Post Viewership from Post Date to 23-Oct-2023 (31st Day)
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Email Instagram Total
2081 338 2419

***Scroll down to the bottom of the page for above post viewership metric definitions

प्लिनी द एल्डर के प्रथम विश्वकोश ‘नेचुरल हिस्ट्री’ में वर्णित हैं भारत में घटित चमत्कार

मेरठ

 23-09-2023 10:19 AM
छोटे राज्य 300 ईस्वी से 1000 ईस्वी तक

इतिहास प्रेमियों के बीच भारत के केरल में स्थित “कोडुंगलूर शहर” प्राचीन समय से ही लोकप्रिय रहा है। प्राचीन समय में यह क्षेत्र, मसालों और कीमती रत्नों के व्यापार के कारण एक व्यस्त व्यापारिक बंदरगाह हुआ करता था। प्राचीन यूनानियों, रोमनों और अन्य लोगों के बीच इस स्थान को “मुजिरिस” (Muziris) के नाम से जाना जाता था।
मुजिरिस को भारत में आगमन के लिए “दुनिया का प्रवेश द्वार” माना जाता था। इसका उल्लेख प्रसिद्ध रोमन प्रकृतिवादी “प्लिनी द एल्डर” (Pliny the Elder) के लेखन में भी मिलता है। अपने लेखन में प्लिनी ने उल्लेख किया है कि, “यदि हवाएँ अनुकूल होती थी तो मुजिरिस से यूरोप तक मात्र 40 दिनों में जाना संभव था।” प्लिनी द एल्डर ने प्राचीन भारत के बारे में और भी कई दिलचस्प जानकारियां प्रदान की हैं। लेकिन उनके लेखन के बारे में अधिक जानने से पहले, हम यह जान लेते हैं कि आख़िर “प्लिनी द एल्डर” कौन थे? प्लिनी द एल्डर का जन्म 23/24 ईसवी के दौरान कोमो, इटली (Como, Italy) में हुआ था। प्लिनी को मुख्य रूप से उनके विश्वकोषीय कार्य, “नेचुरल हिस्ट्री” (Natural History) के लिए जाना जाता है। उन्होंने शुरुआत में सैनिक के तौर पर जर्मनी (Germany) में अपनी सेवा दी और आगे बढ़ते हुए वह घुड़सवार सेना कमांडर के पद तक पहुंचे। सम्राट वेस्पेशियन (Emperor Vespasian) के शासनकाल के दौरान, प्लिनी ने स्पेन (Spain) में अभियोजक के रूप में कार्य किया और रोम में विभिन्न आधिकारिक पदों पर कार्य किया। हालाँकि, उन्होंने अपना अधिकांश जीवन, अध्ययन और लेखन को समर्पित कर दिया।
प्लिनी की सबसे चर्चित कृति “नेचुरल हिस्ट्री” (Natural History) को, 37 पुस्तकों में विभाजित किया गया है, जो 10 खंडों में व्यवस्थित हैं। इन खण्डों में भूगोल, खगोल विज्ञान, मौसम विज्ञान, मानव विज्ञान, प्राणीशास्त्र, वनस्पति विज्ञान, खनिज विज्ञान और चिकित्सा सहित कई अन्य विषय भी शामिल हैं। इसे लिखने के लिए प्लिनी ने अलग-अलग स्रोतों की एक विस्तृत श्रृंखला का सहारा लिया, जिसमें ग्रीक और रोमन लेखकों के साथ-साथ उनकी अपनी टिप्पणियाँ और प्रयोग भी शामिल थे। नेचुरल हिस्ट्री के अलावा प्लिनी ने कई अन्य रचनाएं भी लिखी, जिनमें बेला जर्मनिया (जर्मन युद्धों का इतिहास) (Bella Germaniae (The History of the German Wars) भी शामिल है। दुर्भाग्य से 79 ईसवी में, माउंट वेसुवियस (Mount Vesuvius) में हुए एक विस्फोट में अपने एक दोस्त और उसके परिवार को बचाने का प्रयास करते समय उनकी मृत्यु हो गई। लेकिन उनकी मृत्यु के बाद आज कई दशकों बाद भी “नेचुरल हिस्ट्री" को विद्वानों और लेखकों के बीच एक मूल्यवान संसाधन माना जाता है। फिलेमोन हॉलैंड (Philemon Holland) द्वारा 1601 में प्लिनी के अधिकांश कार्य का अंग्रेजी में प्रभावशाली अनुवाद किया गया । बाद में जॉन बोस्टॉक (John Bostock) और एच. टी. रिले (H. T. Riley) द्वारा 1855 में शेष भाग का अनुवाद पूर्ण किया गया ।
प्लिनी द एल्डर द्वारा लिखित “नेचुरल हिस्ट्री" उनका एकमात्र ऐसा लेखन है, जो अभी तक संरक्षित है। यह अपने बाद के विश्वकोशों के लिए भी एक मार्गदर्शक बन गया। प्लिनी के “नेचुरल हिस्ट्री" में वर्णमाला प्रविष्टियाँ नहीं हैं, इसलिए एक अर्थ में यह आधुनिक विश्वकोश नहीं है। प्लिनी ने कई वर्षों तक नेचुरल हिस्ट्री को लिखा। लेकिन इसे उनकी मृत्यु के बाद उनके भतीजे, प्लिनी द यंगर (Pliny the Younger) ने संपादित और प्रकाशित किया।
नेचुरल हिस्ट्री को 10 खंडों में विभाजित किया गया है, जिनमें से प्रत्येक खंड में कई पुस्तकें हैं। नीचे दी गई तालिका में विषयों के आधुनिक नामों के आधार पर इन सभी खंडों को विषयगत रूप से व्यवस्थित किया गया है- प्लिनी द्वारा लिखित यह विश्वकोश, प्राचीन विश्व के बारे में हमें बहुमूल्य जानकारी उपलब्ध कराता है। यह एक आकर्षक और मनोरंजक पाठ भी है, जिसमें प्लिनी की अपनी निजी टिप्पणियां और अंतर्दृष्टि भी दी गई है। नेचुरल हिस्ट्री लिखने में प्लिनी का उद्देश्य विद्वानों और आम जनता दोनों के हित में उन्हें प्राकृतिक दुनिया का एक व्यापक और आधिकारिक विवरण प्रदान करना था। वह प्राकृतिक दुनिया के बारे में सभी ज्ञात तथ्यों को सभी के लिए सुलभ बनाना चाहते थे। प्लिनी एक सूक्ष्म शोधकर्ता और लेखक थे। उन्होंने नेचुरल हिस्ट्री पर काम करते हुए कई साल बिताए, और वे इसे लगातार संशोधित और अद्यतन करते रहे। उनके पास सहायकों की एक टीम भी थी जो जानकारी इकट्ठा करने और व्यवस्थित करने में उनकी मदद करती थी।
इस कृति के माध्यम से प्लिनी द एल्डर ने भारत और इथियोपिया (Ethiopia)” को एक चमत्कारिक भूमि के रूप में वर्णित किया है। उन्होंने भारत का वर्णन करते हुए लिखा है कि, “भारत में सबसे बड़े जानवर पाए जाते हैं। यहाँ के पेड़ इतने ऊँचे हैं कि उन पर सीधे तीर चलाना संभव नहीं है। यहाँ पर घुड़सवार सेना के दस्ते एक ही अंजीर के पेड़ के नीचे आश्रय लेने में सक्षम हैं। यहाँ के कई निवासी पाँच हाथ से अधिक लंबे हैं। वे कभी थूकते नहीं हैं तथा ये लोग सिरदर्द या दाँत दर्द या आँखों में दर्द से भी पीड़ित नहीं होते हैं। भारतियों के दार्शनिक, जिन्हें वे (नागा साधू) कहते हैं, सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक खड़े रहते हैं और सूर्य को स्थिर आँखों से देखते रहते हैं। यह ऋषि दिन भर चमकती रेत में पहले एक पैर पर और फिर दूसरे पैर पर खड़े रहते हैं। भारत के पूर्व में पहाड़ों में विचित्र जीव भी पाए जाते हैं। ये व्यंग्यकार जानवर बेहद तेज़ हैं, जो कभी-कभी चारों पैरों पर चलते हैं और कभी-कभी इंसानों की तरह दौड़ते हुए सीधे खड़े हो जाते हैं। यहाँ पर ऐसे लोग भी हैं जिनके पैर पीछे की ओर मुड़े हुए हैं और प्रत्येक पैर पर आठ उंगलियां हैं। यहाँ बिना गर्दन वाले लोग भी हैं, जिनकी आंखें उनके कंधों में हैं।” प्लिनी के लेखन में भारत और इथियोपिया के निवासियों की लम्बी आयु का भी वर्णन किया गया है। उन्होंने लिखा है कि यहां के कुछ लोग 100 वर्ष से अधिक जीवित रहते हैं, और कुछ लोग 200 वर्ष से भी अधिक जीवित रहते हैं।
प्लिनी द्वारा भारत और इथियोपिया के चमत्कारों का वर्णन आकर्षक और विचारोत्तेजक है। वे हमें इस बात की एक झलक प्रदान करते हैं कि प्राचीन यूनानियों और रोमनों द्वारा हमारे देश की ओर किस तरह देखा जाता था। साथ ही उनकी यह दुर्लभ कृति इन दोनों देशों की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को समझने में भी मदद करती है।

संदर्भ
https://tinyurl.com/5hep656y
https://tinyurl.com/bddvjx52
https://tinyurl.com/m4smcnhv
https://tinyurl.com/3b623fw6

चित्र संदर्भ
1. प्लिनी द एल्डर के हाथ में पुस्तक को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
2. प्लिनी द एल्डर को दर्शाता एक चित्रण (Wikimedia)
3. 1499 में वेनिस में जोहान्स एल्विसियस द्वारा मुद्रित नेचुरलिस हिस्टोरिया की प्रति को दर्शाता एक चित्रण (Wikimedia)
4. नागा साधू को दर्शाता एक चित्रण (Wikimedia)

***Definitions of the post viewership metrics on top of the page:
A. City Subscribers (FB + App) -This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post. Do note that any Prarang subscribers who visited this post from outside (Pin-Code range) the city OR did not login to their Facebook account during this time, are NOT included in this total.
B. Website (Google + Direct) -This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership —This is the Sum of all Subscribers(FB+App), Website(Google+Direct), Email and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion ( Day 31 or 32) of One Month from the day of posting. The numbers displayed are indicative of the cumulative count of each metric at the end of 5 DAYS or a FULL MONTH, from the day of Posting to respective hyper-local Prarang subscribers, in the city.

RECENT POST

  • आइए जानें, देवउठनी एकादशी के अवसर पर, दिल्ली में 50000 शादियां क्यों हुईं
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     22-11-2024 09:23 AM


  • अपने युग से कहीं आगे थी विंध्य नवपाषाण संस्कृति
    सभ्यताः 10000 ईसापूर्व से 2000 ईसापूर्व

     21-11-2024 09:28 AM


  • चोपता में देखने को मिलती है प्राकृतिक सुंदरता एवं आध्यात्मिकता का अनोखा समावेश
    पर्वत, चोटी व पठार

     20-11-2024 09:29 AM


  • आइए जानें, क़ुतुब मीनार में पाए जाने वाले विभिन्न भाषाओं के शिलालेखों के बारे में
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     19-11-2024 09:22 AM


  • जानें, बेतवा और यमुना नदियों के संगम पर स्थित, हमीरपुर शहर के बारे में
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     18-11-2024 09:31 AM


  • आइए, अंतर्राष्ट्रीय छात्र दिवस के मौके पर दौरा करें, हार्वर्ड विश्वविद्यालय का
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     17-11-2024 09:30 AM


  • जानिए, कौन से जानवर, अपने बच्चों के लिए, बनते हैं बेहतरीन शिक्षक
    व्यवहारिक

     16-11-2024 09:17 AM


  • आइए जानें, उदासियों के ज़रिए, कैसे फैलाया, गुरु नानक ने प्रेम, करुणा और सच्चाई का संदेश
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     15-11-2024 09:27 AM


  • जानें कैसे, शहरी व ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं के बीच अंतर को पाटने का प्रयास चल रहा है
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     14-11-2024 09:20 AM


  • जानिए क्यों, मेरठ में गन्ने से निकला बगास, पर्यावरण और अर्थव्यवस्था के लिए है अहम
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     13-11-2024 09:22 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id