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क्या हम लोगों के लिए अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन से संपर्क साध कर बात करना संभव है?

लखनऊ

 06-09-2022 11:06 AM
संचार एवं संचार यन्त्र

यदि कोई भी व्यक्ति अंटार्कटिका (Antarctica) में एक भूविज्ञानी से, अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर एक अंतरिक्ष यात्री या प्रशांत महासागर में एक इतालवी जहाज के कप्तान से संपर्क साध कर बात कर सके तो? यह सोचने में कितना अविश्वसनीय लगता है ना! लेकिन 32 साल पहले, पुणे के दो व्यक्तियों, केकी दरबारी और विलास रबाडे ने अपने हैम रेडियो सेट (Ham Radio Set) के साथ गलती से कक्षीय अंतरिक्ष स्टेशन, एमआईआर(Orbital Space Station, MIR) के एक सोवियत अंतरिक्ष यात्री के साथ संपर्क स्थापित कर लिया था। उनके बीच तीन मिनट तक बातों का आदान-प्रदान हुआ, और उनके कई साथी हैम रेडियो उत्साही भी 14 अप्रैल, 1989 को हुई इस बातचीत में शामिल हुए।
रेडियो तरंगों के माध्यम से काम करने वाले इस अनूठे सोशल नेटवर्क के सदस्यों ने कई ऐसे अनुभव को जिया हैं। हैम या एमेच्योर रेडियो नेटवर्क में, एक रेडियो पर आकस्मिक संपर्कों के माध्यम से दोस्त बनाए जाते हैं, यानी एक वायरलेस ट्रांसीवर (wireless transceiver) (रेडियो ट्रांसमीटर प्लस रिसीवर (radio transmitter plus receiver)) जो नेटवर्किंग प्लेटफॉर्म के रूप में काम करता है। इस प्रणाली में रेडियो संचारव्यवस्था का प्रयोग अवाणिज्यिक क्रियाकलापों के लिए किया जाता है। एमेच्योर (Amateur) शब्द का मतलब है रेडियो और उसका ऑपरेटर, जो या तो सामाजिक कार्यो के प्रति वचनबद्ध होते हैं या कमर्शियल रेडियो ऑपरेटरों के विपरीत व्यक्तिगत शौक के तौर पर बिना किसी लालच के इससे जुड़े हैं। एमेच्योर रेडियो को ही हम हैम रेडियो कहते है, और रेडियो ऑपरेटरों को ‘हैम्स’ कहते हैं। एमेच्योर रेडियोकी शुरुआत 20वीं सदी के आरंभ में हुई, जब एमेच्योर रेडियो प्रेमी एक-दूसरे से बात करने के लिए उपकरणों के साथ छेड़छाड़ करने लगे। कई मायनों में, यह पहला सोशल नेटवर्क था, सही उपकरणों वाला कोई भी व्यक्ति इसमें शामिल हो सकता था, तभी से, एमेच्योर रेडियो ऑपरेटरों को 'हैम्स' पुकारा जाने लगा, आज दुनिया भर के लोग मोर्स कोड, आवाज या छवियों के माध्यम से वायरलेस तरीके से संचार करने के लिए रेडियो तरंगों का उपयोग कर रहे हैं। यदि आप सोच रहे होंगे कि एमेच्योर रेडियो ऑपरेटरों को हैम्स क्यों कहा जाता है, तो इसके पीछे भी एक कहानी है: एचएएम (HAM) पहले एमेच्योर वायरलेस स्टेशन का मुख्य स्टेशन कॉल था, जिसे हार्वर्ड रेडियो क्लब के लोगों द्वारा संचालित किया जाता था। उन लोगों के नाम अल्बर्ट एस हाइमन (Albert S Hyman), बॉब अल्मी (Bob Almy) और पूगी मुरे (Poogie Murray) थे।
उन्होंने अपने प्रत्येक नाम के पहले दो अक्षरों का उपयोग करके इसे 'HY-AL-MU' में बदल दिया। फिर उन्होंने प्रत्येक नाम के पहले अक्षर का उपयोग करने का निर्णय लिया, और स्टेशन 'हैम' (HAM) बन गया। दिलचस्प बात यह है कि हैम शब्दावली में, पुरुष रेडियो ऑपरेटरों को ओल्ड मेन (OL) कहा जाता है और महिलाओं को यंग लेडीज़ (YL) कहा जाता है, चाहे उनकी वास्तविक उम्र कुछ भी हो !
हालांकि मोबाइल और इंटरनेट जैसे संचार के आधुनिक रूपों ने रेडियो को पीछे छोड़ दिया है, लेकिन हैम ऑपरेटरों का वैश्विक समुदाय लगातार फल-फूल रहा है। दुनिया भर में, तीन मिलियन (तीस लाख) से अधिक हैम्स हैं, जिनमें से प्रत्येक के पास एक "कॉल साइन" (Call Sign) है जो उसकी पहचान और मूल देश को दर्शाता है। चाहे वह व्यक्तिगत उपयोग, सैन्य उपयोग या हवाई जहाजों के लिए हैम रेडियो का उपयोग कर रहा हो। अमिताभ बच्चन (VU2AMY), दिवंगत प्रधान मंत्री राजीव गांधी (VU2RG) और कमल हसन (VU2HAS) भारत में प्रसिद्ध हैम्स में से एक हैं। महान सोवियत अंतरिक्ष यात्री यूरी गगारिन (UA1LO), नासा की दिवंगत अंतरिक्ष यात्री कल्पना चावला (KD5ESI), और हॉलीवुड अभिनेता मार्लन ब्रैंडो (FO5GJ) भी हैम ऑपरेटरों के वैश्विक क्लब का हिस्सा थे। भारत में भी हैम्स का एक उत्साही समुदाय है, जिनमें से अधिकांश दक्षिण भारत में स्थित हैं। भारत की एमेच्योर रेडियो राजधानी बेंगलुरु में लगभग 5,000 एमेच्योर रेडियो ऑपरेटर हैं और भारत के हैम्स के लिए कॉल साइन उपसर्ग 'VU' का उपयोग होता है।
भारत में एक प्रसिद्ध हैम ऑपरेटर भारती प्रसाद ने प्राकृतिक आपदाओं के दौरान देश भर में कई राहत कार्यों में मदद की है। इसके अलावा उन्होंने सैदाबाद में अपने रेडियो से युद्ध की शुरुआत में यूक्रेन (Ukraine) में भयभीत भारतीय छात्रों की जान बचाई। संपर्क करते समय वे यूक्रेन के एक रेडियो हैम ऑपरेटर के संपर्क में आये। उसने खुद को केरल वासी विष्णु के रूप में अपनी पहचाना करवाई और बताया कि कीव (Kyiv) से करीब 30 किलोमीटर दूर एक बंकर में उसके साथ कई भारतीय छात्र हैं। भारत सरकार से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिलने पर, उसने पोलैंड और बुडापेस्ट (Poland and Budapest) में हैम ऑपरेटर से संपर्क किया, जिन्होंने तब छात्रों को निकालने में मदद की।  81 वर्षीय सेवानिवृत्त लीड एयरक्राफ्टमैन श्रीराममूर्ति सूरी, मसाब टैंक के एक सम्मानित युद्ध के दिग्गज, दिवंगत प्रधान मंत्री राजीव गांधी (जोकि स्वयं एक हैम्स थे) के मित्र थे, जिन्होंने उनसे हैम रेडियो को बढ़ावा देने के लिए एक संगठन स्थापित करने का अनुरोध किया था। श्रीराममूर्ति कहते हैं, "इस तरह आंध्र प्रदेश एमेच्योर रेडियो सोसाइटी 1975 में बनी, जिसका मिशन आपदा के समय प्रशासन की मदद करना था। 1983 में इसका नाम बदलकर नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एमेच्योर रेडियो (एनआईएआर) कर दिया गया। ऐतिहासिक रूप से, हैम रेडियो ऑपरेटरों ने भी भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 1940 में, हैम ऑपरेटर नरीमन अबरबाद प्रिंटर (Nariman Abarbad Printer) (VU2FU) ने गांधीवादी भाषणों, राष्ट्रवादी संगीत और बिना सेंसर वाले समाचारों को प्रसारित करने के लिए आज़ाद हिंद रेडियो की स्थापना की। उसे तुरंत गिरफ्तार कर लिया गया और उसके उपकरण जब्त कर लिए गए। अगस्त 1942 में, महात्मा गांधी द्वारा भारत छोड़ो आंदोलन शुरू करने के बाद, अंग्रेजों ने राष्ट्रवादी नेताओं की गतिविधियों पर और मीडिया को सेंसर करना शुरू कर दिया। मीडिया प्रतिबंधों को दरकिनार करने के लिए, उषा मेहता के नेतृत्व में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने देश भर के स्वतंत्रता सेनानियों को संदेश प्रसारित करने में मदद करने के लिए मुंबई स्थित एमेच्योर रेडियो ऑपरेटरों, भवसिंह मोराजी "बॉब" तन्ना और नरीमन प्रिंटर से संपर्क किया, इस समूह को बाद में "कांग्रेस रेडियो" कहा गया। कहा जाता है कि 2 सितंबर, 1942 से 7.12 मेगाहर्ट्ज पर प्रसारित होना शुरू हुआ और इसे म्यांमार (Myanmar) तक सुना जा सकता था।
1946 में द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति के बाद अस्थायी एमेच्योर रेडियो लाइसेंस फिर से जारी किए गए। 1948 तक, भारत में 50 एमेच्योर रेडियो ऑपरेटर थे, हालांकि केवल एक दर्जन सक्रिय थे। 1947 में भारत की स्वतंत्रता के बाद, पहला एमेच्योर रेडियो संगठन, एमेच्योर रेडियो क्लब ऑफ इंडिया (Amateur Radio Club of India), का उद्घाटन 15 मई, 1948 को मध्य प्रदेश के महू में सिग्नल स्कूल (School of Signals) में हुआ था। क्लब के मुख्यालय को बाद में नई दिल्ली में स्थानांतरित कर दिया गया, जहां 15 मई, 1954 को इसका नाम बदलकर एमेच्योर रेडियो सोसाइटी ऑफ इंडिया (एआरएसआई)कर दिया गया।
भारत का कोई भी नागरिक जो 12 वर्ष से अधिक आयु का है, एमेच्योर स्टेशन ऑपरेटरों की परीक्षा (एएसओ (Amateur Station Operators' Examination (ASO) में शामिल हो कर एक वैध एमेच्योर वायरलेस टेलीग्राफ स्टेशन लाइसेंस (Amateur Wireless Telegraph Station License) प्राप्त करके हैम्स बन सकता है। हालांकि एमेच्योर रेडियो जगत के लिए कोई सेंसरशिप नहीं है, इसके बावजूद, एमेच्योर्स के लिए कुछ आमतौर पर अपनाए गए दिशानिर्देश हैं।
इसे फेयर-यूज़ पॉलिसी (Fair Use Policy) के तौर पर अपनाया जाता है :
- हैम रेडियो वित्तीय लाभ के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता
- अभद्र भाषा या अपशब्दों का प्रयोग ना करें
- इसमें ‘आम’ रुचि की कोई चीज जैसे संगीत या अन्य रेडियो प्रोग्राम नहीं होंगे।
- हैम रेडियो ऑपरेटर्स पब्लिक ‘ब्रॉडकास्ट’ नहीं कर सकते। इसका मतलब कि एक हैम रेडियो ट्रांसमिशन को अन्य हैम रेडियो ऑपरेटर ही प्राप्त करते हैं।

संदर्भ:
https://bit.ly/3AMH54j
https://bit.ly/3RbIAOQ
https://bit.ly/3TkE8zs
https://bit.ly/3pLjnPA

चित्र संदर्भ
1. महिला अंतरिक्ष यात्री को दर्शाता एक चित्रण (Flickr)
2. इंटेरनेशनल स्पेस स्टेशन को दर्शाता एक चित्रण (Flickr)
3. आल इंडिया रेडियो के बोर्ड को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)



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