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अचल संपत्ति (Real estate) में किफायती आवास का विशेष महत्व है। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में कोविड-19 से
पहले और बाद में आवास के मूल्यों में काफी अंतर दर्ज किया गया है। पूर्व कोविड के दौरान यह वरीयता 31% थी जो बढ़कर
40% तक हो गई है। इसमें 38% दिल्ली एनसीआर और 21% कलकत्ता से आता है। आवासीय संपत्ति को निवेश के भी अच्छे
साधन के रूप में देखा जाता है। हालाँकि वर्तमान समय में इसकी खरीद स्वयं के उपयोग के लिए अधिक की जा रही है। पिछले
कई वर्षों से सरकार द्वारा इस क्षेत्र को कई नीतिगत सहायता प्रदान की गई है।
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ को आवास के रूप में एक उपयुक्त स्थान माना जाता है। पिछले कई वर्षों से लखनऊ खरीदारों
के लिए किफायती गंतव्य के रूप में उभर कर आया है। इसका कारण उत्कृष्ट आवागमन, शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाएँ, विशाल
बाजार और अच्छी गुणवत्ता वाला जीवन स्तर है। आसपास के क्षेत्र और शहरों से भी यह खरीदारों को आकर्षित करने में सक्षम
है। हरीश नायर, कार्यकारी निदेशक और प्रमुख, परामर्श, भारत, सीबीआरई दक्षिण एशिया प्रा. लिमिटेड, का कहना है, "हाल के
वर्षों में, लखनऊ में तेजी से बुनियादी ढांचे के विकास को देखा गया है और हाल के विकास के कारण, जैसे मेट्रो रेल परियोजना
और सुल्तानपुर रोड के साथ आईटी सिटी, शहर निवेशकों और घर खरीदारों को समान रूप से आकर्षित कर रहा है। शहर में
किफायती आवास के रूप में गोमती नगर और इंदिरा नगर टाउनशिप के नए आवंटित क्षेत्र शामिल हैं। फैजाबाद रोड, सीतापुर
रोड और कानपुर रोड घर खरीदने वालों के लिए एक किफायती गंतव्य साबित हुआ है। ये सड़कें शहीद पथ और किसान पथ
जिसका निर्माण चल रहा है, से जुड़ी हुई हैं। राज्य सरकार भी शहर के बुनियादी ढांचे में लगातार सुधार कर रही है।
भारतीय आवासीय बाजार में कोविड के बाद से परिवर्तन देखा गया है। अब अधिकतर लोग इसे संपत्ति में निवेश की बजाय स्वयं
के उपयोग के लिए खरीद रहे हैं। दर्ज किए गए आँकड़ों के अनुसार 74% लोग आवासीय संपत्ति को स्वयं के उपयोग के लिए
खरीद रहे हैं जबकि मात्र 26% लोग ही इसे निवेश की दृष्टि से देख रहे हैं। हालाँकि कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान निवेशकों
का प्रतिशत 41% ही रहा है। इस क्षेत्र में सरकार ने भी महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। किफायती आवास परियोजना के तहत कर
अवकाश को एक और वर्ष 31 मार्च 2022 तक के लिए बढ़ा दिया गया है। इसके अलावा खरीदारों को भी ब्याज के भुगतान पर
कटौती एक और वर्ष के लिए बढ़ा दी गई है।
हालाँकि इस खंड को कई चुनौतियां का सामना भी करना पड़ता है। निसेस फाइनेंस (Nisus Finance) के मैनेजिंग डायरेक्टर
और सीईओ अमित गोयनका के अनुसार किफायती क्षेत्रों को मंदी के समय में बिक्री में भारी गिरावट का सामना करना पड़ता है।
इस क्षेत्र के सामने दूसरी सबसे बड़ी समस्या यह है कि असंगठित क्षेत्र को उन ग्राहकों को भी ऋण देना पड़ता है जिनका क्रेडिट
रिकॉर्ड (Credit Record) खराब है या कोई क्रेडिट इतिहास नहीं है। इससे नगदी प्रवाह में अक्सर मंदी आती है। इसके अलावा
तीसरी सबसे बड़ी चुनौती बिल्डरों की अपने होम लोन (Home Loan) को पुनर्वित्त करने की क्षमता है।
किफायती आवासीय क्षेत्र में यातायात और परिवहन सुविधा का भी विशेष महत्व होता है। रियल एस्टेट या अचल संपत्ति क्षेत्र में
मूल्य की वृद्धि के लिए यातायात में निवेश करने की आवश्यकता है। इससे लोग यात्रा के लिए प्रेरित होंगे। यातायात की लागत
कम होगी और मांग में वृद्धि होगी। आँकड़ों की माने तो राष्ट्रीय राजमार्ग के पास की जमीनों के मूल्य कम समय में 60 से 80%
तक बढ़ जाते हैं। हालाँकि हाईवे के पास जमीन खरीदने के अपने फायदे और नुकसान है। जमीन में निवेश करने से पूर्व इन दोनों
मुद्दों पर गौर करना आवश्यक है। महानगरों में इंटरसिटी कनेक्टिविटी (Intercity Connectivity) अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देती
है।
शहरीकरण का भूमि और आवास कीमतों पर गहरा प्रभाव पड़ता है। वर्तमान समय में बढ़ते शहरीकरण की गति लगातार बढ़ती
जनसंख्या, रोजगार के अवसर, जीवन स्तर और बुनियादी आवश्यकताएँ आदि तत्वों पर निर्भर करती है। विशेषज्ञों के अनुमान के
अनुसार शहरीकरण वर्ष 2050 तक 69% तक पहुँचने की संभावना है। बढ़ती जनसंख्या के कारण प्रकृति का विनाश, लगातार
बढ़ता प्रदूषण, वाहनों की सघनता, खाद्य संसाधनों में कमी और रोजगार के सीमित अवसर आदि मुद्दों को बढ़ावा मिलता है।
शहरीकरण ग्रामीण क्षेत्रों में पलायन को भी बढ़ावा देता है।
पिछले कुछ वर्षों में आवासीय इकाइयों की मांग में वृद्धि हुई है। अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में, मुंबई, दिल्ली-एनसीआर, बेंगलुरु,
पुणे, चेन्नई, हैदराबाद और कोलकाता में आवासीय इकाइयों की बिक्री 46,750 इकाइयों तक पहुँच गई। पिछले 8 वर्षों में यह
सबसे अधिक आवासीय बिक्री थी। 2020 के जनवरी-मार्च के महामारी तिमाह में बिक्री का स्तर 70% तक बढ़ा। जबकि वार्षिक
बिक्री संख्या 2019 में 143,703 की तुलना में 2021 के पूर्व-कोविड -19 में यह संख्या 128,282 से पिछड़ी है। नाइट फ्रैंक
इंडिया (Knight Frank India) के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक शिशिर बैजल के अनुसार, पिछले एक दशक में, आवास बाजार में
मांग और आपूर्ति दोनों पक्षों पर एक संरचनात्मक परिवर्तन आया है। इससे घर खरीदने का माहौल अपेक्षाकृत आकर्षक और
सुरक्षित हो गया है। कई लोग भविष्य में बेहतर रिटर्न के उद्देश्य से भी सस्ती जमीनों और अपार्टमेंट्स (Apartments) में निवेश
करते हैं।
संदर्भ:
https://bit.ly/3SMPoE6
https://bit.ly/3dr01MX
https://bit.ly/3C0nz5r
https://bit.ly/3ds8Sh9
चित्र संदर्भ
1. लखनऊ के एक व्यस्त बाजार को दर्शाता एक चित्रण (prarang)
2. आसमान से लखनऊ शहर को दर्शाता एक चित्रण (prarang)
3. लखनऊ की ऐतिहासिक इमारतों को दर्शाता एक चित्रण (prarang)
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