जंगलों से जुड़े व्यवसाय और नौकरियां, बेरोजगारी का बेहतर समाधान हो सकती हैं

वन
10-02-2022 09:54 AM
Post Viewership from Post Date to 12- Mar-2022
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Messaging Subscribers Total
2962 231 0 3193
* Please see metrics definition on bottom of this page.
जंगलों से जुड़े व्यवसाय और नौकरियां, बेरोजगारी का बेहतर समाधान हो सकती हैं

एक तरफ जहाँ देश का युवा वर्ग पहले से ही बेरोजगारी की मार झेल रहा था, वहीं महामारी के कारण न केवल हमारे देश में बल्कि वैश्विक रूप से बेरोज़गारों की बाढ़ जैसी आ गई! ILO, 2009 के अनुमान के मुताबिक 2025 में वैश्विक बेरोजगारी बढ़कर लगभग 290 मिलियन या सबसे खराब स्थिति में 339 मिलियन तक पहुँचने का अनुमान है। अतः आज अधिकांश देशों के लिए रोजगार सर्जन सबसे प्रमुख चिंता का विषय बना हुआ है। विशेषज्ञ बेरोज़गारी के एक उभरते हुए समाधान के तौर पर वानिकी गतिविधियों अर्थात जंगलों से जुड़े हुए रोज़गारों को देख रहे हैं। जानकारों का मानना है कि वानिकी अर्थात जंगलों से जुड़े रोज़गार और व्यवसाय, वास्तविक संपत्ति पैदा करेंगे, बेरोजगारी में कमी करेंगे, ऊर्जा दक्षता में सुधार करेंगे, नवीकरणीय संसाधनों के उपयोग में वृद्धि करेंगे और जलवायु परिवर्तन का मुकाबला भी करेंगे।
वर्ष 2009 के लिए वैश्विक स्तर पर वानिकी क्षेत्र में कुल औपचारिक रोजगार (लकड़ी उत्पादन, लकड़ी प्रसंस्करण, लुगदी और कागज उद्योग और फर्नीचर उत्पादन) का अनुमान लगभग 18.2 मिलियन था।
हालांकि वानिकी में नौकरियों का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा, विशेष रूप से विकासशील देशों में, अनौपचारिक क्षेत्र से आता है, जो प्रति वर्ष श्रम बल के रूप में लगभग 880 मिलियन मानव-दिवस प्रदान करता है। यह क्षेत्र लगभग 5000 उत्पादों के निष्कर्षण और सकल घरेलू उत्पाद में 1.7% के वार्षिक योगदान के साथ आजीविका प्रदान करने के अलावा, भारत के वन विभिन्न क्षेत्रों में लगभग 707000 व्यक्तियों को सीधे तौर पर रोजगार प्रदान करते हैं। राष्ट्रीय और स्थानीय स्तर पर विशिष्ट परिस्थितियों के आधार पर, वानिकी में रोजगार सर्जन परियोजनाओं और कार्यक्रमों की एक विस्तृत शृंखला वर्तमान बेरोजगारी की समस्या को कम करने में मदद कर सकती है। साथ ही नई संपत्तियों के निर्माण सहित वन संसाधनों केप्रबंधन में सुधार कर सकती है। वानिकी गतिविधियों के माध्यम से रोजगार सर्जन ने अतीत में भी कनाडा, चिली, चीन, कोरिया गणराज्य, रूस और संयुक्त राज्य अमेरिका आदि जैसे कई देशों में मंदी को दूर करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इन देशों ने वानिकी के माध्यम से रोजगार सर्जन को अपनी आर्थिक सुधार योजनाओं के एक अभिन्न अंग के रूप में शामिल किया है। वानिकी गतिविधियों (forestry activities) में रोजगार वस्तुओं और सेवाओं की बढ़ी हुई आपूर्ति के साथ प्राकृतिक संसाधनों का पुनर्निर्माण करके एक बहुत जरूरी "त्वरित सुधार" प्रदान कर सकता है।
वनों का वैज्ञानिक ढंग से प्रबंधन करने के लिए भारत सरकार ने भी राष्ट्रीय स्तर पर वानिकी शिक्षा देना शुरू किया है। भारत में वानिकी एक महत्त्वपूर्ण ग्रामीण उद्योग और एक प्रमुख पर्यावरणीय संसाधन है। भारत दुनिया के दस सबसे अधिक वन समृद्ध देशों में से एक है। भारत और अन्य 9 देश मिलकर विश्व के कुल वन क्षेत्र का 67 प्रतिशत हिस्सा बनाते हैं। 1990-2000 की तुलना में भारत का वन क्षेत्र 0.20% सालाना की दर से बढ़ा है और 2000-2010 में 0.7% प्रति वर्ष की दर से बढ़ रहा है। संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन का अनुमान है कि वर्ष 2010 तक, भारत का वन क्षेत्र लगभग 6.8 मिलियन हेक्टेयर या देश के क्षेत्रफल का 22% था। वही 2013 के भारतीय वन सर्वेक्षण में कहा गया है कि आज इसका वन क्षेत्र बढ़कर 69.8 मिलियन हेक्टेयर हो गया है। हालांकि, यह लाभ मुख्य रूप से उत्तरी, मध्य और दक्षिणी भारतीय राज्यों में हुआ था, जबकि पूर्वोत्तर राज्यों में 2010 से 2012 तक वन क्षेत्र में शुद्ध नुकसान हुआ था। 2018 में, भारत में कुल वन और वृक्ष कवर क्षेत्र 24.39 प्रतिशत या 8, 02, 088 वर्ग किमी तक बढ़ गया। 2019 में यह और बढ़कर 24.56 प्रतिशत या 807, 276 वर्ग किलोमीटर हो गया।
प्राथमिक ऊर्जा स्रोत के रूप में ईंधन-लकड़ी और वानिकी उत्पादों पर भारत की निर्भरता न केवल पर्यावरण की दृष्टि से अस्थिर है, साथ ही यह भारत के निकट स्थायी धुंध और वायु प्रदूषण का एक प्राथमिक कारण भी है। भारत में एक संपन्न गैर-लकड़ी वन उत्पाद उद्योग है, जो लेटेक्स, गोंद, रेजिन, आवश्यक तेल, स्वाद, सुगंध और सुगंध रसायन, अगरबत्ती, हस्तशिल्प, खुजली सामग्री और औषधीय पौधों का उत्पादन करता है। गैर-लकड़ी वन उत्पादों के उत्पादन का लगभग 60% स्थानीय स्तर पर खपत होता है। भारत में वानिकी उद्योग से कुल राजस्व का लगभग 50% गैर-लकड़ी वन उत्पादों की श्रेणी में आता है। भारत के महत्त्वपूर्ण वन उत्पादों में कागज, प्लाईवुड, चंदन, लकड़ी, डंडे, लुगदी और माचिस की लकड़ी, ईंधन की लकड़ी, साल के बीज, तेंदु के पत्ते, गोंद और रेजिन, बेंत और रतन, बांस, घास और चारा, दवाएँ, मसाले और जड़ी-बूटियाँ, सौंदर्य प्रसाधन आदि शामिल हैं। भारत वन उत्पादों का एक महत्त्वपूर्ण आयातक भी है। वित्तीय वर्ष 2008-2009 में, भारत ने 1.14 अरब डॉलर मूल्य के लट्ठों का आयात किया, जहाँ केवल 4 वर्षों में लगभग 70% की वृद्धि हुई। असंसाधित लकड़ी का भारतीय बाज़ार ज्यादातर मलेशिया, म्यांमार, कोटे डी आइवर, चीन और न्यूजीलैंड के आयात से पूरा होता है। भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा दृढ़ लकड़ी लॉग आयातक है।
भारत में आंशिक रूप से तैयार और इकट्ठे फर्नीचर के लिए बाज़ार बढ़ा रहा है। भारतीय बाज़ार में सागौन और अन्य दृढ़ लकड़ीयाँ बहुत लोकप्रिय है, जिन्हें दीमक, क्षय के लिए अधिक प्रतिरोधी माना जाता है और जो उष्णकटिबंधीय जलवायु का सामना करने में भी सक्षम हैं। भारत की प्रमुख आयातित लकड़ी की प्रजातियाँ महोगनी, गर्जन, मरिअंती और सपेली जैसी उष्णकटिबंधीय लकड़ियाँ हैं। वृक्षारोपण लकड़ी में सागौन, नीलगिरी और चिनार के साथ ही स्प्रूस और देवदार शामिल हैं।
चूंकि भारत में जंगलों और वानिकी उत्पादों से जुड़ा हुआ बड़ा बाज़ार है, अतः औपचारिक या अनौपचारिक अथवा सरकारी या गैर सरकारी स्तर पर लकड़ी से जुड़े व्यवसायों और नौकरियों की भारी मांग भी बनी हुई है। हम सभी जानते हैं कि जंगल व्यावसायिक रूप से और पारिस्थितिकी तंत्र का बहुत महत्त्वपूर्ण हिस्सा है। इसलिए, वन का प्रबंधन बेहद आवश्यक है, जिसे मुख्य रूप से वनवासियों (वन पेशेवरों) द्वारा किया जाता है। वानिकी के व्यवसायी को वनपाल के रूप में जाना जाता है। वनपाल कई गतिविधियों में शामिल होता हैं, जिनमें पारिस्थितिक बहाली, लकड़ी की कटाई और प्राकृतिक संसाधनों की सुरक्षा शामिल है। वे सार्वजनिक और निजी स्वामित्व वाली वन भूमि के लिए वन प्रबंधन योजनाएँ विकसित करते हैं। वे वानिकी परियोजनाओं की योजना और पर्यवेक्षण (supervision) में भी शामिल होते हैं। आज वानिकी के क्षेत्र में विभिन्न पाठ्यक्रम उपलब्ध हैं। आप स्नातक, स्नातकोत्तर, डिप्लोमा के साथ-साथ पी.एच.डी. पर वानिकी पाठ्यक्रम कर सकते हैं। सार्वजनिक वन क्षेत्र के साथ-साथ निजी क्षेत्र में भी करियर के अवसर उपलब्ध हैं। सार्वजनिक क्षेत्र की नौकरियों में जूलॉजिकल पार्क (Zoological Park) , वन्यजीव रेंज, लकड़ी बनाने के लिए अपने स्वयं के वृक्षारोपण वाले कॉर्पोरेट, वन्यजीव अनुसंधान संस्थान, भारतीय वानिकी अनुसंधान और शिक्षा परिषद (आईसीएफआरई) और इसके सम्बद्ध संस्थान, वन्यजीव विभाग, वन विभाग, राष्ट्रीय उद्यान और अभयारण्य शामिल हैं। वानिकी में स्नातक की डिग्री रखने वाले लोग संघ लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित भारतीय वन सेवा (IFS) परीक्षा के माध्यम से केंद्र सरकार के लिए भी आवेदन कर सकते हैं।

संदर्भ

https://bit.ly/3B4ujwC
https://bit.ly/34iYoNf
https://en.wikipedia.org/wiki/Forestry_in_India

चित्र संदर्भ   

1. भारतीय जंगलों के सुरक्षा कर्मियों को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
2. वन अधिकारियो को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
3. उत्तराखंड के जंगल और घाटी को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. लकड़ी लादते कर्मियों को दर्शाता एक चित्रण (flickr)