेदभाव रहित व खुशहाल बचपन देने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं, जिसके सही माइने में ये बच्‍चे हकदार हैं।अजय शर्मा, राजकीय इंटर कॉलेज फलावदा में कार्यरत थे। 2004 में उन्हें ब्रेन हेमरेज (brain haemorrhage) हुआ और वह 15 दिनों तक कोमा में रहे। अपनी बीमारी से उबरने के बाद, उन्हें लगा कि उन्हें नया जीवन मिला है और उन्होंने खुद को निस्वार्थ भाव से समाज के लिए समर्पित करने का फैसला किया।2008 में, उन्हें एक एचआईवी संक्रमित अनाथ लड़के के बारे में पता चला, जिसके रिश्तेदारों ने उसे मार डाला, उसके शरीर को सूटकेस में पैक करके ट्रेन में छोड़ दिया।इस हृदय विदारक घटना ने अजय के मन में ऐसे बच्चों के लिए काम करने का जुनून पैदा कर दिया। उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ दी और झुग्गी-झोपड़ी के बच्चों को पढ़ाना शुरू कर दिया।
2008 में, शर्मा की मुलाकात एक एचआईवी पॉजिटिव लड़के से हुई, जिसे उसके परिवार ने छोड़ दिया था, जो मरने की कगार पर था। शर्मा उसे कई अस्पतालों में ले गए लेकिन कोई भी उसे भर्ती करने के लिए तैयार नहीं था। आख़िरकार, शर्मा लड़के को घर ले आये और उसकी अच्छी देखभाल की। लड़का स्‍वस्‍थ हो गया और उसे घर भी मिल गया। इसके बाद अजय शर्मा ने 2008 में मेरठ के गंगानगर इलाके में सत्यकाम मानव सेवा समिति (एसएमएसएस) की स्थापना की, जहां ऐसे छोड़े गए लड़कों को एक नया घर दिया गया।एक साल पहले 12 साल के आशीष को सत्यकाम में लाया गया था जब उसमें तपेदिक और अन्य लक्षण दिखाई दे रहे थे जो एक एचआईवी पॉजिटिव व्यक्ति में दिखाई देते हैं। आज, एसएमएसएस में मिली देखभाल के परिणामस्वरूप, आशीष नियमित रूप से स्कूल जाता है और अपनी कक्षा में उसकी उपस्थिति सबसे अधिक रहती है। इन बच्‍चों को पनाह देना इतना आसान नहीं था, इनके लिए शर्मा जी को कई सामाजिक विरोधों का सामना करना पड़ा। फिर भी वह अपने लक्ष्य पर डटे रहे ओर इस सेवा भाव के लिए प्रारंग की ओर से शर्मा जी को शत शत नमन।

संदर्भ:
https://tinyurl.com/2xf8jhms
https://tinyurl.com/2pdzuwcz
https://tinyurl.com/yc4djx2z
https://tinyurl.com/t6yzzt8w
https://tinyurl.com/6skvbc8n

चित्र संदर्भ
1. तारों की बाढ़ से सामने देखते बच्चे को दर्शाता एक चित्रण (PickPik)
2.अव्यवस्थित शहरीकरण के बीच, असुरक्षित व् हाशिये पर संघर्ष करते बच्चे व् बकरी को दर्शाता एक चित्रण (pxhere)
3. विचारों में खोई हुई एक बच्ची को दर्शाता एक चित्रण (Pxfuel)
4. कारा (CARA) की वेबसाइट को दर्शाता एक चित्रण (https://cara.wcd.gov.in)
5. एक बच्चे को सैर पर ले जाते उसके माता-पिता को दर्शाता एक चित्रण (wallpaperflare)

***Definitions of the post viewership metrics on top of the page:
A. City Subscribers (FB + App) -This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post. Do note that any Prarang subscribers who visited this post from outside (Pin-Code range) the city OR did not login to their Facebook account during this time, are NOT included in this total.
B. Website (Google + Direct) -This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership —This is the Sum of all Subscribers(FB+App), Website(Google+Direct), Email and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion ( Day 31 or 32) of One Month from the day of posting. The numbers displayed are indicative of the cumulative count of each metric at the end of 5 DAYS or a FULL MONTH, from the day of Posting to respective hyper-local Prarang subscribers, in the city.

RECENT POST

  • अपने युग से कहीं आगे थी विंध्य नवपाषाण संस्कृति
    सभ्यताः 10000 ईसापूर्व से 2000 ईसापूर्व

     21-11-2024 09:28 AM


  • चोपता में देखने को मिलती है प्राकृतिक सुंदरता एवं आध्यात्मिकता का अनोखा समावेश
    पर्वत, चोटी व पठार

     20-11-2024 09:29 AM


  • आइए जानें, क़ुतुब मीनार में पाए जाने वाले विभिन्न भाषाओं के शिलालेखों के बारे में
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     19-11-2024 09:22 AM


  • जानें, बेतवा और यमुना नदियों के संगम पर स्थित, हमीरपुर शहर के बारे में
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     18-11-2024 09:31 AM


  • आइए, अंतर्राष्ट्रीय छात्र दिवस के मौके पर दौरा करें, हार्वर्ड विश्वविद्यालय का
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     17-11-2024 09:30 AM


  • जानिए, कौन से जानवर, अपने बच्चों के लिए, बनते हैं बेहतरीन शिक्षक
    व्यवहारिक

     16-11-2024 09:17 AM


  • आइए जानें, उदासियों के ज़रिए, कैसे फैलाया, गुरु नानक ने प्रेम, करुणा और सच्चाई का संदेश
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     15-11-2024 09:27 AM


  • जानें कैसे, शहरी व ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं के बीच अंतर को पाटने का प्रयास चल रहा है
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     14-11-2024 09:20 AM


  • जानिए क्यों, मेरठ में गन्ने से निकला बगास, पर्यावरण और अर्थव्यवस्था के लिए है अहम
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     13-11-2024 09:22 AM


  • हमारे सौर मंडल में, एक बौने ग्रह के रूप में, प्लूटो का क्या है महत्त्व ?
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     12-11-2024 09:29 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id