मुगल काल में वनस्पति चित्रण का महत्व

लखनऊ

 30-03-2019 09:30 AM
द्रिश्य 3 कला व सौन्दर्य

मुगल कला और संस्कृति में वनस्पतियों और जीवों की चित्रकारी ने बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। हम उनके कार्यों से यह देख सकते हैं कि वे भारत के फूलों की सुंदरता से काफी मोहित थे, वहीं उदाहरण के रूप में, लखनऊ के राज्य संग्रहालय में कली के आकार का जहाँगीरी पात्र भी देखा जा सकता है। जहाँगीर(1605-27), के शासनकाल में मुगल सजावटी कलाएँ पूर्ण रूप से विकसित हुई जिसमे अधीक मात्रा में पुष्प चित्रों को रचनात्मक अभिअभिव्यक्ति के रूप में दर्शाया गया।

एक प्रसिद्ध जेड(हरिताश्म-एक प्रकार का रत्न) से बना ईत्र पात्र की शीशी जो मुंबई के प्रिंस ऑफ वेल्स म्यूजियम (Prince of Wales Museum) (दिनांक 1626/27) में मौजूद है और इसके समरूप पात्र लखनऊ के राज्य संग्रहालय (दिनांक 1626/27) में भी मौजूद है। ऊपर दिया गया चित्र ज़ेड इत्र पत्र का है जो लखनऊ के राज्य संग्रहालय में मौजूद है। दोनों ही पात्रों को एक कली के रूप में बनाया गया है जो की जाहांगीरी के शासन काल में पुष्प के आकार के बने पात्रों में से एक है। इन्हें सम्राट द्वारा की गई 1620 की कश्मीर यात्रा के बाद बनाया गया था। ऐसा कहा जाता है कि वे वहाँ की फूलों से भरी घाटियों को देख अत्यधिक प्रसन्न हुए थें और इसके पश्चात कश्मीरी परिदृश्य से प्रेरित होकर जाहांगीरी चित्रों और सजावटी वस्तुओं में पुष्पों की चित्रकारी काफी बढ़ गई थी।

फूलों और पौधों की सजावट ने विशिष्ट इस्लामिक ज्यामितीय पैटर्नों (Geometric Pattern) का स्थान ले लिया, और आज भी इन्हें उपयोग किया जाता है। शाहजहाँ के दरबार में फूलो और पोधो की सजावट ने काफी प्रभाव डाला जिसका उदहारण उनकी इमारतो में देखा जा सकता है ,वहीं मुगलों द्वारा पुष्पों में किए गए अध्ययन का पता हमें ताजमहल में उनके उत्कृष्ट फूलो की सजावट में देखने को मिलता है। दृश्य जगत का एक घनिष्ठ अवलोकन करना शुरू से ही मुगलों की रूची रही थी। जैसे बाबर ने प्रकृति के प्रति अपनी रूची को पौधों, पेड़ों और जानवरों के विस्तृत विवरण से व्यक्त की थी। इसे उन्होंने आत्मकथा में शामिल किया था और 16वीं शताब्दी के मध्य एशिया के एक युवा तैमूरिद राजकुमार द्वारा इसे लिखा गया था। वहीं जहाँगीर, चौथे मुगल सम्राट, को प्रथम-श्रेणी के प्रकृतिवादी के रूप में देखा जा सकता है क्योंकि उनकी आत्मकथा में हम प्राकृतिक घटनाओं का धैर्यपूर्ण और सटीक अवलोकन को देख सकते हैं। जहाँगीर द्वारा अपने कलाकारों को प्राकृतिक घटनाओं के अवलोकन को प्रकृति अध्ययन में बदलने का निर्देश दिया गया था।

विज्ञान के शास्त्रीय कार्यों के योजनाबद्ध रूप से चित्रण के कारण जहाँगीर के समय तक इस्लामी दुनिया में प्राकृतिक इतिहास के चित्रण ने अपना अस्तित्व और वैज्ञानिक प्रासंगिकता खो दी थी। मुगलों की प्रकृतिक समझ की संतुष्टि करने के लिए पूर्व मुगल भारत में कोई भी उपयुक्त नमूने उपलब्ध नहीं थे। इस प्राकृतिक प्रवृत्ति को वैज्ञानिक स्तर पर बढ़ाने के प्रयास में जहाँगीर और उनके कलाकार यूरोप भी गए थे।

मुगल कलाकारों ने यूरोपीय जड़ी-बूटियों से न केवल फूलों की नकल की बल्कि उन्होंने पुष्पों के अनुवाद में भी संयोजन को अपनाया था, जेसे कली के सामने और किनारे के दृश्य का उपयोग करना, अंकुर से संपूर्ण पुष्प में होने वाले परिवर्तन का इस्तेमाल करना, आदि। इन सिद्धांतों के साथ, मुगल चित्रकारों ने अपने ही आस-पास के पौधों का प्रतिनिधित्व किया, जो भारत और केंद्रीय एशिया में मौजूद थें। जहाँगीर के शासनकाल में हथियारों पर भी फूल पत्तियों को उकेरा गया ऊपर दिया गया चित्र जहाँगीर काल के खंजर का है जिसको फूल पत्तियों के चित्र से सुसज्जित किया है।

संदर्भ :-
1.https://www.academia.edu/4034805/The_Use_of_Flora_and_Fauna_Imagery_in_Mughal_Decorative_Arts



RECENT POST

  • नदियों के संरक्षण में, लखनऊ का इतिहास गौरवपूर्ण लेकिन वर्तमान लज्जापूर्ण है
    नदियाँ

     18-09-2024 09:20 AM


  • कई रंगों और बनावटों के फूल खिल सकते हैं एक ही पौधे पर
    कोशिका के आधार पर

     17-09-2024 09:18 AM


  • क्या हमारी पृथ्वी से दूर, बर्फ़ीले ग्रहों पर जीवन संभव है?
    पर्वत, चोटी व पठार

     16-09-2024 09:36 AM


  • आइए, देखें, महासागरों में मौजूद अनोखे और अजीब जीवों के कुछ चलचित्र
    समुद्र

     15-09-2024 09:28 AM


  • जाने कैसे, भविष्य में, सामान्य आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस, पार कर सकता है मानवीय कौशल को
    संचार एवं संचार यन्त्र

     14-09-2024 09:23 AM


  • भारतीय वज़न और माप की पारंपरिक इकाइयाँ, इंग्लैंड और वेल्स से कितनी अलग थीं ?
    सिद्धान्त I-अवधारणा माप उपकरण (कागज/घड़ी)

     13-09-2024 09:16 AM


  • कालिदास के महाकाव्य – मेघदूत, से जानें, भारत में विभिन्न ऋतुओं का महत्त्व
    जलवायु व ऋतु

     12-09-2024 09:27 AM


  • विभिन्न अनुप्रयोगों में, खाद्य उद्योग के लिए, सुगंध व स्वाद का अद्भुत संयोजन है आवश्यक
    गंध- ख़ुशबू व इत्र

     11-09-2024 09:19 AM


  • लखनऊ से लेकर वैश्विक बाज़ार तक, कैसा रहा भारतीय वस्त्र उद्योग का सफ़र?
    मध्यकाल 1450 ईस्वी से 1780 ईस्वी तक

     10-09-2024 09:35 AM


  • खनिजों के वर्गीकरण में सबसे प्रचलित है डाना खनिज विज्ञान प्रणाली
    खनिज

     09-09-2024 09:45 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id