Post Viewership from Post Date to 12-Nov-2022 (31st)
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Email Instagram Total
1990 1990

***Scroll down to the bottom of the page for above post viewership metric definitions

पश्तून संस्कृति और समुदाय का इतिहास और भारत में उदय

मेरठ

 10-11-2022 11:37 AM
मघ्यकाल के पहले : 1000 ईस्वी से 1450 ईस्वी तक

भारत में विभिन्न समुदायों की एक विस्तृत विविधता देखने को मिलती है, जिनमें से पश्तून या पठान भी एक हैं।पश्तून, जिन्हें ऐतिहासिक रूप से अफगान के नाम से भी जाना जाता है, एक ईरानी (Iranian) जातीय समूह है। ऐसा अनुमान है, कि पश्तूनों की कुल संख्या लगभग 630 लाख है,हालांकि, यह आंकड़ा अफगानिस्तान में एक आधिकारिक जनगणना की कमी के कारण 1979 से विवादित है। पश्तूनों का अधिकांश भाग अफगानिस्तान (Afghanistan) में अमु दरिया (Amu Darya) नदी के दक्षिण तथा पाकिस्तान (Pakistan) में सिंधु नदी के पश्चिम में मौजूद है। इन क्षेत्रों में खैबर पख्तूनख्वा (Khyber Pakhtunkhwa) और उत्तरी बलूचिस्तान (Balochistan) शामिल हैं। भारतीय उपमहाद्वीप की बात करें, तो यहां पश्तून ब्रिटिश राज से पहले और उस दौरान सिंधु नदी के पूर्व में स्थित विभिन्न शहरों में आकर बसे। इन शहरों में कराची, (Karachi), लाहौर (Lahore), रावलपिंडी (Rawalpindi), मुंबई, दिल्ली, कलकत्ता, रोहिलखंड, जयपुर और बैंगलोर शामिल थे। भारत के कुछ क्षेत्रों में उन्हें काबुलीवाला (Kabuliwala) के नाम से भी जाना जाता है। रबिन्द्र नाथ टैगोर की लोकप्रिय कहानी “काबुलीवाला” एक छोटी बच्ची और बुज़ुर्ग पठान के स्नेह को दर्शाती है । भारत में इस समुदाय की उपस्थिति वर्तमान समय में उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल आदि क्षेत्रों में मौजूद है। भारत के अलावा ये समुदाय ईरान (Iran), यूनाइटेड किंगडम (United Kingdom), कनाडा (Canada), ऑस्ट्रेलिया (Australia) आदि देशों के विभिन्न क्षेत्रों में भी निवास करते हैं।
पश्तून अफगानिस्तान का सबसे बड़ा जातीय समूह है, जिसकी कुल आबादी देश की कुल आबादी का लगभग 48% है। इसके अतिरिक्त, यह पाकिस्तान में दूसरा सबसे बड़ा जातीय समूह है,जो देश की कुल आबादी का 15% - 18% हिस्सा बनाता है। पूरे विश्व की बात करें, तो पश्तून दुनिया में 26 वां सबसे बड़ा जातीय समूह है। पूरे विश्व में लगभग 350–400 पश्तून जनजातियों और वंशों की उपस्थिति का अनुमान लगाया गया है।पश्तूनों की उत्पत्ति को लेकर कई धारणाएं या विचार मौजूद हैं, इसलिए इनकी उत्पत्ति की सटीक जानकारी अभी उपलब्ध नहीं हो पायी है।लेकिन इतिहासकारों का मानना है, कि पहली और दूसरी सहस्राब्दी ईसा पूर्व के बीच मौजूद प्राचीन लोग जिन्हें, पक्थस (Pakthas) कहा जाता था, पश्तूनों के पूर्वज हो सकते हैं। हालांकि, इतिहासकारों और खुद पश्तूनों के सिद्धांत और विचार इस बारे में एक-दूसरे के विपरीत हैं। पश्तून परंपरा के अनुसार, वे इज़राइल (Israel) के राजा शाऊल (Saul) के पोते अफगाना (Afghana) के वंशज हैं। इतिहासकारों, मानवविज्ञानियों और स्वयं पश्तूनों का मानना है, कि पश्तून मुख्यतः पूर्वी ईरानी लोग हैं, जो पश्तो को अपनी पहली भाषा के रूप में इस्तेमाल करते हैं तथा अफगानिस्तान और पाकिस्तान में उत्पन्न हुए हैं। इस प्रकार इस समुदाय द्वारा पश्तून वह व्यक्ति कहलाता है, जो पूर्वी ईरानी लोगों से उत्पन्न हुआ है,तथा समान भाषा, संस्कृति और इतिहास को साझा करता है। ऐसे व्यक्ति भौगोलिक रूप से एक दूसरे के निकटवर्तीय स्थानों में रहते हैं, तथा एक-दूसरे को रिश्तेदारों के रूप में स्वीकार करते हैं। पश्तूनों को पश्तूनवली (Pashtunwali) का पालन करना आवश्यक होता है। पश्तूनवली, पश्तून लोगों की पारंपरिक जीवन शैली है। यह एक प्रकार का सांस्कृतिक कोड है, जिसमें अफगानिस्तान की पश्तून जनजाति के रीति-रिवाज और प्रथाएं निहित हैं।
रूढ़िवादी आदिवासी, किसी भी गैर-मुस्लिम व्यक्ति को पश्तून मानने से इंकार कर सकते हैं, हालांकि कुछ का मानना है, कि पश्तूनों की पहचान सांस्कृतिक आधार पर की जानी चाहिए, न कि धार्मिक आधार पर।इस प्रकार पश्तून समाज धर्म से समरूप नहीं है, अर्थात वे किसी भी धर्म से सम्बंधित हो सकते हैं।
पश्तूनों का भारी बहुमत सुन्नी मुस्लिमों के अंतर्गत आता है, किंतु इसमें एक छोटा हिस्सा शिया समुदाय का भी शामिल है। पश्तूनों में हिंदू पश्तून भी शामिल हैं, जिन्हें शीन खलई (Sheen Khalai) नाम से भी जाना जाता है। पश्तून, पितृसत्तात्मक जनजातीय वंश की परंपरा का अनुसरण करते हैं,जिसके अनुसार केवल वे लोग ही पश्तून होंगे, जिनके पिता पश्तून हैं। वे इस बात को कम महत्व देते हैं, कि एक पश्तून को केवल पश्तो भाषा का ही उपयोग करना चाहिए, अर्थात वह पश्तो, दारी, हिंडको, उर्दू, हिंदी या अंग्रेजी आदि किसी भी भाषा का इस्तेमाल कर सकता है। उत्तर प्रदेश में पश्तूनों की उपस्थिति की बात करें, तो माना जाता है, कि उनकी उपस्थिति यहां कम से कम 10 वीं शताब्दी से है। विभिन्न मध्ययुगीन स्रोत दिल्ली सल्तनत की सेनाओं में पश्तूनों की उपस्थिति का उल्लेख करते हैं। पश्तून सेना, लोदी वंश के उदय के साथ, बड़े पैमाने पर अफगानों के आगमन से शुरुआत हुई। इसके बाद लोदी की जगह मुगलों ने ले ली, किंतु उन्होंने अपनी सेनाओं में पश्तूनों को नियुक्त करना जारी रखा। मुगल साम्राज्य के विखंडित होने के साथ, दो पश्तून संघ, रोहिलखंड के रोहिल्ला और फर्रुखाबाद के बंगेश अपनी स्वतंत्रता के लिए प्रयास करने लगे।अवध क्षेत्र में, नानपारा के ककर राजाओं ने भी एक स्वतंत्र रियासत का निर्माण किया।18वीं शताब्दी के अंत तक, अंग्रेजों ने इस क्षेत्र पर नियंत्रण स्थापित कर लिया था, तथा रामपुर को छोड़कर सभी पश्तून राज्यों पर कब्जा कर लिया गया था, जो एक ब्रिटिश संरक्षित राज्य बना।
उत्तर प्रदेश में पश्तूनों का एक बड़ा समुदाय निवास करता है तथा यह राज्य के सबसे बड़े मुस्लिम समुदायों में से एक है। उत्तर भारत में मेरठ शहर को पश्तूनों का सबसे पुराना निवास स्थल माना जाता है,तथा गौरी (Ghauri) कम से कम आठ सौ वर्षों से यहां बसे हुए हैं। जिले की अन्य पठान जनजातियों में ककर, बंगेश, तारीन और अफरीदी शामिल हैं। उन्हें ‘खान’नाम से भी जाना जाता है, जो उनके द्वारा आमतौर पर उपयोग किया जाने वाला उपनाम है। हालांकि, इस उपनाम का उपयोग केवल पठानों द्वारा नहीं किया जाता है। उदाहरण के लिए, पूर्वी उत्तर प्रदेश का खानज़ादा समुदाय, जो मुस्लिम राजपूत है, को भी खान के रूप में जाना जाता है।वास्तव में,अवध में खानज़ादा और पठानों के बीच की सीमा स्पष्ट नहीं है। इसके अलावा, पठान खानज़ादा वाक्यांश का उपयोग मुस्लिम राजपूत समूहों का वर्णन करने के लिए भी किया जाता है, जो मुख्य रूप से गोरखपुर में पाए जाते हैं। इन्हें पठान समुदाय में समाहित किया गया है।रोहिलखंड और दोआब और अवध के कुछ हिस्सों में, आंशिक पश्तूनों के समुदाय भी हैं, जैसे कि रोहिल्ला का कृषि किसान समुदाय। कुछ मान्यताओं के अनुसार,मेरठ के पास इंचोली गांव की स्थापना एंचोली (Ancholi) के अफगानी शहर से आए पठानों द्वारा की गयी थी।

संदर्भ:
https://bit.ly/3odXIxS
https://bit.ly/3tUvMRb
https://bit.ly/2SKO4XX

चित्र संदर्भ
1. पश्तून बच्चों को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
2. रोटी बनाती पश्तूनी महिला को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. काबुलीवाला की कहानी को दर्शाता एक चित्रण (amaozn)
4. पश्तूनी लड़कियों को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
5. पश्तून समुदाय के लोगों को दर्शाता एक चित्रण (Max Pixel)

***Definitions of the post viewership metrics on top of the page:
A. City Subscribers (FB + App) -This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post. Do note that any Prarang subscribers who visited this post from outside (Pin-Code range) the city OR did not login to their Facebook account during this time, are NOT included in this total.
B. Website (Google + Direct) -This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership —This is the Sum of all Subscribers(FB+App), Website(Google+Direct), Email and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion ( Day 31 or 32) of One Month from the day of posting. The numbers displayed are indicative of the cumulative count of each metric at the end of 5 DAYS or a FULL MONTH, from the day of Posting to respective hyper-local Prarang subscribers, in the city.

RECENT POST

  • अपने युग से कहीं आगे थी विंध्य नवपाषाण संस्कृति
    सभ्यताः 10000 ईसापूर्व से 2000 ईसापूर्व

     21-11-2024 09:28 AM


  • चोपता में देखने को मिलती है प्राकृतिक सुंदरता एवं आध्यात्मिकता का अनोखा समावेश
    पर्वत, चोटी व पठार

     20-11-2024 09:29 AM


  • आइए जानें, क़ुतुब मीनार में पाए जाने वाले विभिन्न भाषाओं के शिलालेखों के बारे में
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     19-11-2024 09:22 AM


  • जानें, बेतवा और यमुना नदियों के संगम पर स्थित, हमीरपुर शहर के बारे में
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     18-11-2024 09:31 AM


  • आइए, अंतर्राष्ट्रीय छात्र दिवस के मौके पर दौरा करें, हार्वर्ड विश्वविद्यालय का
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     17-11-2024 09:30 AM


  • जानिए, कौन से जानवर, अपने बच्चों के लिए, बनते हैं बेहतरीन शिक्षक
    व्यवहारिक

     16-11-2024 09:17 AM


  • आइए जानें, उदासियों के ज़रिए, कैसे फैलाया, गुरु नानक ने प्रेम, करुणा और सच्चाई का संदेश
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     15-11-2024 09:27 AM


  • जानें कैसे, शहरी व ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं के बीच अंतर को पाटने का प्रयास चल रहा है
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     14-11-2024 09:20 AM


  • जानिए क्यों, मेरठ में गन्ने से निकला बगास, पर्यावरण और अर्थव्यवस्था के लिए है अहम
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     13-11-2024 09:22 AM


  • हमारे सौर मंडल में, एक बौने ग्रह के रूप में, प्लूटो का क्या है महत्त्व ?
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     12-11-2024 09:29 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id