किसी भी देश के विकास पर उसके नागरिकों की शारीरिक और मानसिक स्थिति का विशेष प्रभाव पड़ता है। किंतु आज लोगों की दैनिक जीवन शैली और खानपान उनके स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव डाल रही है, जिससे देश की प्रगति पर भी प्रत्यक्ष प्रभाव देखा जा सकता है। आज जहां एक बार अस्पताल का रास्ता दिख गया तो फिर इसका कोई माप नहीं है कि आपकी जेब से कितने पैसे निकलेगें। क्योंकि आधुनिक चिकित्सा प्रौद्योगिकी के विकास ने लाइलाज बीमारियों का उपचार ढूंढ लिया है किंतु इनकी लागत का भुगतान करना हर किसी के बस की बात नहीं है। कई लोगों की तो जीवन भर की कमाई बीमारियों पर लग जाती है, तो वहीं कई लोग बीमारियों के चक्कर में इतने कर्ज़े में डूब जाते हैं कि जीवन का अधिकांश हिस्सा इसे उतारने में ही गुज़र जाता है। परिणामस्वरूप देश में निर्धनता स्तर बढ़ने लगता है।
वर्तमान समय में कैंसर (Cancer), हृदय रोगों, गुर्दे की बिमारियां, प्रमुख अंगों का प्रत्यारोपण, अन्य महत्त्वपूर्ण शल्य चिकित्सा जैसी बिमारियां ऐसी हैं जिनका उपचार लाखों से महंगा ही होता है। कैंसर के इलाज ही अनुमानित लागत लगभग 10 लाख है, हृदय रोगों की अनुमानित लागत लगभग न्यूनतम 1 लाख से 3 लाख तक है, गुर्दे की बिमारियां ऐसी हैं जिसमें मासिक रूप से नियमित उपचार कराना पड़ता है जिसकी न्यूनतम लागत 5-20 हज़ार रूपये प्रतिमाह होती है और यदि गुर्दे का प्रत्यारोपण कराया जाए तो इसकी लागत 4 लाख तक आ जाती है। प्रमुख अंग जैसे फेफड़े, यकृत, अग्नाश्य के प्रत्यारोपण में 17-20 लाख रूपये तक का खर्चा आ जाता है। किसी बड़े शल्य चिकित्सा के लिए 4-4.5 लाख तक का खर्चा आ जाता है। निम्न वर्गीय या मध्यम वर्गीय परिवार के लिए इनमें से किसी भी खर्चे को उठाना बहुत मुश्किल होता है। इस प्रकार की स्थिति से निजात पाने हेतु लोग स्वास्थ्य बीमा करवा रहे हैं, ताकि भावी जीवन में किसी भी प्रकार की बीमारी लगने पर उनकी आर्थिक स्थिति पर कोई विशेष प्रभाव न पड़े।
सही उम्र (40 साल की उम्र से पहले) में स्वास्थ्य बीमा करवा लेना लाभदायक रहता है। शरीर में पहले से मौजूद बीमारियों का स्वास्थ्य बीमा करवाना संभव नहीं है या बहुत मुश्किल होता है। 40 साल के बाद, हर पांच साल में अपने पॉलिसी कवर (Policy Cover) की जांच करते रहें। यदि यह सही है तो बढ़ती स्वास्थ्य देखभाल की लागतों को ध्यान में रखते हुए इसे भी नियमित रूप से बढ़ाएं। यदि आपके पास पहले की पॉलिसियों पर क्लेम (Claim) की मंजूरी की संभावना ज़्यादा हो जिनमें मौजूदा बीमारियां भी शामिल होंगी, तो आप अपनी मौजूदा पॉलिसी पर कवर बढ़ा सकते हैं या अपनी पिछली पॉलिसी को बंद किए बिना दूसरी पॉलिसी खरीद सकते हैं।
भारत में जीवन प्रत्याशा तो बढ़ी है किंतु वृद्धावस्था बीमारीयों में गुज़र रही है। क्योंकि समय रहते इनके द्वारा कोई अच्छा जीवन बीमा नहीं करवाया गया है जिसका खामियाज़ा वे अपनी वृद्धावस्था में भोग रहे हैं तथा देश में कोई भी स्वास्थ्य बीमा कंपनी वृद्धों के प्रति संवेदनशील नहीं हैं। यदि कोई इनके लिए बीमा प्रदान कर भी देता है तो वह बहुत महंगा होता है। अतः समय रहते कोई अच्छा स्वास्थ्य बीमा करवा लिया जाए तो घाटे का सौदा नहीं होगा। स्वास्थ्य के प्रति देश की सरकार भी कदम उठा रही है। पिछले कुछ वर्षों से मध्यम और निम्न वर्गीय परिवारों को भारी भरकम स्वास्थ्य लागत से बचाने के लिए राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर विभिन्न स्वास्थ्य योजनाएं चलाई जा रही हैं।
संदर्भ:-
1. https://bit.ly/31INBVt
2. https://bit.ly/2z68NbK
3. http://ayush.gov.in/research
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