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पैगंबर मुहम्मद के जन्मदिन को मनाने के सम्बंध में मौजूद हैं,दो भिन्न विचारधाराएं

मेरठ

 08-10-2022 10:32 AM
विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

हिंदू धर्म की भांति मुस्लिम धर्म में भी अनेकों त्योहारों को मनाया जाता है, तथा ईद-ए- मिलाद-उन-नबी या मौलिद भी इन्हीं में से एक है। ईद-ए-मिलाद-उन-नबी या मौलिद या मावलिद पैगंबर मुहम्मद की जयंती है, जिसे मुस्लिम चंद्र कैलेंडर के तीसरे महीने में दुनिया भर में इस्लाम का अनुसरण करने वाले लोगों द्वारा मनाया जाता है। जगह-जगह पर विभिन्न प्रकार के आयोजन किए जाते हैं, तथा पैगंबर मुहम्मद के जीवन को याद करते हुए उनके प्रति प्रेम प्रकट किया जाता है। ऐसे कई लोग हैं जो पैगंबर का जन्मदिन (मावलिद) बड़े उत्साह के साथ मनाते हैं, दिन भर उनकी स्मृति को संजोने में डूबे रहते हैं तथा उनकी प्रशंसा करते हुए आध्यात्मिक आनंद के क्षणों का आनंद प्राप्त करते हैं। दमिश्क से लेकर दिल्ली, तेहरान से लेकर टिम्बकटू तक इस दिन पूरे क्षेत्र में मिठाइयां बांटी जाती हैं,संगीत और कविता सभाओं का आयोजन किया जाता है तथा बड़े ही उत्साह के साथ उत्सव मनाया जाता है। लेकिन वहीं इस्लाम से जुड़े कुछ ऐसे लोग भी हैं, जो यह मानते हैं, कि इस दिन में कुछ खास बात नहीं है। वे यह उत्सव देखकर क्रोधित होते हैं तथा उत्सव में भाग लेने वाले लोगों को बिदाह,बिदाह,बिदाह कहकर सम्बोधित करते हैं।इस्लाम में बिदाह धार्मिक मामलों में नवाचार को संदर्भित करता है, जो निषिद्ध है। उनके लिए इस दिन को मनाना दुख की बात बन जाती है, कोई विशेष खुशी की नहीं। इस प्रकार हमें मौलिद के उत्सव के सम्बंध में ध्रुवीय असमानताएं या दो विचारधाराएं देखने को मिलती हैं।
लगभग एक हजार वर्षों से, मुस्लिम रूढ़िवादी अल्पसंख्यक जिनमें कुछ न्यायविद और हाल ही में सऊदी अरब के वहाबी इस्लाम के अनुयायी शामिल हैं, यह मानते हैं कि मावलिद का जश्न मनाना एक बिदाह या नवाचार है।उनका मानना है कि परम प्रधान ईश्वर ने रहस्योद्घाटन के माध्यम से और पैगंबर मुहम्मद की सुन्नत के माध्यम से अपने धर्म को सिद्ध किया है।यह कुरान और कुछ हदीस (पैगंबरी परंपराओं) से स्पष्ट है।
इसलिए किसी भी नए अभ्यास या अनुष्ठान को शुरू करना और मनाना नवाचार है और इसलिए इसे अस्वीकार कर दिया जाना चाहिए। वे कहते हैं, कि कुरान में भी इस बात का आदेश नहीं दिया गया है कि हमें पैगंबर मुहम्मद के जन्म का जश्न मनाना चाहिए। उनके साथियों ने भी ऐसा करने का आदेश नहीं दिया है और इसलिए मौलिद एक बिदाह है और इसे स्वीकार नहीं किया जाना चाहिए। उनके अनुसार कुरान कहती है कि "हर नवाचार पथभ्रष्ट करता है, और यह व्यक्ति को नरक की ओर ले जाता है। इन बातों को मानने वाला मुसलमानों का अल्पसंख्यक समूह जहां इस उत्सव को नहीं मनाता,वहीं इन्हें मनाने वाले लोगों की निंदा करता है तथा यह मानता है कि इसे मनाने वाले लोग नरक में जाएंगे। लेकिन ऐसे भी कई लोग हैं, जो यह उत्सव बहुत खुशी से मनाते हैं। इसे मनाने की प्रथा मिस्र (Egypt) में 11वीं शताब्दी में शुरू हुई और फिर धीरे-धीरे मुस्लिम दुनिया के अन्य हिस्सों में फैल गई। मावलिद को मनाने के मुख्य समर्थक सूफी हैं, जिनके माध्यम से यह प्रथा एक व्यापक परंपरा बन गई, जबकि कुछ न्यायविद इसका विरोध करते रहे।
ईश्वर की सभी कृतियों में सबसे महत्वपूर्ण, सबसे सुंदर और सबसे उत्तम कृति के रूप में पारंपरिक विद्वानों ने पैगंबर मुहम्मद का धर्मशास्त्र विकसित किया है।हदीस और कुरान का उपयोग करते हुए, वे तर्क देते हैं कि पैगंबर मुहम्मद आदम या इंसान से बहुत पहले स्वयं भगवान के प्रकाश से बनाए गए थे।उनका कहना है कि पैगंबर मुहम्मद के बनाए जाने के लंबे समय बाद ब्रह्मांड को उनके लिए ही बनाया गया।इन विद्वानों के लिए, ब्रह्मांड का अस्तित्व ही पैगंबर मुहम्मद के जन्म का उत्सव है, इसलिए वे मावलिद को मनाने का सुझाव भी भयावह पाते हैं। इनका मानना है कि इस्लाम में कुछ भी नया शामिल करना बिदाह है, और यह दैवीय रहस्योद्घाटन की पवित्रता का उल्लंघन करता है।
वहीं दूसरी ओर इस त्योहार का समर्थन करने वाले लोगों का मानना है कि भले ही पैगंबर ने अपना धन्य जन्मदिन मनाने के लिए नहीं कहा हो, फिर भी ऐसा करना कोई नवीनता नहीं है,क्योंकि उनके समय के बाद भी उनके करीबी अनुयायियों द्वारा कई कार्य और प्रथाएं स्थापित की गईं जिन्हें नवाचार नहीं माना जाता है, जैसे कुरान का संकलन,काबा के संबंध में इब्राहिम का मकाम,शुक्रवार को प्रार्थना में पहली कॉल जोड़ना आदि। अल बुखारी पर टिप्पणी करने वाले शेख इब्न हजर अल अस्कलानी के अनुसार "जो कुछ भी पैगंबर के समय में मौजूद नहीं था उसे नवाचार कहा जाता है, लेकिन कुछ नवाचार अच्छे होते हैं, तो कुछ बुरे”।समर्थकों का मानना है कि नवाचार दो प्रकार का होता है,प्रशंसनीय नवाचार और दोषपूर्ण नवाचार। एक अच्छा नवाचार कुरान, सुन्नत या मुसलमानों की सर्वसम्मत सहमति का खंडन नहीं करता है।इब्न अल-हज जो कि मोरक्को के मलिकी फ़िक़्ह विद्वान और धर्मशास्त्री लेखक थे, ने त्योहार के दौरान समारोहों और कृतज्ञता की अभिव्यक्ति की प्रशंसा की, लेकिन उन्होंने इस दिन होने वाले निषिद्ध और आपत्तिजनक मामलों को खारिज किया है।उन्होंने कुछ चीजों पर आपत्ति जताई, जैसे कि गायकों द्वारा वाद्य यंत्रों के साथ प्रदर्शन करना। लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि पैगंबर के जन्मदिन का सम्मान करना सही है,क्योंकि यह इस पवित्र महीने के प्रति सम्मान को दर्शाता है।

संदर्भ:
https://bit.ly/3Tih2Zt
https://bit.ly/3fN8L15
https://bit.ly/3eaBSuJ

चित्र संदर्भ

1. मौलिद-अल-नबी के प्रतीकों को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
2. मौलिद-अल-नबी , टकलार, इंडोनेशिया को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. समारोह मौलिद नबावी अल्जीरिया को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
5. तंजानिया में मौलिद अभिवादन के साथ एक बैनर को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)

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