भारत में मानचित्रकारी की गतिविधियों का प्रारंभ हड़प्पा सभ्याता से ही हो गया था, जिसके साक्ष्य हमें तत्काालीन पुरातात्वियक खोजों में मिलते हैं। हजारों पाषाण युगीन भारतीय गुफा चित्रों में कई मानचित्र-जैसे भित्तिचित्र दिखाई देते हैं। पौराणिक भारतीय ग्रन्थोंष में कुछ भारतीय क्षेत्रों का भौगोलिक वर्णन तो किया गया है किंतु इसमें पैमाने पर विशेष ध्यायन नहीं दिया गया है। भूमि पर विभिन्न आकृतियों और योजना लेखों के खींचने की परिपाटी बौधायन से पहले ही प्रारंभ हो चुकी थी।ग्रीक मानचित्रकला (Greek Cartography) में, 5 वीं शताब्दी ईसा पूर्व (मिलेटस के हेकेटियस ((Hecataeus of Miletus)) में भारत को एशिया (Asia) के पूर्वी किनारे पर एक दूरस्थ भूमि के रूप में दर्शाया गया। सिकंदर महान की विजय के बाद अधिक विस्तृत ज्ञान उपलब्ध हुआ, और तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व के एक भूगोलवेत्ता एराटोस्थनीज (Eratosthenes) ने भारत के आकार और स्थान का एक स्पष्ट खाका प्रस्तुरत करने का विचार रखा।पहली शताब्दी तक, हेलेनिस्टिक (Hellenistic / Greek) भूगोल में भारत का पश्चिमी तट स्पबष्ट, रूप से दर्शाया गया, जिसमें इरिथ्रियन सागर (Erythraean Sea) के पेरिप्लस (Periplus) जैसे यात्रा कार्यक्रम शामिल हैं। 8वीं शताब्दी के कवि और नाटककार भवभूति ने उत्तररामचरित के भाग 1 में उन चित्रों का वर्णन किया है जो भौगोलिक क्षेत्रों को दर्शाते हैं।
मध्य युग के दौरान चीनी (Chinese) और मुस्लिम भूगोलवेत्ताओं के द्वारा भारत में कुछ नए अन्वेषण किये गए, जबकि 16वीं शताब्दीभ से पूर्व भारत के यूरोपीय मानचित्र (European map) बहुत अधूरे से प्रतीत होते हैं।एक प्रमुख मध्ययुगीन मानचित्रकार फारसी भूगोलवेत्ता अल बेरुनि (973-1048) थे, जिन्होंने भारत का दौरा किया और यहां के भूगोल का व्यापक अध्ययन किया, इन्होंने भारत के भूविज्ञान पर भी विस्तारपूर्वक लिखा। 16वीं शताब्दी से अर्थात अन्वेषण के युग और पुर्तगाली भारत के साथ यूरोपीय मानचित्र और अधिक सटीक हो गए। 20वीं शताब्दी में, मानचित्रकला के इतिहास के संकलन में 200 से अधिक मध्ययुगीन भारतीय मानचित्रों का अध्ययन किया गया था। अध्ययन में तांबे की तख्तीक और शिलालेखों पर भी विचार किया गया था, जिस पर भारत के ब्राह्मण पुजारियों को उनके संरक्षकों द्वारा दी गई भूमि की सीमाओं का विस्तार से वर्णन किया गया था। विवरण अच्छे भौगोलिक ज्ञान का संकेत देते हैं। तांग राजवंश के चीनी अभिलेखों से पता चलता है कि पड़ोसी भारतीय क्षेत्र का एक नक्शा वंग ह्वेन-त्से (Wang Hiuen-tse) को उसके राजा द्वारा उपहार में दिया गया था।1154 में, अरब भूगोलवेत्ता मुहम्मद अल-इदरीसी (Muhammad al-Idrisi) ने अपने विश्व एटलस (world atlas), तबुला रोजरियाना (Tabula Rogeriana) में भारत और उसके पड़ोसी देशों की मानचित्रकला और भूगोल पर एक खंड शामिल किया।
पहला आधुनिक मानचित्र सर्वे ऑफ इंडिया (Survey of India), जिसे ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी (British East India Company) द्वारा 1767 में स्थापित किया गया था, के द्वारा तैयार किया गया। जो कि भारत गणराज्य के आधिकारिक मानचित्रण प्राधिकरण के रूप में आज भी अस्तित्व में है।
1776 में, ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी (British East India Company) के एक कर्मचारी जेम्स रेनेल (James Rennell) द्वारा निर्मित नक्शाr, बंगाल (Bengal) और बिहार का सबसे पुराना सटीक नक्शा कहा जाता है और यह एक विस्तृ त नक्शाा है जिसमें नदियों, पर्वत श्रृंखलाओं और दलदलों के अतिरिक्त लगभग प्रत्येरक गांव को दर्शाया गया है।
1911 में, ब्रिटिश राज ने भारत की राजधानी को कलकत्ता से दिल्ली स्थानांतरित करने का निर्णय लिया, और वास्तुकार एडविन लैंडसीर लुटियंस (Edwin Landseer Lutyens) को नए शहर की योजना बनाने का महत्वाकांक्षी कार्य सौंपा। एक समय की मुगल राजधानी के दक्षिण और दक्षिण-पश्चिमी बाहरी इलाके में "नई दिल्ली" का निर्माण किया जाना था, और यह नक्शा लुटियंस के मास्टर प्लान (master plan) को दर्शाता है, जिस पर अगले 18 वर्षों तक का निर्माण कार्य आधारित था। इसके अंतर्गत कुछ मुगल स्मारकों, जैसे हुमायूं का मकबरा, को नए शहर में संरक्षित किया गया।
A. City Readerships (FB + App) - This is the total number of city-based unique readers who reached this specific post from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App.
B. Website (Google + Direct) - This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Messaging Subscribers - This is the total viewership from City Portal subscribers who opted for hyperlocal daily messaging and received this post.
D. Total Viewership - This is the Sum of all our readers through FB+App, Website (Google+Direct), Email, WhatsApp, and Instagram who reached this Prarang post/page.
E. The Reach (Viewership) - The reach on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion (Day 31 or 32) of one month from the day of posting.