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उत्तर प्रदेश सरकार ने दिल्ली-मेरठ रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (Delhi-Meerut Regional Rapid Transit System - RRTS) के दो किलोमीटर के दायरे में ट्रांजिट ओरिएंटेड डेवलपमेंट (Transit-oriented development) या पारगमन उन्मुख विकास को अनुमति दे दी है। यह प्रस्ताव विकासकर्ताओं को एक उच्च तल क्षेत्र अनुपात(Floor Area Ratio - FAR)चुनने और क्षेत्र में विकास को प्रोत्साहित करने में मदद करेगा।आरआरटीएस के कारण कुछ ग्रामीण इलाकों को शहरीकरण से लाभ होने की उम्मीद है, क्योंकि आरआरटीएस और पारगमन उन्मुख विकास से आवासीय और वाणिज्यिक केंद्रों का विस्तार हो सकता है और शहर के आय सृजन में योगदान दे सकता है। तो आइए आज जानते है, कि पारगमन उन्मुख विकास क्या है तथा दिल्ली-मेरठ आरआरटीएस कैसे इसका अनुसरण करेगा।
पारगमन उन्मुख विकास से तात्पर्य एक एकीकृत शहरी स्थान से है, जिसे लोगों, विभिन्न गतिविधियों, इमारतों और सार्वजनिक स्थानों को एक साथ लाने के लिए डिज़ाइन किया गया है। यहां लोगों को पैदल चलने और साइकिल चलाने के लिए पर्याप्त नेटवर्क प्राप्त हो जाता है तथा शहर के बाकी हिस्सों तक पहुंचने के लिए उत्कृष्ट पारगमन सेवा प्राप्त होती है।इसका मतलब है कि गतिशीलता के सबसे कुशल और स्वस्थ संयोजन द्वारा,ऐसे क्षेत्रों या स्थानों में स्थानीय और शहरव्यापी अवसरों और संसाधनों तक लोगों की एक समावेशी पहुंच होगी।
साथ ही इसकी वित्तीय और पर्यावरणीय लागत भी बहुत कम होगी, जो क्षेत्र के विकास में सहायक बनेगा। शहरों में दीर्घकालिक स्थिरता, समानता, साझा समृद्धि और नागरिक शांति के लिए समावेशी पारगमन उन्मुख विकास एक आवश्यक आधार है।शहरी फैलाव से समावेशी पारगमन उन्मुख विकास में वैश्विक बदलाव अत्यधिक आवश्यक है। हालाँकि, इसे आसानी से अवधारणाबद्ध किया जा सकता है, लेकिन इसे निष्पादित करना उतना आसान नहीं है। इसके लिए कई जटिल और अन्योन्याश्रित तत्वों को संरेखित और एक साथ लाया जाना चाहिए। इन तत्वों में बुनियादी ढांचे, सड़क और भवन योजना और डिजाइन से लेकर विनियमन सुधार और वित्त जैसे तत्व शामिल हैं। इसमें अलग-अलग विचारों और रुचियों वाले विविध लोग जैसे कई संस्थानों के निर्णय और नीति निर्माता, विभिन्न विषयों के पेशेवर तकनीशियन, विकासकर्ता और निवेशक, किरायेदार और निवासी,कार-आधारित उपनगरीय जीवन शैली से जुड़े लोग, वे लोग जो समुदायों में रहते हैं, और अब पुनर्विकास और घनत्व के कारण रूपांतरण के लिए तैयार हैं, आदि शामिल हैं।पारगमन उन्मुख विकास मुख्य रूप से आठ सिद्धांतों को शामिल करता है, जिनमें पैदल चलना, साइकिल चलाना, पारगमन, मिश्रण, सघनता, सुगठन और बदलाव शामिल हैं। ये सिद्धांत परिवहन और भूमि उपयोग के बीच के संबंध को स्पष्ट करते हैं तथा साथ ही पारगमन उन्मुख विकास की रूपरेखा बनाते हैं। इसे हम एक ऐसा सार्वभौमिक उपकरण मान सकते हैं, जिसका उपयोग आस-पड़ोस के मूल्यांकन और योजना के लिए किया जा सकता है। यह शहरों को सुगठित करने और– नए शहरी विकास पर निर्भरता को कम करने का एक प्रयास है, जो यात्रा के गैर-मोटर चालित से सार्वजनिक परिवहन मोटर चालित मोड में बदलाव को अत्यधिक बढ़ावा देता है।
यह वास्तव में कुशल और न्यायसंगत समुदाय बनाता है।यह लोगों को उच्च गुणवत्ता का पैदल मार्ग उपलब्ध कराता है, जो सभी के द्वारा आसानी से उपयोग किया जा सकता है। विभिन्न प्रकार के फर्नीचर और इमारतें ऐसे मार्गों को जीवंत सार्वजनिक स्थानों में बदल देती हैं। टहलने को आरामदायक बनाने और गर्मी से राहत दिलाने के लिए पैदल मार्गों पर पेड़-पौधे भी उपलब्ध होंगे। साइकिल चलाने और पैदल चलने के लिए बनाए गए नेटवर्क से विभिन्न वस्तुओं, सेवाओं और सार्वजनिक परिवहन तक पहुंच आसान हो जाएगी। लोगों के पास रैपिड ट्रांसिट लाइन का सुगठित नेटवर्क होगा, जिससे अधिकांश आबादी को उच्च गुणवत्ता वाला सार्वजनिक परिवहन उपलब्ध हो जाएगा। उच्च गुणवत्ता वाले रैपिड ट्रांसिट से लोगों की व्यक्तिगत वाहनों पर निर्भरता काफी कम हो जाएगी, जिससे यातायात से सम्बंधित समस्याएं दूर हो जाएंगी।
पारगमन उन्मुख विकास को ध्यान में रखते हुए उत्तर प्रदेश सरकार ने दिल्ली-मेरठ रैपिड ट्रांजिट सिस्टम शुरू किया है, जो कि एक बहुत ही आवश्यक परिवहन अवसंरचना परियोजना है। यह इस क्षेत्र के दो महत्वपूर्ण शहरों दिल्ली एनसीआर और मेरठ को जोड़ेगी। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री द्वारा यह घोषणा की गई थी कि इस रैपिड रेल परिवहन प्रणाली के एक खंड का उद्घाटन जून के पहले सप्ताह में किया जाएगा।साहिबाबाद से दुहाई तक दिल्ली मेरठ रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम की पहली प्राथमिकता लाइन जल्द ही शुरू होने वाली है। कॉरिडोर को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र परिवहन निगम द्वारा रैपिडएक्स (RapidX) नाम दिया गया है। रैपिडएक्स देश का पहला रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम होगा, और यह दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ कॉरिडोर पर 5-10 मिनट के अंतराल पर उपलब्ध होगा।दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ आरआरटीएस का प्राथमिकता वाला हिस्सा लगभग पूरा हो गया है और जून तक परिचालन शुरू हो सकता है। ऐसा माना जा रहा है कि रैपिडएक्स सुबह 6 बजे से रात 11 बजे तक उपलब्ध रहेगा। कुल मिलाकर 24 स्टेशन होंगे, जिनमें से 13 स्टेशन मेरठ में होंगे। ट्रेन सेवाएं शुरू में हर 15 मिनट में उपलब्ध होंगी और सवारियों की मांग के अनुसार बढ़ाई जाएंगी। यह पूरा प्रोजेक्ट करीब 30,000 करोड़ रुपये का है। दिल्ली-मेरठ रैपिड ट्रांजिट सिस्टम में कई विशेषताएं होंगी जो यात्रियों के लिए यात्रा को आरामदायक और सुविधाजनक बनाने के लिए डिज़ाइन की गई हैं। इनमें वातानुकूलित कोच, वाई-फाई कनेक्टिविटी, लगेज रैक और बैठने की आरामदायक व्यवस्था शामिल हैं। ट्रेनों में विकलांग यात्रियों के लिए विशेष रूप से समर्पित स्थान बनाए गए हैं। रैपिडएक्स ट्रेन का पहला कोच प्रीमियम कोच होगा। स्टेशनों को अधिक हवादार, विशाल और खुला दिखाने के लिए अंदर कांच की लिफ्ट भी लगाई जाएंगी। यहां तक कि हर स्टेशन पर भुगतान क्षेत्र में पीने के पानी और वॉशरूम की सुविधा भी मुहैया कराई गई है।दृष्टिबाधित लोगों को परेशानी से मुक्त आवाजाही प्रदान करने के लिए रैपिडएक्स स्टेशनों पर विशेष व्यवस्था की गई है। इस परियोजना से यात्रियों को परिवहन का एक तेज़, सुरक्षित और अधिक सुविधाजनक साधन प्राप्त होने की उम्मीद है और इस क्षेत्र के आवागमन पर इसका महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ेगा।
संदर्भ:
https://bit.ly/41UFAeY
https://bit.ly/3pUOgnZ
https://bit.ly/41QGhWm
चित्र संदर्भ
1. दिल्ली-मेरठ रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. 22 फरवरी, 2016 को नई दिल्ली में राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा परिषद् (एनआरएससी) की 16वीं और परिवहन विकास परिषद् (टीडीसी) की 37वीं बैठक के दौरान उपस्थिति दर्ज कराते हुए, केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग और पोत परिवहन मंत्री, श्री नितिन गडकरी को दर्शाता चित्रण (thestatement)
3. दिल्ली मेरठ एक्सप्रेसवे को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. आरआरटीएस दिल्ली मेरठ को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
5. भारत की एक लक्ज़री ट्रेन को दर्शाता एक चित्रण (Flickr)
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