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वसुधैव कुटुम्बकम् की प्राचीन अवधरणा को सार्थक करते हुए, भारत के लोग क्रिसमस (Christmas) और होली के रंगों में समान रूप से रंग जाते हैं। क्रिसमस के शुभ अवसर पर भारतीय शहरों की रौनक को देखकर कोई भी यह नहीं कह सकता कि क्रिसमस एक ईसाई मूल का त्यौहार है। सभी इस खुशी और हर्षोल्लास के पर्व का सर्दी के मौसम में आनंद उठाते हैं। हालांकि केवल यह त्यौहार ही नहीं बल्कि भारत में कई दशकों पुराने ऐसे कई प्रमुख चर्च भी हैं, जो भारतीय संस्कृति में ईसाई समाज की एकरूपता का वर्णन करते हैं।
बेथलहम( Bethlehem) येरुशलम (Jerusalem) से लगभग 10 किलोमीटर दूर दक्षिण में स्थित एक फिलिस्तीनी शहर है। ईसाई धर्म में इस शहर को प्रभु यीशु (ईसा मसीह) (Jesus Christ) का जन्मस्थान माना जाता है। हर साल, यह शहर क्रिसमस के भव्य उत्सव से सराबोर रहता है, जो दुनिया में किसी भी अन्य जगह की तुलना में जादुई रूप से अद्भुत और अधिक सुंदर दिखाई देता हैं। यहां पर क्रिसमस उत्सव लगभग एक महीने तक चलता है, जो स्वयं में ही अद्वितीय है। यह शहर विभिन्न ईसाई संप्रदायों जैसे कैथलिक (Catholic), प्रोटेस्टेंट (Protestant), इथियोपियाई (Ethiopian), अर्मेनियाई (Armenian) और ग्रीक रूढ़िवादियो (Greek Orthodox) आदि सभी का घर माना जाता है। यहाँ पर क्रिसमस का आधिकारिक समारोह 24 दिसंबर से शुरू हो जाता है। क्रिसमस का जुलूस इस उत्सव का मुख्य आकर्षण होता है, जिसमें एक मोमबत्ती या क्रॉस (Cross) पकड़ना और मेंजर चौक “Manger Square” (ईसाइयों के अनुसार यीशु का जन्मस्थान) से गुजरना शामिल होता है। इस भव्य जुलूस को देखने के लिए हर साल हजारों की संख्या में पर्यटक बेथलहम शहर में आते हैं।
यहां का सबसे प्रसिद्ध गिरजाघर या चर्च, ‘चर्च ऑफ नेटिविटी’ (Church of the Nativity) है, जिसके बारे में यह माना जाता है कि यहाँ पर यीशु का जन्म हुआ था, और इसलिए यह चर्च ईसाइयों के लिए बहुत पवित्र और महत्वपूर्ण माना जाता है। इसके अलावा, सूर्यास्त के बाद शहर सुंदर सजावट और सजाए गए क्रिसमस पेड़ों (Christmas Trees) से जगमगा उठता है। इस अवसर पर शहर भर के विभिन्न गिरिजाघरों द्वारा नाटकों का भी आयोजन किया जाता है, और बाजार क्रिसमस उपहारों और व्यंजनों से भरे पड़े होते हैं।
अपनी कई विशेषताओं के कारण बेथलहम शहर, यहां घूमने आने वाले यात्रियों के लिए भी एक आदर्श स्थान माना जाता है। इसे एक बहुत ही सुरक्षित शहर माना जाता है और यहां आमतौर पर ईसाई धर्म को मानने वाले तीर्थयात्रियों की भारी भीड़ होती है।
चूँकि बेथलहम, यीशु का जन्मस्थान है, इसलिए यहाँ पर क्रिसमस समारोह भी अत्यधिक धार्मिक होते हैं। हालांकि, बेथलहम का क्रिसमस उत्सव यूरोप और उत्तरी अमेरिका के समान ही रोशनी से जगमगाती सड़कों, नाटकों और क्रिसमस बाजारों के साथ, धूमधाम से मनाया जाता है ।
बेथलहम' का क्रिस्चकिंडलमार्कट ('Christkindlmarkt) एक विश्व प्रसिद्ध बाजार है, जो जर्मनी के क्रिसमस बाजारों से प्रेरित है। बेथलहम क्रिसमस को पूरी गर्मजोशी से और मैत्रीपूर्ण तरीके से मनाता है । इसमें कई रीति-रिवाज और अनुष्ठान भी शामिल होते हैं जो इस त्यौहार के लिए अद्वितीय हैं।
बेथलहम में, क्रिसमस किसी एक दिन पर नहीं मनाया जाता है क्योंकि विभिन्न ईसाई संप्रदाय अलग-अलग दिनों पर और अलग-अलग तरीकों से यीशु मसीह के जन्म का उत्सव मनाते हैं।
१. कैथलिक ईसाई समुदाय (Catholicism): बेथलहम में कैथलिक ईसाई 24 दिसंबर को सेंट कैथरीन चर्च (St. Catherine Church) में क्रिसमस मनाते हैं। 5 और 6 जनवरी को एपिफेनी (Epiphany) का पर्व मनाया जाता है। यीशु के जन्म को चिह्नित करने के लिए 25 दिसंबर की आधी रात को सामूहिक आयोजन किया जाता है।
२. प्रोटेस्टेंट ईसाई (Protestant Christians): बेथलहम में प्रोटेस्टेंट ईसाई विभिन्न तरीकों से क्रिसमस मनाते हैं, जिसके तहत उनके द्वारा स्थानीय गिरिजाघरों में विभिन्न प्रकार की सेवाएं आयोजित की जाती हैं।
३.रूढ़िवादी ईसाई (Orthodox Christians): रूढ़िवादी ईसाई, (ग्रीक (Greek), सीरियन (Syrian), कॉप्टिक (Coptic), रोमानियाई (Romanian) और अन्य सहित) 6 जनवरी को क्रिसमस मनाते हैं। इनके समारोह और सेवाएं भी कैथलिक ईसाइयों के समान ही होते हैं और बेसिलिका ऑफ द नेटिविटी (Basilica of the Nativity ) में आयोजित किए जाते हैं। ४. अर्मेनियाई ईसाई (Armenian Christians): अर्मेनियाई ईसाइयों के लिए, क्रिसमस 18 जनवरी के दिन पड़ता है। अधिकांश अर्मेनियाई उत्सव बेसिलिका ऑफ़ द नेटिविटी में आयोजित किए जाते हैं, जिसे यीशु के जन्म का सटीक स्थान माना जाता है।
बेथलहम में पारंपरिक क्रिसमस भोजन में दालचीनी, काली मिर्च, जायफल,चावल, और बादाम के साथ बना हुआ टर्की व्यंजन (Turkey) शामिल होता है। मिठाई में बाकलावा और गेहूं का हलवा भी शामिल हो सकता है।
बेथलहम में क्रिसमस की पूर्व संध्या पर होने वाली परेड भी सबसे प्रसिद्ध रीति-रिवाजों में से एक है, जिसमें जन्म के दृश्य के पात्रों का प्रतिनिधित्व करने वाले परिधानों में सजे लोगों को दिखाया जाता है। परेड का समापन चर्च ऑफ़ द नेटिविटी में होता है, जहाँ एक जन्म दृश्य का मंचन किया जाता है। मिडनाइट मास (Midnight Mass) यहां पर आयोजित होने वाला एक पारंपरिक क्रिसमस ईव उत्सव (Christmas Eve Celebration) है, जिसमें पवित्र भोज भी शामिल है। यह क्राइस्टमास्टाइड (Christmastide) की शुरुआत का प्रतीक है, जो यीशु के जन्म का सम्मान करने वाले उत्सवों का मौसम है। 430 ईसवी में, पश्चिमी दुनिया ने इस परंपरा को अपनाना शुरू किया, जिसमें पोप सिक्सटस III (Pope Sixtus III) ने सेंट मैरी मेजर (St. Mary Major) के बेसिलिका (Basilica) में पहला मिडनाइट मास आयोजित किया। मिडनाइट मास परिवारों के एक साथ आने और उद्धारकर्ता यीशु के आगमन का जश्न मनाने का समय होता है। इस परंपरा का महत्व क्षमा कार्य और यीशु के आगमन की प्रतीक्षा की खुशी में निहित है।
क्रिसमस भारत में भी एक व्यापक रूप से मनाया जाने वाला त्यौहार है। इस विशेष अवसर की पूर्व संध्या पर, भारत में चर्च विशेष रूप से सुंदर सजाए जाते हैं, और रौशनी से जगमगाने लगते हैं। यदि आप भारत में क्रिसमस का अनुभव करना चाहते हैं, तो इन प्रसिद्ध गिरिजाघरों में जाने पर विचार कर सकते हैं, जो ईसाई धर्म की समृद्ध परंपराओं को प्रदर्शित करते हैं।
१. गोवा में से कैथेड्रल चर्च (Se Cathedral Church, Goa): गोवा में से कैथेड्रल चर्च अलेक्जेंड्रिया की कैथरीन (Catherine of Alexandria) को समर्पित पूजा का एक प्रसिद्ध स्थान है। इसे 1510 ईसवी में एक मुस्लिम सेना पर पुर्तगालियों की जीत के उपलक्ष्य में बनाया गया था, जिसके परिणामस्वरूप गोवा शहर का अधिग्रहण हुआ था। इस गिरजाघर का निर्माण 1562 में शुरू हुआ और 1619 में पूरा हुआ। चर्च अपने प्रभावशाली आकार के लिए जाना जाता है, जिसकी ऊंचाई 250 मीटर और चौड़ाई 181 मीटर है। गोल्डन बेल (Golden Bell) कैथेड्रल चर्च के मुख्य आकर्षणों में से एक है, जिसे दुनिया की सबसे खूबसूरत घंटियों में से एक माना जाता है। चर्च में अलेक्जेंड्रिया की कैथरीन को समर्पित मुख्य वेदी पर पुराने चित्र भी हैं।
२. चंपाकुलम में सेंट जॉर्ज सिरो-मालाबार कैथलिक फोरेन चर्च (St. George's Syro – Malabar Catholic Forane Church, Champakulam): चंपाकुलम में सेंट जॉर्ज सिरो -मालाबार कैथलिक फोरेन चर्च, केरल के सबसे पुराने रोमन कैथलिक गिरिजाघरोंमें से एक है। यह ऐल्लेप्पी जिले में कई कैथलिक सीरियन चर्चों (Catholic Syrian Churches) के लिए मदर चर्च (Mother Church) है, और माना जाता है कि इसकी स्थापना 427 ई. में हुई थी।
3. इंफाल में रोमन कैथलिक चर्च (Roman Catholic Archdiocese, Imphal): इसे सेंट जोसेफ कैथेड्रल (St. Joseph Cathedral) के नाम से भी जाना जाता है। यह मन्त्रीपुखरी शहर से 5 किमी दूर स्थित एक सुंदर चर्च है। इसे 1980 में स्थापित किया गया था ।इसे अपनी आश्चर्यजनक वास्तुकला के लिए जाना जाता है, जिसने इसे एक लोकप्रिय पर्यटक आकर्षण बना दिया है। चर्च पहाड़ियों की शांतिपूर्ण वातावरण में स्थित है।
4. बंदेल में बेसिलिका ऑफ़ द होली रोज़री (Basilica of the Holy Rosary Church, Bandel): इसे बंडेल चर्च ( BandelChurch) के नाम से भी जाना जाता है, और यह पश्चिम बंगाल केसबसे पुराने ईसाई गिरिजाघरों में से एक है। इसे 1599 में स्थापित किया गया था। यह न केवल पश्चिम बंगाल में, बल्कि पूरे भारत में एक प्रसिद्ध ऐतिहासिक स्थल है।
5. इमैक्युलेट कन्सेप्शन कैथेड्रल (Immaculate Conception Cathedral, Pondicherry): इस चर्च को सांबा कोविल के नाम से भी जाना जाता है, और यह पुडुचेरी और कुड्डालोर के रोमन कैथलिक आर्कडीओसीज के लिए कैथेड्रल मदर चर्च है। इसमें कई पुनर्निर्माण कार्य हुए हैं, और इसकी वर्तमान इमारत फ्रांस में एक चर्च के समान है। चर्च को 1791 में पिछले चर्च के खंडहरों पर बनाया गया था और इसमें जोड़ीदार डोरिक कॉलम के साथ एक आकर्षक पोर्टिको है।
6.तेलंगाना में मेडक कैथेड्रल (Medak Cathedral, Telangana): यह एशिया में सबसे बड़ा और वेटिकन(Vetican City) के बाद दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा कैथेड्रल है, और इसे अपने भव्य क्रिसमस समारोह के लिए जाना जाता है।
7. लेह में मोरावियन चर्च (Moravian Church, Leh): इस चर्च को भारत की सबसे ऊंचे गिरिजाघरों में से एक माना जाता है। यहाँ एक छोटा प्रोटेस्टेंट (Protestant) संप्रदाय है, और स्थानीय समुदाय के लिए क्रिसमस मनाने के लिए यह एक लोकप्रिय स्थान है।
8. केरल में परुमाला चर्च (Parumala Church, Kerala): इस चर्च का नाम संत गीवर्गीस ग्रेगोरियोस (Geevarghese Gregorios of Parumala) के नाम पर रखा गया है और यह मुन्नार शहर का एक प्रमुख स्थल है। यह मलंकारा ऑर्थोडॉक्स सीरियन चर्च (Malankara Orthodox Syrian Church) का एक पैरिश चर्च (Parish Church) है और क्रिसमस की पूर्व संध्या पर भारी भीड़ को आकर्षित करता है।
9. बैंगलोर में सेंट मैरी बेसिलिका (St. Mary's Basilica, Bangalore): यह शहर का सबसे पुराना चर्च है और सभी धार्मिक विश्वास के लोगों के लिए एक लोकप्रिय गंतव्य है। गोथिक शैली में निर्मित, इस चर्च को कर्नाटक राज्य में एक छोटे बेसिलिका (Basilica) का दर्जा दिया गया है।
संदर्भ
https://bit.ly/3jobakn
https://bit.ly/3jpSjW4
https://bit.ly/3jnwMxy
https://bit.ly/3V9UdaI
चित्र संदर्भ
1. क्रिसमस की धूमधाम को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. येरुशलम में क्रिसमस की धूमधाम को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. मेंजरमंगर चौक “Manger Square” (ईसाइयों के अनुसार यीशु का जन्मस्थान)को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4.मिडनाइट मास को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
5. क्रिसमस ईव उत्सव को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
6. गोवा में सेसी कैथेड्रल चर्च को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
7. चंपाकुलम में सेंट जॉर्ज सिरो-मालाबार चर्च को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
8. इंफाल में रोमन कैथलिक चर्च को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
9. बंदेल में बेसिलिका ऑफ़ द होली रोज़री चर्च को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
10. इमैक्युलेट कन्सेप्शन कैथेड्रल चर्च को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
11. तेलंगाना में मेडक कैथेड्रल चर्च को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
12. लेह में मोरावियन चर्च को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
13. केरल में परुमाला चर्च को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
14. बैंगलोर में सेंट मैरी बेसिलिका चर्च को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
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