Post Viewership from Post Date to 31-Jul-2023 31st
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Email Instagram Total
268 584 852

***Scroll down to the bottom of the page for above post viewership metric definitions

समुद्री कचरे का सफाया करने के लिए हमारी तैयारियां कैसी हैं?

लखनऊ

 15-06-2023 09:47 AM
समुद्र

आपको जानकर हैरानी होगी कि वर्तमान में, दुनियाभर के महासागरों में तकरीबन 75 से 199 मिलियन टन प्लास्टिक कचरा (Plastic Waste) भर चुका है। हर साल लगभग 10 मिलियन टन प्लास्टिक कचरे को समुद्र में फेंक दिया जाता है, जिसमें से केवल नौ प्रतिशत प्लास्टिक कचरा ही रिसायकल (Recycle) हो पाता है। चलिए जानते हैं, कि इस समस्या को कैसे दूर किया जा सकता है?
जानकारों के अनुसार, यदि समुद्र में जा रहे कचरे को न रोका गया, तो वर्ष 2040 तक समुद्र में प्लास्टिक कचरे की मात्रा, वर्तमान मात्रा से तीन गुना बढ़ सकती है। ऐसा होने पर हमारी अर्थव्यवस्था और पर्यावरण बहुत बुरी तरह से प्रभावित होंगे। उस समय इस समस्या का निदान करने में न केवल खरबों डॉलर (Trillions Of Dollars) खर्च होंगे, बल्कि इसके अलावा मछली पालन, समुद्र तट, पर्यटन तथा समुद्री जीवन के लिए यह एक बड़ी आपदा बन जाएगी। समुद्र में कचरे के सबसे बड़े ढेर को “ग्रेट पैसिफिक गारबेज पैच” (Great Garbage Patch) के नाम से जाना जाता है, और वर्तमान में यह ढेर हवाई (Hawaii) और कैलिफोर्निया (California) के बीच स्थित है। इसमें लगभग 1.8 ट्रिलियन प्लास्टिक के टुकड़े हैं, जिनका वजन लगभग 90,000 टन है। कचरे का यह ढेर इतना बड़ा है कि यह टेक्सस (Texas) जैसे शहर से दोगुने बड़े क्षेत्र को ढक सकता है। दुनियाभर के समुद्रों में माइक्रोप्लास्टिक “Microplastic” (प्लास्टिक के बहुत छोटे कण) के अनगिनत कण भी जमा हैं। ये कण पाँच मिलीमीटर (Millimeters) से भी छोटे होते हैं। ये कण सिंथेटिक कपड़े (Synthetic Fabric), व्यक्तिगत देखभाल उत्पाद, टायर (tyre) और टूटे हुए प्लास्टिक कचरे से आते हैं। वैज्ञानिक पानी से माइक्रोप्लास्टिक्स को हटाने के तरीके खोजने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन यह काफी चुनौतीपूर्ण साबित हो रहा है।
हालांकि, आज कई संगठन महासागरों में मौजूद कचरे को साफ करने की भरपूर कोशिश भी कर रहे हैं। इस प्रक्रिया को अंग्रेजी में “ओशन क्लीनअप” (Ocean Cleanup) कहा जाता है। समुद्र से प्लास्टिक की सफाई के लिए एक बड़े फ्लोटिंग बैरियर (Floating Barrier) वाली प्रणाली को अपनाया जाता है जो प्लास्टिक को इकट्ठा करती है। हालांकि, कई लोग यह मान रहे हैं कि इस प्रणाली का प्रयोग करने से समुद्री जीवन को नुकसान पहुंच सकता है, क्योंकि कचरे के साथ-साथ इसमें समुद्री जीव भी फंस सकते हैं। समुद्र में जाने वाला अधिकांश प्लास्टिक उनमें मिलने वाली नदियों से आता है। इसलिए ओशन क्लीनअप(ocean cleanup) के तहत नदियों को साफ करने की तकनीक भी विकसित की गई है। इस दौरान प्लास्टिक को इकट्ठा करने के लिए इंटरसेप्टर (Interceptor) नामक विशेष नावों का भी उपयोग किया जा रहा है। समुद्रों से प्लास्टिक का सफाया करने के लिए चलाई गई ‘द ओशन क्लीनअप’ नामक इस परियोजना का लक्ष्य साल 2040 तक महासागरों में प्लास्टिक की मात्रा को 90% तक कम करना है। परियोजना का लक्ष्य 1,000 नदियों से प्लास्टिक का सफाया कर देना भी है।
इस परियोजना के तहत 2021 से 2022 तक, ग्रेट पैसिफ़िक गारबेज पैच में एकत्र प्लास्टिक का निपटारण करने के लिए, समुद्र की सफाई प्रणाली का उपयोग किया गया। परियोजना के तहत शोधकर्ताओं द्वारा समुद्र में प्लास्टिक जमा होने के कारणों की भी पड़ताल की गई। उन्होंने पाया कि प्लास्टिक की मात्रा को कम करने के लिए हमें समुद्र की सफाई और नदी अवरोधन, दोनों उपाय करने की जरूरत है। 2018 से लेकर आज तक, समुद्रों की सफाई प्रणाली के तरीके और संचालन में काफी सुधार भी किए गए हैं। शोधकर्ताओं के अनुसार, 2022 तक, अपग्रेड (Upgrade) की गई प्रणाली ने ग्रेट पैसिफ़िक गारबेज पैच से लगभग 84,000 किलोग्राम से ज़्यादा प्लास्टिक को हटा दिया है। वैज्ञानिकों के अनुसार अब नवीनतम सफाई प्रणाली ‘सिस्टम 03’ (System 03) भी समुद्रों की सफाई करने के लिए पूर्ण रूप से तैयार है, जो कि अभी तक की सबसे बड़ी और सबसे कुशल प्रणाली मानी जा रही है।
पिछले वर्ष भारत ने भी पुर्तगाल में आयोजित हुए महासागरों से जुड़े ‘संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन’ (United Nations Conference) में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। इस दौरान भारत ने 2030 तक अपनी 30% भूमि, जल और महासागरों की रक्षा करने का प्रण लिया। इस सम्मलेन का लक्ष्य दुनियाभर के महासागरों और उनके संसाधनों को सुरक्षित रखना है। भारत ‘प्रकृति और लोगों के लिए उच्च महत्वाकांक्षा गठबंधन’ (High Ambitions Alliance For Nature And People) नामक एक समूह का भी हिस्सा है। यह समूह 2030 तक दुनिया की 30% भूमि और महासागरों की सुरक्षा सुनिश्चित करना चाहता है।
आज भारत अपने द्वारा किये गए वादों को पूरा करने के लिए कार्रवाई करने में जुट भी गया है। इसके तहत साल 2022 में, देश भर में 75 समुद्री तटों की सफाई के लिए एक विशाल सफाई अभियान की घोषणा की गई। इस सफाई अभियान का लक्ष्य समुद्र तटों से 1,500 टन कचरा हटाना है। अभियान के दौरान पानी, तलछट, समुद्र तट और जीवों के नमूनों का विश्लेषण किया गया। इस अभियान का मुख्य लक्ष्य समुद्र में जमा प्लास्टिक के हानिकारक प्रभावों के बारे में जागरुकता बढ़ाना है, जो समुद्री जीवन के लिए काफी खतरनाक है और मानव स्वास्थ्य और अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचा सकता है।
केंद्रीय मंत्रालय ने सफाई अभियान के लिए तीन लक्ष्य निर्धारित किए हैं:
1.बुद्धिमानी से उपभोग करना।
2.कचरे का सावधानी से निपटारा करना।
3.बायोडिग्रेडेबल (Biodegradable) और गैर-बायोडिग्रेडेबल कचरे को घरों में ही अलग करना।
समुद्री जीवन की रक्षा करने और प्लास्टिक के उपयोग को कम करने के लिए, भारत सरकार द्वारा 1 जुलाई, 2022 से एकल-उपयोग वाले प्लास्टिक बैग पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने का आह्वान पहले ही किया जा चुका है। इस अभियान के तहत समुद्र तट के प्रत्येक किलोमीटर के दायरे में सफाई के लिए 75 स्वयंसेवकों ने अपनी भागीदारी दिखाई! यह दुनिया का सबसे बड़ा और सबसे लंबा तटीय सफाई अभियान साबित हुआ। प्लास्टिक कचरा दुनियाभर के महासागरों के लिए एक बड़ी समस्या बन गया है। 50% से अधिक समुद्री कचरा, एकल-उपयोग वाले प्लास्टिक (Single-Use Plastics) से आता है। भारत में शहरी समुद्र तटों पर ग्रामीण तटों की तुलना में अधिक कचरा जमा हो गया है। शोधकर्ताओं द्वारा नदियों के करीब के क्षेत्रों में माइक्रोप्लास्टिक्स की अधिक मात्रा भी पाई गई थी। इसलिए भारत में एकल-उपयोग वाले प्लास्टिक को कम करने से जुड़े इस अभियान के तहत लोगों से एकल-उपयोग प्लास्टिक इकट्ठा करने और जूट और कपड़े के थैलों को बढ़ावा देने का अनुरोध किया गया है। कुल मिलाकर प्लास्टिक प्रदूषण के नकारात्मक प्रभाव को समझने, और हमारे समुद्र तटों को साफ रखने तथा समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र की रक्षा करने के लिए हम सभी का मिलकर काम करना बहुत जरूरी है!

संदर्भ
https://shorturl.at/cquS8
https://shorturl.at/agQUZ
https://shorturl.at/imqxy
https://shorturl.at/xFJN7

 चित्र संदर्भ
1. समुद्र से कूड़ा बीनते व्यक्ति को दर्शाता एक चित्रण (Flickr)
2. समुद्र में जाते प्रदूषित जल और प्लास्टिक को दर्शाता चित्रण (Needpix)
3. समुद्र से प्लास्टिक की सफाई के लिए एक बड़े फ्लोटिंग बैरियर (Floating Barrier) वाली प्रणाली को दर्शाता चित्रण (Pexels)
4. फ्लोटिंग बैरियर की कार्य प्रणाली को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
5. समुद्र के तल में प्रवाल भित्तियों को दर्शाता चित्रण ( The Australian Institute of Marine Science)
6. उत्तरी सागर में तेल रिसाव की तैयारी के लिए उपकरणों के परीक्षण को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)



***Definitions of the post viewership metrics on top of the page:
A. City Subscribers (FB + App) -This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post. Do note that any Prarang subscribers who visited this post from outside (Pin-Code range) the city OR did not login to their Facebook account during this time, are NOT included in this total.
B. Website (Google + Direct) -This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership —This is the Sum of all Subscribers(FB+App), Website(Google+Direct), Email and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion ( Day 31 or 32) of One Month from the day of posting. The numbers displayed are indicative of the cumulative count of each metric at the end of 5 DAYS or a FULL MONTH, from the day of Posting to respective hyper-local Prarang subscribers, in the city.

RECENT POST

  • होबिनहियन संस्कृति: प्रागैतिहासिक शिकारी-संग्राहकों की अद्भुत जीवनी
    सभ्यताः 10000 ईसापूर्व से 2000 ईसापूर्व

     21-11-2024 09:30 AM


  • अद्वैत आश्रम: स्वामी विवेकानंद की शिक्षाओं का आध्यात्मिक एवं प्रसार केंद्र
    पर्वत, चोटी व पठार

     20-11-2024 09:32 AM


  • जानें, ताज महल की अद्भुत वास्तुकला में क्यों दिखती है स्वर्ग की छवि
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     19-11-2024 09:25 AM


  • सांस्कृतिक विरासत और ऐतिहासिक महत्व के लिए प्रसिद्ध अमेठी ज़िले की करें यथार्थ सैर
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     18-11-2024 09:34 AM


  • इस अंतर्राष्ट्रीय छात्र दिवस पर जानें, केम्ब्रिज और कोलंबिया विश्वविद्यालयों के बारे में
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     17-11-2024 09:33 AM


  • क्या आप जानते हैं, मायोटोनिक बकरियाँ और अन्य जानवर, कैसे करते हैं तनाव का सामना ?
    व्यवहारिक

     16-11-2024 09:20 AM


  • आधुनिक समय में भी प्रासंगिक हैं, गुरु नानक द्वारा दी गईं शिक्षाएं
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     15-11-2024 09:32 AM


  • भारत के सबसे बड़े व्यावसायिक क्षेत्रों में से एक बन गया है स्वास्थ्य देखभाल उद्योग
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     14-11-2024 09:22 AM


  • आइए जानें, लखनऊ के कारीगरों के लिए रीसाइकल्ड रेशम का महत्व
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     13-11-2024 09:26 AM


  • वर्तमान उदाहरणों से समझें, प्रोटोप्लैनेटों के निर्माण और उनसे जुड़े सिद्धांतों के बारे में
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     12-11-2024 09:32 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id