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दुनिया के चौथे सबसे बड़े ऑटोमोबाइल (Automobile) बाजार को इलेक्ट्रिक (Electric) वाहन में बदलने
के मामले में भारत ने जो कदम उठाए हैं, वह काबिले तारीफ हैं।भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों के तेजी से
अपनाने और निर्माण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से फेम II (FAME II)नीति दूरदर्शी है और इसने अधिक
पर्यावरण के अनुकूल मोटर-संबंधित बाजार की ओर बदलाव की अभूतपूर्व शुरुआत की है।2021 में
मेरठ को अपनी पहली इलेक्ट्रिक बसें मिली, जिसमें जिले में लगभग 50 बसें स्थित थीं।तथा चार्जिंग
स्टेशन (Charging station) पर 25 लाख रुपये की राशि खर्च की जाएगी।जबकि ऑटो उद्योग
व्यक्तिगत गतिशीलता में सुधार पर ध्यान केंद्रित करता है, हमें यह स्वीकार करना होगा कि
सार्वजनिक परिवहन पर निर्भर आबादी बहुत अधिक है और स्थानीय बसें कई लोगों की जरूरतों को
पूरा करती हैं।लेकिन दुनिया हरित परिवहन विकल्पों की ओर बढ़ रही है।इसलिए हमारी सड़कों पर
भारी मात्रा से चलने वाली बसों को स्वच्छ ऊर्जा से चलाने की जरूरत है।जिसका सबसे अच्छा विकल्प
इलेक्ट्रिक बसें हैं और सबसे अच्छी बात तो यह है कि भारत में अब स्थानीय रूप से इलेक्ट्रिक बसों
का निर्माण किया जा रहा है। हालांकि, टाटा मोटर्स जैसे ऑटो दिग्गज भी अपनी इलेक्ट्रिक बसों पर
काम कर रहे हैं, जो स्वच्छ ऊर्जा पर चलेंगी और प्रीमियम सार्वजनिक परिवहन विकल्प पेश
करेंगी।यहां देखिए देश इस क्षेत्र में कितना आगे आ गया है:
1. गोल्डस्टोन eBuzz K7 (Goldstone eBuzz K7):गोल्डस्टोन इंफ्राटेक लिमिटेड की इलेक्ट्रिक बस eBuzz
K7 को व्यावसायिक रूप से लॉन्च किया गया और हिमाचल प्रदेश परिवहन निगम द्वारा उपयोग में
लाया गया, जो सार्वजनिक परिवहन क्षेत्र में प्रवेश करने वाली भारत की पहली इलेक्ट्रिक बस बन गई
है।
2. अशोक लीलैंड वर्सा EV (Ashok Leyland Versa EV):अशोक लीलैंड ने 2015 में SIAM (Society of
Automobile Manufacturers) द्वारा आयोजित बस एंड स्पेशल व्हीकल्स शो (Bus & Special
Vehicles Show) में अपनी उत्तराखंड शाखा ऑप्टारे पीएलसी (UK arm Optareplc) से वर्सा ईवी (Versa
EV) का अनावरण किया।ब्रांड (Brand) का सुझाव है कि बस फीडर (Feeder), एयरपोर्ट टरमैक (Airport
tarmac) और इंट्रा-सिटी (Intra-city) अनुप्रयोगों के लिए आदर्श होगी।
3. जेबीएम इकोलाइफ (JBM Ecolife):जेबीएम ऑटो ने पिछले साल पोलैंड (Poland) की सोलारिस बस
(Solaris Bus) और कोच एसए (Coach SA) के साथ इलेक्ट्रिक (Electric) और हाइब्रिड (Hybrid) बसों
के निर्माण के लिए एक संयुक्त उद्यम में प्रवेश किया। ब्रांड ने 2016 ऑटो एक्सपो में इलेक्ट्रिक बस
इकोलाइफ का प्रदर्शन किया।
लेकिन अगर हमें आगे बढ़ना है और इस गति को जारी रखना है तो अभी भी कुछ बदलावों की
आवश्यकता है।फेम II नीति के साथ, भारत ने वर्ष 2030 तक विश्व का इलेक्ट्रिक वाहन केंद्र बनने का
लक्ष्य रखा है।जिसके चलते पिछले वर्ष के केंद्रीय बजट में, सरकार ने लोगों को इलेक्ट्रिक कार खरीदने
के लिए प्रेरित किया, खासकर उनको जो सर्वप्रथम बार कार खरीद रहे हैं। नतीजतन, इलेक्ट्रिक वाहनोंकी मांग दिनों दिन बढ़ती जा रही है। सोसाइटी ऑफ मैन्युफैक्चरर्स ऑफ इलेक्ट्रिक व्हीकल्स
(Society of Manufacturers of Electric Vehicles) के अनुसार वित्त वर्ष 2011 में 236,802
इलेक्ट्रिक कारों और 25,735 इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों की बिक्री हुई।हालाँकि, इलेक्ट्रिक वाहनों की
बिक्री में इस वृद्धि के लिए ईवीचार्जिंग (EV charging)आधारिक संरचना में भी आनुपातिक वृद्धि
की आवश्यकता है।वाहन-ग्रिड एकीकरण कई तरीकों को संदर्भित करता
है जिसमें एक वाहन विद्युत ग्रिड के साथ प्लग-इन (Plug-in) इलेक्ट्रिक वाहन की परस्पर क्रिया को
अनुकूलित करके ग्रिड, समाज, ईवी ड्राइवर (EV driver), या चार्ज करने वाले प्रचालक को लाभ या
सेवाएं प्रदान कर सकता है।हालांकि भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने के लिए बड़े कदम उठाए
गए हैं, लेकिन यदि अतिरिक्त समर्थन बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए कुछ नहीं किया गया तो यह
सब शून्य हो जाएगा।वहीं बुनियादी ढांचे के साथ भविष्य के वाहन के स्वामित्व और संचालन के लिए
आत्मविश्वास और आकांक्षा आती है।
संदर्भ :-
https://bit.ly/35S4RyY
https://bit.ly/3sn584F
https://bit.ly/3J349x5
https://bit.ly/3LeuD0D
https://bit.ly/3Gt3inJ
चित्र संदर्भ
1. इलेक्ट्रिक बसों को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
2. भारतीय सड़क पर इलेक्ट्रिक बस को दर्शाता एक चित्रण
(Telegraph India)
3. शोरूम के भीतर इलेक्ट्रिक बस को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
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