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रामपुर के खासबाग महल के नवाबी एसी से लेकर आधुनिक ऑल स्टार इन्वर्टर एसी तक का सफर!

लखनऊ

 08-09-2023 11:03 AM
नगरीकरण- शहर व शक्ति

रामपुर के नवाब परिवार का खासबाग महल या कोठी खास बाग, केवल नाम का ही ख़ास नहीं है। बल्कि, यह कई मायनों में अद्वितीय है। कोसी नदी के तट पर स्थित इस महल का निर्माण, इंडो इस्लामिक शैली (Indo Islamic Style) में किया गया है। खासबाग पैलेस (Khas Bagh Palace) साल 1930 में बनकर तैयार हुआ था। खासबाग पैलेस के भीतर, नवाब का कार्यालय, सिनेमा हॉल (Cinema Hall), सेंट्रल हॉल (Central Hall), म्यूजिक हॉल (Music Hall) और स्विमिंग पूल (Swimming Pool) भी मौजूद है। इस महल के निर्माण में करोड़ों का खर्च आया और इस शानदार महल को इस तरह से बनाया गया था कि, जून महीने की भीषण गर्मी में भी यह ठंडा रह सके। महल को देश का पहला ऐसा भवन माना जाता है, जो पूरी तरह से वातानुकूलित प्रणाली यानी एयर कंडीशनर (Air Conditioner) से सुसज्जित था। महल के सभी कमरों को ठंडा रखने के लिए एक मुख्य स्नो हॉल (Snow Hall) बनवाया गया था, जहां लोहे के ब्लॉकों (Blocks) को लोहे के फ्रेम (Frame) में रखा गया था। हॉल में दो मीटर से बड़े दो विशाल पंखे लगे हुए थे। इन पंखों को चलाने के लिए 150 हॉर्स पॉवर (Horse Power) की दो बड़ी-बड़ी मोटरों का प्रयोग किया गया था।
जब इन पंखों को घुमाया जाता था, तो इनसे निकलने वाली ठंडी हवा बर्फ के ब्लाकों से टकराते हुए कमरों को ठंडा कर देती थी। विभिन्न कमरों में ठंडी हवा के आवागमन के लिए महल के नीचे दो से ढाई फुट चौड़ी, कंक्रीट की नाली (Concrete Drain) बनाई गई थी। फिर इस एक बड़ी नाली से विभिन्न कमरों को जोड़ते हुए छोटी-छोटी उप नालियां बनाई गई थीं। इन नालियों के मुहाने पर फ्रेम लगाए गए थे, जिनसे आवश्यकतानुसार हवा छोड़ी जाती थी। इस हवा प्रणाली की देखभाल के लिए इंजिनियरों (Engineers) की पूरी टीम लगी रहती थी। कमरों को ठंडा रखने की यह प्रणाली आधुनिक एयर कंडीशनर की कार्यशैली से बिल्कुल अलग थी। वहीं, आधुनिक एयर कंडीशनर की शुरुआत 1840 के दशक में होती है, जब फ्लोरिडा (Florida) के चिकित्सक और आविष्कारक डॉ. जॉन गोरी (Dr. John Gorrie) ने अपने मरीजों को अपनी बीमारी के साथ-साथ भीषण गर्मी से भी जूझते हुए देखा। उनके अस्पताल में ठंडक प्रदान करने के लिए जो प्रणाली थी, वह अमेरिका की जमी हुई झीलों से लाई गई बर्फ की सिल्लियों के बिना नहीं चलती थी। साथ ही इन्हें यहां तक लाने की लागत भी बहुत अधिक थी। इसलिए, डॉ. गोरी ने कृत्रिम शीतलन की प्रणाली विकसित करने के लिए अलग-अलग शोध और प्रयोग करने शुरू कर दिए। 1851 में जाकर उन्होंने एक ऐसी मशीन का पेटेंट (Patent) हासिल किया, जो घोड़े, हवा और भाप की मदद से चलने वाले कंप्रेसर (Compressor) का उपयोग करके बर्फ बनाती थी। लेकिन, उनका दुर्भाग्य ही रहा कि, अपनी इस मशीन को बाजार में लाने से पहले ही उनकी मृत्यु हो गई।
डॉ. गौरी की मृत्यु के बाद आधुनिक एयर कंडीशनिंग प्रणाली (Modern Air Conditioning System) का निर्माण कार्य लंबे समय तक लंबित हो गया। लेकिन साल 1902 में बफ़ेलो फोर्ज (Buffalo Forge) नामक पब्लिशिंग कंपनी (Publishing Company) में काम करते समय, वहां के एक इंजीनियर विलिस कैरियर (Willis Carrier) ने इस दुनियां की पहली आधुनिक विद्युत आधारित एयर कंडीशनिंग इकाई का आविष्कार कर दिया। दरसल उन्होंने अपनी कंपनी की पत्रिकाओं में, नमी के कारण पड़ने वाली झुर्रियो को दूर करने के लिए, कूलिंग कॉइल्स (Cooling Coils) का उपयोग करके, आर्द्रता यानी नमी को नियंत्रित करने की तकनीक खोज ली थी। जिसके बाद उन्होंने अपने इस “वायु उपचार उपकरण” के लिए एक पेटेंट भी हासिल कर लिया। विलिस कैरियर को इस बात का अहसास पहले ही हो गया था कि, “आनेवाले समय में अपनी इस खोज के कारण उन्हें और पूरी मानवता को बहुत अधिक लाभ होने वाला है।” इसलिए, उन्होंने अपनी नौकरी छोड़कर, छह अन्य इंजीनियरों के साथ कैरियर इंजीनियरिंग कॉर्पोरेशन (Career Engineering Corporation) का गठन किया।
मई 1922 में न्यूयॉर्क (New York) के रिवोली थिएटर (Rivoli Theater) में कैरियर ने सार्वजनिक रूप से एक नई प्रकार की शीतलन प्रणाली को पेश किया, जिसमें ठंडक प्रदान करने के लिए एक केन्द्रापसारक चिलर (Centrifugal Chiller) का उपयोग किया गया था। इस प्रणाली में पुर्जों और कंप्रेसर चरणों की संख्या काफी कम होने के कारण, इसकी विश्वसनीयता बढ़ गई और बड़े पैमाने पर एयर कंडीशनर की लागत भी कम हो गई। जिसके बाद बिकने वाली एयर कंडीशनर प्रणालियों ने बिक्री के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए। शीतलन के क्षेत्र में इस प्रगति के बाद, भारत भी उस समय दुनियां के सबसे बड़े एयर कंडीशनर प्रणाली निर्माता के रूप में उभरा। 1954 में वोल्टास (Voltas) नामक एक भारतीय कंपनी ने पहली बार देश में अपना एयर कंडीशनर लांच किया। इसके बाद वोल्टास न केवल भारत बल्कि, पूरी दुनियां में सबसे बड़ी एयर कंडीशनर निर्माता कंपनी के रूप में उभरी।
चलिए, एक नजर डालते हैं वोल्टास के ऐतिहासिक सफ़र पर।
1954: वोल्टास ने भारत में पहला एयर कंडीशनर लॉन्च किया।
1984: वोल्टास ने भारत में पहला स्प्लिट एयर कंडीशनर (Split Air Conditioner) लॉन्च किया।
1993: वोल्टास ने भारत में पहला फ्लोर स्टैंडिंग एयर कंडीशनर लॉन्च (Standing Air Conditioner) किया।
2000: वोल्टास ने भारत में पहला एक टन से कम क्षमता वाला एयर कंडीशनर लॉन्च किया।
2007: वोल्टास ने भारत का पहला स्टार रेटेड एयर कंडीशनर (First Star Rated Air Conditioner) लॉन्च किया।
2012: वोल्टास ने भारत के पहले ऑल वेदर एसी (All-Weather Ac) की शुरुआत की।
2016: वोल्टास ने पहला ऑल स्टार इन्वर्टर एसी (All Star Inverter Ac) पेश किया।
आज, भारत के लाखों घरों और व्यवसायों में इस कंपनी की एयर कंडीशनिंग प्रणाली दिख जाती है और आने वाले समय में एयर कंडीशनिंग के बाजार में उल्लेखनीय वृद्धि होने की उम्मीद लगाई जा रही है।
क्या आप जानते हैं कि, प्राचीन मिस्र में सैकड़ों साल पहले हवा को ठंडा करने के लिए खिड़कियों पर बूंद-बूंद पानी को टपकाते हुए सरकंडे लटकाए जाते थे। कैरियर द्वारा एयर कंडीशनिंग प्रणाली का आविष्कार करने से पहले लोग बड़ी-बड़ी इमारतों को ठंडा करने के लिए विशालकाय बर्फ के टुकड़े लटकाते थे। हालांकि, एयर कंडीशनिंग प्रणाली के आविष्कार का श्रेय विलिस कैरियर को ही दिया जाता है। लेकिन, "एयर कंडीशनिंग" शब्द को एक अन्य इंजीनियर और आविष्कारक, स्टुअर्ट क्रैमर (Stuart Cramer) द्वारा गढ़ा गया था। आपको जानकर हैरानी होगी लेकिन, एयर कंडीशनिंग प्रणाली ने गर्मी के कारण फैलने वाली कई बिमारियों को कम करने में बहुत बड़ा योगदान दिया है। कई लोग यह समझ लेते हैं कि “1 टन एयर कंडीशनर का मतलब एयर कंडीशनर प्रणाली का 1000 किलोग्राम वजन होता है।” लेकिन, वास्तव में ऐसा नहीं है, बल्कि 1 टन एयर कंडीशनर का मतलब है कि, एक एयर कंडीशनर 1 घंटे में एक कमरे से कितनी गर्मी दूर कर सकता है। 1 टन बर्फ पिघलाने में 286000 Btu (ब्रिटिश थर्मल यूनिट (British Thermal Unit)) लगती है। 1 टन बर्फ 1 घंटे, 5 घंटे, 1 महीने में भी पिघल सकती है। यह इसमें डाली जा रही गर्मी की मात्रा पर निर्भर करता है। अतः 1 टन एसी का मतलब है कि 1 टन का एसी 1 घंटे में एक कमरे से 12000 बीटीयू गर्मी दूर करने में सक्षम है।

संदर्भ
Http://Tinyurl.Com/33wdx6vj
Http://Tinyurl.Com/3zjv8j84
Http://Tinyurl.Com/4azf8yaw
Http://Tinyurl.Com/47ydmpfb

चित्र संदर्भ 

1. रामपुर के खासबाग महल और एयर कंडिशनर को दर्शाता एक चित्रण (facebook, Creazilla)
2. रामपुर के कोठी खासबाग को दर्शाता एक चित्रण (bl.uk)
3. एसी के साथ एक महिला को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. इंजीनियर विलिस कैरियर को दर्शाता एक चित्रण (Wallpaper Flare)
5. घर के बाहर लगे एसी को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
6. घर के बाहर शीतलन प्रणालियों को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)



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