Post Viewership from Post Date to 03-Dec-2024 (31st) Day
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Email Instagram Total
2176 74 2250

***Scroll down to the bottom of the page for above post viewership metric definitions

आज जानें, काउबॉय बूट्स, उनके हिस्सों, विशेषताओं, कलात्मकता और इतिहास के बारे में

लखनऊ

 02-11-2024 09:18 AM
स्पर्शः रचना व कपड़े
हाल के वर्षों में, हमारे शहर लखनऊ में, काउबॉय बूटों(Cowboy Boot) की मांग बढ़ रही है। लोग इन जूतों का उपयोग, पार्टियों और समारोहों के लिए कर रहे हैं। काउबॉय बूट, सवारी जूते की एक विशिष्ट शैली है, जो ऐतिहासिक रूप से, काउबॉय द्वारा पहने जाते थे। इनमें एक ऊंची एड़ी होती है, जो पारंपरिक रूप से, स्तरीय चमड़े से बनी होती है व नुकीली होती है। इसमें कोई लेस नहीं होता है। हालांकि, इनकी उत्पत्ति, 19 वीं में, अमेरिकी दक्षिण-पश्चिम में हुई थी, फिर भी, काउबॉय जूते, आज बेहद लोकप्रिय रहे हैं। तो आइए, आज काउबॉय बूट्स, उनके हिस्सों, विशेषताओं और इतिहास के बारे में विस्तार से जानें। आगे, हम आज उपलब्ध काउबॉय बूटों की विभिन्न शैलियों के बारे में बात करेंगे। फिर, हम यह समझने की कोशिश करेंगे कि ये जूते, आज भी इतने लोकप्रिय क्यों हैं। अंत में, हम इस बात पर प्रकाश डालेंगे कि पिछले कुछ वर्षों में काउबॉय बूट बनाने की कलात्मकता कैसे विकसित हुई है।
काउबॉय बूट के विभिन्न हिस्सों की खोज –
१.शाफ़्ट(Shaft): बूट के ऊपरी भाग का वह हिस्सा, जो निचले पैर और टखने को ढकता है।
२.वैम्प(Vamp): बूट के ऊपरी भाग का वह हिस्सा, जो अगले पैर को ढकता है।
३.टो(Toe): बूट के ऊपरी भाग का सबसे मुख्य हिस्सा, जो पैर की उंगलियों को ढकता है।
४.काउंटर(Counter): बूट के ऊपरी भाग का सबसे पिछला हिस्सा, जो एड़ी के ठीक ऊपर होता है।
५.वेल्ट(Welt): एक सिला हुआ या बंधा हुआ स्तर, जो ऊपरी हिस्से को बाहरी तल्ले/तलवे से जोड़ता है।
६.हील कैप(Heel Cap): वह संरचना, जो बूट की एड़ी बनाती है, व आमतौर पर संपीड़ित चमड़े से बनी होती है।
७.बूट इनसोल(Boot Insole): इनसोल, नरम सामग्री का एक टुकड़ा है, जिसे अतिरिक्त आराम प्रदान करने के लिए, बूट के अंदर रखा जाता है। डिज़ाइन के आधार पर, इनसोल हटाने योग्य हो सकते हैं, और नहीं भी।
८.आउटसोल और हील(Outsole and Heel): अधिकांश काउबॉय बूटों और वेस्टर्न जूतों का सोल, मोटे, हेवी-ड्यूटी चमड़े(Heavy-duty leather) से बना होता है। वेस्टर्न बूट्स में, चिकनी सतहों पर अतिरिक्त पकड़ के लिए, रबर आउटसोल हो सकता है। साथ ही, अधिकांश जूतों की एड़ी संपीड़ित चमड़े से बनी होती है।
९.बूट शैंक(Boot Shank): बूट शैंक, अतिरिक्त स्थिरता के लिए, आउटसोल और इनसोल के बीच डाला गया, सामग्री का एक अर्ध-कठोर टुकड़ा होता है। विशिष्ट शैंक सामग्रियों में स्टील, मोल्डेड नायलॉन या मिश्रित पदार्थ शामिल हैं।
काउबॉय बूट्स का इतिहास:
घुड़सवारी के जूते, सैकड़ों वर्षों से घुड़सवारी के परिधानों का अनिवार्य हिस्सा थे। दुनिया भर के अलग-अलग क्षेत्रों द्वारा, इन्हें अपनी विशेष शैली में हस्तनिर्मित किया गया था। काउबॉय बूट की उत्पत्ति, 1800 के दशक में, मध्यपश्चिम और सुदूर पश्चिमी संयुक्त राज्य अमेरिका के मैदानी इलाकों और रेगिस्तान में हुई थी। यह मूल रूप से, 1600 के दशक में स्पेन(Spain) से अमेरिका में लाए गए, वाकेरो-शैली(Vaquero-style) के बूट से प्रेरित था। जबकि, काउबॉय बूट सुरक्षा के लिए, और सवारी करते समय, पैर को रकाब में मज़बूती से टिकाए रखने के लिए था।
कुछ वर्षों तक, वेलिंगटन बूट(Wellington boot) – पहले बड़े पैमाने पर उत्पादित बूट शैलियों में से एक – संयुक्त राज्य अमेरिका में, काउबॉय के बीच लोकप्रिय था। क्योंकि, इसका उपयोग सेना में, घुड़सवार सेना के लिए, जूते के रूप में किया जाता था। अमेरिकी गृहयुद्ध के बाद, सैन्य बूट, शैली से बाहर हो गया और उत्कृष्ट काउबॉय बूट प्रचलन में आ गया। क्योंकि, कई पूर्व सैनिक खेत, मवेशी चराने और नए शहरों का नेतृत्व करने के लिए पश्चिम चले गए।
बाद में, औद्योगीकरण के आगमन के साथ, काउबॉय जूते, बड़ी मात्रा में निर्मित होने लगे, क्योंकि, उन्नत सिलाई मशीन और नई व बेहतर सामग्री के कारण, वे अधिक गति से बनाने में सक्षम थे। सबसे लंबे समय तक चलने वाले कुछ काउबॉय बूट निर्माता, अभी भी अमेरिकी पश्चिम में हैं। वहां टेक्सेस(Texas) और कैनसस(Kansas) में, पहले काउबॉय जूते बनाए गए थे।
विभिन्न काउबॉय बूट शैलियां –
1.) पारंपरिक पश्चिमी जूते:

परंपरागत रूप से, काउबॉय जूते, घोड़ों की सवारी के लिए बनाए जाते थे, जिसमें एक लंबा शाफ़्ट होता है। साथ ही, एक संकीर्ण व नुकीला तलवा, आपके जूतों को रकाब के माध्यम से, निकालना आसान बनाता है। और सवारी करते समय अपने पैरों को जगह पर रखने के लिए, इसमें ऊंची एड़ी होती है।
2.) रोपर्स और रोपर बूट्स(Ropers & Roper Boots):
रोपर, पारंपरिक पश्चिमी जूतों का एक प्रकार है, जो मूल रूप से मवेशियों को रस्सी से बांधने के लिए, बनाई जाती है। इसकी एड़ी नीची होती है; और शाफ़्ट छोटा होता है। इससे लंबी दूरी चलने या दौड़ने के दौरान, उन्हें पहनना आसान और अधिक आरामदायक हो जाता है।
3.) वर्क काउबॉय बूट्स:
वर्क काउबॉय, मानक वर्क बूट्स से प्रेरणा लेते हैं। असमान व कठोर सतहों पर, कर्षण और सुरक्षा प्रदान करने के लिए, उनमें एक मोटा व ग्रिप युक्त रबर का तल्ला/तलवा होता है। इसकी नोक चौड़ी और अधिक गोल होती है, और कभी-कभी इसे स्टील से मज़बूत किया जाता है।
4.) छोटे काउबॉय जूते:
छोटे काउबॉय जूते और काउगर्ल बूटियां(Cowgirl booties), पारंपरिक शैली के छोटे संस्करण हैं। छोटे जूतों में, शाफ़्ट आमतौर पर, टखने के ठीक ऊपर रहता है। इन्हें पहनना और उतारना आसान होता है। गर्म मौसम में ये अधिक आरामदायक होते हैं, और ये अधिक फैशनेबल भी होते हैं।
5.) विदेशी काउबॉय जूते:
विदेशी काउबॉय जूतों का नाम, उन दुर्लभ या असामान्य सामग्रियों के कारण रखा गया है, जिनसे वे बने हैं। विदेशी पश्चिमी जूते, मगरमच्छ या मछली की खाल के चमड़े जैसी सामग्रियों से बनाए जा सकते हैं और आमतौर पर औपचारिक अवसरों के लिए पहने जाते हैं।
काउबॉय बूट आज भी लोकप्रिय क्यों हैं?
1.) काउबॉय जूते, आपके पैरों की रक्षा करते हैं: पूरे इतिहास में, काउबॉय, अपने पैरों को सुरक्षित रखने के लिए, अपने जूतों पर निर्भर रहे हैं। लंबा चमड़े का शाफ़्ट, घोड़े पर सवार रहते समय, रगड़ और घर्षण को कम करने के साथ-साथ, पैरों को झाड़ियों, लकड़ियों, घोड़े के खुरों, कीट व सांप और अन्य खतरों से बचाने के लिए, एक बाधा प्रदान करता है।
2.) काउबॉय जूते जलरोधक हो सकते हैं: यदि चमड़े के काउबॉय जूतों का ठीक से उपचार किया जाए, तो वे, पानी के धब्बे और दाग का विरोध कर सकते हैं, और कुछ हद तक जलरोधक भी हो सकते हैं। सर्वोत्तम सुरक्षा के लिए, वॉटरप्रूफ़िंग उपचारों(Waterproofing treatments) को नियमित रूप से, लागू किया जाना चाहिए।
3.) काउबॉय बूट को घुड़सवारी के लिए, डिज़ाइन किया गया है: काउबॉय बूट को, घोड़े की ज़ीन पर, आराम, समर्थन और स्थिरता के लिए विशेषज्ञ बूट निर्माताओं तथा घुड़सवारों द्वारा विकसित किया गया है। बूट के अंदर मौजूद, हील कप आपके पैर को सहारा देता है। जितना अधिक आप उन्हें पहनते हैं, इनके तल्ले/तलवे आपके पैरों में, एक विशेष फ़िट के लिए, सही बन जाते हैं।
4.) नई तकनीकें काउबॉय बूटों को और अधिक आरामदायक बनाती हैं: इन दिनों, काउबॉय बूट कई उपयोगों के लिए उपयुक्त हैं। गद्देदार इनसोल, अविश्वसनीय आराम प्रदान करते हैं, फिर चाहे हमें चलना हो, सवारी करना हो या काम करना हो। नमी सोखने वाले गुणों और हवादार अस्तर से लेकर, इनकी अन्य विशेषताएं, आपके पैरों को ठंडा और सूखा रखती हैं। जबकि, हाइब्रिड काउबॉय जूते (Hybrid cowboy boots), आपकी पसंद के अनुरूप, पश्चिमी शैलियों में काम करते समय सुरक्षा के लिए डिज़ाइन किए गए हैं।
पिछले कुछ वर्षों में, काउबॉय बूट बनाने की कलात्मकता कैसे विकसित हुई है?
समय के साथ, जैसे-जैसे बूट निर्माताओं ने विभिन्न रंगों, डिज़ाइनों और सजावटों के साथ प्रयोग किया, पश्चिमी बूट शैली, बदल गई है। इस कारण, आज काउबॉय जूते बनाने में उपयोग की जाने वाली सामग्री, बहुत विविध है।
काउबॉय बूटों से जुड़ा पारंपरिक नुकीला आकार बदल गया है, और अब काउबॉय बूटों के लिए, जूतों की कई अलग-अलग शैलियां उपलब्ध हैं। इनका उत्पादन, विभिन्न कारखानों और अलग-अलग जूता निर्माताओं द्वारा, बड़े पैमाने पर किया जाता है। फ़ैक्टरी-निर्मित काउबॉय बूट और बूट निर्माताओं द्वारा बनाए गए काउबॉय बूट के बीच का अंतर, न केवल बहुत सारे विवरणों के साथ, इनकी विशेष डिज़ाइन में है, बल्कि, इन्हें बनाने की प्रक्रिया में भी निहित है। बूट निर्माता, हाथ से सिले हुए तल्ले/तलवों के साथ, काउबॉय जूते बनाने के पारंपरिक दृष्टिकोण का उपयोग करके, चमड़े के हिस्सों के साथ, ग्राहक के पैरों के अनुसार, अनुकूलित काम करते हुए काउबॉय जूते बनाते हैं।
हालांकि, आज काउबॉय बूटों में बड़ी विविधता है, पशुपालक और रोडियो प्रतिस्पर्धी, काउबॉय बूटों के मूल डिज़ाइन को पहनना जारी रखते हैं, क्योंकि, वे अभी भी फ़ैशनेबल हैं।

संदर्भ
https://tinyurl.com/f9t7m9yp
https://tinyurl.com/v4hkevza
https://tinyurl.com/3ds7762j
https://tinyurl.com/2764zw6j
https://tinyurl.com/2y5t4cyf

चित्र संदर्भ
1. काउबॉय बूटों को संदर्भित करता एक चित्रण (pxhere)
2. नए काउबॉय बूटों को संदर्भित करता एक चित्रण (pxhere)
3. कतार में रखे गए काउबॉय बूटों को संदर्भित करता एक चित्रण (pxhere)
4. काउबॉय हील (cowboy heel) और निचली वॉकिंग हील (lower walking heel) वाले बूटों की तुलना को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)


***Definitions of the post viewership metrics on top of the page:
A. City Subscribers (FB + App) -This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post. Do note that any Prarang subscribers who visited this post from outside (Pin-Code range) the city OR did not login to their Facebook account during this time, are NOT included in this total.
B. Website (Google + Direct) -This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership —This is the Sum of all Subscribers(FB+App), Website(Google+Direct), Email and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion ( Day 31 or 32) of One Month from the day of posting. The numbers displayed are indicative of the cumulative count of each metric at the end of 5 DAYS or a FULL MONTH, from the day of Posting to respective hyper-local Prarang subscribers, in the city.

RECENT POST

  • सिकंदर बाग और बड़ा इमामबाड़ा, लखनऊ की शान में चार चाँद लगा देते हैं
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     04-12-2024 09:26 AM


  • आइए जानते हैं, भारत में प्रिंट मीडिया, कैसे बना, शिक्षा और संस्कृति का स्तंभ
    संचार एवं संचार यन्त्र

     03-12-2024 09:38 AM


  • ड्रैगनफ़्लाई की उड़ान से आप लखनऊ के जलीय निकायों की सेहत जाँच सकते हैं
    तितलियाँ व कीड़े

     02-12-2024 09:19 AM


  • आइए देखें, एक रॉकिट को अंतरिक्ष में कैसे भेजा जाता है
    द्रिश्य 1 लेंस/तस्वीर उतारना

     01-12-2024 09:26 AM


  • यात्रा के समय मुसीबत में, आपका मित्र बनकर सामने उभरता है आपका यात्रा बीमा
    सिद्धान्त I-अवधारणा माप उपकरण (कागज/घड़ी)

     30-11-2024 09:27 AM


  • जानिए, विदेशी लेन-देन के लिए, विनिमय दरों को समझना, क्यों है ज़रूरी
    सिद्धान्त I-अवधारणा माप उपकरण (कागज/घड़ी)

     29-11-2024 09:23 AM


  • बेगम हज़रत महल: स्वतंत्रता के इतिहास की इस नायिका पर लखनऊ को आज भी गर्व है !
    उपनिवेश व विश्वयुद्ध 1780 ईस्वी से 1947 ईस्वी तक

     28-11-2024 09:32 AM


  • भारतीय निजी मेडिकल कॉलेजों में, उच्च फ़ीस के क्या कारण होते हैं ?
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     27-11-2024 09:33 AM


  • आइए जानें, हमारे मनोरंजन को आकार देने में, कैसे निभाई है टेलीविज़न ने एक महत्वपूर्ण भूमिका
    संचार एवं संचार यन्त्र

     26-11-2024 09:34 AM


  • यू पी आई, रुपे और डिजिलॉकर के साथ, डिजिटलीकरण की दुनिया में आगे बढ़ रहा है भारत
    संचार एवं संचार यन्त्र

     25-11-2024 09:31 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id