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हम सभी जानते हैं कि भारत को “मसालों का देश” भी कहा जाता है। भारत के मसाले आज पूरी दुनियां में पसंद किए जाते हैं, और इनकी मांग भी खूब रहती है। हालाँकि मसालों की चमक के बीच हम उस माध्यम को भूल जाते हैं, जिसकी बदौलत कई सदियों से मसालों का व्यापार संभव हो पा रहा है। व्यापारिक संदर्भ में भारत को विश्व पटल पर मज़बूती से खड़ा करने में बदरगाहों की बहुत बड़ी भूमिका रही है। प्राचीन काल से लेकर आधुनिक समय तक पूरे इतिहास में, बंदरगाह हमारी अर्थव्यवस्थाओं, संस्कृतियों और समाजों को आकार देने में बड़े कारक साबित हुए हैं। उदाहरण के तौर पर आज हम ऐसे दो पुराने बंदरगाहों: कांडला और मुंबई या बॉम्बे बंदरगाह के बारे में जानेगें जिनकी अहमियत आज भी कम नहीं हुई है, बल्कि दिन प्रतिदिन बढ़ रही है।
1. कांडला बंदरगाह: कांडला बंदरगाह को अब दीनदयाल बंदरगाह के नाम से जाना जाता है। यह गुजरात के कच्छ ज़िले में स्थित देश का एक प्रमुख बंदरगाह है। इसकी स्थापना भारत के विभाजन के बाद 1950 में की गई थी। इसकी स्थापना के परिणामस्वरूप कराची बंदरगाह बंद हो गया था, जो उस समय उत्तर-पश्चिम भारत का मुख्य बंदरगाह था। इस बंदरगाह का नाम पास के शहर कांडला के नाम पर रखा गया है, और यह दुनिया के साथ भारत का व्यापार सुचारू रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। यह कांडला क्रीक (Creek) में स्थित है और कच्छ की खाड़ी के मुहाने से 90 किमी दूर है। कांडला बंदरगाह पश्चिमी तट पर भारत के प्रमुख बंदरगाहों में से एक है, जो कराची, पाकिस्तान से लगभग 256 समुद्री मील दक्षिण-पूर्व में और मुंबई से लगभग 430 समुद्री मील उत्तर-उत्तर पश्चिम में स्थित है।
इस बंदरगाह का निर्माण 1950 के दशक में पश्चिमी भारत की बढ़ती हुई ज़रूरतों के मद्देनज़र किया गया था। 2017 में भारतीय बंदरगाह अधिनियम, 1908 के तहत इसका नाम कांडला बंदरगाह से बदलकर दीनदयाल बंदरगाह कर दिया गया। दिलचस्प रूप से इस बंदरगाह के चैनल की गहराई ज्वार के साथ बदलती रहती है, जिसकी न्यूनतम गहराई 13 मीटर है। कांडला पोर्ट भारत का सबसे बड़ा बंदरगाह है, जहाँ कार्गो की मात्रा सबसे अधिक है। वित्तीय वर्ष 2023-24 में इसने 132.3 मिलियन मीट्रिक टन कार्गो का प्रबंधन करा है।
कांडला बंदरगाह, इस क्षेत्र की गादयुक्त मिट्टी और कठोर गाद से बना समुद्र तल है, जिसके नीचे घनी रेत है। यह एक प्राकृतिक ज्वारीय बंदरगाह है जो मानसून के दौरान लहरों से सुरक्षित रहता है और एक ड्रेज्ड चैनल (Dredged Channel) द्वारा गहरे पानी से जुड़ा हुआ है। बंदरगाह ने गैर-पीओएल (पेट्रोलियम, तेल और स्नेहक) कार्गो को बढ़ावा देने पर भी ध्यान केंद्रित किया है।
2008-09 में, बंदरगाह का यातायात 13.6% बढ़कर 72.22 मिलियन टन के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया। समय के साथ भारत के प्रमुख बंदरगाहों में कांडला का यातायात हिस्सा बढ़ा है। कांडला बंदरगाह सीमित सुविधाओं के साथ छोटे स्तर से शुरू हुआ था, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में यह बहुत विकसित हुआ है। आज, यह कई प्रकार के कार्गो जैसे कि सूखा माल, तरल पदार्थ, कंटेनर और कच्चे तेल को संभालता है। यह बंदरगाह नेपाल और भूटान जैसे भूमि से घिरे देशों के लिए भी एक प्रमुख व्यापार बिंदु है, जो उन्हें समुद्र तक का सबसे छोटा मार्ग प्रदान करता है।
अरब सागर के पास भारत के पश्चिमी तट पर कांडला बंदरगाह का स्थान इसे गुजरात, राजस्थान और पंजाब सहित भारत के विशाल आंतरिक क्षेत्रों के लिए एक महत्वपूर्ण प्रवेश बिंदु बनाता है। यह बंदरगाह प्रमुख राजमार्गों और रेलवे लाइनों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है, जिससे भारत के विभिन्न हिस्सों तक पहुँचना आसान हो जाता है। इसमें गहरे पानी के चैनल के साथ उत्कृष्ट नेविगेशन सुविधाएँ भी हैं जो यहाँ पर बड़े जहाज़ों को डॉक (Dock) करने की अनुमति देती हैं। बंदरगाह में आधुनिक गोदाम और कंटेनर फ्रेट स्टेशन (container freight stations) भी हैं, जो इस पर निर्भर ग्राहकों के लिए व्यापक समाधान प्रदान करते हैं। यह उन्नत बंदरगाह कार्गो हैंडलिंग उपकरणों (cargo handling equipment) से सुसज्जित है और दक्षता और गति में सुधार के लिए आधुनिक तकनीक का उपयोग करता है।
कांडला बंदरगाह के लिए कार्गो हैंडलिंग एक मज़बूत बिंदु है। इसमें विभिन्न प्रकार के कार्गो के लिए विशेष टर्मिनल हैं, और इसमें 17 बर्थ हैं, जिनमें से एक यात्री जहाज़ के लिए है। कांडला पोर्ट अपने ग्राहकों के साथ कुशल और सटीक सूचना विनिमय सुनिश्चित करने के लिए एक आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक डेटा इंटरचेंज सिस्टम (electronic data interchange system) का भी उपयोग करता है। कांडला पोर्ट न केवल भारत में, बल्कि विश्व स्तर पर एक प्रमुख बंदरगाह है। भारत के पश्चिमी तट पर स्थित, यह बंदरगाह मध्य पूर्व, अफ्रीका, यूरोप और उससे आगे के बाज़ारों तक भी आसान पहुँच प्रदान करता है। प्रमुख राजमार्गों और रेलवे से इसका जुड़ाव इसे माल परिवहन के लिए एक आदर्श स्थान बनाता है।
कांडला पोर्ट ने भारत के वैश्विक व्यापार और रसद के लिए नए अवसर खोले हैं। प्रमुख औद्योगिक क्षेत्रों से इसकी निकटता ने इसे माल आयात और निर्यात के लिए एक आदर्श स्थान बना दिया है। यह बंदरगाह भारत के विदेशी व्यापार का एक बड़ा हिस्सा संभालता है, जिससे यह देश के व्यापार नेटवर्क का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन जाता है। हाल के वर्षों में, कांडला पोर्ट प्रशासन ने अपने बुनियादी ढांचे को बेहतर बनाने में बहुत अधिक निवेश किया है। इन निवेशों के तहत प्रमुख राजमार्गों और रेलवे से इसके कनेक्शन में सुधार किया गया है, जिससे बंदरगाह से माल को लाना और ले जाना आसान हो गया है। बंदरगाह ने अपनी तकनीक को भी उन्नत किया है, जिससे इसकी कार्गो हैंडलिंग क्षमताएँ बढ़ी हैं। कांडला पोर्ट के विकास ने वैश्विक व्यापार में भारत के महत्व को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। यह व्यापार के लिए एक प्रमुख प्रवेश द्वार के रूप में कार्य करके देश की आर्थिक वृद्धि का समर्थन करता है। इसके महत्व को पहचानते हुए, सरकार ने भी बंदरगाह के विस्तार का समर्थन करने के लिए कई कदम उठाए हैं।
2. मुंबई बंदरगाह: मुंबई बंदरगाह, जिसे बॉम्बे बंदरगाह भी कहा जाता है, भारत के पश्चिमी तट पर मौजूद एक प्रमुख बंदरगाह है। यह बंदरगाह 400 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है और पूर्व और उत्तर में कोंकण की मुख्य भूमि तथा पश्चिम में मुंबई शहर से घिरा हुआ है। बंदरगाह दक्षिण की ओर अरब सागर में खुलता है।
इस बंदरगाह का प्रबंधन मुंबई पोर्ट ट्रस्ट (MbPT) द्वारा किया जाता है, जिसे पहले बॉम्बे पोर्ट ट्रस्ट (BPT) के नाम से भी जाना जाता था। यह संगठन पूरी तरह से भारत सरकार के स्वामित्व में है। मुंबई बंदरगाह मुख्य रूप से थोक माल को संभालता है। मुंबई बंदरगाह सदियों से जहाज़ों और नावों के आगमन का केंद्र रहा है, जिसने मराठा, ब्रिटिश और पुर्तगाली नौसेनाओं की भी सेवा की है। 1652 में, ईस्ट इंडिया कंपनी की सूरत परिषद ने बंदरगाह के रणनीतिक महत्व को पहचाना और इसे पुर्तगालियों से हासिल करने की कोशिश की। उनकी इच्छा 1661 में पूरी हुई जब पुर्तगाल की राजकुमारी कैथरीन के साथ उनकी विवाह संधि के तहत बंदरगाह और बॉम्बे द्वीप, ब्रिटेन के राजा चार्ल्स द्वितीय को सौंप दिए गए। 1870 के दशक में यहाँ पर पहली आधुनिक डॉक (Bombay Docks) का निर्माण किया गया और 26 जून, 1873 को बॉम्बे पोर्ट ट्रस्ट (Bombay Port Trust) की स्थापना की गई, जिसके पहले अध्यक्ष कर्नल जे.ए. बैलार्ड (Colonel J.A. Ballard) थे। अपनी स्थापना के बाद से, बंदरगाह भारत के लिए एक महत्वपूर्ण प्रवेश बिंदु रहा है और इसने मुंबई को भारत की वाणिज्यिक राजधानी बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। 1990 के दशक में बंदरगाह और इसके प्रबंधन निगम का नाम बदल दिया गया।
इन वर्षों में, बंदरगाह का काफी विस्तार हुआ, और अधिक बर्थ तथा कार्गो हैंडलिंग सुविधाएँ जोड़ी गईं। हालाँकि, 1970 के दशक तक, मुंबई के तेज़ गति से हुए विकास ने बंदरगाह के आगे के विस्तार को सीमित कर दिया। इसके परिणामस्वरूप नवी मुंबई में न्हावा शेवा बंदरगाह का निर्माण हुआ, जिसका परिचालन 1989 में शुरू किया गया।
मुंबई बंदरगाह भारत के सबसे पुराने और व्यस्ततम बंदरगाहों में से एक होने के लिए प्रसिद्ध है। यह बंदरगाह विभिन्न प्रकार के कार्गो, जैसे ड्राई बल्क (dry bulk), लिक्विड बल्क liquid bulk) कंटेनर को संभालने के लिए प्रसिद्ध है, जो इसे अंतरराष्ट्रीय व्यापार के लिए एक महत्वपूर्ण केंद्र बनाता है। इसे औपनिवेशिक काल के दौरान ब्रिटिश माल को भारत और दुनिया भर में भेजने के लिए ज्वारीय बंदरगाह के रूप में स्थापित किया गया था। पिछले कुछ वर्षों में, शिपिंग और वाणिज्य उद्योगों की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए मुंबई बंदरगाह को और अधिक अपडेट किया गया तथा बेहतर बनाया गया है।
बंदरगाह की खासियतों में अरब सागर में इसकी सटीक स्थिति भी शामिल है, जो इस क्षेत्र और उससे आगे के अन्य बंदरगाहों तक आसान पहुँच प्रदान करता है। इसमें विभिन्न प्रकार के कार्गो को संभालने के लिए गहरे पानी के बर्थ और कंटेनर टर्मिनल (container terminals) जैसी आधुनिक सुविधाएँ भी हैं। मुंबई बंदरगाह सालाना 4.5 मिलियन कंटेनर संभालता है, और यहाँ अपर कुशल लोडिंग और अनलोडिंग के लिए उन्नत क्रेन का उपयोग किया जाता है। भारत के सबसे व्यस्त बंदरगाहों में से एक होने के कारण यह व्यापार और विभिन्न उद्योगों के लिए महत्वपूर्ण बन जाता है।
संदर्भ
https://tinyurl.com/ydj6vdx8
https://tinyurl.com/ycky4tzx
https://tinyurl.com/mvb7yh2j
https://tinyurl.com/3pu28fty
चित्र संदर्भ
1. कांडला और मुंबई बंदरगाह को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. कांडला बंदरगाह पर खड़े जहाजों को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. एक बंदरगाह को संदर्भित करता एक चित्रण (Construction World)
4. बंदरगाह में रखे गए कंटेनरों को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
5. मुंबई पोर्ट ट्रस्ट पर नया कंटेनर टर्मिनल को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
6. मुंबई पोर्ट ट्रस्ट की 125वीं वर्षगांठ को समर्पित 1999 के एक डाक टिकट को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
7. मुंबई बंदरगाह परिसर के दृश्य को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
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