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पक्षी प्रवासन पूरे विश्व में एक महत्वपूर्ण और आश्चर्यजनक प्राकृतिक प्रक्रिया है, जिसमें पक्षी अपने आवासीय स्थल से दूसरे स्थलों पर यात्रा करते हैं। ये यात्राएं आमतौर पर ऋतुओं के आगमन और प्रस्थान के साथ होती हैं। प्रवासी पक्षियों के साथ यात्रा करना और उनकी वैश्विक उड़ानों को देखना अपने आप में एक आनंददायक अनुभव है। हमारे उत्तर प्रदेश में स्थित नवाबगंज पक्षी अभयारण्य भी पक्षियों के लिए ऐसी ही आरामदायक जगह है, जहां प्रवासी पक्षी हजारों किलोमीटर दूर से आते हैं। प्रवासन का उद्देश्य बच्चों का पालन-पोषण, प्रजनन और भोजन की तलाश हेतु सर्वोत्तम पारिस्थितिक स्थिति और आवास खोजना होता है, जिसके लिए पक्षी सैकड़ों और हजारों किलोमीटर की उड़ान भरते हैं।
प्रजनन स्थलों पर स्थितियां प्रतिकूल होने पर तो उन क्षेत्रों की और उड़ान भरने का समय आ जाता है, जहां स्थितियां बेहतर हैं। भारत में पक्षी प्रवासन एक अद्भुत दृश्य होता है, जो वैज्ञानिकों, प्राकृतिक संरक्षणीयों और पक्षी प्रेमियों के लिए एक महत्वपूर्ण विषय है। बहुत सारे पक्षी या तो उत्तर की ठंड से या पश्चिम और दक्षिण की गर्मी से बचने के लिए आश्रय चाहते हैं और भारत की जलवायु दोनों से बचने का सर्वोत्तम वातावरण प्रदान करती है। इन प्रवासी पक्षियों को 2 श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है - शीतकालीन पक्षी और ग्रीष्मकालीन पक्षी।
भारत में ये यात्राएं विविध आवासों का उपयोग करने और कड़क सर्दियों से बचने के लिए होती हैं, जो भारत की जैव विविधता को समृद्ध करती हैं। भारत में विभिन्न अभयारण्य हैं, जो प्रवासी पक्षियों को आश्रय देते हैं इनमें से एक है, हमारा नवाबगंज पक्षी अभयारण्य है। नवाबगंज पक्षी अभयारण्य, उत्तरी भारत की अनेक आर्द्रभूमियों में से एक है। अभयारण्य प्रवासी पक्षियों की 250 प्रजातियों को सुरक्षा प्रदान करता है, जो ज्यादातर सीआईएस (या पूर्व यूएसएसआर) (CIS (or formerly USSR) ) देशों से हैं। लेकिन, 1990 के दशक से यह संख्या घट रही है। अधिकांश हिमाचल और राजस्थान के नए क्षेत्रों में स्थानांतरित हो गए हैं। अभयारण्य में एक हिरण पार्क (Deer park), वॉचटावर (Watchtowers) और मनोरंजन के लिए छोटा तलब है, जिसमें नावें भी हैं।
यहां की पक्षी आबादी में, स्थानीय पक्षियों के साथ-साथ प्रवासी पक्षियों का मिश्रण भी शामिल है। सर्दियों के दौरान पक्षी तिब्बत (Tibet), चीन (China), यूरोप (Europe) और साइबेरिया (Siberia) से हिमालय में प्रवास करते हैं। इनमें से कुछ पक्षी यहां तक पहुंचने के लिए 5000 किमी से अधिक और 8500 मीटर से ज्यादा ऊंचाई तक उड़ान भरते हैं। इस मौसम के दौरान यात्रा करने वाले कुछ प्रमुख प्रवासी पक्षी हैं - ग्रेलैग गूज (Greylag goose), पिनटेल (Pintail), कॉटन टील (Cotton teal), रेड-क्रेस्टेड पोचार्ड (Red-crested pochard), गैडवॉल (Gadwall), शॉवेलर (Shoveller), कूट (Coot ) और मैलार्ड (Mallard)। इनके अलावा कुछ प्रमुख स्थानीय प्रवासी और आवासीय पक्षी भी हैं, जिनमें सारस क्रेन (Sarus crane), पेंटेड स्टॉर्क (Painted stork), मोर, सफेद आइबिस (White ibis), डबचिक (Dabchick), व्हिसलिंग टील (Whistling teal), ओपन-बिल स्टॉर्क (Open-bill stork), व्हाइट-नेक्ड स्टॉर्क (White-necked stork), पीसेंट-टेल्ड जकाना (Pheasant-tailed jacana), ब्रोंज-विंगड जकाना (Bronze winged jacana), बैंगनी मूरहेन, लैपविंग (Lapwing), टर्न (Tern), गिद्ध, कबूतर, राजा कौआ, भारतीय रोलर और बी-ईटर (Bee-Eater)।
बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी (Bombay Natural History Society ) के पूर्व निदेशक और शौकीन पक्षी पर्यवेक्षक असद आर रहमानी के अनुसार, “लखनऊ में पक्षियों द्वारा पसंद की जाने वाली कई बस्तियां हैं, जो कि पारिस्थितिकी तंत्र के स्वास्थ्य के सबसे महत्वपूर्ण संकेतक हैं। वे प्रकृति के स्वास्थ्य को स्थिर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे पर्यावरण प्रणाली के जैव संकेतक के रूप में जाने जाते हैं।” सर्दियों के मौसम में लखनऊ में कई दुर्लभ प्रवासी पक्षियों को देखा जा सकता है। सनबर्ड (Sunbird) पूरे लखनऊ में पाया जाता है। पक्षी विज्ञानियों का कहना है कि इस क्षेत्र में भारतीय पित्त (Indian pitta) (इसके पंखों में नौ रंग होने के कारण, इसे “नवरंग”भी कहा जाता है), ट्रांस-हिमालयन (Trans-Himalayan) क्षेत्र से आने वाले प्रवासी बत्तख, रूडी शेल्डक (Ruddy shelduck ), सुर्खाब, काले हुड वाले ओरियोल (Black hooded oriole) सुंदर स्थानिक पक्षी और उत्तरी साइबेरिया (Northern Siberia) का प्रवासी पक्षी - उत्तरी पिंटेल (Northern pintail), सीकपर (Seekpar)कुछ अन्य दुर्लभ पक्षी हैं, जिन्हें देखा गया है।
बढ़ती कृषि और शहरीकरण के कारण पक्षियों के लिए उपयुक्त आवास और आहार की कमी हो रही है। आज जलवायु परिवर्तन के कारण, प्रवासी पक्षियों के लिए उनके पूर्वावस्थानों की तुलना में उनके आवास की स्थिति में बदलाव हो रहा है, जिससे उनके लिए खतरा बढ़ रहा है। इसके साथ ही अवैध तरीकों से किया गया पक्षियों का शिकार, प्रवासी पक्षियों की जीवनकला को खतरे में डाल रहा है। प्रवासी पक्षियों के संरक्षण के लिए, अवैध शिकार को रोकने, प्रदूषण को कम करने, आवास स्थलों को संरक्षित करने और जलसंकट को दूर करने जैसे उपायों पर अमल करने की आवश्यकता है। प्रवासी पक्षियों के संरक्षण के माध्यम से हम प्राकृतिक विविधता को बनाए रखने में मदद कर सकते हैं, जो न सिर्फ हमारे पर्यावरण बल्कि, पूरे ग्लोबल बायोस्फियर (Global biosphere) के लिए महत्वपूर्ण है।
संदर्भ:
https://shorturl.at/qxQS6
https://shorturl.at/hmwN9
https://shorturl.at/ejOV1
https://shorturl.at/itHJ5
चित्र संदर्भ
1. नवाबगंज पक्षी अभयारण्य को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
2. मुख्य अंतर्राष्ट्रीय फ्लाईवेज़ को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. नवाबगंज पक्षी अभयारण्य में वॉचटावर को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. भारतीय पित्त को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
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