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रामपुर में पहले से ही मौजूद है एक एकीकृत पुस्तकालय और संग्रहालय

मेरठ

 11-02-2022 10:38 AM
नगरीकरण- शहर व शक्ति

संग्रहालय के भीतर एक समर्पित सार्वजनिक पुस्तकालय (जिसमें आगंतुक आमतौर पर पुस्तकालय द्वारा प्रदान किए जाने वाले संसाधनों तक पहुंच प्राप्त करते हैं) स्थान होने से आगंतुकों द्वारा संग्रहालय के प्रदर्शन का अनुभव काफी अच्छे से लिया जा सकता है।इसमें पुस्तकालय के संग्रह से पुस्तकें, पुस्तकालय के डेटाबेस (Database) से डेटा या पुस्तकालयों के किसी भी संसाधन की पेशकश शामिल हो सकती है।यह आमतौर पर संग्रहालयों में पाए जाने वाले किताबों की दुकान से अलग होता है। हालांकि खरीद के लिए किताबें अभी भी आगंतुक अनुभव का एक महत्वपूर्ण पहलू हैं,लेकिन एक प्रदर्शनी के भीतर एक सार्वजनिक पुस्तकालय का विस्तार होने से सार्वजनिक पुस्तकालयों द्वारा प्रदान किए जाने वाले कई लाभों और संसाधनों के बारे में भी जागरूकता को बढ़ावा दिया जाता है।इस प्रकार का एकीकरण संभावित रूप से सार्वजनिक पुस्तकालय के साथ समुदाय के संबंधों को मजबूत करने में भी मदद करता है।ऐसा इसलिए क्योंकि संग्रहालय को पूरा देखने के बाद, प्रदर्शनी आगंतुक प्रदर्शनी कक्ष के माध्यम से प्राप्त जानकारी और ज्ञान से उभरे प्रश्नों और विषय के बारे में अधिक जानकारी को विस्तार में जानने के लिए निर्दिष्ट पुस्तकालय स्थान में जा सकते हैं। संग्रहालयों के साथ पुस्तकालयों का एकीकरण, अमेरिका (America), यूरोप (Europe) और जापान (Japan) में पुस्तकालयों के भविष्य के लिए एक अनुशंसित प्रवृत्ति बन चुकी है। हालांकि हमारे स्वर्गीय नवाब रजा अली खान की दूरदर्शिता की वजह से आज हमारे रामपुर शहर में सौभाग्य से एक एकीकृत पुस्तकालय और संग्रहालय पहले से ही मौजूद है। यह एकीकृत पुस्तकालय और संग्रहालय कोई ओर नहीं हमारे रामपुर का प्रसिद्ध रजा पुस्तकालय है। पुस्तकालय में हामिद मंजिल किला के दरबार कक्ष में एक संग्रहालय को खोला गया था।ताकि यह आगंतुकों और शोधार्थियों के लिए कला, शिक्षा, अनुसंधान और पुरातत्व के एक प्रभावशाली स्थान के रूप में कार्य करें। दरबार कक्ष में आगंतुकों के देखने के लिए दुर्लभ पांडुलिपियों, लघु चित्रों, इस्लामी सुलेख के नमूने और अन्य कला वस्तुओं को रखा गया है।अधिकांश आगंतुक आते हैं और इन वस्तुओं का निरीक्षण करते हैं। दरबार कक्ष में जाने के लिए हमें एक मूर्तिकला गैलरी से गुजरना पड़ता है, जहां एक शताब्दी से भी पहले इटली (Italy) से आयात किए गए 18 वीं शताब्दी के कई शास्त्रीय ग्रीक (Greek) प्रतीक देखने को मिलते हैं।विशाल पूर्णकाय मूर्तियों को सफेद श्येन संगमरमर से उकेरा गया है। दीर्घा के नुकीले कोने और छत्र की छतें शुद्ध सोने से अलंकृत हैं जो इसकी भव्यता में काफी कुछ जोड़ती हैं।दरबार हॉल में पांच बड़े आकार के प्राचीन झूमर हैं जो इसकी छत से लटके हुए हैं तथा इनमें मौजूद बल्ब लगभग सौ वर्ष पुराने हैं। दरबार हॉल में पांच पूर्णकाय संगमरमर की मूर्तियां रखी गई हैं। इस पुस्तकालय की स्थापना 1774 में नवाब फैजुल्लाह खान ने की थी। रामपुर के नवाब शिक्षा के महान संरक्षक थे और विद्वान उलेमा, कवि, चित्रकार, सुलेखक और संगीतकार उनके संरक्षण का आनंद लेते थे। भारत की स्वतंत्रता और भारत संघ में राज्य के विलय के बाद, पुस्तकालय को ट्रस्ट (Trust) के प्रबंधन में लाया गया, जिसे 6 अप्रैल, 1951 को बनाया गया था।भारत सरकार के पूर्व शिक्षा मंत्री प्रोफेसर सैय्यद नूरुल हसन ने 1 जुलाई, 1975 को इस पुस्तकालय को संसद के एक अधिनियम के तहत लाया। इसमें अरबी (Arabic), फारसी (Persian), पश्तो (Pashto), संस्कृत, उर्दू, हिंदी और तुर्की (Turkish) भाषाओं में 17000 पांडुलिपियां हैं। इसके अलावा, इसमें विभिन्न भारतीय भाषाओं में चित्रों और ताड़ के पत्तों का अच्छा संग्रह है। विभिन्न भारतीय और विदेशी भाषाओं में लगभग 60,000 मुद्रित पुस्तकों का संग्रह भी उपलब्ध है।रजा पुस्तकालय के अलावा हमारे रामपुर में दो अन्य संग्रहालय और पुस्तकालय भी मौजूद हैं, नक्षत्र-भवन के अंदर बच्चों की अंतरिक्ष प्रदर्शनी और डॉ अम्बेडकर संग्रहालय और पुस्तकालय।

संदर्भ :-

https://bit.ly/3oCSJbG
https://bit.ly/3BajGsj
https://bit.ly/3Bddvnb
https://bit.ly/3sx3bmc
https://bit.ly/3oDaRCm

चित्र संदर्भ   

1. रामपुर रजा पुस्तकालय कक्ष को दर्शाता एक चित्रण (prarang)
2. रामपुर रजा पुस्तकालय को दर्शाता एक चित्रण (prarang)
3. क्रम में रखी गए नवाबों की तस्वीरों को दर्शाता एक चित्रण (prarang)

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