Post Viewership from Post Date to 21-May-2024 (31st Day)
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Email Instagram Total
1965 94 2059

***Scroll down to the bottom of the page for above post viewership metric definitions

भगवान महावीर और प्रभु श्री राम में, क्या अनोखी समानता है?

मेरठ

 20-04-2024 09:59 AM
विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

हमारे रामपुर शहर में कई संस्कृतियों का अनोखा मिश्रण देखने को मिलता है। इन्हीं संस्कृतियों की सुंदर झलकियाँ प्रदान करते हुए, रामपुर में आपको प्रसन्नता और संतुष्टि के भाव के साथ चलते हुए जैन अनुयाई भी अवश्य दिखाई दे जाएंगे। हमारे शहर में जैन समुदाय को समर्पित आदिनाथ दिगंबर जैन नामक एक मंदिर भी है, जहां महावीर जयंती के दौरान भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है।
जैन धर्म के बारे में एक और दिलचस्प बात यह भी है, कि "मान्यताओं के अनुसार जैन तीर्थंकर- भगवान् महावीर तथा भगवान विष्णु के मानव अवतार-भगवान श्री राम का जन्म एक ही वंश में हुआ था।" दोनों ही इच्छवाकु वंश से संबंधित जो सूर्यवंशी, (सूर्य देवता के वंशज) माने जाते हैं। चलिए आज महावीर जयंती के इस पावन अवसर पर भगवान महावीर और प्रभु श्री राम के बीच स्थापित अनोखे संबंधों पर ग़ौर करें और रामायण के जैन तथा हिंदू संस्करणों के बीच के अंतर को भी जानने की कोशिश करते हैं। इसके अतिरिक्त, आज हम जैन साहित्य में हनुमान जी की भूमिका को भी समझने की कोशिश करेंगे। भगवान महावीर का जन्म 599 ईसा पूर्व में हुआ था। हिंदू कैलेंडर के अनुसार, उनका जन्म चैत्र शुक्ल की त्रयोदशी के दिन बिहार के वैशाली ज़िले में स्थित कुंडग्राम में हुआ था। आज हम भगवान महावीर की जयंती मना रहे हैं, और जैन समुदाय के भीतर इस अवसर पर भव्य समारोहों का आयोजन किया जाता है। इस अवसर पर खासतौर पर भगवान महावीर के सम्मान में उनके भक्त कई अनुष्ठानों और रथयात्राओं का आयोजन करते हैं।
इस रोमांचक तथ्य से आज भी बहुत कम लोग अवगत हैं कि भगवान महावीर और भगवान श्री राम को एक ही पारिवारिक मूल का माना जाता है, क्योंकि वे दोनों एक ही वंश में पैदा हुए थे। यही कारण है कि भगवान महावीर को अक्सर भगवान राम के साथ जोड़ा जाता है। भगवान महावीर को बचपन में वर्धमान के नाम से जाना जाता था। उनके पिता राजा सिद्धार्थ, वज्जि गणराज्य के राजा थे और उनकी माता का नाम त्रिशला देवी था। 30 साल की उम्र में, भगवान महावीर ने सांसारिक सुखों को त्याग दिया और तपस्या की यात्रा पर निकल पड़े। 12 वर्षों की कठोर तपस्या के पश्चात् वह अपनी इच्छाओं और बुराइयों पर विजय प्राप्त करके “कैवल्य” या निर्वाण की स्थिति पर पहुंच गए। इसके बाद उन्हें महावीर भगवान की उपाधि मिली। जैन समुदाय में महावीर को एक तीर्थंकर यानी एक आध्यात्मिक मार्गदर्शक के रूप में पूजा जाता है, जो संसारिकता में उलझे हुए लोगों की मदद करते हैं। महावीर ने पंचशील सिद्धांतों के माध्यम जैन धर्म को सच्चे तीर्थ के रूप में बदल दिया। इन सिद्धांतों में सत्य, अहिंसा, अनासक्ति (अभिग्रह), चोरी न करना (अस्तेय), और शुद्धता (ब्रह्मचर्य) का पालन करना शामिल है। दिलचस्प बात यह है कि 24 तीर्थंकरों में से 22 इक्ष्वाकु वंश के हैं, जो भगवान राम के ही वंश हैं। अजित-नाथ के पुत्र और चक्रवर्ती (सम्राट) सगर को राम के पूर्वजों में से एक माना जाता है। रामायण के जैन संस्करण भी हैं जिनमें, अयोध्या शहर को साकेत के नाम से संबोधित किया गया है।
जैन समुदाय में यह शहर इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यहां वर्तमान चक्र के पांच तीर्थंकरों का जन्म हुआ है:
1. ऋषभ-नाथ (प्रथम),
2. अजितानाथ (दूसरा)
3. अभिनंदन-नाथ (चौथे)
4. सुमति-नाथ (5वें)
5. अनंत-नाथ ( 14वें)
रामायण और जैन धर्म को एक और रेखा जोड़ती है, और उस रेखा का नाम है, " बजरंगबली हनुमान।" जैन धर्म की पौराणिक कथाओं में, हनुमान जी, बाली, सुग्रीव और अन्य वानरों को, (विद्याधर) नामक अलौकिक प्राणियों के एक कबीले के रूप में पहचाना जाता है। जैन कथाओं में हनुमान जी की मां, अंजना, महेंद्रपुर की एक राजकुमारी थीं, जिनका विवाह आदित्यपुर के राजकुमार “पवनजय” से हुआ था। उनकी मां अंजना एक राजकुमारी थीं और उनके पिता पवनजय एक राजकुमार थे। उनकी शादी हो चुकी थी, लेकिन शादी से पहले की गई एक टिप्पणी के कारण पवनजय अंजना के साथ अंतरंग नहीं हुए थे। किंतु एक रात, पवनजय, लालसा से अभिभूत होकर, अंजना से मिलने उनके कक्ष में पहुंचे। दोनों ने एक रात साथ में बिताई, जिसके बाद अंजना गर्भवती हो गई।
लेकिन अंजना के ससुराल वालों ने उन्हें चरित्रहीन युवती समझकर अपने घर से निकाल दिया। उसके अपने माता-पिता ने भी आरोपों पर विश्वास करते हुए उन्हें अपने घर में स्थान देने से इनकार कर दिया। उनकी दुर्दशा के बारे में सुनकर, बालक के मामा और हनुरुहापुरा के शासक प्रतिसूर्या, उनकी सहायता के लिए वहां पहुंचे। जैन किवदंती के अनुसार वह अंजना और उसके नवजात शिशु को 'विमान' से अपने राज्य हनुरूहापुरा ले जाने लगे। लेकिन बच्चे को लेकर जब वे राज्य की ओर जा रहे थे तो मार्ग में यात्रा के दौरान, बच्चा अपनी माँ अंजना की गोद से फिसल गया और प्रतिसूर्य के 'विमान' से पृथ्वी पर गिर गया। लेकिन जमीन पर गिरने पर भी उस बालक को एक भी चोट नहीं आई। यह देखकर उन दोनों को आश्चर्य हुआ कि बच्चा अभी भी सही सलामत था और अपने दाहिने पैर का अंगूठा मुंह में रखकर मुस्कुरा रहा था। हालांकि जिस चट्टान पर वह गिरा था, वह पूरी तरह टूट गई थी। इस घटना के कारण बच्चे का नाम हनुमान रखा गया। जैन साहित्य में उन्हें हनुमान नाम इसलिए भी मिला क्यों कि अपने जीवन के शुरुआती दिन उन्होंने हनुरूहापुरा में बिताए थे।

संदर्भ
https://tinyurl.com/4wx2jy9t
https://tinyurl.com/5n8fuw28
https://tinyurl.com/5dw9nrsu

चित्र संदर्भ
1. पार्श्वनाथ मंदिर, तिजारा में नेमिनाथ के चित्रण को दर्शाता एक चित्रण (wikipedia)
2. कल्पसूत्र में महावीर के जन्म के दृश्य को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. महावीर के पंचशील सिद्धांतों को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. हनुमान जी को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
5. अंजनी हनुमान धाम मंदिर में अपनी गोद में अपने पुत्र हनुमान जी को बिठाए माँ अंजनी की एक मूर्ति को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)

***Definitions of the post viewership metrics on top of the page:
A. City Subscribers (FB + App) -This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post. Do note that any Prarang subscribers who visited this post from outside (Pin-Code range) the city OR did not login to their Facebook account during this time, are NOT included in this total.
B. Website (Google + Direct) -This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership —This is the Sum of all Subscribers(FB+App), Website(Google+Direct), Email and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion ( Day 31 or 32) of One Month from the day of posting. The numbers displayed are indicative of the cumulative count of each metric at the end of 5 DAYS or a FULL MONTH, from the day of Posting to respective hyper-local Prarang subscribers, in the city.

RECENT POST

  • आइए देखें, विभिन्न खेलों के कुछ नाटकीय अंतिम क्षणों को
    य़ातायात और व्यायाम व व्यायामशाला

     29-12-2024 09:21 AM


  • आधुनिक हिंदी और उर्दू की आधार भाषा है खड़ी बोली
    ध्वनि 2- भाषायें

     28-12-2024 09:28 AM


  • नीली अर्थव्यवस्था क्या है और कैसे ये, भारत की प्रगति में योगदान दे रही है ?
    समुद्री संसाधन

     27-12-2024 09:29 AM


  • काइज़ेन को अपनाकर सफलता के शिखर पर पहुंची हैं, दुनिया की ये कुछ सबसे बड़ी कंपनियां
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     26-12-2024 09:33 AM


  • क्रिसमस पर लगाएं, यीशु मसीह के जीवन विवरणों व यूरोप में ईसाई धर्म की लोकप्रियता का पता
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     25-12-2024 09:31 AM


  • अपने परिसर में गौरवपूर्ण इतिहास को संजोए हुए हैं, मेरठ के धार्मिक स्थल
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     24-12-2024 09:26 AM


  • आइए जानें, क्या है ज़ीरो टिलेज खेती और क्यों है यह, पारंपरिक खेती से बेहतर
    भूमि प्रकार (खेतिहर व बंजर)

     23-12-2024 09:30 AM


  • आइए देखें, गोल्फ़ से जुड़े कुछ मज़ेदार और हास्यपूर्ण चलचित्र
    य़ातायात और व्यायाम व व्यायामशाला

     22-12-2024 09:25 AM


  • मेरठ के निकट शिवालिक वन क्षेत्र में खोजा गया, 50 लाख वर्ष पुराना हाथी का जीवाश्म
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     21-12-2024 09:33 AM


  • चलिए डालते हैं, फूलों के माध्यम से, मेरठ की संस्कृति और परंपराओं पर एक झलक
    गंध- ख़ुशबू व इत्र

     20-12-2024 09:22 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id