रोजगार और आय का नया लाभप्रद विकल्प, मधुमक्खी पालन

मेरठ

 06-02-2019 02:31 PM
तितलियाँ व कीड़े

आपने अक्सर रज़ा लाइब्रेरी की इमारत पर या उसके आसपास मधुमक्खियों के छत्ते देखे ही होंगे। रामपुर में पाए जाने वाली वनस्पतियों और जीवों की विविधता के कारण आप यहां मधुमक्खियों की आबादी का एक बड़ा हिस्सा देख सकते है। न केवल आज की दुनिया में बल्कि प्राचीन काल से ही मधुमक्खियों का समाज में एक विशेष स्थान रहा है। ये छोटी सी मधुमक्खी बहुत ही मेहनती और परिश्रमी होती हैं। जो मनुष्यों के लिए शहद उत्पादित और परागण की क्रिया कर मानव सेवा में लगी हुई हैं। ये हमारे पारिस्थितिकी तंत्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। यदि इस छोटे से जीव का अस्तित्व खत्म हो गया तो मानव प्रजाति भी जीवित नही रह पाएगी।

धरती पर मौजूद अधिकांश खाद्य वस्तुओं का उत्पादन करने में मधुमक्खियों का बहुत बड़ा हाथ है। फूलों वाली पौधों की प्रजातियों (जैसे कि बादाम, संतरा, बैंगन, अंगूर आदि) का छठवां (1/6) भाग या कह लीजिए कि लगभग 400 कृषि के पौधों की प्रजातियों का परागण मधुमक्खियों के माध्यम से होता है। इनके मरने से अधिकांश फसल तो सीधे तौर पर नष्ट हो ही जाएगी। महान वैज्ञानिक "अल्बर्ट आइंस्टीन" ने भी कहा है कि अगर धरती से मधुमक्खियां खत्म हो गई तो मानव प्रजाति ज्यादा से ज्यादा 4 साल तक ही जीवित रह पाएगी।

आप जो अनाज खाते हैं और जो स्वादिष्ट रसीले फल का आनंद लेते हैं उन्हें उगने के लिए परागण (जब किसी नर पुष्प का परागकण किसी भी माध्यम से मादा पुष्प तक पहुँचता है, तो इस क्रिया को परागण कहते हैं) की प्रक्रिया की आवश्यकता पड़ती है, और पेड़ पौधों को अपने परागकणों को दूसरे पौधों तक पहुंचाने के लिए मधुमक्खियों की आवश्यकता होती है। जब मधुमक्खी किसी एक फूल पर बैठती है तो उसके पैरों और पंखों में पराग कण चिपक जाते हैं और जब यह उड़कर किसी दूसरे पौधे पर बैठती है, तब यह पराग कण उस पौधे में चले जाते हैं और इस प्रकार फूल निषेचित हो जाते हैं और इससे फल और बीजों की उत्पत्ति होती है। मधुमक्खियां लाखों पौधों को परागण करने में मदद करती हैं। फूलों को परागित करके, मधुमक्खियों ने फूलों की वृद्धि को बनाए रखा और अन्य जानवरों जैसे कीड़े और पक्षियों के लिए आकर्षक आवास प्रदान किए।

मधुमक्खी मनुष्य की सबसे अच्छी और छोटी मित्र हैं। इनके द्वारा फूलों का रस एकत्रित करके शहद तैयार किया जाता है। शहद एक हानिरहित तथा पौष्टिक तत्व प्रदान करने वाला खाद्य पदार्थ है। मधुमक्खी पालन एक अत्यंत लाभप्रद व्यवसाय है। इससे हमें शहद, मोम, मौनविष आदि प्राप्त होता है जो हमारे जीवन के लिये काफी महत्वपूर्ण है। इसके अतिरिक्त मधुमक्खी परागण द्वारा फसलों की उत्पादन क्षमता बढ़ाने में भी हमारी सहायता करती है। मधुमक्खी पालन उद्योग मुख्यतः शहद प्राप्त करने के लिए देश के पर्वतीय क्षेत्रों में लोगों द्वारा किया जाता है। लेकिन आजकल, यह व्यवसाय मैदानी इलाकों में भी स्थानीय लोगों द्वारा किया जा रहा है। भारत में, यह कई राज्यों जैसे उत्तर प्रदेश, जम्मू कश्मीर, दक्षिणी राजस्थान, महाराष्ट्र, पंजाब तथा तमिलनाडु में इसको बड़े पैमाने पर संचालित किया जाता है। इसमें आपको अतिरिक्त भूमि की आवश्यता नहीं होती और आप कम मेहनत से अधिक पैसा कमा सकते हैं।

मधुमक्खी पालन एक ऐसा ही व्यवसाय है जो मानव जाति को लाभान्वित कर रहा है यह एक कम खर्चीला घरेलू उद्योग है जिसमें आय, रोजगार व वातावरण शुद्ध रखने की क्षमता है यह एक ऐसा रोजगार है जिसे समाज के हर वर्ग के लोग अपनाकर लाभान्वित हो सकते हैं। मधुमक्खी पालन कृषि व बागवानी उत्पादन बढ़ाने की क्षमता भी रखता है। भारत में सैकड़ों वर्ष पहले जिस प्रकार से मधुमक्खियाँ पाली जाती थीं, ठीक उसी तरह से हम उन्हें आज भी पालते आ रहे हैं। परंतु प्राचीन ढंग से मधुमक्खियों को पालने में कई दोष हैं। इस विधि से मैला एवं अशुद्ध शहद ही प्राप्त होता था। लेकिन आधुनिक ढंग से मधुमक्खी पालन का प्रारंभ भारत में कई वर्ष पहले हो चुका है। इसमें लकड़ी के बने हुए संदूकों में (जिसे आधुनिक मधुमक्षिकागृह कहते हैं) मधुमक्खियों को पाला जाता है। इस प्रकार से मधुमक्खियों को पालने से अंडें एवं बच्चे वाले छत्तों को हानि नहीं पहुँचती। शहद अलग छत्तों में भरा जाता है और इस शहद को बिना छत्तों को काटे मशीन द्वारा निकाल लिया जाता है। आधुनिक मधुमक्खी पालन में कई तकनीकें हैं जैसे कि शीर्ष बार छत्ता विधि, क्षैतिज फ्रेम छत्ता, लंब स्टैकेबल फ्रेम छत्ता विधि आदि।

मधुमक्खियों की किस्में

शहद वाली मधुमक्खियों की 5 महत्वपूर्ण प्रजातियां हैं:
1. भारतीय हाइव मधुमक्खियां
2. छोटी मधुमक्खियां
3. रॉक मधुमक्खियां
4. डैमर मधुमक्खियां या डंक रहित मधुमक्खियां
5. यूरोपीय मधुमक्खियां या इतालियन मधुमक्खियां

मधुमक्खिगृह के भीतर रहने वाली मधुमक्खियाँ कार्य तथा प्रकार के अनुसार तीन तरह की होती हैं:
1. रानी: रानी ही एकमात्र मधुमक्खी होती है,जो छत्तों में अंडे देने का काम करती है,
2. श्रमिक: श्रमिक मधुमक्खियाँ मधुमक्खिगृह में सबसे अधिक संख्या में होती हैं। डंक मारने वाली यही मधुमक्खी होती है। इन मधुमक्खियों की अधिकता पर ही शहद जमा करने की मात्रा भी निर्भर करती है,
3. नर मक्खी: नर मधुमक्खी का काम रानी का गर्भाधान करना होता है।

मधुमक्खी पालन व्यवसाय शुरू करने से पहले निम्नलिखित सलाह अपनाए:

• मधुमक्खी पालन की योजना बनाने से पूर्व आपको उस क्षेत्र विशेष की मधुमक्खी एवं मानव के मध्‍य संबंधों को समझना होगा।
• स्थानीय मधुमक्खी पालकों के साथ काम करके आप अनुभव हासिल कर सकते हैं विशेषकर जब आपको मधुमक्खी पालने का कोई अनुभव ना हो। मधुमक्खी का डंक मारना काफी आम बात है और वे मधुमक्खी पालन का हिस्सा हैं।
• मधुमक्खी फार्म का निर्माण; मधुमक्खी के लिए उनकी निर्माण और प्रबंधन आवश्यकताओं को जानें तथा उसके लिए बेहतर प्रणाली तैयार करने का प्रयास करें।
• उपकरण; मधुमक्खी पालन व्यवसाय और उससे संबंधित चीजों को शुरू करने से पूर्व उन उपकरणों के उपयोग के विषय में जानें जो आपके निवेश को अच्छी तरह से प्रबंधित करने में मदद करेगें।
• मधुमक्खियों का व्‍यवसाय आप छोटे पैमाने से शुरू करें जहां आप उसे भली भांति प्रबंधित कर व्‍यवसाय में अपने द्वारा की गयी गलतियों को सुधार सकें। आप अपने मधुमक्खी पालन व्यवसाय को अपने बढ़ते अनुभव के साथ बढ़ा सकते हैं।
• उपकरण; मधुमक्खियों को पालने के लिए इस्तेमाल होने वाले उपकरणों की देखभाल अनिवार्य है। ध्यान रखें कि उन्हें स्थानीय परिवेश के अनुसार तैयार किया जाए। सफल मधुमक्खी पालन में उपकरणों की बड़ी भूमिका होती है क्योंकि इनका समुचित उपयोग आपके लाभ को बढ़ाता है और अच्छे मधुमक्खी पालक का अनुभव भी देता है।
• अपने व्यवसाय के विपणन(Marketing) के बारे में विचार करें तथा प्रारंभ से ही अपने ग्राहकों के बारे जानने और उनसे संपर्क बनाने का प्रयास करें। सामान्‍यतः बेकरी और चॉकलेट निर्माता बड़े ग्राहक होते हैं जो पूरे वर्ष के दौरान नियमित रूप से शहद का उपयोग करते हैं। उनसे सीधे संपर्क बनाने की कोशिश करें।

मधुमक्खी पालन की बुनियादी आवश्यकताएं
1. स्वच्छ जल स्रोत: प्राकृतिक या कृत्रिम स्रोत द्वारा उपलब्ध होना चाहिए।
2. पेड़ और वनस्पति से घिरा क्षेत्र: ताकि मधुमक्खियां सूरज की अत्यधिक गर्मी से बच सकें।
3. नमी भरा वातावरण: आसपास की नमी को बनाए रखने की कोशिश करें। यह आपके लाभ को प्रभावित करेगा। अत्यधिक नमी मधुमक्खी और शहद बनाने की प्रक्रिया को प्रभावित करती है।

मधुमक्खियों की बिमारियां और उसके शत्रु:
मधुमक्खियों के सफल प्रबंधन के लिए यह आवश्यक है की उनमे लगने वाली बिमारियों और उनके शत्रुओं के बारे में पूर्ण जानकारी हो।

कीट शत्रु: परजीवी, वैक्स पतंगे, मोम बीटल, ततैया चींटियां, पक्षी,वरोआ माईट आदि इनके शत्रु जीव है।

रोग: मधुमक्खी के छत्ते पर हमला करने वाले सामान्य रोग यूरोपियन फाउलब्रॉड , सैकब्रूड, स्टोन ब्रूड , अमेरिकन फाउलब्रॉड, नोसेमा रोग आदि हैं।

मधुमक्खी पालन में आप मधुमक्खियों की आदतों को जानकर, उनकी इच्छाओं को समझकर, उनको कम से कम कष्ट पहुंचाकर अधिक से अधिक लाभ अर्जित कर सकते हैं। इस व्यवसाय में सभी आर्थिक मानवीय क्रियाओं का समावेश है, जिसमें आर्थिक लाभ के साथ सेवा एवं साहस के तत्व भी मौजूद होते हैं।

संदर्भ:
1.https://tonic.vice.com/en_us/article/d7ezaq/what-would-happen-if-all-the-bees-died-tomorrow
2.https://www.onegreenplanet.org/animalsandnature/why-bees-are-important-to-our-planet/
3.https://agrifarmingtips.com/how-to-start-commercial-honey-bee-farming-business-in-india/
4.https://web.extension.illinois.edu/hkmw/downloads/60284.pdf
5.https://www.agrifarming.in/honey-bee-farming-information-guide/

RECENT POST

  • आइए देखें, विभिन्न खेलों के कुछ नाटकीय अंतिम क्षणों को
    य़ातायात और व्यायाम व व्यायामशाला

     29-12-2024 09:21 AM


  • आधुनिक हिंदी और उर्दू की आधार भाषा है खड़ी बोली
    ध्वनि 2- भाषायें

     28-12-2024 09:28 AM


  • नीली अर्थव्यवस्था क्या है और कैसे ये, भारत की प्रगति में योगदान दे रही है ?
    समुद्री संसाधन

     27-12-2024 09:29 AM


  • काइज़ेन को अपनाकर सफलता के शिखर पर पहुंची हैं, दुनिया की ये कुछ सबसे बड़ी कंपनियां
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     26-12-2024 09:33 AM


  • क्रिसमस पर लगाएं, यीशु मसीह के जीवन विवरणों व यूरोप में ईसाई धर्म की लोकप्रियता का पता
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     25-12-2024 09:31 AM


  • अपने परिसर में गौरवपूर्ण इतिहास को संजोए हुए हैं, मेरठ के धार्मिक स्थल
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     24-12-2024 09:26 AM


  • आइए जानें, क्या है ज़ीरो टिलेज खेती और क्यों है यह, पारंपरिक खेती से बेहतर
    भूमि प्रकार (खेतिहर व बंजर)

     23-12-2024 09:30 AM


  • आइए देखें, गोल्फ़ से जुड़े कुछ मज़ेदार और हास्यपूर्ण चलचित्र
    य़ातायात और व्यायाम व व्यायामशाला

     22-12-2024 09:25 AM


  • मेरठ के निकट शिवालिक वन क्षेत्र में खोजा गया, 50 लाख वर्ष पुराना हाथी का जीवाश्म
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     21-12-2024 09:33 AM


  • चलिए डालते हैं, फूलों के माध्यम से, मेरठ की संस्कृति और परंपराओं पर एक झलक
    गंध- ख़ुशबू व इत्र

     20-12-2024 09:22 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id