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बिजनौर ज़िले में खुल गया है अमानगढ़ बाघ अभयारण्य,नव जिम कॉर्बेट उद्यान के रूप में

मेरठ

 05-07-2023 09:57 AM
जंगल

हमारा देश भारत वन्य जीवन की विशाल विविधता का घर है। और बाघ निस्संदेह ही हमारे देश के सबसे प्रतिष्ठित जानवरों में से एक हैं। हालांकि, मानव गतिविधियों के कारण हमारे ये शानदार वन्य जीव खतरे में हैं। अतः भारत सरकार द्वारा अपने बाघों के संरक्षण के लिए सराहनीय प्रयास भी किए गए हैं। भारत सरकार ने इन शानदार प्राणियों और उनके प्राकृतिक आवास की रक्षा करने के लिए देशभर में बाघ अभयारण्यों की स्थापना की है। 1973 में देश में पहले बाघ अभयारण्य की स्थापना के बाद अब इनकी संख्या बढ़कर 53 हो गई है। वन्यजीवों को सुरक्षा प्रदान करने के अपने अभियान के तहत, उत्तर प्रदेश सरकार ने उत्तराखंड में ‘जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान’ (Jim Corbett National Park) के निकट स्थित ‘अमानगढ़ टाइगर रिजर्व’ (Amangarh Tiger Reserve) को उन्नत करने और इसे ‘नव जिम कॉर्बेट’ (New Jim Corbett) नाम देने की योजना बनाई है। बिजनौर ज़िले के अमानगढ़ में 80 वर्ग किलोमीटर में फैले इस वन क्षेत्र को बाघ सफारी क्षेत्र बनाया गया है। इस क्षेत्र में बाघ बड़ी संख्या में विचरण करते हैं, अतः इनकी सुरक्षा करना बहुत जरूरी है। अमानगढ़ बाघ अभयारण्य भारत में ‘प्रोजेक्ट टाइगर’ (Project Tiger) के अंतर्गत आने वाला एक बाघ अभयारण्य है। यह अभयारण्य हमारे उत्तर प्रदेश राज्य के चार बाघ अभयारण्यों में से एक है। जबकि, अन्य तीन अभयारण्य दुधवा टाइगर रिजर्व, पीलीभीत टाइगर रिजर्व और रानीपुर टाइगर रिजर्व हैं। मूल रूप से, ‘अमानगढ़ बाघ अभयारण्य’ प्रसिद्ध जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान का हिस्सा था। उत्तराखंड राज्य के उत्तर प्रदेश से अलग होने के बाद, जिम कॉर्बेट उद्यान उत्तराखंड राज्य में चला गया, जबकि, अमानगढ़ अभयारण्य उत्तर प्रदेश में ही रहा। यह जिम कॉर्बेट टाइगर रिजर्व का ही एक मध्यवर्ती क्षेत्र था, जो जिम कॉर्बेट से निकलने वाले कई जंगली जानवरों का घर है। अमानगढ़ को 21 जुलाई 2012 को ‘अमानगढ़बाघ अभयारण्य’ के रूप में अधिसूचित किया गया था।
इस अभयारण्य को पर्यावरण और गंगा पर्यटन से भी जोड़ा गया है। साथ ही, यहां पर्यटकों के लिए वैश्विक पर्यटन स्थलों जैसी सुविधाएं भी उपलब्ध कराई गई है। इससे स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के नए अवसर भी उत्पन्न हुए हैं। वर्तमान समय में उत्तर प्रदेश में 173 बाघ है। जिम कॉर्बेट उद्यान का हिस्सा होने के कारण, अमानगढ़ वन क्षेत्र में भी बड़ी संख्या में बाघ मौजूद हैं। यहां आने वाले पर्यटक बाघ सफारी के साथ ही विभिन्न प्रजातियों के पक्षियों, वनस्पतियों तथा सुंदर नदियों, झरनों और पहाड़ों को देखकर भी आनंदित होते है। इसके अलावा, वे तेंदुए और हिरण को भी करीब से देख सकते हैं। जंगल सफारी के अलावा इस क्षेत्र में हाथी की सवारी, कैंपिंग (camping) और ट्रैकिंग (trekking) जैसी गतिविधियों का भी आनंद लिया जा सकता है। हाथी की सवारी के लिए महावत की व्यवस्था की जायेगी। वहीं, कैंपिंग और ट्रैकिंग के लिए प्रशिक्षक भी रखे जाएंगे. इससे पर्यटक पूरी सुरक्षा के साथ अपनी यात्रा का आनंद ले सकेंगे। बड़े–बड़े एशियाई हाथी (Asian Elephant) तथा जंगली जानवरों के बीच दहाड़ते बाघ इस क्षेत्र में मुख्य आकर्षण हैं। इसके अलावा अमानगढ़ अभयारण्य चीतल, सांभर, काकड़, तेंदुआ, भालू, साही, जंगली सूअर, सियार, जंगली बिल्ली आदि अन्य मुख्य वन्यजीवों का भी घर है। स्पैंगल्ड ड्रोंगो (Spangled Drongo), गोल्डन बैक्ड वुड पेकर (Golden Backed Wood Pecker), जंगली उल्लू, रेड जंगल फाउल (Red jungle fowl), ग्रे हॉर्नबिल (Grey Hornbill) और हॉर्नबिल आदि पक्षी प्रजातियां इस क्षेत्र को प्रतिष्ठित प्राकृतिक धरोहर बनाती हैं।
उत्तर प्रदेश सरकार की ‘वन डिस्ट्रिक्ट वन डेस्टिनेशन’ (One District One Destination) योजना में अमानगढ़ भी शामिल है। इसके तहत इस अभयारण्य कोपर्यावरण पर्यटन से जोड़ा गया है। राज्य सरकार का मानना है कि हमारे राज्य का सांस्कृतिक, धार्मिक और वन पर्यटन, राज्य की अर्थव्यवस्था का मूल्य एक ट्रिलियन डॉलर (Trillion dollars) तक बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। हाल ही में, चित्रकूट के रानीपुर अभयारण्य को राज्य का चौथा टाइगर रिजर्व घोषित किया गया है। इसके साथ ही, केंद्र सरकार द्वारा रानीपुर वन्यजीव अभयारण्य को देश के 53वें टाइगर रिजर्व का दर्जा दिया गया है। अमानगढ़ टाइगर रिजर्व अब आगंतुकों और पर्यटकों के लिए खुल चुका है। अभयारण्य का पहला केहरिपुर दरवाज़ा खोल दिया गया है। यह सबसे प्रतिष्ठित महत्वपूर्ण, सुंदर और समृद्ध जंगली क्षेत्रों में से एक है। घास के मैदानों, आर्द्रभूमियों और घने जंगल के साथ यह अभयारण्य 9500 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला हुआ है। यहां का प्रवेश शुल्क प्रति व्यक्ति 200 रुपये है। जबकि, प्रति व्यक्ति सफारी यात्रा शुल्क 2,240 रुपये है। यहां, विशेष रूप से, पांच जिप्सी (Gypsy) सुबह 6:30 बजे से 10 बजे तक और दोपहर 2 बजे से लेकर सूर्यास्त तक सफारी के उद्देश्य से चलेंगी। अमानगढ़ क्षेत्र को टाइगर रिजर्व के रूप में घोषित करने से, उत्तर प्रदेश में वन्यजीवों के संरक्षण प्रयासों में काफी मदद मिलेगी। बाघ अभयारण्य घोषित होने पर इस क्षेत्र में केंद्रीय व्यय और राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (National Tiger Conservation Authority) द्वारा ध्यान दिए जाने की उम्मीद की जा सकती है। इससे, इस क्षेत्र का अधिक प्रभावी प्रबंधन होगा और सुरक्षा भी होगी। वास्तव में भारत में बाघ अभयारण्य, संरक्षण और प्रकृति के प्रति सम्मान के प्रति देश की प्रतिबद्धता का प्रमाण हैं। ये अभ्यारण्य न केवल बाघों की रक्षा करते हैं बल्कि अन्य प्रजातियों और उन आवासों की भी रक्षा करते हैं जिन पर वे निर्भर हैं। इन अभयारण्यों का दौरा करना प्रकृति की सुंदरता को प्रत्यक्ष रूप से देखने और भावी पीढ़ियों के लिए इसे संरक्षित करने के महत्व के बारे में जानने का अवसर भी प्रदान करता है।

संदर्भ
https://tinyurl.com/5h46w2ae
https://tinyurl.com/5fpk2mw7
https://tinyurl.com/ms83we5s
https://tinyurl.com/2tkp2cpp
https://tinyurl.com/ms3mb5rd
https://tinyurl.com/bddx6555

चित्र संदर्भ
1. अमानगढ़ बाघ अभयारण्य को दर्शाता चित्रण (youtube)
2. अमानगढ़ बाघ अभयारण्य के बाहर लगे बोर्ड को दर्शाता चित्रण (youtube)
3. जंगल सफारी को दर्शाता चित्रण (flickr)
4. जंगल में मोर को दर्शाता एक चित्रण (pixahive)
5. बाघ के नन्हे शावकों को दर्शाता चित्रण (flickr)

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