समय - सीमा 266
मानव और उनकी इंद्रियाँ 1048
मानव और उनके आविष्कार 813
भूगोल 260
जीव-जंतु 314
| Post Viewership from Post Date to 12- Apr-2021 (5th day) | ||||
|---|---|---|---|---|
| City Subscribers (FB+App) | Website (Direct+Google) | Messaging Subscribers | Total | |
| 1455 | 1461 | 0 | 2916 | |
| * Please see metrics definition on bottom of this page. | ||||
लीची फल गोल या दिल के आकार का होता है तथा इसकी त्वचा पतली और थोड़ी सख्त होती है। इसके फलों को उत्कृष्ट सुगंध और गुणवत्ता के लिए जाना जाता है। किंवदंतियों के अनुसार, प्राचीन संत प्रति दिन 300 से 1,000 लीची का उपभोग किया करते थे। इसकी फसल मुख्य रूप से मई से जून तक उपलब्ध होती है। भारत में उगाई जाने वाली लीची किस्मों के लिए विभिन्न प्रकार की जलवायु और मिट्टी की आवश्यकता होती है। दिसंबर से फरवरी तक 10°C और अप्रैल से जून तक 38°C तापमान वाले क्षेत्रों में लीची की खेती अत्यधिक सफल होती है। इसकी खेती के लिए नम वातावरण, कभी-कभार होने वाली वर्षा, ठंडी हवाओं से मुक्त ठंढ और गर्म हवाएं आदर्श हैं। भारत में जिन क्षेत्रों में लीची होती है, वहां का तापमान फूलों और फल के लगने के दौरान 21°C से 37.8°C के बीच हो सकता है। पारंपरिक चीनी चिकित्सा में लीची के कई लाभ बताए गये हैं। यह रक्त परिसंचरण को बढ़ावा देता है और रक्त रोगों को दूर करता है। पेट की बीमारियों, सुस्ती और अनिद्रा में सुधार के लिए भी यह महत्वपूर्ण है। लीची ठंडी होती है और अल्सर, पाचन, प्रजनन प्रणाली आदि को स्वस्थ रखती है। भारत में, लीची के बीज से बनी चाय दर्द और तंत्रिका सूजन (Nerve inflammation) का इलाज करती है। इसके एंटीप्लेटलेट (Antiplatelet), एंटीकॉग्लेंट (Anticoagulant) और थ्रोम्बोलाइटिक (Thrombolytic) गुण हृदय रोगों से संरक्षण प्रदान करते हैं। यकृत के अच्छे संचालन, खांसी से राहत देने के लिए लीची एक अच्छा फल है। जठरांत्र (Gastralgia), ट्यूमर (Tumors) और ग्रंथियों के विस्तार पर भी इसका लाभकारी प्रभाव होता है। इसमें फ्लेवोन (Flavones), क्वेरसेटिन (Quercitin) और केमफेरोल (Kaemferol) यौगिक मौजूद होते हैं, जो कैंसर (Cancer) कोशिकाओं के प्रसार को कम करने में मदद करते हैं। लीची रक्तचाप और हृदय गति को सामान्य करता है और इसलिए स्ट्रोक (Strokes) और हृदय रोगों से रक्षा के लिए प्रभावी है। यह पेट को ठीक से साफ कर भूख में सुधार करती है तथा पेट में जलन जैसी समस्याओं को दूर करती है। लीची फास्फोरस (Phosphorus) और मैग्नीशियम (Magnesium) का एक समृद्ध स्रोत है, जो हड्डियों को मजबूत बनाता है। लीची में मौजूद फाइबर (Fiber) स्वस्थ वजन बनाए रखने में सहायक है। इसमें उपस्थित विटामिन सी (Vitamin C) शरीर को सर्दी और अन्य संक्रमणों से बचाता है और शरीर की रोग प्रतिरोधकता को विकसित करता है। इसमें विटामिन B, B6, पोटेशियम (Potassium) थियामिन (Thiamin), नियासिन (Niacin), फोलेट (Folate) और कॉपर (Copper) भी मौजूद होते हैं, जो कार्बोहाइड्रेट (Carbohydrate), प्रोटीन (Protein) और वसा के चयापचय को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण हैं।
कोरोना महामारी के कारण हुई तालाबंदी से विभिन्न क्षेत्र प्रभावित हुए हैं, तथा इसका असर लीची बाजार पर भी हुआ है। चूंकि, पीक सीजन (Peak season) अर्थात जब यह प्रचुर मात्रा में होता है, तथा इसकी बिक्री सर्वाधिक होती है, के दौरान आपूर्ति श्रृंखला बाधित रही, इसलिए इसका नुकसान लीची उगाने वाले किसानों को उठाना पड़ा। इसी बीच यह भी माना गया कि, लीची का उपभोग इंसेफेलाइटिस (Encephalitis) का कारण बन रहा है, जिससे बच्चों की मौतें हो रही हैं। इन अफवाहों की वजह से भी लीची व्यवसाय को भारी नुकसान का सामना करना पड़ा है।