Post Viewership from Post Date to 18-Jul-2024 31st Day
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Email Instagram Total
2668 85 2753

***Scroll down to the bottom of the page for above post viewership metric definitions

प्रभु श्री राम के बाण से सूखा थार रेगिस्तान कई अनोखे ज़रियों से करता है कमाई!

मेरठ

 17-06-2024 10:31 AM
मरुस्थल

हमारे रामपुर शहर का रेगिस्तान से बड़ा ही अनोखा संबंध रहा है। दरअसल राजस्थान के बीकानेर में रामपुरिया नामक एक बड़ा इलाका है, जो अपनी लाल बलुआ पत्थर की इमारतों के लिए प्रसिद्ध है। अंग्रेजी लेखक एल्डस हक्सले (Aldous Huxley) ने रामपुरिया हवेली को "बीकानेर का गौरव" कहा है। इस क्षेत्र में प्रयोग होने वाली निर्माण सामग्री को देखकर आपके दिमाग में भी ग्रेट इंडियन डेज़र्ट (Thar Desert), के चित्र उभरने लगेंगे , जिसे थार रेगिस्तान के रूप में भी जाना जाता है।, आज के इस लेख में, हम रामायण में थार रेगिस्तान के निर्माण से जुड़ी प्रसिद्ध किवदंती के बारे में जानेंगे। साथ ही आज हम यह भी जानेंगे कि थार रेगिस्तान भारतीय अर्थव्यवस्था की कैसे मदद कर रहा है और भविष्य में विकास के लिए यह क्या अवसर प्रदान कर सकता है? थार रेगिस्तान, शुष्क भूमि का एक विशाल क्षेत्र है जो उत्तर-पश्चिम भारत तथा पाकिस्तान तक फैला हुआ है। यह लगभग 200,000 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है, जो लगभग ब्रिटेन के बराबर है। इस रेगिस्तान का अधिकांश हिस्सा राजस्थान में स्थित है, और यह दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला रेगिस्तान है। जानकार मानते हैं कि हज़ारों साल पहले, सरस्वती नदी थार रेगिस्तान से होकर हिंद महासागर की ओर बहती थी। कुछ अध्ययनों से पता चलता है कि थार रेगिस्तान में बढ़ते सूखेपन के कारण यह नदी सूख गई। रामायण की कथा के अनुसार, थार रेगिस्तान का निर्माण भगवान राम ने अपने वनवास काल के दौरान किया था। दरअसल माता सीता की खोज में निकले प्रभु श्री राम के लिए लंका (श्रीलंका) पहुँचने हेतु आज के रामेश्वरम से समुद्र पार करना जरूरी था। इसलिए उन्होंने समुद्र देवता से अपने जल के स्तर कम करने की प्रार्थना की ताकि वह और उनकी सेना समुद्र पार कर सकें। किंतु जब समुद्र ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी, तो प्रभु श्री राम ने समुद्र को सुखाने के लिए एक दिव्य हथियार का इस्तेमाल करना चाहा। लेकिन समुद्र देव ने उन्हें समुद्र पार करने का एक अन्य मार्ग सुझा दिया। अब चूँकि बाण धनुष की प्रत्यंचा पर चढ़ चुका था लिए इसे कहीं न कहीं तो छोड़ना ही था।इस स्थिति में समुद्र देव ने प्रभु श्री राम को सुझाव दिया कि वह हथियार को द्रुमतुल्य नामक स्थान पर छोड़ दें, जहाँ लुटेरों का एक गिरोह रहता था। श्री राम ने उनकी सलाह का पालन किया, और हथियार उस क्षेत्र में जा गिरा, जिस कारण वहां का पानी सूख गया और वही स्थान थार रेगिस्तान बन गया। इसके बाद भगवान् राम ने इस क्षेत्र को मवेशियों को पालने और मक्खन, दूध, फल, जड़ें और उपयोगी जड़ी-बूटियाँ पैदा करने के अनुकूल होने का आशीर्वाद दिया। मान्यता है कि इसी कारण थार रेगिस्तान में कैक्टस (Cactus), नीम, खेजड़ी और बबूल नीलोटिका (Acacia Nilotica) जैसे पौंधे अत्यधिक तापमान और कठिन परिस्थितियों में भी जीवित रह सकते हैं। थार रेगिस्तान में तेंदुए, एशियाई जंगली बिल्लियाँ, चौसिंघा (चार सींग वाले मृग), चिंकारा (भारतीय हिरन), बंगाल रेगिस्तानी लोमड़ी, ब्लैकबक (मृग) जैसे वन्यजीवों एवं सरीसृपों सहित कई लुप्तप्राय पक्षी भी देखे जा सकते हैं। थार रेगिस्तान कई खनिजों से भी समृद्ध क्षेत्र है। इन खनिजों का उपयोग न केवल भारत में किया जाता है, बल्कि इनका दुनिया भर में निर्यात भी किया जाता है। ये खनिज देश की अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण माने जाते हैं।
 थार रेगिस्तान में पाए जाने वाले कुछ मूल्यवान खनिजों में शामिल हैं:
 जिप्सम (Gypsum): इसका उपयोग भवन निर्माण और सीमेंट के लिए प्लास्टर बनाने के लिए किया जाता है।
 फेल्डस्पार (Feldspar): इसका उपयोग सिरेमिक बनाने के लिए किया जाता है।
 फॉस्फोराइट (Phosphorite): इसका उपयोग उर्वरक बनाने के लिए किया जाता है।
 काओलिन (Kaolin): इसका उपयोग कागज उत्पादन में वाइटनर (Whitener) के रूप में किया जाता है।
 ये खनिज और पत्थर विभिन्न उद्योगों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, जो भारत की आर्थिक वृद्धि और वैश्विक व्यापार में बहुत बड़ा योगदान देते हैं। भले ही थार रेगिस्तान की जलवायु कठोर है, लेकिन इसके बावजूद यह क्षेत्र विकास के कई अवसर प्रदान करता है। जिनमें शामिल है:
1. खनन:
थार रेगिस्तान में फेल्डस्पार (Feldspar), फॉस्फोराइट (Phosphorite), जिप्सम और काओलिन (Kaolin) जैसे मूल्यवान खनिज पाए जाते हैं। इन खनिजों का उपयोग सीमेंट और उर्वरक जैसे मूल्यवान उत्पाद बनाने के लिए किया जाता है। यहाँ पर चूना पत्थर और संगमरमर भी पाए जाते हैं। चूना पत्थर का उपयोग भवन निर्माण और सीमेंट बनाने के लिए किया जाता है, और संगमरमर का उपयोग निर्माण में किया जाता है। 2. ऊर्जा उत्पादन: थार रेगिस्तान में लगे सौर पैनल बड़ी मात्रा में ऊर्जा का उत्पादन करते हैं, जिसका उपयोग खारे पानी को साफ करने (विलवणीकरण) के लिए किया जाता है। पवन ऊर्जा का उपयोग बिजली पैदा करने के लिए भी किया जाता है। थार में 75 पवन टर्बाइनों (Wind Turbines) वाला एक पवन फार्म (Wind Farm) है, जो 60 मेगावाट बिजली पैदा कर सकता है। 3. खेती: सिंचाई की व्यवस्था ने थार रेगिस्तान में व्यावसायिक रूप से खेती को संभव बना दिया है। यहाँ पर गेहूं और कपास जैसी फसलें उगाने से कई नए रोजगार पैदा हुए हैं, और स्थानीय अर्थव्यवस्था की आय में भी वृद्धि हुई है। 4. पर्यटन: थार रेगिस्तान राष्ट्रीय उद्यान में रहने वाले लगभग 120 जीव जंतुओं की प्रजातियों को देखने के इच्छुक कई पर्यटक हर साल यहाँ आते हैं। पर्यटक स्थानीय गाइड के साथ ऊँट की सवारी करके रेगिस्तान का भ्रमण भी करते हैं। पर्यटन यहाँ की आय का एक प्रमुख स्रोत है और स्थानीय लोगों के लिए कई नौकरियाँ प्रदान करता है। पर्यटकों द्वारा खर्च किया गया पैसा क्षेत्र में अधिक विकास के अवसर पैदा करने में मदद करता है।

संदर्भ
https://tinyurl.com/ykev3m68
https://tinyurl.com/mw9ks3k8
https://tinyurl.com/9txh5v5h

चित्र संदर्भ
1. थार रेगिस्तान में पर्यटकों को संदर्भित करता एक चित्रण (flickr)
2. रेगिस्तानी जनजातियों को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. समुद्र को चुनौती देते प्रभु श्री राम को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. शेखावाटी के फतेहपुर में जोजोबा के बागानों से रेगिस्तान को हरा-भरा बनाया जा रहा है! को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
5. रेगिस्तान में बने घरों को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
6. थार रेगिस्तान में लगे सौर पैनल को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
7. बाजरे के खेतों को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
8. थार रेगिस्तान में पर्यटकों को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)

***Definitions of the post viewership metrics on top of the page:
A. City Subscribers (FB + App) -This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post. Do note that any Prarang subscribers who visited this post from outside (Pin-Code range) the city OR did not login to their Facebook account during this time, are NOT included in this total.
B. Website (Google + Direct) -This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership —This is the Sum of all Subscribers(FB+App), Website(Google+Direct), Email and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion ( Day 31 or 32) of One Month from the day of posting. The numbers displayed are indicative of the cumulative count of each metric at the end of 5 DAYS or a FULL MONTH, from the day of Posting to respective hyper-local Prarang subscribers, in the city.

RECENT POST

  • आइए जानें, देवउठनी एकादशी के अवसर पर, दिल्ली में 50000 शादियां क्यों हुईं
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     22-11-2024 09:23 AM


  • अपने युग से कहीं आगे थी विंध्य नवपाषाण संस्कृति
    सभ्यताः 10000 ईसापूर्व से 2000 ईसापूर्व

     21-11-2024 09:28 AM


  • चोपता में देखने को मिलती है प्राकृतिक सुंदरता एवं आध्यात्मिकता का अनोखा समावेश
    पर्वत, चोटी व पठार

     20-11-2024 09:29 AM


  • आइए जानें, क़ुतुब मीनार में पाए जाने वाले विभिन्न भाषाओं के शिलालेखों के बारे में
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     19-11-2024 09:22 AM


  • जानें, बेतवा और यमुना नदियों के संगम पर स्थित, हमीरपुर शहर के बारे में
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     18-11-2024 09:31 AM


  • आइए, अंतर्राष्ट्रीय छात्र दिवस के मौके पर दौरा करें, हार्वर्ड विश्वविद्यालय का
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     17-11-2024 09:30 AM


  • जानिए, कौन से जानवर, अपने बच्चों के लिए, बनते हैं बेहतरीन शिक्षक
    व्यवहारिक

     16-11-2024 09:17 AM


  • आइए जानें, उदासियों के ज़रिए, कैसे फैलाया, गुरु नानक ने प्रेम, करुणा और सच्चाई का संदेश
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     15-11-2024 09:27 AM


  • जानें कैसे, शहरी व ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं के बीच अंतर को पाटने का प्रयास चल रहा है
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     14-11-2024 09:20 AM


  • जानिए क्यों, मेरठ में गन्ने से निकला बगास, पर्यावरण और अर्थव्यवस्था के लिए है अहम
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     13-11-2024 09:22 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id