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मछली पकड़ना या नहीं पकड़ना एक नैतिकता से जुड़ा प्रश्न है, क्योंकि आज देश-दुनिया के करोड़ों परिवार अपनी खाद्य आवश्यकताओं एवं आजीविका के लिए पूरी तरह से इन्हीं समुद्री मछलियों पर निर्भर हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आज कई मछुआरे, या शौकिया तौर पर मछली पकड़ने वाले लोग, मछली पकड़ने की प्रक्रिया में इतनी बड़ी गलती कर रहे हैं, कि यह गलती हमारे गृह से न केवल कई मछली प्रजातियों, बल्कि समुद्री पानी पर निर्भर कई जीवों का सफाया कर सकती है! चलिए जानते हैं कि वह गलती क्या है, और इसे सुधारा कैसे जा सकता है?
हमारी पृथ्वी की सतह का लगभग 70% हिस्सा सागरों एवं महासागरों से घिरा हुआ है। महासागर कई मायनों में हमारे लिए जरूरी होते हैं। ये हमें ऑक्सीजन (Oxygen) देते हैं, कई लोगों को भोजन प्रदान करते हैं, जलवायु को नियंत्रित करते हैं, और मछली पकड़ने जैसे कार्यों के साथ तटीय समुदायों की अर्थव्यवस्था के लिए बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। लेकिन आज सबकी मदद करने वाले ये विशालकाय महासागर खुद कई बड़ी समस्याओं का सामना कर रहे हैं।
‘खाद्य और कृषि संगठन’ (Food And Agriculture Organization (FAO) की एक रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया के महासागर, 30% से अधिक समुद्री भंडार के अत्यधिक दोहन , ओवरफिशिंग (Overfishing) अर्थात जरूरत से अधिक मछली पकड़ने, जाल में दुर्लभ प्रजातियों को पकड़ने, जलवायु परिवर्तन और ढेर सारे समुद्री कचरे, जैसी मानव जनित स्थितियों का सामना कर रहे हैं। महासागरों में हर साल लगभग 8 मिलियन टन प्लास्टिक कचरा डाला जा रहा है। इसके साथ ही परित्यक्त मछली पकड़ने के साधन जैसे कि जाल और कांटे आदि ,जिन्हें ‘घोस्ट गियर’ (Ghost Gear) कहा जाता है, भी एक बड़ी समस्या के रूप में उभरे हैं। दरसल जब मछली पकड़ने के उपकरण, जैसे कि जाल और कांटे आदि समुद्र में रह जाते हैं या खो जाते हैं, तो इन्हें घोस्ट गियर कहा जाता है। आपको जानकर हैरानी होगी कि महासागरों में कुल कचरे का लगभग 10% तो अकेले यही घोस्ट गियर हैं। प्रत्येक वर्ष 500,000 से 1 मिलियन टन, मछली पकड़ने के इन साधनों को समुद्र में ही छोड़ दिया जाता है। कभी-कभी, खराब मौसम भी इनके गुम हो जाने का प्रमुख कारण बनता है। साथ ही कई बार, यह पानी के नीचे फंस जाते हैं या अन्य गियर से उलझ जाते हैं। कभी-कभी, कोई अन्य विकल्प नहीं होने पर इन्हें जानबूझकर भी समुद्र में फेंक दिया जाता है। जब गियर समुद्र में खो जाते हैं या इन्हें समुद्र में छोड़ दिया जाता है, तो यह कई मछलियों को अपने साथ समुद्र में फंसा लेते हैं जिससे उनके लिए खतरा उत्पन्न हो जाता है। साथ ही ये गियर नावों को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं। ये गियर नाव के प्रोपेलर (Propeller) या इंजन (Engine) में फंस सकते हैं। कई गियर नावों के टूटने का प्रमुख कारण बनते हैं, जिसके बाद इन नावों की मरम्मत और बचाव कार्यों में भी पैसा खर्च होता है। ये गियर जहाजों को नेविगेट (Navigate) करने के लिए भी खतरनाक साबित होते हैं । घोस्ट गियर खूबसूरत समुद्री तटों को गंदा कर पर्यटन को भी प्रभावित करते हैं।
घोस्ट गियर समुद्री जीवों, जैसे प्रवाल भित्तियों (Coral Reefs) और लुप्तप्राय प्रजातियों जैसे कि शार्क (Shark), कछुए और डुगोंग (Dugong) आदि के लिए बेहद खतरनाक साबित होते हैं। समुद्री स्तनधारी, समुद्री पक्षी, समुद्री कछुए और अन्य समुद्री जीव घोस्ट गियर के कारण गंभीर रूप से प्रभावित होते हैं। मछुआरों द्वारा प्रयोग किये जाने वाले ये गियर समुद्र के तल में डूब जाते हैं, और समुद्री जानवर उसमें फंस जाते हैं। इनमें फंसने के कारण समुद्री जानवर अक्सर धीमी और दर्दनाक मौत मरते हैं। घोस्ट गियर न केवल पर्यावरण को नुकसान पहुंचाते हैं, बल्कि यह मछुआरों और मछली उद्योग को भी प्रभावित करते है। घोस्ट गियर में पकड़ी गई 90% से अधिक प्रजातियां व्यावसायिक रूप से अत्यंत मूल्यवान होती हैं।
घोस्ट गियर की इस जटिल समस्या को हल करने के लिए सभी को मिलकर काम करने की जरूरत है। समुद्र से गियर हटाने के लिए, सरकार को मछली पकड़ने के केंद्रों और बंदरगाहों पर ही गियर को रीसायकल (Recycle) या अपसाइकिल (Upcycle) करने की आवश्यकता है। इसके अलावा मछुआरों को पैसा या छूट देकर तथा पुनर्चक्रण सुविधाओं तक पहुंच देकर, उन्हें अपने पुराने और क्षतिग्रस्त गियर को वापस करने के लिए भी प्रोत्साहित किया जा सकता है। जमा किये गए गियर का पुनर्नवीनीकरण किया जा सकता है या उन्हें कला, आभूषण या खेल-खिलौनों जैसी उपयोगी चीजों में बदला जा सकता है। मछुआरों को भी पुराने गियर को कचरे के बजाय मूल्यवान सामग्री के रूप में देखने की जरूरत है।
घोस्ट गियर के मुद्दे से निपटने के लिए 2015 में ‘ग्लोबल घोस्ट गियर इनिशिएटिव’ (Global Ghost Gear Initiative (GGGI) नामक एक अंतरराष्ट्रीय संगठन भी गठित किया गया था। इस संगठन के प्रमुख लक्ष्यों में गियरों के खोने की समस्या को रोकना, जागरुकता बढ़ाना, मछुआरों को शिक्षित करना और नियामक उपायों को लागू करने जैसे उपाय शामिल है। गियर के नुकसान को रोकने और पुराने गियर को ठीक से निपटाने के लिए हमें बेहतर कानूनों और विनियमों की भी आवश्यकता है। कई लोग और देश इस समस्या के समाधान के लिए एक वैश्विक संधि की मांग कर रहे हैं।
तमिलनाडु में ‘फिश फॉर ऑल’ (Fish For All) नामक एक रिसर्च सेंटर (Research Center) घोस्ट गियर की समस्या के समाधान पर काम कर रहा है। इसके सदस्य स्थानीय मछली पकड़ने वाले समुदायों को शिक्षित कर रहे हैं और उन्हें समझा रहे हैं कि घोस्ट गियर समुद्री जीवन को कैसे नुकसान पहुंचाता है। उन्होंने मछली पकड़ने के केंद्रों और बंदरगाहों में कई सफाई अभियान भी चलाए हैं और मछली पकड़ने के जाल, रस्सी, प्लास्टिक की बोतलें (Plastic Bottles) और जूते सहित बहुत सारा मलबा इकट्ठा किया है। इसके सदस्य मछुआरा समुदायों के युवाओं को, जागरुकता फैलाने और घोस्ट गियर का पुन: उपयोग करने के तरीके खोजने के लिए प्रशिक्षित भी कर रहे हैं।
इसके साथ ही ‘महासागर दबाव में हैं और अद्वितीय खतरों का सामना कर रहे हैं,’ इस तथ्य के प्रति जागरुकता बढ़ाने एवं महासागरों का संरक्षण करने के उद्देश्य से संयुक्त राष्ट्र (United Nations) ने हर वर्ष 8 जून को ‘विश्व महासागर दिवस’ (World Ocean Day) के रूप में भी नामित किया है।
संदर्भ
https://shorturl.at/GKO26
https://www.ghostgear.org/
https://shorturl.at/pLN08
चित्र संदर्भ
1. समुद्र में सील के गले में फंसे समुद्री जाल को दर्शाता एक चित्रण (NDLA)
2. समुद्र में जाल फैंकते मछुआरे को दर्शाता चित्रण (Pexels)
3. घोस्ट गियर’ को दर्शाता चित्रण (PIXNIO)
4. समुद्री जाल की कार्य प्रणाली को दर्शाता चित्रण (Free SVG)
5. सील के गले में फंसे समुद्री जाल को दर्शाता एक चित्रण (NDLA)
6. जाल में फंसे कछुए को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
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