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‘‘प्रसादम’ और ‘यूखरिस्त’: भारतीय एवं ईसाई धर्म में ईश्वर से जुड़ने के अनूठे तरीके

लखनऊ

 13-06-2024 09:42 AM
विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

भारत में, विभिन्न धर्मों के लोग ईश्वर से जुड़ने के विशेष तरीके अपनाते हैं। हिंदू धर्म में प्रसादम और ईसाई धर्म में पवित्र परम प्रसाद (या यूखरिस्त (Eucharist)), हमारे देश की दो महत्वपूर्ण परंपराएँ हैं । भले ही ये विभिन्न धर्मों से हैं, लेकिन दोनों का गहरा अर्थ है और ये लोगों को उनकी आस्थाओं के निकट लाते हैं। हिंदू धर्म में, प्रसादम मंदिर में अनुष्ठानों और पूजा प्रक्रियाओं में केंद्रीय स्थान रखता है। यह संस्कृत शब्द "प्रसाद" से व्युत्पन्न हुआ है, जिसका अर्थ "कृपा" या "अनुग्रह" होता है, प्रसादम सिर्फ भोजन नहीं है; यह देवता द्वारा भक्तों को दिया गया एक दिव्य आशीर्वाद माना जाता है। हिंदू धर्म में प्रसादम:
प्रसादम का अर्थ: प्रसाद भोजन का वह स्‍वरूप है जिसे देवता, संत, या गुरु को अर्पित किया जाता है। बाद में इसे भक्तों में बांटा जाता है, जिससे यह देवता के आशीर्वाद का प्रतीक बन जाता हैं।
इतिहास: प्रसाद का एक समृद्ध इतिहास है। वैदिक साहित्य से लेकर संस्कृत परंपरा में प्रसाद का अर्थ देवता, संत, या गुरु की एक आध्यात्मिक अवस्था, जैसे कि सहज उदारता और वरदान देने की अवस्था के रूप में चिह्नित किया गया है। । बाद में प्रसाद, अर्पित किए गए भौतिक पदार्थ के रूप में विकसित हुआ।
अनुष्ठान: प्रसाद को देवता को अर्पित किया जाता है, फिर भक्तों में वितरित किया जाता है। यह प्रक्रिया देवता के प्रति भक्त की भक्ति को दर्शाती है।
दूसरी ओर, ईसाई धर्म में पवित्र परम प्रसाद एक पवित्र अनुष्ठान है जो यीशु मसीह के बलिदान की याद दिलाता है। इस समारोह के दौरान, विश्वासियों द्वारा रोटी और दाखरस (Bread and wine) साझा किया जाता है, जो यीशु के शरीर और रक्त का प्रतीक होता है। इस पवित्र परम प्रसाद में भाग लेने से, ईसाई, ईश्वर के करीब महसूस करते हैं और यीशु की प्रेम और क्षमा की शिक्षाओं को याद करते हैं। पवित्र परम प्रसाद सभी चर्चों में देखा जा सकता है और इसका एक उदाहरण नई दिल्ली के सेंट थॉमस चर्च (St. Thomas Church) में भी देखा जा सकता है। दरअसल, कम्युनियन वाइन (Communion Wine) और कम्युनियन ब्रेड (Communion Bread) ईसाई धर्म के परम प्रसाद अनुष्ठान के दो सबसे महत्वपूर्ण तत्व हैं। आइए इनके इतिहास और धार्मिक महत्व पर एक नज़र डालें। बाइबल में कम्युनियन वाइन और कम्युनियन ब्रेड दोनों का उल्लेख है, और इनके अर्थों की विभिन्न व्याख्याएँ हैं। कुछ लोग मानते हैं कि वाइन यीशु के रक्त का प्रतिनिधित्व करती है, जबकि अन्य मानते हैं कि यह परमेश्वर के साथ उनके नए वाचा का प्रतीक है। ब्रेड को यीशु के शरीर का प्रतिनिधित्व माना जाता है, जिसे उन्होंने मानवता के लिए बलिदान के रूप में दिया था। संस्कार के रूप में पवित्र परम प्रसाद या प्रभु भोज, जिसे यूखारिस्ट भी कहा जाता है, एक ईसाई अनुष्ठान है जो अंतिम भोज (Last Supper) की स्मृति में मनाया जाता है। अंतिम भोज वह अंतिम भोजन था जिसे यीशु ने अपनी गिरफ्तारी और क्रूस पर चढ़ाए जाने से पहले अपने शिष्यों के साथ साझा किया था। प्रभु भोज के दौरान, ईसाई रोटी और दाखमधु का सेवन करते हैं, जो यीशु मसीह के शरीर और रक्त का प्रतीक है, ताकि वे आध्यात्मिक रूप से उनसे जुड़ सकें और उनके बलिदान को याद कर सकें।
प्रभु भोज का दाखरस, एक प्रकार का वेदी दाखरस है, जिसका उपयोग धार्मिक समारोहों में किया जाता है। यह आमतौर पर लाल या सफेद अंगूर के रस से बनाया जाता है और यह स्थिर या स्पार्कलिंग हो सकता है (Still or Sparkling wine)। कैथोलिक चर्च में, प्रभु भोज के लिए उपयोग किए जाने वाले दाखरस को कुछ आवश्यकताओं को पूरा करना होता है। जैसे कि इसे प्राकृतिक अंगूर से बनाया जाना चाहिए, इसे प्राकृतिक रूप से किण्वित होना चाहिए, और इसमें अन्य पदार्थ नहीं मिलाए जाने चाहिए।
प्रभु भोज की रोटी एक प्रकार की बिना खमीर वाली रोटी या ब्रेड होती है, जो आमतौर पर गेहूं के आटे, पानी और नमक से बनाई जाती है। कैथोलिक चर्च में, प्रभु भोज के लिए उपयोग की जाने वाली रोटी को भी कुछ आवश्यकताओं को पूरा करना होता है। इसे बिना खमीर के बनाया जाना चाहिए, इसमें चीनी या अन्य मिठास मिलाने वाले पदार्थ नहीं होने चाहिए, और इसे विटामिन या खनिज से समृद्ध नहीं किया जाना चाहिए।
तुलनात्मक दृष्टिकोण:
प्रसादम और परम प्रसाद: दोनों का ही धार्मिक अनुष्ठानों में भोजन के रूप में महत्वपूर्ण स्थान है और यह दोनों ही आस्थाओं को मज़बूत करने में सहायक होते हैं।
आध्यात्मिक महत्व: हिंदू प्रसादम देवता का आशीर्वाद है जबकि ईसाई परम प्रसाद यीशु के बलिदान की याद दिलाता है। क्या पवित्र परम प्रसाद, प्रसादम के समकक्ष है?
भारत के विभिन्न हिस्सों में पवित्र परम प्रसाद को "प्रसाद", "प्रसादा" या "प्रसादम" कहा जाता है और इसका संबंध होली मास (Holy Mass) से है। पहला मुद्दा यह है कि क्या पवित्र परम प्रसाद, जो यीशु मसीह के शरीर और रक्त को चिन्हित करता है, क्या इसे "प्रसाद" कहा जा सकता है? दूसरा मुद्दा यह है कि क्या कैथोलिकों के लिए हिंदुओं के "प्रसाद" का सेवन करना आध्यात्मिक रूप से स्वीकार्य है? यह एक बहुत विवादास्पद मुद्दा है, जिसमें दोनों पक्षों के लोग कड़ी राय रखते हैं - कुछ इसके खिलाफ हैं जबकि कुछ इसके पक्ष में हैं। इन दोनों परंपराओं के गहरे अर्थ और उनके धार्मिक महत्व को समझना आवश्यक है ताकि हम उनकी महत्ता को सही तरीके से समझ सकें। हिंदू धर्म में प्रसादम और ईसाई धर्म में पवित्र परम प्रसाद दोनों ही धार्मिक आस्थाओं और परंपराओं के महत्वपूर्ण अंग हैं। ये दोनों ही अपने-अपने तरीकों से विश्वासियों को ईश्वर के निकट लाने का कार्य करते हैं और उन्हें आध्यात्मिकता का अनुभव कराते हैं। दोनों के गहरे अर्थ और महत्व को समझना हमें उनकी परंपराओं और धार्मिक आस्थाओं की गहराई में ले जाता है, जिससे हम एक दूसरे के धर्म और संस्कृति को बेहतर तरीके से समझ सकते हैं।

संदर्भ

https://tinyurl.com/5n96phkv
https://tinyurl.com/hyhhbdw3
https://tinyurl.com/4r4v33h9
https://tinyurl.com/mwfxz9vu

चित्र संदर्भ

1. ‘‘प्रसादम’ और ‘यूखरिस्त’ को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia, pxhere)
2. पश्चिम बंगाल, भारत में घरेलू पूजा में चढ़ाए जाने वाले नैवेद्य को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3.  यूखरिस्त को संदर्भित करता एक चित्रण (Needpix)
4. अंतिम भोज को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
5. मंदिर परिसर में प्रसाद वितरण को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)



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