विभिन्न उपग्रहों और अंतरिक्ष यानों को, अंतरिक्ष में भेजने के लिए, अंतरिक्ष संगठन (Space Agencies), रॉकेटों का उपयोग करती हैं। लेकिन, क्या आपने कभी यह सोचा है, कि इन रॉकेटों को अंतरिक्ष में कैसे भेजा जाता है? अंतरिक्ष में रॉकेट को भेजने के लिए ऑक्सीडेंट (oxidant) नामक रसायन का उपयोग किया जाता है। यह ऑक्सीडेंट, ठीक उसी तरह से कार्य करता है, जैसे कि हमारी धरती में मौजूद ऑक्सीजन, जो ईंधन को दहन करने में सहायक है। जैसे ही रॉकेट, अपनी गति पकड़ता है, वैसे ही इसका कुछ भार निकासी मार्ग के माध्यम से बाहर निकल जाता है और परिणामस्वरूप इसका वज़न कम हो जाता है। रॉकेट से बाहर निकला भार रॉकेट के बाकी हिस्से को गति देने में मदद करता है। सियोलकोवस्की (Tsiolkovsky ) ने विभिन्न रॉकेट डिज़ाइन तैयार किए और इस नतीजे पर पहुंचे, कि अंतरिक्ष में भेजने के लिए, सबसे कुशल सेटअप एक ऊर्ध्वाधर लॉन्च वाहन (vertically launched vehicle) है, जिसमें कई 'चरण' होते हैं। वर्तमान समय में, अधिकतर रॉकेट इंजन, मुख्य रूप से तरल ईंधन का इस्तेमाल करते हैं, हालांकि कुछ रॉकेटों में ठोस ईंधन का भी उपयोग किया जाता है। रॉकेट इंजन, अन्य इंजनों की तरह ही काम करता है। यह ईंधन को जलाकर थर्स्ट (धक्का) पैदा करता है, जिससे रॉकेट आगे की ओर बढ़ता है। अंतरिक्ष में कोई ऐसी चीज नहीं है, जो रॉकेट को आगे भेजे। न्यूटन (Newton) के तीसरे नियम के अनुसार, हर क्रिया की बराबर और विपरित दिशा में प्रतिक्रिया होती है। इसलिए, जब रॉकेट का इंजन, गैस को बाहर की ओर धक्का देता है, तब प्रक्रिया में, गैस भी बराबर ताकत से आगे की ओर रॉकेट को धक्का देती है और रॉकेट आगे की ओर बढ़ता है। तो आइए, आज हम, रॉकेट प्रणोदन से संबंधित चलचित्र देखेंगे तथा जानेंगे, कि कैसे, भारत के चंद्रयान-3 उपग्रह को रॉकेट की मदद से अंतरिक्ष में भेजा गया था। इसके अलावा, हम स्पेस एक्स (Space X) से फ़ाल्कन 9 (Falcon 9 ) नामक रॉकेट के अंतरिक्ष में सफल प्रक्षेपण और उसकी सफल वापसी को भी देखेंगे। अंत में, हम यह समझने की कोशिश करेंगे, कि रॉकेट को अंतरिक्ष में कैसे भेजा जाता है।