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वर्तमान समय में ऐसी कई सुविधाएं या तकनीकें विकसित हो चुकी हैं, जिसकी सहायता से
किसी देश या क्षेत्र के मानचित्र को बहुत सटीक तरीके से बनाया जा सकता है। किंतु पहले ये
सभी सुविधाएं मौजूद नहीं थी, लेकिन फिर भी ऐसे मानचित्र बनाए गए, जो किसी विशेष क्षेत्र
या देश का काफी हद तक सही मानचित्रण करते थे। ऐसे कई यूरोपीय (European)
मानचित्रकार हैं, जिन्होंने भारत के ऐतिहासिक मानचित्रों को आकार देने में मदद की और
इन्हीं में से एक मार्टिन वाल्डसीमुलर (Martin Waldseemuller) भी हैं।
मार्टिन वाल्डसीमुलर एक जर्मन (German) मानचित्रकार और मानवतावादी विद्वान थे। वे
सोलहवीं शताब्दी के एक कॉस्मोग्राफर (cosmographer) थे, जिन्हें अपने 1507 के बारह शीटों
के विश्व मानचित्र के लिए जाना जाता है। यह अमेरिका (America) नाम को शामिल करने
वाला सबसे पुराना जीवित नक्शा है। कभी-कभी उन्हें उनके नाम के लैटिनकृत (Latinized) रूप
हाइलाकोमाइलस (Hylacomylus) से जाना जाता है, तथा उनका काम समकालीन मानचित्रकारों
के बीच काफी प्रभावशाली था।
इतालवी खोजकर्ता अमेरिगो वेस्पूची (Amerigo Vespucci) के सम्मान में नई दुनिया के एक
हिस्से का नाम रखने के लिए उन्हें और उनके सहयोगी मथियास रिंगमैन (Matthias
Ringmann) को अमेरिका शब्द के पहले रिकॉर्ड किए गए उपयोग का श्रेय दिया जाता है।
वाल्डसीमुलर एशिया (Asia) से एक अलग महाद्वीप के रूप में दक्षिण अमेरिका का नक्शा
बनाने वाले पहले व्यक्ति भी थे। इसके अलावा वे मुद्रित ग्लोब बनाने वाले और यूरोप का
मुद्रित वॉल मैप (Wall map) बनाने वाले पहले व्यक्ति भी थे। टॉलेमी (Ptolemy) के भूगोल के
1513 संस्करण के परिशिष्ट के रूप में छपे उनके नक्शों का एक सेट आधुनिक एटलस का
प्रथम उदाहरण माना जाता है। उनके प्रतिष्ठित कार्यों में 1507 का विश्व मानचित्र शामिल
है।अमेरिगो वेस्पूची (Amerigo Vespucci) के पत्रों के आधार पर, वाल्डसीमुलर ने अपने 12 शीट
वाले विश्व मानचित्र पर खोजे गए "न्यू वर्ल्ड" (Neue World) के शीर्षक को "अमेरिका" में
बदल दिया था।
वास्को ड गामा (Vasco da Gama) और अन्य पुर्तगाली खोजकर्ताओं के हालिया इनपुट के
आधार पर 1513 में, वाल्डसीमुलर ने 20 आधुनिक मानचित्र प्रकाशित किए, जिनमें से एक
भारत के प्रायद्वीप को भी दर्शाता है।इस नक्शे पर लगे वुडकट्स (Woodcuts) अल्ब्रेक्ट
ड्यूरर (Albrecht Durer) द्वारा बनाए गए थे। एक साथ दो मास्टर्स के साथ यह दुर्लभ नक्शा
भारत के सबसे महत्वपूर्ण नक्शों में से एक है।वाल्डसीमुलर की जियोग्राफिया (Geographia)
के 1513 संस्करण से हिंद महासागर, भारत, दक्षिण पूर्व एशिया और निकटवर्ती क्षेत्रों के
आधुनिक मानचित्र का एक आकर्षक उदाहरण प्राप्त होता है। उनका आधुनिक नक्शा
अधिकांश दक्षिणी एशिया को कवर करता है और यह हिंद महासागर पर केंद्रित है, जो अरब
(Arab) और हॉर्न ऑफ अफ्रीका (Horn of Africa) से मलय प्रायद्वीप तक और उत्तर की ओर
चीन (China) तक फैला हुआ है। वाल्डसीमुलर नक्शा बड़े पैमाने पर एक तीर के आकार के
भारतीय उपमहाद्वीप और मलय प्रायद्वीप के साथ, कैंटिनो परिसीमन (Cantino
delineation) का अनुसरण करता है।वाल्डसीमुलर का नक्शा दक्षिण चीन सागर के रूप में
साइनस मैग्नस (Sinus Magnus) को चित्रित करने वाला पहला नक्शा है।'फुलिकंडोरा'
(Fulicandora)का छोटा प्रायद्वीप,साइनस मैग्नस के ठीक ऊपर स्थित है। यह एक मुद्रित
मानचित्र पर इंडोचीन की पहली प्रारंभिक उपस्थिति का प्रतिनिधित्व करता है।श्रीलंका (Sri
Lanka) और भारतीय उपमहाद्वीप अपने आकार में अपेक्षाकृत सही हैं।यह नक्शा हिंद
महासागर में पुर्तगाली अन्वेषणों को रिकॉर्ड करने वाले शुरुआती दस्तावेजों में से एक है,तथा
यह भारत और दक्षिण पूर्व एशिया के मानचित्रण में प्राथमिक महत्व भी रखता है।
वाल्डसीमुलर ने भारत और दक्षिण पूर्व एशिया का जो सबसे पुराना आधुनिक मानचित्र
बनाया, उसे देखने से यह लगता है कि इसमें वाल्डसीमुलर ने कैवेरियो नक्शा का उपयोग
किया था।विशेष रूप से इस तथ्य के कारण क्यों कि यह कैंटिनो की तुलना में आगे पूर्व की
ओर फैला हुआ है। नक्शे में कोई चीज स्पष्ट रूप से दिखाई देती है, तो वो है 'इंडिया इंट्रा
गैन्जम' (India Intra Gangem)। नक्शा संपूर्ण फ़ारस की खाड़ी सहित पश्चिम में अरब
प्रायद्वीप के एक हिस्से को प्रदर्शित करता है। ईरान द्वारा प्रतिनिधित्व किए गए क्षेत्र को
यहां कारमेनिया (Carmania) नाम दिया गया है, जो एकमेनिड (Achaemenid) साम्राज्य के एक
प्रांत के लिए एक प्राचीन यूनानी शब्द है। प्रमुख सिंधु नदी इसे भारतीय प्रायद्वीप से अलग
करती है। मालदीव (Maldives) और श्रीलंका दोनों को आसानी से अपतटीय रूप से पहचाना
जा सकता है। टॉलेमी के विश्वास के विपरीत हिंद महासागर को यहां खुला हुआ दिखाया गया
है, जबकि टॉलेमी इसे बंद मानते थे।
मार्टिन वाल्डसीमुलर का पहले आधुनिक एटलस के निर्माण में भी विशेष योगदान है।पहला
आधुनिक एटलस, मार्टिन वाल्डसीमुलर द्वारा माथियास रिंगमैन के अनुवाद का उपयोग
करके तैयार किया गया था। यह टॉलेमी के सबसे महत्वपूर्ण संस्करणों में से एक है,जिसमें
कई नए क्षेत्रीय मानचित्र शामिल हैं।1482 उल्म (Ulm) संस्करण से प्राप्त पारंपरिक 27
टॉलेमिक मानचित्रों के अतिरिक्त समकालीन ज्ञान पर आधारित 20 नए मानचित्र वाल्डसीमुलर
द्वारा शामिल किए गए थे।मार्टिन वाल्डसीमुलर और उनके सहयोगी माथियास रिंगमैन ने
टॉलेमी के इस संस्करण को तैयार किया,जिसे जैकबस एस्ज़लर (Jacobus Eszler) और
जॉर्जियस उबेलिन (Georgius Ubelin) द्वारा पूरा किया गया था।एटलस का पहला मानचित्र
पूरी तरह से अमेरिका (टैबुला टेरेनोव - Tabula terrenove) को समर्पित है, जिसे अक्सर
कोलंबस (Columbus) के बाद "एडमिरल का नक्शा" (Admiral's map) कहा जाता है।
जब 1507 विश्व मानचित्र के लिए रिंगमैन परिचय लिख रहे थे, वाल्डसीमुलर ने टॉलेमी,
हेनरिकस मार्टेलस (Henricus Martellus), अल्बर्टो कैंटिनो (Alberto Cantino) और निकोलो डी
कैवेरियो (Nicolò de Caverio) के कार्यों के आधार पर मानचित्रों सहित स्रोतों के एकत्रीकरण का
उपयोग करके एक विश्व मानचित्र के निर्माण पर ध्यान केंद्रित किया।एक बड़े 12-पैनल
दीवार मानचित्र के अलावा, वाल्डसीमुलर ने एक छोटा, सरलीकृत ग्लोब बनाया।
दीवार के नक्शे
को टॉलेमी और वेस्पूची के प्रमुख चित्रों से सजाया गया था। नई दुनिया को एशिया से अलग
महाद्वीप के रूप में दिखाने और दक्षिणी भूभाग अमेरिका का नामकरण करने के लिए
मानचित्र और ग्लोब उल्लेखनीय थे। अप्रैल 1507 तक, मानचित्र, ग्लोब और उसके साथ की
पुस्तक, इंट्रोडक्शन टू कॉस्मोग्राफी (Introduction to Cosmography) प्रकाशित की गई। इसकी
पूरे यूरोप में एक हजार प्रतियां छपी और बेची गईं।
संदर्भ:
https://bit.ly/34K0NAH
https://bit.ly/3tVU1As
चित्र सन्दर्भ
1. मार्टिन वाल्डसीमुलर एक जर्मन (German) मानचित्रकार और मानवतावादी विद्वान थे। वे सोलहवीं शताब्दी के एक कॉस्मोग्राफर (cosmographer) थे, जिन्हें अपने 1507 के बारह शीटों के विश्व मानचित्र के लिए जाना जाता है। जिनको दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
2. 1507 के बारह शीटों के विश्व मानचित्रको दर्शाता एक चित्रण (flickr)
3. मार्टिन वाल्डसीमुलर 1513 के नक़्शे को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
4. अमेरिका दिखा रहा, 1507 वाल्डसीमुलर नक्शा विवरण को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
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