लखनऊ शहर को उत्तर प्रदेश का सांस्कृतिक और प्रशासनिक केंद्र माना जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि क्षेत्रफल और जनसंख्या की दृष्टि से भी हमारे लखनऊ शहर की गिनती, देश के सबसे बड़े शहरों में होती है। 2011 की जनगणना के अनुसार, लखनऊ की जनसंख्या, उस समय ही 2.8 मिलियन थी। सोचिए, अगर लखनऊ का हर व्यक्ति केवल एक टॉफ़ी भी खा ले, तो हम एक बार में 2.8 मिलियन से अधिक टॉफ़ियों की खपत कर सकते हैं। अब आप कल्पना कर सकते हैं कि इतनी बड़ी आबादी के लिए दैनिक ज़रूरत की वस्तुओं की आपूर्ति बनाए रखना कितना चुनौतीपूर्ण होता होगा। लेकिन चिंता की कोई बात नहीं है। देश का परिवहन विभाग, इस चुनौती का सामना करने में माहिर है। राज्य में खाद्य और अन्य दैनिक वस्तुओं की आपूर्ति बनाए रखने के लिए हाल ही में, उत्तर प्रदेश के खुर्जा और भाऊपुर के बीच, 351 किलोमीटर लंबा समर्पित माल ढुलाई गलियारा (Dedicated Freight Corridor - (DFC)) शुरू किया गया है। इस कॉरिडोर के उद्घाटन के बाद से अब तक, लगभग 14,000 मिलियन नेट टन किलोमीटर (Net Tonne Kilometres - (NTKM)) माल की ढुलाई की जा चुकी है। आज, हम इन कॉरिडोर के बारे में और अधिक गहराई से जानेंगे। हम भारत में इनके निर्माण और विकास की यात्रा पर चलेंगे। इसके बाद, हम पश्चिमी और पूर्वी डेडिकेटेड फ़्रेट कॉरिडोर के मार्गों को समझेंगे। फिर, हम चर्चा करेंगे कि ये कॉरिडोर क्यों महत्वपूर्ण हैं और इनसे हमें क्या लाभ हो सकता है। अंत में, हम भारत में तीन आगामी कॉरिडोर का भी ज़िक्र करेंगे।
भारत में समर्पित माल ढुलाई गलियारे बिजली से चलने वाली रेल लाइनों की एक प्रणाली हैं । इस प्रणाली को विशेष रूप से मालगाड़ियों की आवाजाही के लिए डिज़ाइन किया गया है। इससे भारत में माल ढुलाई सेवाएं तेज़ और अधिक कुशल हो जाती हैं। इन गलियारों की योजना, विकास और निर्माण की ज़िम्मेदारी, डेडिकेटेड फ़्रेट कॉरिडोर कॉरपोरेशन ऑफ़ इंडिया (Dedicated Freight Corridor Corporation of India Limited - (DFCCIL)) की है। यह एक सार्वजनिक कंपनी है जो वित्तीय संसाधनों तथा संचालन का प्रबंधन भी करती है।
फ़रवरी 2024 तक, पूर्वी माल गलियारे का निर्माण पूरा हो गया था। अप्रैल 2024 में यह पूरी तरह से चालू भी हो गया था। पश्चिमी माल गलियारा भी 85% चालू हो चुका है। आज कुल मिलाकर, 90% गलियारा नेटवर्क सक्रिय हो चुका है। इन लाइनों पर प्रतिदिन 300 मालवाहक ट्रेनें संचालित होती हैं। इस परियोजना की कुल लागत मूल्य, 2 लाख करोड़ रुपये होने की उम्मीद है।
पश्चिमी समर्पित माल ढुलाई गलियारा (Western Dedicated Freight Corridor (WDFC)): पश्चिमी समर्पित माल ढुलाई गलियारा, लगभग 1,506 किलोमीटर की दूरी को कवर करता है और मुंबई में जवाहरलाल नेहरू बंदरगाह (Jawaharlal Nehru Port) को दादरी (Dadri) से जोड़ता है। यह गलियारा, महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान, हरियाणा और उत्तर प्रदेश से होकर गुज़रता है। वर्तमान में, डब्ल्यू डी एफ़ सी का परिचालन मार्ग दादरी से साणंद (Sanand) तक 938 किलोमीटर तक फैला हुआ है। इसके पास मकरपुरा (Makarpura) से घोलवड (Gholvad) तक 244 किलोमीटर और घोलवड से वैतरणा (Vaitarna) तक 77 किलोमीटर का परिचालन मार्ग भी है। इसके अलावा, डब्ल्यू डी एफ़ सी, साणंद से मकरपुरा तक 138 किलोमीटर का खंड परिचालन शुरू करने वाला है। वैतरणा और जवाहरलाल नेहरू बंदरगाह के बीच 110 किलोमीटर के हिस्से पर भी काम चल रहा है, जिसके एक साल के भीतर पूरा होने की उम्मीद है।
पूर्वी समर्पित माल ढुलाई गलियारे का मार्ग (Eastern Dedicated Freight Corridor (EDFC)): पूरा पूर्वी डेडिकेटेड फ़्रेट कॉरिडोर, 1,337 किलोमीटर लंबा रेलवे मार्ग है, जो पहले से ही चालू है। इसके रूट में साहनेवाल (Sahnewal) से खुर्जा (Khurja) (401 किमी), खुर्जा से भाऊपुर (Bhaupur) (351 किमी), भाऊपुर से डीडीयू (दीन दयाल उपाध्याय जंक्शन) (Deen Dayal Upadhyay Junction - (DDU)) (402 किमी), डीडीयू से सोननगर (Sonnagar) (137 किमी) और खुर्जा से दादरी (Dadri) (46 किमी) शामिल हैं। ई डी एफ़ सी का नेटवर्क, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, झारखंड और बिहार राज्यों में फैला हुआ है। इस नेटवर्क पर हर दिन 200 ट्रेनें चलती हैं।
समर्पित माल गलियारे, भारत की परिवहन प्रणाली में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, जो न केवल माल ढुलाई को तेज़ बनाते हैं, बल्कि आर्थिक विकास में भी योगदान करते हैं।
समर्पित माल गलियारे के क्या फ़ायदे होते हैं?
बढ़ी हुई क्षमता: समर्पित माल गलियारे से भारतीय रेलवे की क्षमता में बहुत बड़ा सुधार होता है। मालगाड़ियाँ, इन समर्पित लाइनों पर बिना यात्री ट्रेनों के बाधित हुए चलती हैं। इन अतिरिक्त, लाइनों की वजह से यात्री ट्रेनों को अधिक स्वतंत्रता और कुशलता से संचालित किया जा सकता है।
पटरियों की भीड़भाड़ कम होती है: वर्तमान में, लगभग 70% मालगाड़ियाँ, यात्री ट्रेनों के साथ अपना ट्रैक साझा करती हैं। डी एफ़ सी पर मालगाड़ियों के संचालन से नियमित पटरियों पर जगह खाली हो जाएगी। इस वजह से यात्रियों को अधिक सेवाएँ उपलब्ध हो सकती हैं। इसके अलावा, यात्रियों को होने वाली देरी तथा भीड़भाड़ में भी कमी आ सकती है।
व्यावसायिक अवसरों में वृद्धि: डी एफ़ सी पर रेलवे ट्रैक को मौजूदा रेलवे लाइनों की तुलना में अधिक भारी भार उठाने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इसका मतलब है कि डी एफ़ सी, अपने ट्रैक का उपयोग करने के लिए शुल्क ले सकते हैं। इस प्रकार वे माल परिवहन करके नए व्यावसायिक अवसर भी उत्पन्न कर सकते हैं।
बेहतर समयबद्धता: समर्पित लाइनों के कारण, मुख्य लाइनों पर अधिक यात्री ट्रेनों को शेड्यूल किया जा सकेगा, जिससे इन सेवाओं का समय पर प्रदर्शन बेहतर होगा।
अन्य लाभ:
कम रसद लागत: माल की कुशल आवाजाही से व्यवसायों के लिए परिवहन लागत में कमी आएगी।
उच्च ऊर्जा दक्षता: डी एफ़ सी को कम ऊर्जा का उपयोग करने के लिए डिज़ाइन किया गया है, जो पर्यावरण के लिए भी फ़ायदेमंद है।
तेज़ डिलीवरी: माल का तेज़ी से परिवहन किया जा सकता है, जिससे व्यवसाय और उपभोक्ता दोनों को लाभ होता है।
पर्यावरणीय लाभ: सड़क परिवहन के बजाय, रेल परिवहन को प्रोत्साहित करके, डी एफ़ सी प्रदूषण और ट्रैफ़िक की भीड़ को कम करने में मदद करता है।
व्यापार करने में आसानी: अधिक कुशल लॉजिस्टिक्स प्रणाली कंपनियों के लिए काम करना और बढ़ना आसान बनाती है।
नौकरी सृजन: डी एफ़ सी के विकास और संचालन से विभिन्न क्षेत्रों में नए रोज़गार के अवसर पैदा होंगे।
भारत, तीन और समर्पित माल ढुलाई गलियारे बनाने की योजना बना रहा है:1. ईस्ट कोस्ट फ़्रेट कॉरिडोर (East Coast Freight Corridor): यह गलियारा, पश्चिम बंगाल के खड़गपुर को आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा से जोड़ेगा।
2. ईस्ट-वेस्ट कॉरिडोर (East-West Corridor): यह गलियारा, खड़गपुर को महाराष्ट्र के पालघर से जोड़ेगा।
3. नॉर्थ-साउथ फ़्रेट कॉरिडोर (North-South Freight Corridor): यह गलियारा, विजयवाड़ा से मध्य प्रदेश के इटारसी तक जाएगा।
इन गलियारों के लिए, विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (Detailed Project Report - (DPR)) पूरी हो चुकी हैं और रेलवे बोर्ड को भेजी गई हैं। रेलवे बोर्ड, अब इन परियोजनाओं पर निर्णय लेगा। चुनाव से पहले दो (एक उत्तर-दक्षिण गलियारे के लिए और दूसरा ईस्ट कोस्ट गलियारे के लिए) डी पी आर जमा किए गए थे। ईस्ट-वेस्ट गलियारे के लिए आख़िरी डी पी आर, पिछले महीने ही जमा की गई थी। ये नए गलियारे, देश भर में माल की आवाजाही को बेहतर बनाने में मदद करेंगे, जिससे परिवहन तेज और अधिक कुशल हो जाएगा।
संदर्भ
https://tinyurl.com/2338od3u
https://tinyurl.com/2cmoow6s
https://tinyurl.com/2bdspg7g
https://tinyurl.com/284o6co6
चित्र संदर्भ
1. तीन ट्रेनों को साथ में संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. पश्चिमी समर्पित मालवाहक गलियारे पर गुज़रने वाली एक मालगाड़ी को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. डी एफ़ सी सी आई एल (DFCCIL) के नोएडा में स्थित कार्यालय को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. पूर्वी समर्पित माल ढुलाई गलियारे पर WAG-12 नामक मालगाड़ी को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
5. 2016 में निर्माणाधीन (Under Construction), पूर्वी समर्पित माल ढुलाई गलियारे के दृश्य को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)