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सभी देशवासियों के लिए खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करती योजनाएं

लखनऊ

 13-08-2022 10:19 AM
आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

किसी भी लोकतंत्र या सरकार की सफलता काफी हद तक इस बात में निहित है की, उस देश का कोई भी नागरिक भूखे पेट न सोये! जिस प्रकार अपने घर के सभी सदस्यों का पेट भरना उस घर के मुखिया की जिम्मेदारी होती है, ठीक उसी प्रकार यह राष्ट्र की सरकार की जिम्मेदारी होती है की, वो प्रत्येक देशवासी को आवश्यक भोजन एवं पोषण मुहैया कराये। हालांकि देश का लोकतंत्र और सरकार अपनी इस जिम्मेदारी को बखूबी समझ रही है, तथा सरकार के द्वारा देश में खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कई महत्वाकांक्षी योजनाएं भी चलाई जा रही हैं।
देशभर में भारतीय नागरिकों की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 या 'खाद्य अधिकार अधिनियम' संसद का एक भारतीय अधिनियम लाया गया। जिसका उद्देश्य देश के 1.2 अरब लोगों में से लगभग दो तिहाई को रियायती खाद्यान्न उपलब्ध कराना है। यह 5 जुलाई 2013 को पूर्वव्यापी था, तथा इसे 12 सितंबर 2013 को कानून में हस्ताक्षरित किया गया। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (National Food Security Act), 2013 भारत सरकार के मौजूदा खाद्य सुरक्षा कार्यक्रमों के लिए कानूनी अधिकारों में परिवर्तित हो गया है। इसमें मध्याह्न भोजन योजना, एकीकृत बाल विकास सेवा योजना और सार्वजनिक वितरण प्रणाली शामिल हैं। इसके अलावा, एनएफएसए (NFSA 2013) मातृत्व अधिकारों को भी प्रमुखता से मान्यता देता है। मध्याह्न भोजन योजना और एकीकृत बाल विकास सेवा योजना, प्रकृति में सार्वभौमिक हैं जबकि सार्वजनिक वितरण प्रणाली का लगभग दो-तिहाई (ग्रामीण क्षेत्रों में 75% और शहरी क्षेत्रों में 50%) आबादी तक पहुंचने का अनुमान है। खाद्य अधिकार अधिनियम बिल के प्रावधानों के तहत, सार्वजनिक वितरण प्रणाली के लाभार्थी निम्नलिखित कीमतों पर प्रति व्यक्ति प्रति माह 5 किलोग्राम (11 पाउंड) अनाज के हकदार हैं:
1. चावल ₹3 (3.8¢ यूएस) प्रति किग्रा।
2. गेहूं ₹2 (2.5¢ यूएस) प्रति किग्रा।
3. मोटे अनाज (बाजरा) ₹1 (1.3¢ यूएस) प्रति किलो के हिसाब से।
4.गर्भवती महिलाएं, स्तनपान कराने वाली माताएं और बच्चों की कुछ श्रेणियां दैनिक मुफ्त अनाज के लिए पात्र हैं।
इसकी मुख्य विशेषताओं में शामिल हैं:
1.लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत कवरेज और पात्रता: ग्रामीण आबादी का 79.56 फीसदी और शहरी आबादी का 64.43 फीसदी टीपीडीएस के तहत कवर किया जाएगा, जिसमें प्रति व्यक्ति प्रति माह 5 किलोग्राम की समान पात्रता होगी।
2.राज्य-वार कवरेज: ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में अखिल भारतीय कवरेज 75% और 50% के अनुरूप, राज्य-वार कवरेज केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित किया जाएगा।
3. टीपीडीएस के तहत रियायती मूल्य और उनका संशोधन टीपीडीएस के तहत खाद्यान्न रुपये की रियायती कीमतों (अधिनियम के लागू होने की तारीख से तीन साल की अवधि के लिए चावल, गेहूं और मोटे अनाज के लिए 3/2/1 प्रति किलो) पर उपलब्ध कराया जाएगा। इसके बाद कीमतों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से उपयुक्त रूप से जोड़ा जाएगा। यदि अधिनियम के तहत किसी राज्य का आवंटन उनके वर्तमान आवंटन से कम है, तो इसे केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित कीमतों पर पिछले तीन वर्षों के दौरान सामान्य टीपीडीएस के तहत औसत उठाव के स्तर तक संरक्षित किया जाएगा।
4.मातृत्व लाभ: गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताएं कम से कम 6,000 रुपये का मातृत्व लाभ प्राप्त करने की हकदार होगी।
5.महिला सशक्तिकरण: राशन कार्ड जारी करने के उद्देश्य से परिवार की 18 वर्ष या उससे अधिक आयु की सबसे बड़ी महिला को घर की मुखिया होना चाहिए।
6.शिकायत निवारण तंत्र: जिला और राज्य स्तर पर शिकायत निवारण तंत्र। राज्यों के पास मौजूदा मशीनरी का उपयोग करने या अलग तंत्र स्थापित करने का लचीलापन होगा।
7. 14 वर्ष तक की आयु के बच्चे पौष्टिक आहार अथवा निर्धारित पौष्टिक मानदण्‍ड अनुसार घर राशन ले जा सकेंगे। 8. खाद्यान्न अथवा भोजन की आपूर्ति न हो पाने की स्थिति में, लाभार्थी को खाद्य सुरक्षा भत्ता दिया जाएगा।
9. इस अधिनियम के जिला एवं राज्‍य स्‍तर पर शिकायत निवारण तंत्र स्थापित करने का भी प्रावधान है।
10.पारदर्शिता एवं उत्तरदायित्व सुनिश्चित करने के लिए भी आवश्यक प्रावधान किए गए हैं। परिवारों की पहचान: प्रत्येक राज्य के लिए निर्धारित टीपीडीएस के तहत, पात्र परिवारों की पहचान का कार्य राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों द्वारा किया जाना है। देश में खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक अन्य योजना प्रधान मंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएम-जीकेएवाई) भी कार्यरत है। यह प्रवासियों और गरीबों को मुफ्त खाद्यान्न की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए आत्मनिर्भर भारत के हिस्से के रूप में एक योजना है। इस योजना का पहले और दूसरे चरण क्रमशः अप्रैल से जून, 2020 और जुलाई से नवंबर, 2020 तक चालू हो गए थे। योजना का तीसरा चरण मई से जून, 2021 तक चालू हो गया था। तथा योजना का चौथा चरण जुलाई-नवंबर, 2021 के दौरान और पांचवां चरण दिसंबर 2021 से मार्च, 2022 तक लागू किया जा चुका है। अप्रैल-सितंबर, 2022 से छठे चरण के लिए पीएमजीकेएवाई योजना में अनुमानित रूप से रु. 80,000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त खाद्य सब्सिडी प्रदान की जाएगी। इसके तहत 81.35 करोड़ से अधिक लोगों को प्रति व्यक्ति प्रति माह 5 किलो मुफ्त गेहूं/चावल के साथ-साथ प्रत्येक परिवार को प्रति माह 1 किलो मुफ्त साबुत चना उपलब्ध कराया जाएगा। यह राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 (एनएफएसए) के तहत नियमित मासिक पात्रता के अतिरिक्त है। इसके तहत गरीबी रेखा से नीचे के परिवार, अंत्योदय अन्न योजना और प्राथमिकता वाले परिवार इस योजना के लिए पात्र होंगे।
राशन की प्राथमिकता वाले घरेलू परिवारों (Priority Household (PHH) की पहचान राज्य सरकारों/संघ राज्य क्षेत्र प्रशासनों द्वारा उनके द्वारा विकसित मानदंडों के अनुसार की जानी है। साथ ही यह सुविधा विधवा, मानसिक रूप से बीमार व्यक्ति, विकलांग व्यक्ति, 60 वर्ष या उससे अधिक आयु के व्यक्ति, एकल महिलाएं या एकल पुरुष जिनके पास परिवार या सामाजिक समर्थन या निर्वाह के सुनिश्चित साधन नहीं हैं, को भी प्रदान की जाएगी। इसके साथ ही भूमिहीन खेतिहर मजदूर, सीमांत किसान, ग्रामीण कारीगर/ शिल्पकार जैसे कुम्हार, चर्मकार, बुनकर, लोहार, बढ़ई, झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले, और अनौपचारिक क्षेत्र में दैनिक आधार पर अपनी आजीविका कमाने वाले व्यक्ति जैसे कुली, रिक्शा चालक, हाथ ठेला चलाने वाले, ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में फल और फूल विक्रेता, सपेरे, कूड़ा बीनने वाले, मोची, निराश्रित, गरीबी रेखा से नीचे के परिवार और अन्य समान श्रेणियां भी इसकी पात्रता की श्रेणी में आती हैं। उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत अप्रैल 2020 से मई 2022 तक गरीबों को 80.40 लाख मीट्रिक टन गेहूं और 67.34 लाख मीट्रिक टन चावल सहित कुल 147.77 लाख मीट्रिक टन खाद्यान्न वितरित किया है। सरकार ने 2021-2022 में क्रमशः मई 2021 से जून 2021, जुलाई 2021 से नवंबर 2021 और दिसंबर 2021 से मार्च 2022 तक आयोजित योजनाओं के चरण तीन, चार और पांच को सफलतापूर्वक लागू किया है। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत पिछले साल मई और जून के महीनों में कुल मिलाकर 14.15 लाख मीट्रिक टन खाद्यान्न, जिसमें 5.66 लाख मीट्रिक टन चावल और 8.49 लाख मीट्रिक टन गेहूं शामिल है, पीएमजीकेएवाई के लाभार्थियों को दिया गया है।
इसके अलावा, सरकार ने पीएमजीकेएवाई (PMGKAY) चरण पांच में आवंटित खाद्यान्न का कुल मिलाकर 28.13 लाख मीट्रिक टन वितरित किया, जिसमें 11.26 मीट्रिक टन चावल और 16.87 लाख मीट्रिक टन गेहूं शामिल है, जिसमें प्रति व्यक्ति अतिरिक्त पांच किलोग्राम खाद्यान्न का आवंटन किया गया था।

संदर्भ
https://bit.ly/3p6R7a4
https://bit.ly/3QyusyK
https://bit.ly/3bCWt9T

चित्र संदर्भ
1. राशन वितरण की लाइन को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
2. स्कूल में मध्याहन भोजन करते छात्रों को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. राशन कार्ड के नमूने को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. संस्था द्वारा राशन वितरण को दर्शाता एक चित्रण (flickr)



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