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हमें इस दुनिया में एक सफल नागरिक के रूप में आकार देने के उद्देश्य के साथ-साथ, शिक्षक हमें
जीवन में अच्छा करने और सफल होने के लिए प्रेरित करते हैं और हमारे गुरुओं की इस कड़ी मेहनत
को पहचानने के लिए शिक्षक दिवस को मनाया जाता है।विश्व शिक्षक दिवस वैसे तो 5 अक्टूबर को
मनाया जाता है, लेकिन विभिन्न देशों में इस दिन को अलग-अलग तारीखों में मनाया जाता है। ऐसे
ही भारत में प्रत्येक वर्ष 5 सितंबर को बड़ी धूमधाम के साथ शिक्षक दिवस को देश के पूर्व राष्ट्रपति,
विद्वान, दार्शनिक और भारत रत्न से सम्मानित डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिन (जिनका
जन्म 1888 में इसी दिन हुआ था) को चिह्नित करने के लिए मनाया जाता है।
इस शिक्षक दिवस पर खेल प्रशिक्षकों के एक खिलाड़ी के व्यक्तित्व के सर्वांगीण विकास में निभाई
जाने वाली भूमिका की सराहना करनी चाहिए। सामाजिक परिवेश में खेल के रूप में खेले जाने से
लेकर संगठित और अर्ध-पेशेवर बनने तक, अपने वर्तमान स्वरूप में, उच्चतम स्तर पर अत्यधिक
पेशेवर के रूप में, खेल अपने आधुनिक अवतार में एक लंबा सफर तय कर चुका है। यह आधुनिक
समय के खेलों की पेशेवर प्रकृति है जिसने खेल के भीतर कई संबद्ध क्षेत्रों की घातीय वृद्धि और
कुशल पेशेवरों की मांग को इतना आगे बढ़ाया है कि खेल अपने आप में एक उद्योग बन गया है।
भारतीय खेल प्रणाली,एक खिलाड़ी-केंद्रित प्रणाली है और इसे बदलने की जरूरत है और भारतीय
प्रशिक्षकों को अधिक अधिकार दिया जाना चाहिए। एक प्रशिक्षक के नजरिए से, जिसे पहचाना नहीं
जाता, जिसे संघों के तहत, प्रशासकों के तहत और कभी-कभी खिलाड़ी के दबाव में भी काम करना
पड़ता है, क्योंकि एक बार खिलाड़ी प्रशिक्षक से बड़ा हो जाता है, तो हर कोई खिलाड़ी की सुनना शुरू
कर देता है। अब समय आ गया है कि हमें इस प्रतिरूप को बदल देना चाहिए और इसे एक प्रशिक्षक
के नेतृत्व वाला प्रतिरूप बनाना चाहिए। इसके लिए हमें प्रशिक्षकों को और अधिक शक्ति देने की
जरूरत है। जवाबदेह, जिम्मेदार शक्ति ताकि वे प्रदर्शन करें और अधिक से अधिक परिणाम दें।
यदि देखा जाएं तो खिलाड़ी कहीं न कहीं एक निश्चित कोच (Coach) के साथ जमीनी स्तर के
खिलाड़ी के रूप में शुरू करते हैं। उसके बाद खिलाड़ी को अगले स्तर पर एक मध्यवर्ती स्तर और एक
कुलीन स्तर पर आगे बढ़ना होता है।प्रत्येक स्तर पर, इन उच्चतम खिलाड़ियों के लिए प्रशिक्षकों को
सरहना दी जाती है। इसलिए, वे खिलाड़ियों को अपनी क्षमता से कई अधिक देर तक प्रशिक्षित करते
हैं। यही कारण है कि हमारे द्वारा उन्हें खिलाड़ियों को अगले स्तर तक पहुंचाने के लिए प्रोत्साहित
किया जाना चाहिए, यह स्थानांतरण एक ऐसी चीज है जो वास्तव में महत्वपूर्ण है। एक अच्छा
खिलाड़ी आठ से 10 साल तक टिक सकता है। लेकिन सोचिए अगर एक अच्छा प्रशिक्षक मिल जाएं
तो वह 30 से 40 वर्ष तक हमारे साथ रहेंगे और कई सारे उच्च गुणों वाले खिलाड़ियों को पेश करेंगे।
हालांकि कई भारतीय खिलाड़ियों की मानसिकता है कि उन्हें पदक जीतने के लिए विदेशी प्रशिक्षकों
की आवश्यकता होती है। लेकिन देश में इस प्रकार की अस्थायी प्रशिक्षण प्रणाली में बदलाव लाने की
आवश्यकता है और इसे कई भारतीय मंत्रियों द्वारा भी देखा गया है।
उदाहरण के लिए हरियाणा से ताल्लुक रखने वाले नीरज चोपड़ा को कई प्रशिक्षकों ने पदारोहण तक
पहुंचाने में अपनी भूमिका निभाई है, जबकि उनके मुख्य प्रशिक्षक जर्मन (German) उवे हॉन रहे।
उनके साथ डॉ क्लॉस बार्टोनिएट्ज़, गैरी कैल्वर्ट, वर्नर डेनियल, काशीनाथ नाइक, नसीम अहमद और
जयवीर सिंह भी नीरज के प्रशिक्षक रहे हैं। वहीं जयवीर सिंह नीरज चोपड़ा के बचपन के प्रशिक्षक रहे
हैं, जिनकी देख-रेख में ही नीरज चोपड़ा ने सबसे पहले भाला फेंकने के खेल के बारे में सीखा।
2011
में नीरज हरियाणा के पंचकुला में ताऊ देवी लाल स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स गए, जहां उन्होंने कोच नसीम
अहमद से प्रशिक्षण लिया। नीरज वहां अपने वरिष्ठ खिलाड़ियों के प्रशिक्षण को देखकर खेल के बारे
में अधिक जानकारी प्राप्त करते थे। अहमद ने उन्हें अपनी आंतरिक-शक्ति और ताकत को बढ़ाने के
लिए लंबी दूरी दौड़ने वाले खिलाड़ियों के साथ प्रशिक्षण दिया।
नीरज चोपड़ा द्वारा पोलैंड (Poland)
में 2016 विश्व अंडर-20 चैंपियनशिप (World U20 Championships) में 86.48 मीटर फेंकने के
साथ जूनियर विश्व रिकॉर्ड बनाया और स्वर्ण पदक जीता।उस समय नीरज चोपड़ा को मुख्य प्रशिक्षण
गैरी कैल्वर्ट दे रहे थे और काशीनाथ नाइक सहायक प्रशिक्षक के तौर पर काम कर रहे थे। नीरज
चोपड़ा ने बाद में 2018 कॉमनवेल्थ गेम्स से पहले जर्मन कोच वर्नर डेनियल से ट्रेनिंग ली, जहां
उन्होंने स्वर्ण पदक जीता। वहीं 2017 से 2018 तक उवे हॉन नीरज चोपड़ा के प्रशिक्षक रहे। हॉन के
बाद, बायोमैकेनिक्स (Biomechanics) विशेषज्ञ डॉ क्लॉस बार्टोनिट्ज़ ने टोक्यो (Tokyo) ओलंपिक
तक नीरज चोपड़ा के साथ कार्य किया। तथा ऐसे एक प्रसिद्ध भारतीय खिलाड़ी को पेश करने मे
भारतीय और विदेशी दोनों प्रशिक्षकों का योगदान रहता है।
कई खेल ऐसे हैं जिन्हें खिलाड़ी द्वारा खेल कर महारत भी प्राप्त की जा सकती है व शिक्षा के क्षेत्र
में भी उन्नति करने में मदद मिलती है - जी हाँ, शतरंज के खेल ने बच्चों के मानसिक विकास में
एक अहम भूमिका निभाई है। प्रशिक्षकों द्वारा अब शतरंज के प्रशिक्षण का उद्देश्य केवल शतरंज
चैंपियन बनाना नहीं बल्कि छात्रों के बीच सोचने का तरीका, समस्या समाधान, दबाव से निपटने और
अन्य जीवन कौशल प्रदान करना बन चुका है।
खिलाड़ियों व क्षत्रों को उन्नति दिलाने में प्रशिक्षक एक अहम भूमिका निभाते हैं। साथ ही खिलाड़ियों
का खेल प्रशिक्षण एक कुशल व अनुभवी शिक्षक द्वारा विभिन्न वैज्ञानिक विधियों को आधार बनाकर
पूरी की जाती है जिसका एकमात्र उद्देश्य खिलाड़ियों के प्रदर्शन में उच्चता लाना होता है। खिलाड़ियों
के प्रदर्शन को बढ़ाने के लिए प्रशिक्षक की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। प्रशिक्षक की प्रशिक्षण प्रणाली
एवं कला से ही खिलाड़ी अपने खेल की क्षमता का विकास करता है इसीलिए खेल प्रशिक्षक पूरी लगन
से विभिन्न तरीकों को अपनाते हुए प्रशिक्षण देते हैं।
संदर्भ :-
https://bit.ly/3RdlVCa
https://bit.ly/3CNFIUw
https://bit.ly/3CNEYP5
चित्र संदर्भ
1. लंदन ओलंपिक से पहले भारतीय तीरंदाजी टीम की तीरंदाज और कोच पूर्णिमा महतो जी को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
2. शिक्षक दिवस छाया कला में डॉ.एस.राधाकृष्णन को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. हरियाणा से ताल्लुक रखने वाले स्वर्ण पदक विजेता नीरज चोपड़ा को दर्शाता एक चित्रण (Pixabay)
4. 2018 ग्रीष्मकालीन युवा ओलंपिक में बीच हैंडबॉल टीम (beach handball team) तुर्की को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
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