Post Viewership from Post Date to 01-Aug-2023 (31st Day)
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Email Instagram Total
1446 756 2202

***Scroll down to the bottom of the page for above post viewership metric definitions

रेत के अवैध खनन का परिणाम- विकास या विनाश?

मेरठ

 08-12-2022 11:26 AM
समुद्री संसाधन

आपने उत्तराखंड राज्य में हुए चिपको आंदोलन के बारे में अवश्य सुना होगा, जहां “गौरा देवी नामक एक साहसी महिला, पेड़ों के कटान को रोकने के लिए कई अन्य पहाड़ी महिलाओं को अपने साथ लेकर पेड़ों से चिपक गई थी।” आश्चर्य की बात है कि अनपढ़ होने के बावजूद वह महिला इतनी दूरदर्शी थी, कि उन्होंने पेड़ों को काटने से होने वाले भावी नुकसानों को पहले ही देख लिया था। लेकिन आज देश-दुनिया के कई तथाकथित संगठन या सरकारें रेत के खनन से होने वाले भावी नुकसान को, या तो देख ही नहीं पा रही हैं या उन्हें देखकर भी नजरंअदाज कर रही हैं।
दरसल रेत खनन को वैध बनाने की तत्कालीन योजनाओं के कारण हमारे सबसे खूबसूरत भारतीय समुद्र तट भी गंभीर खतरे में पड़ गए हैं। समुद्र तटों पर रेत खनन को वैध बनाने से, छुट्टी और मनोरंजन की सुविधाएं नष्ट हो जाएंगी। यह तटीय मछली पकड़ने की आजीविका को भी नष्ट कर देगा और जलवायु परिवर्तन तथा समुद्र के स्तर में वृद्धि के प्रभावों में और भी अधिक वृद्धि का कारण बनेगा। हालाँकि, हमारे देश में तटीय रेत खनन 1991 से, आज से लगभग तीस साल पहले जब से तटीय विनियमन क्षेत्र नियमों को पहली बार अधिसूचित किया गया था, अवैध है । परंतु समुद्र तटों पर अवैध खनन अभी भी जारी है। यद्यपि नदियों की तुलना में खनन के यह पैमाने तुलनात्मक रूप से कम है, क्योंकि नदियों के निकट खनन ने भूमि और पानी के पूरे क्षेत्र को ही तबाह कर दिया है। इसके कारण गंगा, यमुना, गोदावरी और कावेरी जैसी प्रमुख भारतीय नदियाँ भी अपने अस्तित्व के संकट का सामना कर रही हैं।
रेत, पानी के बाद दुनिया में दूसरा सबसे अधिक निकाला और उपयोग किया जाने वाला संसाधन है। सभी सीमेंट-कंक्रीट के बुनियादी ढांचे को बनाने वाली संरचना को ताकत देने के लिए रेत की आवश्यकता होती है। पृथ्वी और हमारी आधुनिक सभ्यता के अधिकांश बुनियादी ढांचे के लिए इसके व्यापक उपयोग के बाद भी , रेत को जलवायु परिवर्तन पर मुख्यधारा की बातचीत से बाहर रखा गया है। जिस तरह नदियों में रेत के खनन से नदियों के मार्ग में बदलाव, बाढ़ और अन्य आपदाओं का सामना करना पड़ता है, उसी तरह समुद्र तटों पर रेत के खनन से समुद्र के स्तर में वृद्धि के प्रभाव भी स्पष्ट होंगे, भूजल खारा होगा और तटीय भूमि और जैव विविधता नष्ट हो जाएगी। केरल, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, उत्तराखंड और अन्य कई राज्यों में तीव्र वर्षा और भूस्खलन जैसी आपदाओं ने कितने ही लोगों की जान ले ली है। ऐसी दुर्घटनाएं ज्यादातर उन नाजुक क्षेत्रों में होती हैं जहां, सीमेंट-कंक्रीट की इमारतों ने जैव विविधता और जंगलों को ध्वस्त कर दिया है।
भारत जलवायु संबंधी घटनाओं के प्रति सबसे संवेदनशील देशों में से एक है और पहले से ही तेजी से भयंकर तूफान, बाढ़ और सूखे का सामना कर रहा है। रेत खनन जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को और भी अधिक बदतर बना रहा है।
ऐसे क्षेत्रों जहाँ दशकों से रेत का खनन किया जा रहा है, वहां पर भूमि का नुकसान, पेड़ गिरना और अन्य प्रभाव पहले से ही दिखाई दे रहे हैं। खनन के अवैध होने के बाद भी कार्रवाई करने के बजाय, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय समुद्र तट रेत खनन को वैध बनाना चाहता है, और हमारे सबसे खूबसूरत भारतीय समुद्र तटों के लिए अस्तित्व के खतरे को बढ़ा रहा है। समुद्र के स्तर में वृद्धि के कारण मुंबई और चेन्नई जैसे भारतीय तटीय शहर पहले से ही 2050 तक डूबने के खतरे का सामना कर रहे हैं। पर्यावरण को ध्यान में रखे बिना इमारतों को बनाने वाले 'विकसित देश' आज की जलवायु आपात स्थिति के लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार हैं। आज स्थिति यह है कि वे अब सुधारात्मक उपायों पर अपना पैसा खर्च करने को विवश हैं। भारत को दूसरे विकसित देशों द्वारा की गई पिछली गलतियों से सीखना पड़ेगा। हम 'विकसित देशों' के विफल विकास मॉडल को पकड़ने के लिए तेजी से आगे बढ़ रहे हैं और ऐसा करने के लिए बड़ी रकम का निवेश भी कर रहे हैं। कई विशेषज्ञ मान रहे हैं कि भारत अल्पकालिक लाभ के लिए अपने दीर्घकालिक हितों का त्याग कर रहा है।
संयुक्त राष्ट्र ने भी इस संदर्भ में चेतावनी देते हुए कहा है कि रेत खनन दुनिया की नदियों , डेल्टा (जहां नदियाँ समुद्र में जा मिलती है और समुद्र तटों को नष्ट कर रहा है, पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहा है और कंबोडिया (Cambodia) से लेकर कोलंबिया (Columbia) तक लोगों की आजीविका को नुकसान पहुंचा रहा है। संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (United Nations Environment Program (UNEP) द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट केअनुसार , निर्माण में उच्च स्तर पर उपयोग की जाने वाली रेत और बजरी की वैश्विक मांग लगभग 50 अरब टन या प्रति व्यक्ति प्रतिदिन औसतन 18 किलो (40 पाउंड) तक पहुंच चुकी है।नदियों और समुद्र तटों में निकासी ने प्रदूषण और बाढ़ को बढ़ा दिया है, भूजल स्तर को कम कर दिया है, समुद्री जीवन को नुकसान पहुंचाया है और भूस्खलन तथा सूखे की घटनाओं और गंभीरता को बढ़ा दिया है। बढ़ती आबादी, बढ़ते शहरीकरण, भूमि सुधार परियोजनाओं और चीन तथा भारत जैसे देशों में तेजी से बुनियादी ढांचे के विकास ने, पिछले दो दशकों में रेत की मांग तीन गुना बढ़ा दी है। इस बीच, नदियों को बांधने और अत्यधिक निष्कर्षण ने नदियों द्वारा तटीय क्षेत्रों में ले जाने वाली तलछट को कम कर दिया है, जिससे नदी के डेल्टा में जमाव कम हो गया है और तेजी से समुद्र तट का क्षरण हुआ है। रेत खनन, जलविद्युत बांधों और भूजल निष्कर्षण के संयुक्त प्रभाव से एशियाई डेल्टा के समुदाय सबसे बड़े खतरे में हैं। उत्तराखंड में, 2021 में रेत के अत्यधिक खनन के कारण कई महत्वपूर्ण पुल ढह गए। उत्तराखंड में, रेत खनन गंगा की बाढ़ तथा संपत्ति और जीवन के भारी नुकसान के लिए मुख्य रूप से जिम्मेदार था। रेत की बिक्री से उत्तराखंड का राजस्व, वित्तीय वर्ष 2014-15 के रु 1.735 बिलियन (about $23 million) से 2016-17 में लगभग दोगुना होकर रु 3.353 बिलियन हो गया। रेत माफियाओं ने अवैध खनन के विरुद्ध खड़े कार्यकर्ताओं, पत्रकारों, सरकारी अधिकारियों, पुलिस, यहां तक कि निर्वाचित विधानसभा के सदस्यों सहित बहुत लोगों की हत्या, दुर्घटनावश हत्या या उन पर व्यक्तिगत हमला किया है। जनवरी 2019 से नवंबर 2020 के बीच रेत खनन के कारण मारे गए 193 लोगों में से डूबने वाले 95 लोगों में से 80 प्रतिशत बच्चे थे क्योंकि वे पानी के भीतर रेत के गड्ढों से अनजान थे।
“रेत मुफ्त है, यह चारों ओर पड़ी है, और कोई भी इसे लूट सकता है।” इस सोच के कारण रेत खनन को नियंत्रित करना मुश्किल हो जाता है। कई जानकार मान रहे हैं कि भारत 'विकसित देशों' के विफल विकास मॉडल को पकड़ने के लिए जल्दबाजी कर रहा है। ये मॉडल अत्यधिक प्रदूषणकारी हैं और इन्होने पृथ्वी पर जलवायु संकट को जन्म दिया है, जो आज मनुष्यों के सामने सबसे गंभीर अस्तित्वगत खतरा है।

संदर्भ
https://bit.ly/3VN1aiO
https://bit.ly/3B7lvaz
https://bit.ly/3B6KnPL
https://bit.ly/3B4Z0Di

चित्र संदर्भ

1. रेत खनन को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
2. प्रयाग राज में नदी तट पर रेत खनन को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. रेत को छानते श्रमिकों को दर्शाता एक चित्रण ( GetArchive)
4. खनन कार्य को दर्शाता एक चित्रण (Spektrum der Wissenschaf)
5. चीन में रेत खनन को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
6. नदियों की खुदाई को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)

***Definitions of the post viewership metrics on top of the page:
A. City Subscribers (FB + App) -This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post. Do note that any Prarang subscribers who visited this post from outside (Pin-Code range) the city OR did not login to their Facebook account during this time, are NOT included in this total.
B. Website (Google + Direct) -This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership —This is the Sum of all Subscribers(FB+App), Website(Google+Direct), Email and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion ( Day 31 or 32) of One Month from the day of posting. The numbers displayed are indicative of the cumulative count of each metric at the end of 5 DAYS or a FULL MONTH, from the day of Posting to respective hyper-local Prarang subscribers, in the city.

RECENT POST

  • अपने युग से कहीं आगे थी विंध्य नवपाषाण संस्कृति
    सभ्यताः 10000 ईसापूर्व से 2000 ईसापूर्व

     21-11-2024 09:28 AM


  • चोपता में देखने को मिलती है प्राकृतिक सुंदरता एवं आध्यात्मिकता का अनोखा समावेश
    पर्वत, चोटी व पठार

     20-11-2024 09:29 AM


  • आइए जानें, क़ुतुब मीनार में पाए जाने वाले विभिन्न भाषाओं के शिलालेखों के बारे में
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     19-11-2024 09:22 AM


  • जानें, बेतवा और यमुना नदियों के संगम पर स्थित, हमीरपुर शहर के बारे में
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     18-11-2024 09:31 AM


  • आइए, अंतर्राष्ट्रीय छात्र दिवस के मौके पर दौरा करें, हार्वर्ड विश्वविद्यालय का
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     17-11-2024 09:30 AM


  • जानिए, कौन से जानवर, अपने बच्चों के लिए, बनते हैं बेहतरीन शिक्षक
    व्यवहारिक

     16-11-2024 09:17 AM


  • आइए जानें, उदासियों के ज़रिए, कैसे फैलाया, गुरु नानक ने प्रेम, करुणा और सच्चाई का संदेश
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     15-11-2024 09:27 AM


  • जानें कैसे, शहरी व ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं के बीच अंतर को पाटने का प्रयास चल रहा है
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     14-11-2024 09:20 AM


  • जानिए क्यों, मेरठ में गन्ने से निकला बगास, पर्यावरण और अर्थव्यवस्था के लिए है अहम
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     13-11-2024 09:22 AM


  • हमारे सौर मंडल में, एक बौने ग्रह के रूप में, प्लूटो का क्या है महत्त्व ?
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     12-11-2024 09:29 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id