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पुराने होने के बावजूद नई उपलब्धियों को छू रहे हैं, कोलकाता और पारादीप बंदरगाह

लखनऊ

 15-06-2024 10:45 AM
समुद्र

भारत की अर्थव्यवस्था को सुचारू रूप से चलाए रखने में बंदरगाह बहुत बड़ी भूमिका निभाते हैं। बंदरगाह, उत्पादों तथा संसाधनों का देश के अंदर आयात और बाहर अन्य देशों को निर्यात हेतु एक मंच की भांति काम करते हैं। हमारी अर्थव्यवस्था में बदरगाहों के योगदान को बेहतर ढंग से समझने के लिए आज, हम भारत के दो महत्वपूर्ण बंदरगाहों: ‘कोलकाता” और “पारादीप”, पर नज़र डालेंगे।
1. कोलकाता बंदरगाह: कोलकाता (कलकत्ता) बंदरगाह, दक्षिण एशिया के सबसे पुराने किंतु आधुनिक बंदरगाहों में से एक है। इसका प्रबंधन अक्टूबर 1870 से ही कलकत्ता पोर्ट ट्रस्ट द्वारा किया जा रहा है। हालाँकि, बंदरगाह का इतिहास इससे भी बहुत पुराना है। ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी (British East India Company) द्वारा इसे एक प्रमुख व्यापारिक केंद्र के रूप में विकसित किया गया, लेकिन इससे पहले इस क्षेत्र में एक छोटा सा समुद्र किनारे का बाज़ार गाँव हुआ करता था, जहाँ बुनकर और कारीगर रहते थे। इस बंदरगाह ने कलकत्ता को एक छोटे से गाँव से पूर्वी भारत के एक प्रमुख व्यापारिक केंद्र में बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यह बंदरगाह, पूर्वी भारत के भीतरी इलाकों का प्रवेश द्वार बन गया, और इसका विस्तार उत्तर-पूर्व में असम की तलहटी और पश्चिम में गंगा के मैदानों तक फैला हुआ था। 18वीं शताब्दी के मध्य से बंगाल में ब्रिटिश सत्ता के मज़बूत होने के साथ ही इस बंदरगाह का महत्व और अधिक बढ़ गया। इसके साथ, हुगली और सूरत जैसे अन्य बंदरगाहों के पतन के साथ ही कलकत्ता बंदरगाह का महत्व और अधिक बढ़ता गया। पूर्वी भारत में ब्रिटिश सत्ता का उदय और भारतीय व्यापारियों के विशेष रूप से चीन और यूरोप, के बाज़ारों की ओर बढ़ते रुझान ने कलकत्ता के इस बंदरगाह को एक प्रमुख व्यापारिक बंदरगाह बनने में मदद की।
इसके आलावा प्राकृतिक तौर पर, कलकत्ता के एक बंदरगाह शहर के रूप में विकसित होने का प्रमुख कारण, गंगा नदी प्रणाली में होने वाले परिवर्तनों को माना जाता है। एक समय में हुगली चैनल मुख्य नदी मार्ग हुआ करता था, लेकिन बाद में गाद और संकीर्ण मोड़ों के कारण इसमें बड़े जहाज़ों के लिए रास्ता बनाना या नेविगेट करना मुश्किल हो गया। 16वीं शताब्दी तक, इन परिवर्तनों ने उत्तर की ओर व्यापारिक बस्तियों को प्रभावित किया। पुर्तगाली, 16वीं शताब्दी की शुरुआत में बंगाल में आने वाले पहले यूरोपीय थे। सदी के अंत तक, बड़े पुर्तगाली जहाज़ छोटे जहाज़ों से माल इकट्ठा करने के लिए कलकत्ता के पास बेटोर में रुकते थे। 1570 में, पुर्तगालियों ने अपना कारखाना सतगांव से हुगली में स्थानांतरित कर दिया, जिससे हुगली एक मुख्य वाणिज्यिक आउटलेट (commercial outlet) बन गया। इसके बाद 17वीं शताब्दी में, डच और अंग्रेज़ों का भारत में आगमन हुआ, और उन्होंने भी हुगली में अपने कारखाने स्थापित किए। समय के साथ, व्यापार नीचे दक्षिण की ओर भी फैल गया, जिससे सुतनुति और गोविंदपुर सहित छोटी व्यापारिक बस्तियों का विकास हुआ, जो बाद में कलकत्ता बन गए। दरअसल अंग्रेज़ों ने ही कलकत्ता का समुद्री जहाज़ों के लिए एक बंदरगाह के रूप में क्षमता को पहचाना।
18वीं सदी में, मुगल भारत, सफाविद ईरान और ओटोमन तुर्की में राजनीतिक संकटों के कारण, अंग्रेज़ों ने भारत के समुद्री व्यापार को पश्चिम एशियाई क्षेत्र से पूर्व की ओर मोड़ दिया। इस बदलाव ने भारत के व्यापार को यूरोप, विशेष रूप से ब्रिटेन के साथ और अधिक जोड़ा। फिर देखते ही देखते, अंग्रेज़ी निजी शिपिंग कंपनियों ने कलकत्ता को एक हलचल भरे व्यापारिक केंद्र में बदल दिया। 19वीं सदी के उत्तरार्ध में ब्रिटिश साम्राज्य के चरम के दौरान, कलकत्ता का निर्यात-आयात व्यापार, मुख्य रूप से ब्रिटेन के साथ तेज़ी से बढ़ा। इस बंदरगाह से बड़ी मात्रा में कृषि और अर्ध-तैयार उत्पादों का निर्यात किया गया, जिससे व्यापार का अनुकूल संतुलन बना। अंग्रेज़ों ने 1870 के बाद से बंदरगाह के बुनियादी ढांचे को महत्वपूर्ण रूप से विकसित किया।
प्रथम विश्व युद्ध से पहले कलकत्ता बंदरगाह के माध्यम से निर्यात-आयात व्यापार में उल्लेखनीय वृद्धि हुई। दोनों विश्व युद्धों के बीच, महामंदी के बावजूद कलकत्ता बंदरगाह ने आधुनिक उद्योगों में वृद्धि जारी रखी। 1929 में यहां किंग जॉर्ज डॉक (King George Dock) खोला गया। द्वितीय विश्व युद्ध और स्वतंत्रता के बाद के आर्थिक परिवर्तनों के कारण बंदरगाह की लोकप्रियता कम हो गई, जिसने ब्रिटिश शासन के अंत को इसके इतिहास में एक प्रमुख मोड़ के रूप में चिह्नित किया। तब से लेकर आज तक इस बंदरगाह ने कोलकाता सहित देशभर की अर्थव्यवस्था को स्थिर रखने में बड़ी भूमिका निभाई है! हालांकि आधुनिकता के संदर्भ में इस बंदरगाह ने कई बड़े बदलाव देखे हैं! 25 फरवरी, 2020 को कोलकाता पोर्ट ट्रस्ट (Kolkata Port Trust) के न्यासी बोर्ड ने प्रसिद्ध वकील, शिक्षक, विचारक और नेता, श्यामा प्रसाद मुखर्जी के सम्मान में बंदरगाह का नाम बदलने का फैसला किया। वे पश्चिम बंगाल के एक प्रमुख व्यक्ति थे, जिन्होंने राष्ट्रीय एकीकरण, आर्थिक विकास और औद्योगीकरण में योगदान दिया और पूरे देश के लिए एक ही कानून के विचार का समर्थन किया। कोलकाता बंदरगाह भारत का पहला प्रमुख बंदरगाह और देश का एकमात्र नदी बंदरगाह है। 1870 के अधिनियम V के तहत आयुक्तों की नियुक्ति के बाद, 17 अक्टूबर 1870 से इसे एक ट्रस्ट द्वारा प्रबंधित किया जा रहा है। इसे भारतीय बंदरगाह अधिनियम, 1908 की पहली अनुसूची में पहले प्रमुख बंदरगाह के रूप में सूचीबद्ध किया गया है, और यह प्रमुख बंदरगाह ट्रस्ट अधिनियम, 1963 द्वारा शासित है। अपने 150 साल के इतिहास में कोलकाता बंदरगाह, भारत में व्यापार, वाणिज्य और आर्थिक विकास के लिए महत्वपूर्ण रहा है। यह भारत के स्वतंत्रता संग्राम और दोनों विश्व युद्धों जैसी महत्वपूर्ण ऐतिहासिक घटनाओं का साक्षी रहा है। वित्तीय वर्ष 2023-24 में श्यामा प्रसाद मुखर्जी पोर्ट ने 501.73 करोड़ रुपये का लाभ अर्जित किया, जो पिछले वर्ष से 65% अधिक है। 2022-23 में इसका लाभ 304.07 करोड़ रुपये था। इस पोर्ट ने 2023-24 में 66.4 मिलियन टन कार्गो का रिकॉर्ड उच्च स्तर संभाला। वैश्विक राजनीतिक मुद्दों के कारण समुद्री व्यापार में चुनौतियों के बावजूद, बंदरगाह की कुल वृद्धि 1.11% रही। 2.पारादीप बंदरगाह: पारादीप बंदरगाह, भारत के पूर्वी तट पर ओडिशा राज्य के पारादीप में स्थित एक महत्वपूर्ण प्राकृतिक, गहरे पानी का बंदरगाह है। जगतसिंहपुर ज़िले में जगतसिंहपुर शहर से सिर्फ़ 53 किमी (33 मील) की दूरी पर स्थित यह बंदरगाह रणनीतिक रूप से महानदी नदी और बंगाल की खाड़ी के संगम पर स्थित है। भौगोलिक दृष्टि से, पारादीप बंदरगाह कोलकाता से 210 समुद्री मील (390 किमी; 240 मील) दक्षिण में और विशाखापत्तनम से 260 समुद्री मील (480 किमी; 300 मील) उत्तर में स्थित है, जो इसे भारत के पूर्वी तट के साथ शिपिंग मार्गों के लिए एक महत्वपूर्ण स्थान पर रखता है।
बंदरगाह का प्रशासन पारादीप बंदरगाह प्राधिकरण (पीपीए) के तहत किया जाता है, जिसे पहले पारादीप बंदरगाह ट्रस्ट के नाम से जाना जाता था। यह स्वायत्त निगम पूरी तरह से भारत सरकार के स्वामित्व में है, जो यह सुनिश्चित करता है कि बंदरगाह राष्ट्रीय नियमों और नीतियों के तहत संचालित हो! यह बंदरगाह भी देश के समुद्री बुनियादी ढांचे और व्यापार क्षमताओं में महत्वपूर्ण योगदान देता है। वित्तीय वर्ष 2023-24 में पारादीप पोर्ट अथॉरिटी (पीपीए) ने अविश्वसनीय रूप से 145.38 मिलियन मीट्रिक टन (एमएमटी) कार्गो को संभालकर एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है। इस उपलब्धि ने पारादीप पोर्ट को भारत में शीर्ष कार्गो हैंडलिंग पोर्ट बना दिया है, और इसने अपने 56 साल के इतिहास में पहली बार दीनदयाल पोर्ट, कांडला को पीछे छोड़ दिया है। इस पोर्ट में साल-दर-साल (YoY) 10.02 MMT या 7.4% की वृद्धि भी देखी गई। पारादीप पोर्ट ने 59.19 MMT तटीय शिपिंग ट्रैफ़िक को संभाला, जो पिछले वर्ष से 1.30% की वृद्धि है। इस बंदरगाह ने अपनी बर्थ उत्पादकता में 6.33% का सुधार किया, जो देश में सबसे अधिक 33,014 मीट्रिक टन तक पहुँच गया। बंदरगाह ने 21,665 रेक, 7.65% की वृद्धि, और 2,710 जहाज़ों को संभाला, जो पिछले वर्ष से 13.82% की वृद्धि है। इसका उत्तरी डॉक अब 16-मीटर ड्राफ्ट वाले जहाज़ों को संभाल सकता है।
वित्तीय प्रदर्शन:

- परिचालन राजस्व में 14.30% की वृद्धि हुई, जो 2,300 करोड़ रुपये तक पहुँच गया।
- परिचालन अधिशेष में 16.44% की वृद्धि हुई, जो 1,510 करोड़ रुपये तक पहुँच गया।
- कर से पहले शुद्ध अधिशेष 21.26% बढ़कर 1,570 करोड़ रुपये हो गया।
- कर के बाद शुद्ध अधिशेष 20% बढ़कर 1,020 करोड़ रुपये तक पहुँच गया।
- परिचालन अनुपात 37% से बढ़कर 36% हो गया।
भविष्य में 289 एमएमटी की वर्तमान क्षमता वाले बंदरगाह का लक्ष्य पश्चिमी डॉक परियोजना के साथ तीन वर्षों में 300 एमएमटी तक पहुँचना है। कनेक्टिविटी को बेहतर बनाने के लिए तथा रेल और सड़क यातायात संघर्षों से बचने के लिए बंदरगाह प्रशासन ने 150 करोड़ रुपये की लागत से दो सड़क फ्लाईओवर बनाने की योजना बनाई है। इसके अतिरिक्त, विभिन्न उद्योगों को 769 एकड़ भूमि आवंटित की गई है, जिससे 8,700 करोड़ रुपये का निवेश और अनुमानित 50 एमएमटी यातायात आकर्षित हुआ है।

संदर्भ
https://tinyurl.com/yckp8wsc
https://tinyurl.com/3jhttuap
https://tinyurl.com/mw85tzfn
https://tinyurl.com/ycksxvjb
https://tinyurl.com/yjrr4b62

चित्र संदर्भ
1. कोलकाता और पारादीप बंदरगाह को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. कोलकाता बंदरगाह पर खड़े जहाजों को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. कोलकाता पोर्ट ट्रस्ट के लोगो को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. किडरपोर डॉक को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
5. 1852 में कलकत्ता बंदरगाह के दृश्य को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
6. पारादीप बंदरगाह को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
7. पारादीप बंदरगाह के दृश्य को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)



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