समुद्रीमार्ग से भारत पहुंचने वाला पहला यूरोपीय बना,वास्को डी गामा

जौनपुर

 25-05-2021 10:00 AM
ध्वनि 2- भाषायें

पश्चिमी दुनिया के कई नाविक सुदूर पूर्व भारतअर्थात एक ऐसे देश जो अन्य ज्ञात देशों की तुलना में अधिक समृद्ध था,की खोज करने के लिए समुद्री मार्ग से रवाना हुए। किंतु उन सभी नाविकों में से कोई भी इस कार्य में सफल नहीं हो पाया,सिवाय पुर्तगाली नाविक वास्को ड गामा (Vasco Da Gama) के। 17 मई 1498 को वास्को ड गामा समुद्रीमार्ग से भारत पहुंचने वाला पहला यूरोपीय (European) बना, जब चार जहाजों के साथ वह केरल में कालीकट तट पर उतरा। इससे पांच साल पहले 1492 में क्रिस्टोफर कोलंबस (Christopher Columbus) ने भी भारत तक पहुंचने के लिए समुद्री मार्ग की खोज करने का प्रयास किया था, किंतु वह एक ऐसी दुनिया (अमेरिका -America) में जा पहुंचा,जिसके बारे में पहले कभी किसी को कोई जानकारी नहीं थी। हालांकि, वास्को ड गामा से पहले सिकंदर (Alexander), अरब और मंगोल लोग पहले ही भारत में जा चुके थे, लेकिन उन सभी ने भूमि मार्ग या कुख्यात खैबर दर्रे (Khyber Pass) का उपयोग किया था।वास्को ड गामा द्वारा समुद्री मार्ग के माध्यम से भारत की खोज, नेविगेशन (Navigation) के क्षेत्र में मील का पत्थर साबित हुई और भारत और चीन जैसे देशों के रेशम और मसालों की समृद्धि ने पश्चिमी देशों की जिज्ञासा को लालच और लालसा में बदल दिया।
1524 में भारत में अपनी मृत्यु से पहले वास्को ड गामा ने तीन बार (1497-98, 1502-03, और 1524) भारत की यात्रा की। इस खोज ने भारत में डच (Dutch), फ्रेंच (French), डेनिश (Danish) और अंग्रेजों (British) के आगमन का मार्ग प्रशस्त किया।
वास्को ड गामा 1480 के दशक में पुर्तगाली नौसेना में शामिल हुआ था,जहां उसने नेविगेट करना सीखा। उसके पूर्ववर्ती नाविकों ने समुद्री मार्गों को समझने में उसकी मदद की।1487 में, बार्टोलोमू डायस (Bartolomeu Dias) ने जब यह पाया, कि भारतीय और अटलांटिक (Atlantic) महासागर एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं, तो नेविगेशन में गहरी रुचि रखने वाला वास्को ड गामा यह जान गया, कि यदि भारतीय और अटलांटिक महासागर अफ्रीका (Africa) के अंत में जुड़ते हैं, तो वे अफ्रीका में भूमि के अंतिम बिंदु के माध्यम से भारत तक पहुंचने का रास्ता खोज सकता है।इसलिए बाद में जब वह अफ्रीका के अंतिम बिंदु पर पहुंचा, जिसे "केप ऑफ गुड होप" (Cape of Good Hope) के नाम से जाना जाता है, तो उसे लगा कि उसका सपना हकीकत में बदल सकता है। इस प्रकार भारत की खोज में “केप ऑफ गुड होप” उसका पहला प्रमुख गंतव्य बना।वास्को ड गामा ने जुलाई 1497 में पुर्तगाल की राजधानी लिस्बन (Lisbon) से अपनी यात्रा शुरू की, केप ऑफ गुड होप पहुंचा और अफ्रीका के पूर्वी तट पर मालिंदी में अपना पड़ाव डाला। यहां उसकी मुलाकात एक भारतीय व्यापारी से हुई, जिसकी सहायता से उसने हिंद महासागर में अपनी यात्रा शुरू की। और इस प्रकार वह 1498 में भारत की भूमि पर पहुंच गया।जब वास्को ड गामा मसाले और रेशम के साथ पुर्तगाल लौटा, तो यह माना जाता है,कि उसने केवल मसालों को बेचकर यात्रा पर खर्च हुए धन का चार गुना कमाया। इस आकर्षक व्यापार ने उसे पुर्तगाल में एक प्रसिद्ध व्यक्ति बना दिया था, तथा 1502-03 में पुर्तगाल के राजा ने उन्हें फिर से भारत भेज दिया। 1524 में भारत की अपनी तीसरी यात्रा के दौरान कालीकट में उसकी मृत्यु हो गई।भारत तक पहुंचने के लिए समुद्री मार्ग की खोज के कारण वास्को ड गामा पूरे यूरोप में अत्यधिक प्रसिद्ध हुआ तथा इस कारण अन्य देशों ने भी भारत पहुंचने के लिए उस मार्ग का उपयोग करना शुरू किया।
वास्को ड गामा की यात्रा के साक्ष्यों की खोज आज भी जारी है, जिसके परिणामस्वरूप ओमान (Oman) के तट पर कुछ सालों पहले अंवेषण के युग (15वीं और 17वीं शताब्दी के मध्य की अवधि जब यूरोपीय देशों ने वैश्विक समुद्री व्यापार मार्गों की तलाश की) के पुराने जलपोत अवशेष पाए गए। माना जाता है, कि यह अवशेष उस पुर्तगाली जहाज के हैं, जिसका इस्तेमाल पुर्तगाली खोजकर्ता वास्को ड गामा ने भारत के लिए अपनी दूसरी यात्रा के दौरान किया था।मलबे से बरामद हजारों वस्तुओं का विश्लेषण अभी भी जारी है, लेकिन शोधकर्ताओं द्वारा यह निष्कर्ष निकाला गया है, कि जहाज वास्को ड गामा के बेड़े का था, और संभावना है, कि यह एस्मेराल्डा (Esmeralda– एक बड़ा व्यापारी जहाज) है।
दरअसल वास्को ड गामा 1503 में जब भारत से लिस्बन लौटा, तो उसने भारत के दक्षिण-पश्चिमी तट पर पुर्तगाली कारखानों की रक्षा के लिए विंसेंट सोड्रे (Vincente Sodré) के नेतृत्व में पांच-जहाजों को वहीं छोड़ दिया, जिनमें एस्मेराल्डा भी शामिल था। लेकिन विंसेंट सोड्रे और अन्य सभी वहां रूकने के बजाय अरब प्रायद्वीप और अफ्रीका के बीच अदन की खाड़ी के लिए रवाना हुए, जहां उन्होंने अरब जहाजों को जब्त कर लूट लिया। उसी वर्ष उन्होंने अल हल्लनियाह (Al Hallaniyah) में अपना पड़ाव डाला,जो अब दक्षिणी ओमान से दूर खुरिया मुरिया (Khuriya Muriya) द्वीप समूह में से एक है।जब स्थानीय निवासियों ने पुर्तगालियों को चेतावनी दी,कि एक खतरनाक तूफान आ रहा है, तो उन्होंने इसे नज़रअंदाज़ कर दिया, और उनके जहाज टूट कर पानी में डूब गए। हालांकि, अधिकांश चालक दल बच गया था, लेकिन एस्मेराल्डा और उसका चालक दल गहरे पानी में जा डूबा। पुरातत्त्वविदों ने ऐसे 2,800 साक्ष्य प्राप्त किए हैं, जिसके आधार पर यह अनुमान लगाया जा सकता है, कि अवशेष पुर्तगाली स्क्वाड्रन के जहाज संभवतः एस्मेराल्डा के हैं। अंवेषण में अनेकों गोलाकार पत्थर (गोल शॉट), सैकड़ों लेड शॉट (Lead shot) प्राप्त हुए हैं।गोल शॉट पर वास्को ड गामा के चाचा विंसेंट सोड्रे और एस्मेराल्डा के सेनापति के नाम का प्रथम अक्षर उत्कीर्णित है। इसी प्रकार लेड शॉटस्पेन, पुर्तगाल और इंग्लैंड (England) की खदानों के अयस्कों से मिलते-जुलते हैं। इसके अलावा जोआओ II(Joao II)और डोम मैनुअल I (Dom Manuel I) के शासनकाल के 12 सोने के पुर्तगाली क्रूज़डो (Cruzado) सिक्के भी प्राप्त हुए हैं।अंवेषण में एक चांदी का सिक्का भी पाया गया है,जिसे इंडियो (Indio) कहा जाता है। इसे डोम मैनुअल ने विशेष रूप से भारत के साथ व्यापार के लिए 1499 में बनाने का आदेश दिया था। अंवेषण की सबसे असामान्य खोज तांबा और मिश्र धातु से बनी डिस्क है,जिसमें पुर्तगाली शाही दरबार के साथ-साथ डोम मैनुअल I का व्यक्तिगत प्रतीक मौजूद है। यह खोज इतिहास को और भी अच्छी तरह से समझने में मदद कर सकती है।

संदर्भ:
https://bit.ly/3hM66Up
https://bit.ly/3v457CA
https://cutt.ly/eb52gGa

चित्र संदर्भ
1. 1969 का पुर्तगाली सिक्का, वास्को डी गामा के जन्म की 500वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में तथा वास्को डी गमा का एक चित्रण (Wikimdia)
2. "वास्को डी गामा, उनकी यात्राएं और रोमांच" के पृष्ठ (250) से एक चित्रण (Flickr)
3. वास्को डी गामा कप्पड़ (केरल) का एक चित्रण (wikimedia)


RECENT POST

  • बैरकपुर छावनी की ऐतिहासिक संपदा के भंडार का अध्ययन है ज़रूरी
    उपनिवेश व विश्वयुद्ध 1780 ईस्वी से 1947 ईस्वी तक

     23-11-2024 09:21 AM


  • आइए जानें, भारतीय शादियों में पगड़ी या सेहरा पहनने का रिवाज़, क्यों है इतना महत्वपूर्ण
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     22-11-2024 09:18 AM


  • नटूफ़ियन संस्कृति: मानव इतिहास के शुरुआती खानाबदोश
    सभ्यताः 10000 ईसापूर्व से 2000 ईसापूर्व

     21-11-2024 09:24 AM


  • मुनस्यारी: पहली बर्फ़बारी और बर्फ़ीले पहाड़ देखने के लिए सबसे बेहतर जगह
    पर्वत, चोटी व पठार

     20-11-2024 09:24 AM


  • क्या आप जानते हैं, लाल किले में दीवान-ए-आम और दीवान-ए-ख़ास के प्रतीकों का मतलब ?
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     19-11-2024 09:17 AM


  • भारत की ऊर्जा राजधानी – सोनभद्र, आर्थिक व सांस्कृतिक तौर पर है परिपूर्ण
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     18-11-2024 09:25 AM


  • आइए, अंतर्राष्ट्रीय छात्र दिवस पर देखें, मैसाचुसेट्स इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी के चलचित्र
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     17-11-2024 09:25 AM


  • आइए जानें, कौन से जंगली जानवर, रखते हैं अपने बच्चों का सबसे ज़्यादा ख्याल
    व्यवहारिक

     16-11-2024 09:12 AM


  • आइए जानें, गुरु ग्रंथ साहिब में वर्णित रागों के माध्यम से, इस ग्रंथ की संरचना के बारे में
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     15-11-2024 09:19 AM


  • भारतीय स्वास्थ्य प्रणाली में, क्या है आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस और चिकित्सा पर्यटन का भविष्य
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     14-11-2024 09:15 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id