Post Viewership from Post Date to 11-Mar-2022
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Email Instagram Total
2133 148 2281

***Scroll down to the bottom of the page for above post viewership metric definitions

बहुमुखी गुणों का धनी है ब्राजील का सदाबहार फल, पैशन फ्रूट

लखनऊ

 09-02-2022 10:02 AM
साग-सब्जियाँ

कृष्‍णा फल या पैशन फ्रूट (Passion fruit) दुनिया में सबसे स्वादिष्ट फलों में से एक माना जाता है, इसका स्वाद खट्टा एवं सुगंधित होता है। इसे ग्रेनैडिला (Granadilla) के नाम से भी जाना जाता है।इस फल के मुख्‍यत: ताजे गुदे ही खाए जाते हैं। यह पेय पदार्थों के लिए भी एक लोकप्रिय योजक है और अधिकांश राष्‍ट्रों की इससे संबंधित अपनी एक अनूठी भिन्नता है। यह फल पैसीफ्लोरेसी (passifloraceae) परिवार से संबंधित है। इसकी सुगंध एवं स्‍वाद के कारण इसका उपयोग विशेष गुणवत्‍ता वाले जैम (Jam), स्‍क्‍वैश (Squash), जूस (Juice), जैली (Jelly) आदि बनाने में किया जाता है।इसके साथ ही सुगंध को बढ़ाने के लिए इसके रस को अक्सर अन्य फलों के रस के साथ भी मिलाया जाता है।मूलत: ब्राजील (Brazil) के इस फल को एक व्‍यवसायिक फसल के रूप में तब महत्‍व दिया गया जब इसे सरकारी खेती में उगाना प्रारंभ किया गया और इसे बड़े ही संयमित त‍रीके से संसाधित किया गया। पांच साल के भीतर यह फल किसान, उद्यमी और आम लोगों के बीच काफी लोकप्रिय हो गया। पैशन फ्रूट में बड़ी मात्रा में निजी तौर पर निवेश किया जा रहा है, वह भी किसी सरकारी प्रोत्साहन, सब्सिडी (subsidy) या यहां तक कि कृषि विभाग द्वारा किसी प्रचार के बिना। वेनिला (Vanilla) को छोड़कर, शायद ही किसी अन्य फसल ने इतने कम समय में लोगों के बीच इतनी दिलचस्पी जगाई हो। इस फल का उत्‍पादन वैसे तो सदियों पहले से किया जा रहा है।यह मुख्‍यत: ब्राजील (Brazil), इक्‍वाडोर (Ecuador), कोलम्बिया (Colombia), ऑस्‍ट्रेलिया (Australia), दक्षिण अफ्रीका (South Africa), केन्‍या (Kenya) और श्रीलंका (Sri Lanka) में उगाया जाता है। भारत में यह फल नीलगिरी पर्वत के कुछ क्षेत्र यानि कर्नाटक एवं उत्‍तर पूर्वी राज्‍य मणिपुर, नागालैंड, अरूणांचल प्रदेश, मेघालय में उगाया जाता है। इसके फल अंडाकार के होते हैं, इसकी लताएं बारहमासी होती हैं तथा इसकी जड़ें उथली हुयी होती हैं। उत्‍तरी पूर्वी भारत की पहाड़ियों में इसकी पत्तियों का उपयोग सब्‍जी के रूप में किया जाता है तथा कोमल पत्तियों का उपयोग औषधीय प्रयोजनों के लिए किया जाता है। भारत में उगायी जाने वाली पैशन फ्रूट की व्‍यवसायिक किस्‍में: वैसे तो दुनिया में इसकी कई किस्‍में उपलब्‍ध हैं, किंतु भारत में पीला पैशन फ्रूट, बैंगनी पैशन फ्रूट और ‘कावेरी’(यह एक संकर फल है जिसे पीले और बैंगनीफल के संयोजन से बनाया गया है) व्‍यवसायिक खेती की प्रसिद्ध किस्‍में हैं। पीला पैशन फ्रूट, बैंगनी पैशन फ्रूट की खेती विश्‍वभर में आम है: पीला पैशन फ्रूट: यह किस्‍म कम ऊंचाई वाले क्षेत्रों में सबसे अच्‍छे तरीके से उगती है और अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों में कम। क्‍योंकि यह कम तापमान वाले क्षेत्रों के प्रति संवेदनशील है।इसका आकार बैंगनी पैशन फ्रूटकी किस्‍म से बड़ा होता है, प्रत्‍येक का वजन 60-65 ग्राम होता है, पीले धब्‍बे वाले ये गोलाकार फलपकने के बाद सुनहरे पीले रंग के हो जातेहैं। इस किस्‍म में रोगों और कीटों के लिए अच्‍छी सहनशीलता होती है। बैंगनी पैशन फ्रूट: यह किस्‍म अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों में अच्‍छे तरीकेसे उगती है। इसके फलों का वजन 35-50 ग्राम होता है। पकने पर ये गहरे बैंगनी रंग के हो जाते हैं।बैंगनी पैशन फ्रूट में जूस की औसत मात्रा 30 से 35 % होती है। यह किस्‍म स्‍वाद और पोषक तत्‍व के लिए जानी जाती है। कावेरी: यह कर्नाटक में भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्‍थान में विकसित बैंगनी और पीले फल का संकर है। यह बैंगनी और पीले फलों की तुलना में सबसे अच्‍छी उच्‍च उपज देने वाली किस्‍म है। प्रत्‍येक फल का वजन 90 - 110 ग्राम होता है। ये फल बैंगनी रंग के होते हैं। इसकी गुणवत्‍ता लगभग बैंगनी के समान ही हाती है।इसमें कीटों और बिमारियों के लिए उच्‍च स्‍तर की सहनशीलता होती है। पीले पैशनफ्रूट और विशाल ग्रेनैडिला (giant granadilla)उष्‍णकटिबंधीय पौधे हैं, जबकि बैंगनी उपोष्‍णकटिबंधीय परिस्थितियों के अनुकूल है तथा यह कुछ डिग्री ठंड को सहन कर सकता है, लेकिन गंभीर ठंड बर्दाश्‍त नहीं कर सकता है।बैंगनी फल की बेलें लगभग तटस्‍थ (6-7 पीएच), उच्‍च कार्बनिक पदार्थ (2%) युक्‍त मिट्टी पसंद करती हैं, जबकि पीले फल की बेलें क्षारीय मिट्टी के अनुकूल होती हैं।अत्‍यधिक गर्मी या ठंड बेल के लिए हानिकारक साबित हो सकती है, उच्‍च तापमान के कारण वे शानदार ढंग से विकसित तो होती हैं किंतु फल उत्‍पादन की क्षमता बहुत कम होती है।इसके बाग में पौधों को पंक्तिबद्ध तरीके से लगाया जाता है, जिसमें प्रत्‍येक दो पौधों के बीच की दुरी 3-4m * 3-4m होती है। इन पौधों को आयताकार प्रणाली में लगाया जाता है। इन फलों को पोषक तत्‍व की आवश्‍यकता उम्र और विकास की अवस्‍था पर निर्भर करती है। इस फल को प्रमुखत: कॉलर/रूट रॉट (collar/root rot), ब्राउन स्‍पॉट (ब्राउन स्‍पॉट (brown spot)) और वुडनेस वायरस (woodiness virus) हैं। रोगों की घटना प्रजातियों के साथ भिन्‍नहोती है। इसका रोपण मानसून की शुरूआत में यानि जून-जुलाई के महीने में किया जाता है। पौधों तक अच्‍छी धूप पहुंचाने के लिए उत्‍तर से दक्षिण दिशा में टू आर्म नाइफिन सिस्टम ट्रेलिस (two arm kniffin system trellies)प्रणाली का उपयोग किया जा सकता है, इसमें बांस या लोहे के खंबों को 3-4 मीटर की दूरी पर लगाया जाता है और इन्‍हें तारों के माध्‍यम से बांध दिया जाता है।साथ ही परगोला (pergola) प्रणाली का उपयोग भी किया जा सकता है। इसमें बेलें तार के एक क्रॉस नेटवर्क (cross network) में फैली होती हैं। इसका प्रसार मुख्‍यत: बीजों के माध्‍यम से किया जाता है। इनका परागण उभयलिंगियों के माध्‍यम से होता है, मधुमख्यिां इसके पार-परागण के लिए अनुकूलित होती हैं।बैंगनी और विशाल ग्रेनाडिला में एंथेसिस (anthesis) सुबह जल्‍दी होता है जबकि पीले में दोपहर में एंथेसिस होता है। परागण से 1-2 घण्‍टे बाद होता है जब वर्तिकाग्र ग्रहणशील होते हैं।बैंगनी फल एवं ग्रेनाडिला साल भर लेकिन प्रमुख रूप से मार्च-अप्रेल एवं जुलाई अगस्‍त में फल देते हैं। पीले फल और कावेरी मुख्‍यरूप से मई-जून के दौरान और सितंबर-अक्‍टूबर के दौरान होते हैं। आर्थिक उपज रोपण के 1-2 वर्ष बाद प्रारंभ होती है। और एक स्‍वस्‍थ पौधा लगभग 150- 180 फल देता है। बैंगनी फल पराग की अनुकूलता के कारण पीले और विशाल ग्रेनाडिला की तुलना में अधिक फल पैदा करता है। संभवत: प्रति हेक्‍टेयर 5-6 टन उत्‍पादित हो सकता है।बैंगनी और पीले फल गिरते ही नमी खोने लगते हैं और जल्‍द ही झुर्रीदार हो जाते हैं। फलों को पॉलीथीन की थेलियों में 7-9 डिग्री सेल्सियस पर बिना नुकसान के 3 सत्‍पाह तक संग्रहीत किया जा सकता है।क्‍योंकि यह फल क्‍लाइमेक्‍टेरिक (climacteric) फल है और पेड़ पर ही पकता है इसलिए पूरी तरह से परिपक्‍व फल को ही तोड़े। केरल में किसानों को इस फल का उत्‍पादन करना आसान लगता है। यहां इससे संबंधित सामूहिक खेती जैसे विचारतीव्रता से बढ़ रहेहैं। एक उद्यमी इन फलों के बाग को उगाने के लिए सहायता देने हेतु व्यवसाय शुरू किया है। पैशन फ्रूट में इस उछाल को बढ़ावा देने वाला कृषि-प्रसंस्करण उद्योग है। पैशन फ्रूट से स्क्वैश, जूस, जैम और गूदा निकालने के लिए कई इकाइयाँ सामने आई हैं। निस्संदेह, यह फल सुगंधित है। लेकिन इसकी लोकप्रियता का असली कारण फल के कई पोषण और औषधीय गुण हैं, विशेष रूप से यह प्लेटलेट काउंट (platelet count) को तेजी से बढ़ाकर डेंगू (Dengue) के रोगियों की मदद करता है। डेंगू के मौसम में डॉक्टर इसकी सलाह देते हैं। बड़े अस्पतालों के आसपास की दुकानें और फल विक्रेता पैशन फ्रूट बेचने लगते हैं। यह विटामिन सी का स्रोत होता है और इसके कईपोषण लाभ होते हैं। डेंगू के मरीजों के अलावा हाई यूरिक एसिड (high uric acid), डायबिटीज (diabetes) या कैंसर (cancer) वाले लोग पैशन फ्रूट का सेवन करते हैं। माना जाता है कि पैशन फ्रूट के पत्तों का काढ़ा ब्लड शुगर (blood sugar) को कम करता है। फल में केले, लीची और अनानास जैसे अन्य उष्णकटिबंधीय फलों की तुलना में एंटीऑक्सीडेंट (Antioxidants) और पॉलीफेनोल्स (polyphenols) के समृद्ध भंडार होते हैं। एक वैज्ञानिक अध्ययन के अनुसार, बैंगनी पैशन फ्रूट के छिलके का अर्क अस्थमा से जुड़ी घरघराहट और खांसी को कम करने में मदद करता है।

संदर्भ:
https://bit.ly/3rxikES
https://bit.ly/3snXwyC
https://bit.ly/3LbcOPZ
https://bit.ly/3HyLNUe

चित्र संदर्भ   
1. घर में बने पैशन फ्रूट जूस को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
2. कच्चे पैशन फ्रूट को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. विशाल ग्रेनैडिला को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
4. खुले हुए ग्रेनैडिला को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
5. पैशन फ्रूट तेल को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)



***Definitions of the post viewership metrics on top of the page:
A. City Subscribers (FB + App) -This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post. Do note that any Prarang subscribers who visited this post from outside (Pin-Code range) the city OR did not login to their Facebook account during this time, are NOT included in this total.
B. Website (Google + Direct) -This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership —This is the Sum of all Subscribers(FB+App), Website(Google+Direct), Email and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion ( Day 31 or 32) of One Month from the day of posting. The numbers displayed are indicative of the cumulative count of each metric at the end of 5 DAYS or a FULL MONTH, from the day of Posting to respective hyper-local Prarang subscribers, in the city.

RECENT POST

  • होबिनहियन संस्कृति: प्रागैतिहासिक शिकारी-संग्राहकों की अद्भुत जीवनी
    सभ्यताः 10000 ईसापूर्व से 2000 ईसापूर्व

     21-11-2024 09:30 AM


  • अद्वैत आश्रम: स्वामी विवेकानंद की शिक्षाओं का आध्यात्मिक एवं प्रसार केंद्र
    पर्वत, चोटी व पठार

     20-11-2024 09:32 AM


  • जानें, ताज महल की अद्भुत वास्तुकला में क्यों दिखती है स्वर्ग की छवि
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     19-11-2024 09:25 AM


  • सांस्कृतिक विरासत और ऐतिहासिक महत्व के लिए प्रसिद्ध अमेठी ज़िले की करें यथार्थ सैर
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     18-11-2024 09:34 AM


  • इस अंतर्राष्ट्रीय छात्र दिवस पर जानें, केम्ब्रिज और कोलंबिया विश्वविद्यालयों के बारे में
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     17-11-2024 09:33 AM


  • क्या आप जानते हैं, मायोटोनिक बकरियाँ और अन्य जानवर, कैसे करते हैं तनाव का सामना ?
    व्यवहारिक

     16-11-2024 09:20 AM


  • आधुनिक समय में भी प्रासंगिक हैं, गुरु नानक द्वारा दी गईं शिक्षाएं
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     15-11-2024 09:32 AM


  • भारत के सबसे बड़े व्यावसायिक क्षेत्रों में से एक बन गया है स्वास्थ्य देखभाल उद्योग
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     14-11-2024 09:22 AM


  • आइए जानें, लखनऊ के कारीगरों के लिए रीसाइकल्ड रेशम का महत्व
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     13-11-2024 09:26 AM


  • वर्तमान उदाहरणों से समझें, प्रोटोप्लैनेटों के निर्माण और उनसे जुड़े सिद्धांतों के बारे में
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     12-11-2024 09:32 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id