City Subscribers (FB+App) | Website (Direct+Google) | Total | ||
1325 | 6372 | 7697 |
***Scroll down to the bottom of the page for above post viewership metric definitions
सर्दी का मौसम आते ही भारत के किसान मशरूम की खेती के विकल्प को अपनी आय बढ़ाने के साधन के रूप में तलाशते हैं। लॉकडाउन के बाद नए अवसर उत्पन्न होने से देश भर में कवक के फार्म तेजी से बढ़ रहे हैं। कई लोगों का अनुमान है कि मशरूम एक उच्च मूल्य वाली कृषि फसल है जो छोटे और सीमांत किसानों की आय को बदल सकती है।
आइए जानते है एक मशरूम के किसान की सफल कहानी। पैसे कमाने के लिए श्रीमती एक्का (Mrs Ekka) मशरूम की खेती में आई। भारतीय ग्रामीण विकास संगठन, लिव लाइफ हैप्पीली (Live Life Happily) की मदद से उन्होंने इस खेती की शुरुआत की।अब वह हर दिन अपनी मशरूम की फ़सल के दो या तीन बैग बेचती हैं, जिससे उन्हें एक महीने में लगभग ७००० रुपए मिल जाते है। सफेद फूल वाले मशरूम बड़े थैलों में उगाए जाते हैं जो छत से लटकते हैं। आमतौर पर श्रीमती एक्का के घर में 10 बैग होंगे, जो एक महीने में लगभग 48 बैग मशरूम का उत्पादन करते हैं।
मशरूम उगाने से श्रीमती एक्का के जीवन में बड़ा बदलाव आया है।लेकिन कुछ लोगों का मानना है कि इस फसल द्वारा भारत के कृषि क्षेत्र में इससे कहीं ज्यादा बड़ा योगदान दिया जा सकता है, क्योंकि भारत में मशरूम की विशाल विविधता है और मशरूम उत्पादन के लिए सभी आवश्यक तत्व जैसे कि बहुत सारी खाद सामग्री, सस्ते श्रम और विविध जलवायु परिस्थितियां, उपलब्ध हैं , जिससे भारत एक शक्तिशाली राष्ट्र के रूप में उभर सकता है। हैं। अनुकूल परिस्थितियों के बावजूद, भारत दुनिया के मशरूम उत्पादन का सिर्फ 2% हिस्सा ही उत्पन्न करता है। हालांकि इस क्षेत्र में स्थान बनाने के लिए इच्छुक उद्यमियों के पास बहुत जगह है।
चार साल पहले, लीना थॉमस और उनके बेटे जीतू ने कमरे में ही मशरूम उगाने का प्रयोग किया। प्रारंभिक सफलता ने उन्हें मशरूम की खेती का अध्ययन करने और पाठ्यक्रम लेने के लिए प्रेरित किया और इसलिए उनका शौक जल्दी ही एक संपन्न व्यवसाय में बदल गया।
अब लीना के मशरूम (Leena's Mushroom) नाम की कंपनी के तहत केरल स्थित इन मां बेटे उद्यमियों के पास 2,000 मशरूम बेड हैं, जो एक दिन में 100 किलो का उत्पादन करते हैं। वे ताजे कटे मशरूम को खुदरा विक्रेताओं को बेचते है।
एक गैर-सरकारी संगठन, लिव लाइफ हैप्पीली ने पश्चिम बंगाल में 8,000 से अधिक महिलाओं को दिखाया है, जिसमें फुलरिडा एक्का भी शामिल हैं, कि लाभ के लिए अपने स्वयं के मशरूम कैसे उगाएं। मशरूम उगाना एक व्यवहार्य और प्रबंधनीय कार्य है। महिलाएं अपने घर के एक कोने में, एक अंशकालिक गतिविधि या शौक के रूप में, खेती की जानकारी के बिना भी आगे बढ़ सकती हैं।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार 2013-14 में भारत ने 17,100 मीट्रिक टन मशरूम का उत्पादन किया और 2018 तक यह बढ़कर 4,87,000 मीट्रिक टन हो गया। उत्तर प्रदेश जैसे राज्य पहले से ही भारत में शीर्ष उत्पादकों के रूप में उभरे हैं। सोनीपत, गोरखपुर आदि जैसे शहर घरेलूउत्पादन के प्रमुख केंद्र के रूप में उभर रहे हैं। फिर भी भारत दुनिया के मशरूम का लगभग 2% ही केवल उत्पादन करता है, जबकि चीन वैश्विक स्तर पर मशरूम का करीब 75% उत्पादन करता है। भारत में इसकी खपत भी अमेरिका या यूरोप की तुलना में कम है।–यह देशीय और निर्यात दोनों के लिए एक बड़ा अवसर है, जिसका अभी दोहन किया जाना शेष है। चूंकि तकनीकी रूप से, मशरूम न तो पौधे हैं और न ही जानवर, और वे बीज से नहीं बल्कि छोटे अंडे या बीजाणु से निकलते हैं, यह विशिष्टता इन गैर-प्रकाश संश्लेषक जीवन रूपों को ‘बीज अधिनियम और नियमों’ (The Seed Act and Rules) और ‘पीपीवीएफआर’ (PPVFR Act) अधिनियम के दायरे से बाहर रखती हैं। सरल शब्दों में कहा जाए तो मशरूम क्षेत्र अनियंत्रित एवं अनियमित है।
इसकी अनियमितता का एक प्रमुख कारण पेटेंट अधिनियम 1970 कवक (Fungi) की पेटेंट योग्यता पर स्पष्टता नहीं होना भी है जबकि संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे अन्य देशों ने कवक या मशरूम की नई किस्मों पर पेटेंट को मान्यता दी है। बीज अधिनियम के अनुच्छेद 3 (सी) और (जे) से ऐसा प्रतीत होता है कि कवक स्वायत्त जीवित प्राणी हैं और उन्हें भारत में पेटेंट योग्यता से बाहर रखा गया है। फिर भी, अदालतों द्वारा स्पष्टता देने की आवश्यकता है क्योंकि यह एक बड़ा मुद्दा होगा क्योंकि भारत में मशरूम की खेती बढ़ रही है।
कई किसान पहले से ही ई-रिटेल वेबसाइटों आदि पर ठगे जाने की शिकायत कर चुके हैं, लेकिन निवारण तंत्र की कमी के कारण चुप्पी साध लेते हैं। देश भर में मशरूम पारिस्थिति की तंत्र की कमी के कारण घटिया बीजाणु (spawn) की आपूर्ति करके स्पॉन इकाइयों द्वारा किसानों को धोखा देने की भी खबरें हैं।
मशरूम के बीजाणुओं को एक नियंत्रित तापमान पर और सीमित समय के लिए ही रखने की आवश्यकता होती है। बीज अधिनियम का यहां अधिकार क्षेत्र नहीं है, और कोई अलग अधिनियम भी मौजूद नहीं है जो मशरूम उद्योग या उत्पादकों के लिए इन दिशानिर्देशों को निर्धारित करता हो। भारत में स्पॉन (बिजाणू) और खाद व्यापारियों द्वारा अपनाई जाने वाली कार्यप्रणाली को भी नियमित नहीं किया जाता है। इसके अलावा, कोई कानून बौद्धिक संपदा अधिकारों या मशरूम उत्पादकों की किस्मों की रक्षा नहीं करता है।
साथ ही भारत में प्रवेश करने वाले विदेशी बीजाणुओं आदि को नियंत्रित करने में हमारे राष्ट्रीय जैव विविधता कानून कितने प्रभावी रहे हैं, यह चिंता का एक और कारण है।
हमारी कार्यप्रणाली को सही करने के लिए, भारतीय नीति निर्माताओं को कवक विज्ञानियों (Mycologist), किसानों और उद्योग के परामर्श से नीतियों और कानूनों के निर्माण के लिए एक अलग समिति बनाने की आवश्यकता है। यह निकाय बीज अधिनियम की तरह ही किसानों और उद्योग के लिए प्रशिक्षण एसओपी (SOP), शुद्धता मानकों, संचालन प्रक्रियाओं और निवारण प्रणालियों का उत्पादन कर सकता है। इसके लिए उद्यानिकी विभाग से अलग उपविभाग की आवश्यकता है। अंतरिम अवधि में, एक अधिसूचना बागवानी विभाग के अधिकारियों को शिकायत निवारण के लिए किसानों और उद्योग की सहायता करने के लिए सशक्त कर सकती है। पेटेंट प्रश्न टेढ़ा-मेढ़ा है और इसके लिए अधिक कानूनी और जैव विविधता विशेषज्ञों की मदद की आवश्यकता होगी।
मशरूम को खेती में समाविष्ट और विनियमित करने से सरकार को कुपोषण और गिरती कृषि आय से निपटने के लिए एक नया सहयोगी मिल सकता है। कवक की खेती हानिकारक धुंध (smog) के बजाय धान के लाखों टन ठूंठ को खाने योग्य मशरूम में बदलने में भी मदद कर सकती है। भारत को अपने किसानों के साथ औषधीय अनुसंधान एवं विकास में कदम मिलाने की भी आवश्यकता है। लेकिन इससे पहले कि मशरूम क्षेत्र बड़ा हो, सरकार को नियम बनाने की जरूरत है ताकि किसान और उद्योग कवक की पूरी क्षमता का उपयोग कर सकें।
भारत में मशरूम की खेती के लिए बहुत संभावनाएं हैं, और धीरे-धीरे मशरूम का उत्पादन बढ़ रहा है।फिर भी कुछ ऐसे कारण हैं जिनमें नीति स्तर पर बदलाव की आवश्यकता है जिससे कि मशरूम की खेती को भारत में और प्रोत्साहन मिल सके।
संदर्भ–
https://bbc.in/3I1BwDk
https://bit.ly/3GhKUkY
चित्र संदर्भ
1. मशरूम की फसल को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. मशरूम के किसान को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. लीना के मशरूम (Leena's Mushroom) को दर्शाता एक चित्रण (leenasfarm)
4. टोकरियों में रखे गए मशरूमों को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
© - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.