सादगी के साथ लालित्य से परिपूर्ण है, लखनऊ का लाल बाग मेथोडिकल चर्च

लखनऊ

 20-06-2020 01:05 PM
विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

ईसाई धर्म को दुनिया के विभिन्न प्रमुख धर्मों में से एक माना जाता है। शुरूआती समय में यह एकल निकाय के रूप में कार्य करता था किंतु जैसे-जैसे समय बीतता गया वैसे-वैसे इसमें अनेक मतों और विश्वासों की उत्पत्ति हुई जिसके परिणामस्वरूप ईसाई धर्म से सम्बंधित अनेक संप्रदायों या शाखाओं का विकास हुआ। मेथोडिज़्म (Methodism) भी इन्हीं शाखाओं में से एक है जिसे मेथोडिस्ट (Methodist) आंदोलन भी कहा जाता है। यह प्रोटेस्टेंट (Protestant) ईसाई धर्म के ऐतिहासिक रूप से संबंधित संप्रदायों का एक समूह है जो जीवन और जॉन वेस्ले की शिक्षाओं से अपने अभ्यास और विश्वास के सिद्धांत को प्राप्त करते हैं। जॉर्ज व्हाइटफील्ड (George Whitefield) और जॉन के भाई चार्ल्स वेस्ली (Charles Wesley) भी आंदोलन के महत्वपूर्ण शुरुआती नेता थे।

मेथोडिज़्म 18 वीं शताब्दी के इंग्लैंड के चर्च के भीतर एक पुनरुद्धार आंदोलन के रूप में उत्पन्न हुआ और वेस्ली की मृत्यु के बाद एक अलग संप्रदाय बन गया। प्रभावशाली मिशनरी (Missionary) कार्यों के कारण यह आंदोलन पूरे ब्रिटिश साम्राज्य, संयुक्त राज्य अमेरिका और उसके बाहरी क्षेत्रों में फैल गया। ऐसा अनुमान है कि आज दुनिया भर में मेथोडिज़्म के लगभग 800 लाख अनुयायी हैं। वेस्लेयन धर्मशास्त्र, जिसे मेथोडिस्ट चर्चों द्वारा बरकरार रखा गया है, पवित्रिकरण और एक ईसाई के चरित्र पर विश्वास के प्रभाव पर केंद्रित हैं। विशिष्ट मेथोडिस्ट सिद्धांतों में नया जन्म, आश्वासन, संस्कारित धर्म, संपूर्ण पवित्रता की संभावना, धर्मनिष्ठता के कार्य और पवित्रशास्त्र की प्रधानता शामिल है। अधिकांश मेथोडिस्ट यह सिखाते हैं कि ईसा मसीह, परमेश्वर के पुत्र हैं जिनकी मानवता के लिए मृत्यु हो गई तथा यह मोक्ष सभी के लिए उपलब्ध है।

धर्मशास्त्र में, इस दृष्टिकोण को अर्मिनियनिज्म (Arminianism) के रूप में जाना जाता है। यह शिक्षण कैल्विनवादी (Calvinist) स्थिति को खारिज करता है जो यह कहता है कि प्रभु ने केवल लोगों के एक चुनिंदा समूह के उद्धार को पूर्व-नियोजित किया है। हालांकि, व्हाइटफील्ड और आंदोलन के कई अन्य शुरुआती नेताओं को कैल्विनिस्टिक मेथोडिस्ट भी माना गया। इवेंजेलिस्म (Evangelism) के अलावा, मेथोडिज्म बीमारों, गरीबों आदि के परोपकार और सहायता पर जोर देती है। इनके सिद्धांत ईसा मसीह की आज्ञा का पालन करने हेतु लोगों की सेवा करने, अस्पतालों, अनाथालयों, स्कूलों आदि की स्थापना करने पर आधारित हैं। मेथोडिज्म में विविध प्रकार की प्रार्थना और अभ्यास सम्मिलित हैं, जिन्हें उच्च चर्च से लेकर निम्न चर्च तक में उपयोग में लाया जाता है। इसे अपनी समृद्ध संगीत परंपरा के लिए जाना जाता है। इसके शुरूआती अनुयायी समाज के सभी स्तरों से आते थे। ब्रिटेन में, शुरुआती दशकों में मेथोडिस्ट चर्च ने विकासशील श्रमिक वर्ग (1760-1820) पर एक बड़ा प्रभाव डाला।

मेथोडिज्म यह सिखाता है कि मोक्ष की शुरुआत तब होती है जब कोई ईश्वर के प्रति अनुक्रिया करने या जवाब देने का विकल्प चुनता है। इनका विश्वास है कि ईसा मसीह का कार्य सभी लोगों (असीमित प्रायश्चित) के लिए है, लेकिन यह केवल उन लोगों के लिए प्रभावी है जो प्रतिक्रिया देते हैं और प्रभु पर विश्वास करते हैं। जॉन वेस्ली ने मेथोडिज़्म के लिए चार प्रमुख बिंदुओं की व्याख्या की जिसके अनुसार, एक व्यक्ति न केवल मुक्ति को अस्वीकार करने के लिए स्वतंत्र है, बल्कि स्वतंत्र इच्छा के अधिनियम द्वारा इसे स्वीकार करने के लिए भी स्वतंत्र है, सभी लोग जो ईसा मसीह द्वारा मानवता के लिए दिये गये संदेशों का पालन करते हैं उन्हें बचाया जाएगा, पवित्र आत्मा एक ईसाई को आश्वासन देती है कि यदि वे यीशु में विश्वास करते हैं तो उन्हें न्याय प्राप्त होगा, ईसाई पूर्णता के लिए इस जीवन में सक्षम हैं तथा उन्हें प्रभु द्वारा इसे अपनाने की आज्ञा दी गयी है।

भारत में मेथोडिस्ट चर्च भारत का एक प्रोटेस्टेंट ईसाई संप्रदाय है। चर्च को अमेरिकी मेथोडिज्म से सम्बंधित माना जाता है जो अमेरिकी मिशनरियों (Missionaries) द्वारा लाया गया था जोकि पारंपरिक ब्रिटिश पद्धति से अलग है। मेथोडिज्म की शुरूआत भारत में 1856 में हुई। यहां के मेथोडिस्ट चर्च, संयुक्त राज्य अमेरिका में यूनाइटेड (United) मेथोडिस्ट चर्चों के साथ सम्बंधित रहे जिसके सैकड़ों, हजारों सदस्य हैं। यह विश्व परिषद, एशिया का ईसाई सम्मेलन, भारत में चर्चों का राष्ट्रीय परिषद और विश्व मेथोडिस्ट परिषद (World Methodist Council) का सदस्य है जिनके द्वारा स्कूल भी संचालित किये जाते हैं।

मेथोडिस्ट चर्च इन इंडिया (Methodist Church in India-MCI), यूनाइटेड मेथोडिस्ट चर्च के संबंध में एक ‘स्वायत्त संबद्ध चर्च’ है। 1856 में जब विलियम बटलर अमेरिका से भारत आए तो अमेरिका से मेथोडिस्ट एपिस्कोपल (Episcopal) चर्च ने भारत में अपना मिशन शुरू किया। उन्होंने अपने मिशन के लिए अवध और रोहिलखंड को चुना और लखनऊ में आवास को सुरक्षित करने में असमर्थ होने के कारण, बरेली में काम करना शुरू किया। स्वतंत्रता के पहले युद्ध के कारण बरेली में मिशन का कार्य पूरा नहीं हो पाया किंतु 1858 में लखनऊ के अधिकृत हो जाने से बरेली में मिशन का काम नए सिरे से शुरू हुआ। 1864 तक यह कार्य इस हद तक बढ़ गया था कि इसे भारत मिशन सम्मेलन (India Mission Conference) के नाम से आयोजित किया गया। अवध, रोहिलखंड, गढ़वाल और कुमाऊं में अतिरिक्त स्टेशनों (Stations) को भी अधिकृत कर लिया गया और 1876 तक मेथोडिस्ट एपिस्कोपल चर्च ने प्रचार और शैक्षिक कार्यों के साथ अपना काम स्थापित किया। मेथोडिस्ट चर्च मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, कानपुर और बैंगलोर सहित अन्य शहरों में स्थापित किए गए थे। 1873 में विलियम टेलर (William taylor) द्वारा स्थापित चर्चों को ‘बॉम्बे-बंगाल मिशन’ में आयोजित किया गया था।

इसी प्रकार का एक मेथोडिकल चर्च लखनऊ में भी स्थित है, जिसे लाल बाग मेथोडिकल चर्च के नाम से जाना जाता है। अपने नोकदार मेहराबों के साथ, वास्तुकला की गोथिक (Gothic) शैली में निर्मित, लखनऊ का लाल बाग मेथोडिकल चर्च सादगी के साथ लालित्य से परिपूर्ण है। यहां विलियम बटलर (William Butler) ने 1870 में जनसमूह का गठन करके अंग्रेजी सेवाओं की शुरुआत की थी। इस चर्च का निर्माण 1875 में हुआ तथा आवश्यक निधि को स्थानीय सदस्यों और विदेशी मिशनरियों द्वारा एकत्रित किया गया। चर्च का निर्माण कार्य 1877 को समाप्त हुआ। चर्च को पूर्व पश्चिम दिशा में क्रॉस (Cross) के आकार में गोथिक शैली में निर्मित किया गया है। इसका मुख्य दरवाजा पूर्वी दिशा में तथा अल्तार (Altar -ईसाई चर्च में मेज जिस पर ब्रेड और वाइन को सांप्रदायिक सेवाओं में संरक्षित किया जाता है) पश्चिमी दिशा में है। प्रवेश के लिए तीन द्वार बनाए गये हैं जिसके ऊपर ढालदार छत जैसी संरचना बनायी गयी हैं। इसके आगे के उत्तरी क्षेत्र में तीन मंजिला स्तम्भ है जिसका शीर्ष भाग नुकीला है तथा उस पर स्टील (Steel) से बना क्रॉस लगाया गया है।

चित्र सन्दर्भ:
1. मुख्य चित्र में लाल बाग़ लाल बाग मेथोडिकल चर्च का चित्र है। (prarang)
2. दूसरे चित्र में जॉन वेस्ली और चेन्नई में स्थित मेथोडिस्ट चर्च दिखाया गया है। (Wikipedia)
3. तीसरा चित्र दुनिया के पहले मेथोडिस्ट चैपल "द फाउंडरी" का है, जो कि लंदन में है। (Wikimedia)
4. चौथे चित्र में लाल बाग़ मेथोडिस्ट स्कूल को दिखाया गया है। (Prarang)
5. पांचवे चित्र में लाल बाग़ मेथोडिस्ट चर्च का विशेष आवरण दिखाई दे रहा है। (Ebay)

संदर्भ:
1. https://lucknowobserver.com/lalbagh-methodist-church/
2. https://en.wikipedia.org/wiki/Methodist_Church_in_India
3. https://en.wikipedia.org/wiki/Methodism
4. https://www.britannica.com/topic/Methodism



RECENT POST

  • मकर संक्रांति के जैसे ही, दशहरा और शरद नवरात्रि का भी है एक गहरा संबंध, कृषि से
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     14-01-2025 09:28 AM


  • भारत में पशुपालन, असंख्य किसानों व लोगों को देता है, रोज़गार व विविध सुविधाएं
    स्तनधारी

     13-01-2025 09:29 AM


  • आइए, आज देखें, कैसे मनाया जाता है, कुंभ मेला
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     12-01-2025 09:32 AM


  • आइए समझते हैं, तलाक के बढ़ते दरों के पीछे छिपे कारणों को
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     11-01-2025 09:28 AM


  • आइए हम, इस विश्व हिंदी दिवस पर अवगत होते हैं, हिंदी के अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसार से
    ध्वनि 2- भाषायें

     10-01-2025 09:34 AM


  • आइए जानें, कैसे निर्धारित होती है किसी क्रिप्टोकरेंसी की कीमत
    सिद्धान्त I-अवधारणा माप उपकरण (कागज/घड़ी)

     09-01-2025 09:38 AM


  • आइए जानें, भारत में सबसे अधिक लंबित अदालती मामले, उत्तर प्रदेश के क्यों हैं
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     08-01-2025 09:29 AM


  • ज़मीन के नीचे पाए जाने वाले ईंधन तेल का अंतर्राष्ट्रीय व्यापार कैसे होता है?
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     07-01-2025 09:46 AM


  • परमाणु ऊर्जा संयंत्रों में बिजली कैसे बनती है ?
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     06-01-2025 09:32 AM


  • आइए, आज देखें, अब तक के कुछ बेहतरीन बॉलीवुड गीतों के चलचित्र
    ध्वनि 1- स्पन्दन से ध्वनि

     05-01-2025 09:27 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id